टाइप 2 डायबिटीज आजीवन साथ रहने वाली एक बीमारी है. टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में इंसुलिन प्रतिरोध होता है. इस स्थिति में शरीर इंसुलिन का उपयोग ठीक तरह से नहीं कर पाता है. आजकल की खराब जीवनशैली, खान-पान की आदतों और तनाव के कारण अधिकतर लोग टाइप 2 डायबिटीज का सामना कर रहे हैं. मध्यम आयु वर्ग और अधिक उम्र में लोगों में टाइप 2 डायबिटीज के मामले अधिक देखने को मिलते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह बच्चों, किशोरों और युवाओं को भी प्रभावित कर सकता है. टाइप 2 डायबिटीज को समझने के लिए इसे 4 चरणों में बांटा गया है.

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आज इस लेख में आप टाइप 2 डायबिटीज के 4 मुख्य चरणों के बारे में विस्तार से जानेंगे -

(और पढ़ें - टाइप 2 डायबिटीज के शुरुआती लक्षण)

  1. टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण
  2. टाइप 2 डायबिटीज के 4 चरण
  3. टाइप 2 डायबिटीज को कंट्रोल कैसे करें?
  4. सारांश
टाइप 2 डायबिटीज के चरण के डॉक्टर

डायबिटीज होने पर व्यक्ति का ब्लड शुगर लेवल ज्यादा हो जाता है. ऐसे में उसे कई लक्षणों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है. टाइप 2 डायबिटीज शरीर के कई अंगों पर बुरा असर डाल सकता है, लेकिन डायबिटीज कभी भी अचानक से नहीं होता है. शुरुआत में यह सामान्य लक्षण पैदा करता है, फिर धीरे-धीरे समस्याएं बढ़ती जाती हैं. टाइप 2 डायबिटीज के कुछ लक्षण ऐसे हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए -

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जब टाइप 2 डायबिटीज की शुरुआत होती है, तो बार-बार पेशाब लगने, वजन कम होने जैसे लक्षण दिख सकते हैं. वहीं, जैसे-जैसे शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ता जाता है टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम बढ़ने लगता है और गंभीर रूप लेने लगता है. टाइप 2 डायबिटीज धीरे-धीरे शुरू होता है और फिर गंभीर स्थिति में आता है. ऐसे में इसे 4 चरणों में विभाजित किया जा सकता है -

पहला चरण

टाइप 2 डायबिटीज के पहले चरण को इंसुलिन प्रतिरोध के रूप में जाना जाता है. आपको बता दें कि इंसुलिन हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण हार्मोन में से एक होता है. इसका निर्माण अग्न्याशय द्वारा किया जाता है. इंसुलिन शरीर की कई प्रतिक्रियाओं को कंट्रोल करता है, लेकिन जब शरीर इंसुलिन हार्मोन का उपयोग सही तरीके से नहीं कर पाता है, तो इस स्थिति को इंसुलिन प्रतिरोध कहा जाता है.

इंसुलिन प्रतिरोध में शरीर की मांसपेशियां, फैट और लिवर कोशिकाएं इंसुलिन के लिए प्रतिरोधी बन जाती हैं यानी सही तरीके से काम नहीं करती हैं. साथ ही इंसुलिन हार्मोन ग्लूकोज को ऊर्जा में नहीं बदल पाता है.

इस स्थिति में अग्न्याशय इंसुलिन का अधिक उत्पादन करता है और ब्लड शुगर को सामान्य रखने में मदद कर सकता है. टाइप 2 डायबिटीज का पहला चरण डायबिटीज की शुरुआत करता है, लेकिन कई लोग इसी चरण में ब्लड शुगर को कंट्रोल करके टाइप 2 डायबिटीज होने से रोक सकते हैं.

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दूसरा चरण

टाइप 2 डायबिटीज के दूसरे चरण को प्रीडायबिटीज के रूप में जाना जाता है. इस चरण में कोशिकाएं इंसुलिन प्रतिरोधी हो जाती हैं और अग्न्याशय द्वारा निर्मित किए गए अतिरिक्त इंसुलिन भी ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य करने के लिए पर्याप्त नहीं हो पाता है. टाइप 2 डायबिटीज के दूसरे चरण वाले कुछ मामलों में बीटा सेल डिसफंक्शन भी मौजूद हो सकता है.

इस चरण में ब्लड शुगर का स्तर सामान्य से अधिक रहता है, लेकिन इसे सामान्य किया जा सकता है. इस स्थिति को डायबिटीज नहीं कहा जा सकता है. टाइप 2 डायबिटीज के दूसरे चरण को सही खानपान, एक्सरसाइज और शुगर से परहेज करके ठीक किया जा सकता है.

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तीसरा चरण

टाइप 2 डायबिटीज का तीसरा चरण वह स्थिति होती है, जिसमें ब्लड शुगर का स्तर सामान्य से अधिक रहता है. इस स्थिति को डायबिटीज के रूप में जाना जाता है. इसमें ब्लड शुगर सामान्य नहीं रहता है. इंसुलिन प्रतिरोध और बीटा सेल दोनों ही टाइप 2 मधुमेह में ब्लड शुगर के अधिक स्तर को पैदा करते हैं. टाइप 2 डायबिटीज के तीसरे चरण को पूरे इलाज की जरूरत होती है. इस स्थिति में डायबिटीज की दवाइयां शुरू कर दी जाती हैं. अगर इस स्थिति में डायबिटीज का इलाज नहीं किया जाता है, तो शरीर को दीर्घकालिक नुकसान पहुंच सकता है.

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चौथा चरण

टाइप 2 डायबिटीज का चौथा चरण कई गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है. इस चरण में ब्लड शुगर का स्तर हमेशा अधिक रहता है. इसकी वजह से हृदय व किडनी आदि प्रभावित हो सकते हैं. टाइप 2 डायबिटीज से होने वाली संभावित जटिलताएं इस प्रकार हैं -  

यह चरण बेहद गंभीर होता है और टाइप 2 डायबिटीज वाले व्यक्ति के जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है. इस स्थिति में व्यक्ति का संपूर्ण जीवन और दिनचर्या पर असर पड़ सकता है. इसकी वजह से उसे पैरों में झुनझुनी आदि का भी सामना करना पड़ सकता है.

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टाइप 2 डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है. सिर्फ दवा लेकर और जीवनशैली में बदलाव करके ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखा जा सकता है -

  • टाइप 2 डायबिटीज का उपचार करने के लिए दवाओं में इंसुलिन इंजेक्शन, अमाइलिनोमिमेटिक दवाएं और अल्फा-ग्लूकोसिडेस इनहिबिटर आदि शामिल हो सकते हैं. ये दवाइयां ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखने में मदद कर सकती हैं.
  • कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर रखने से भी टाइप 2 डायबिटीज को कंट्रोल में रखा जा सकता है.
  • टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों को अपनी डाइट में फलसब्जियांसाबुत अनाज और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए. 
  • शुगरनमक, सैचुरेटेड फैट व ट्रांस फैट आदि से परहेज करके भी ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखा जा सकता है.
  • रोजाना कम से कम 30 मिनट या उससे अधिक की एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए. इससे भी डायबिटीज का उपचार हो सकता है.
  • मोटापा कम करे, धूम्रपान न करें और तनाव से बचकर भी टाइप 2 डायबिटीज को कंट्रोल रखने में मदद मिल सकती है.

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टाइप 2 डायबिटीज एक गंभीर बीमारी होती है और जीवनभर तक साथ रहती है. यह बीमारी एकदम से नहीं होती है, बल्कि कई चरणों में आती है. शुरुआत में यह संकेत देती है और अगर इसका उपचार नहीं किया जाता है, तो धीरे-धीरे बढ़ती जाती है और फिर इसे सामान्य करना मुश्किल हो जाता है. अगर आपको टाइप 2 डायबिटीज के शुरुआती लक्षण महसूस होते हैं या फिर आप प्रीडायबिटीज की स्टेज में है, तो इन स्थितियों को कंट्रोल में करना जरूरी होता है, अन्यथा आप डायबिटीज रोगी बन सकते हैं.

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