डायबिटीज को आम भाषा में मधुमेह और शुगर के रूप में जाना जाता है. खराब खानपान, लाइफस्टाइल और जेनेटिक की वजह से अधिकतर लोग डायबिटीज का सामना कर रहे हैं. डायबिटीज एक क्रोनिक मेडिकल कंडीशन होती है, जिसमें लोगों के शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है. डायबिटीज में शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है या उसका सही से उपयोग नहीं कर पाता है. इस स्थिति में रक्त में शर्करा का स्तर काफी बढ़ जाता है. समय के साथ-साथ डायबिटीज गंभीर होने लगता है और हृदय, किडनी व लिवर रोग का कारण बन सकता है. डायबिटीज 4 प्रकार के होते हैं, इनमें टाइप 1 डायबिटीज, टाइप 2 डायबिटीज, प्री-डायबिटीज और जेस्टेशनल डायबिटीज शामिल हैं.

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आज इस लेख में आप टाइप 2 डायबिटीज के शुरुआती लक्षण और इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. टाइप 2 डायबिटीज क्या है?
  2. टाइप 2 डायबिटीज के शुरुआती लक्षण
  3. शुरुआती लक्षण जानना क्यों है जरूरी?
  4. टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण कम करने के टिप्स
  5. सारांश
टाइप 2 डायबिटीज के शुरुआती लक्षण के डॉक्टर

टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में इंसुलिन प्रतिरोध होता है. यह शरीर को उस तरह से इंसुलिन का उपयोग करने से रोकता है, जिस तरह उसे करना चाहिए. ऐसे में इंसुलिन शरीर में मौजूद ग्लूकोज को ऊर्जा बनाने में मदद नहीं कर पाता है. इसकी वजह से व्यक्ति में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है. मध्यम आयु वर्ग या उससे अधिक उम्र के लोगों को टाइप 2 डायबिटीज होने की आशंका सबसे अधिक होती है. कुछ मामलों में टाइप 2 डायबिटीज बच्चों और टीनएज को भी प्रभावित कर सकता है. इसका मुख्य कारण बचपन में मोटापा होना होता है.

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टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण आमतौर पर धीरे-धीरे विकसित होते हैं. कई लोगों में टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण वर्षों तक महसूस नहीं होते हैं. वहीं, अगर गौर किया जाए, तो टाइप 2 डायबिटीज के कुछ शुरुआती लक्षण नजर आ सकते हैं -

धुंधला दिखाई देना

धुंधली दृष्टि भी टाइप 2 डायबिटीज का एक शुरुआती लक्षण हो सकता है. दरअसल, ब्लड में शुगर बढ़ने पर आंखों की छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे धुंधली दृष्टि की समस्या हो सकती है. धुंधली दृष्टि एक या दोनों आंखों में हो सकती है.

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खुजली व यीस्ट इंफेक्शन

रक्त और मूत्र में अतिरिक्त शुगर होने से यीस्ट का निर्माण हो सकता है, जो संक्रमण का कारण बन सकता है. यीस्ट इंफेक्शन त्वचा के गर्म व नमी युक्त भाग में होता है, जैसे - मुंह, जननांग या फिर बगल. यीस्ट इंफेक्शन होने पर प्रभावित भाग में खुजली व लालिमा हो सकती है.

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त्वचा पर काले धब्बे

अगर गर्दन या बगल के आसपास काले धब्बे हैं, तो इस लक्षण को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें. यह टाइप 2 डायबिटीज का शुरुआती लक्षण हो सकता है.

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हाथ-पैर में सुन्नपन या झुनझुनी

ब्लड शुगर का अधिक स्तर रक्त परिसंचरण को प्रभावित कर सकता है. इससे नसों को नुकसान पहुंच सकता है. इस स्थिति में हाथ और पैरों में सुन्नपन और झुनझुनी महसूस हो सकती है.

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घाव भरने में देरी

घाव का धीरे-धीरे ठीक होना टाइप 2 डायबिटीज का शुरुआती लक्षण होता है. टाइप 2 डायबिटीज होने पर रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है, जिसकी वजह से नसों और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचने लगता है और ब्लड सर्कुलेशन भी खराब होने लगता है. इसकी वजह से किसी भी चोट के घाव को भरने में हफ्ते या महीने लग सकते हैं. 

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थकान महसूस करना

टाइप 2 डायबिटीज व्यक्ति के ऊर्जा के स्तर को प्रभावित कर सकता है. ऐसे में मरीज अधिक थका हुआ महसूस कर सकता है. यह थकान रक्त प्रवाह से कोशिकाओं में अपर्याप्त शर्करा के प्रवाह की वजह से होती है. 

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अधिक भूख लगना

अधिक भूख लगना भी टाइप 2 डायबिटीज का शुरुआती लक्षण हो सकता है. टाइप 2 डायबिटीज में लोगों को खाने से पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाती है. जब टाइप 2 डायबिटीज में ग्लूकोज की पर्याप्त मात्रा रक्तप्रवाह से शरीर की कोशिकाओं में नहीं जाती है, तो लोगों को अधिक भूख लग सकती है.

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ज्यादा प्यास लगना

बार-बार प्यास लगना भी टाइप 2 डायबिटीज का शुरुआती लक्षण हो सकता है. दरअसल, डायबिटीज में पेशाब बार-बार आता है. ऐसे में शरीर में पानी की कमी होने लगती है, जिसकी वजह से सामान्य से अधिक प्यास लग सकती है.

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बार-बार पेशाब आना

जब ब्लड शुगर लेवल अधिक होता है, तो किडनी ब्लड से एक्स्ट्रा शुगर को छानकर निकालने की कोशिश करते हैं. ऐसे में व्यक्ति को बार-बार पेशाब आ सकता है. खासकर रात के समय.

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अगर टाइप 2 डायबिटीज के शुरुआती लक्षणों को समय रहते पहचान लिया जाए, तो इसका इलाज करने में मदद मिल सकती है. ऐसे में जीवनशैली में कुछ बदलाव कर व रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित कर स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है. साथ ही भविष्य की जटिलताओं के जोखिम को कम किया जा सकता है. अगर इन लक्षणों का पता चलने के बाद भी उपचार न किया जाए, तो उच्च रक्त शर्करा का स्तर गंभीर और कभी-कभी जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकता है, जो इस प्रकार है -

टाइप 2 डायबिटीज का समय पर इलाज न करने से हाइपर स्मोलर हाइपरग्लाइसेमिक नोंकेटोटिक सिंड्रोम (HHNS) भी हो सकता है, जो रक्त शर्करा के स्तर में गंभीर और लगातार वृद्धि का कारण बनता है. इस अवस्था में कोई अन्य बीमारी या संक्रमण होने से एचएचएनएस की समस्या ट्रिगर हो सकती है, जिससे मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती है.

यह समस्या बुजुर्गों में अधिक देखने को मिलती है. इसलिए, रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण में रखना महत्वपूर्ण है. रक्त शर्करा का स्तर जितना अनियंत्रित रहेगा, अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा उतना ही अधिक होगा.

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टाइप 2 डायबिटीज को शुरुआती में कंट्रोल में करने के लिए सही जीवनशैली का पालन करना जरूरी होता है, जो निम्न प्रकार से है -

ब्लड शुगर की जांच

डायबिटीज रोगियों को अपने ब्लड शुगर का ध्यान रखना जरूरी होता है. ब्लड शुगर के बारे में जानने के लिए रोजाना ब्लड शुगर की जांच करती रहनी चाहिए.

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नियमित व्यायाम

रोज व्यायाम करने से टाइप 2 डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है. अगर किसी को डायबिटीज है, तो भी रोजाना 30 से 60 मिनट की एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए. इसके लिए साइकिलिंग व स्विमिंग आदि कर सकते हैं. साथ ही डायबिटीज रोगियों को खाना खाने के बाद वॉक जरूर करनी चाहिए. मॉर्गिंग वॉक करना डायबिटीज में फायदेमंद हो सकता है.

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हेल्दी डाइट

वैसे तो टाइप 2 डायबिटीज के लिए कोई स्पेशल डाइट नहीं है, लेकिन डायबिटीज रोगियों के लिए फाइबर और प्रोटीन फायदेमंद होता है. साथ ही कार्ब्स व शुगर से परहेज करना चाहिए. इसके लिए मिठाई, आइसक्रीम व चॉकलेट आदि का सेवन बिल्कुल न करें. डाइट में सब्जियों और दालों को अधिक मात्रा में शामिल करें. आलू व चावल खाने से बचें.

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वजन कम करना

मोटापा डायबिटीज का मुख्य कारण होता है. ऐसे में टाइप 2 डायबिटीज को नियंत्रण में रखने के लिए वजन कम करना जरूरी माना जाता है. डायबिटीज होने पर अपने वजन का 5-7 प्रतिशत वेट कम करना लाभकारी हो सकता है. वजन कम करके ब्लड शुगर के स्तर को कम किया जा सकता है.

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टाइप 2 डायबिटीज सबसे आम प्रकार होता है. आजकल अधिकतर लोग टाइप 2 डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी का सामना कर रहे हैं. टाइप 2 डायबिटीज होने पर कुछ शुरुआती लक्षण नजर आ सकते हैं. ऐसे में इन लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. डायबिटीज के लक्षण महसूस होने पर जीवनशैली में बदलाव करना जरूरी होता है. अगर फिर भी ब्लड शुगर का स्तर लगातार बढ़ रहा है, तो डॉक्टर की सलाह पर दवाइयां लेनी चाहिए.

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Dr. Narayanan N K

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