हृदय रोग गंभीर स्थिति होती है. दुनिया भर में हृदय रोग को मृत्यु का प्रमुख कारण माना जाता है. हर साल हृदय रोग की वजह से लगभग 17.9 मिलियन लोगों की मौत होती है. वैसे तो हृदय रोग के कई कारण होते हैं, लेकिन आनुवंशिक, खराब खानपान और असक्रिय जीवनशैली को हृदय रोगों का मुख्य कारण माना जाता है. यही वजह है कि आजकल करोड़ों लोग हृदय से जुड़ी किसी-न-किसी बीमारी का सामना कर रहे हैं. ऐसे में समाज में हृदय रोग से जुड़े कई मिथक फैले हुए हैं, जिन पर अक्सर लोग विश्वास कर लेते हैं.

आज इस लेख में आप हृदय रोग से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. हृदय रोग से जुड़े 8 मिथक
  2. सारांश
हृदय रोग से जुड़े मिथक के डॉक्टर

कई मामलों में हृदय रोग गंभीर हो सकता है. यह कई लोगों में मृत्यु का कारण भी बन सकता है. लोगों के बीच हृदय रोग से जुड़े कई मिथक फैले हुए हैं. जानें इनके बारे में -

युवाओं को हृदय रोग से घबराने की जरूरत नहीं है.

भले ही हृदय रोग 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को अधिक प्रभावित करता है, लेकिन 4-10% दिल का दौरा 45 वर्ष से कम आयु के लोगों को भी पड़ता है, खासकर पुरुषों को. इसलिए यह कहना बिल्कुल गलत है कि युवाओं को हृदय रोग से घबराने की जरूरत नहीं है.

आजकल की खराब जीवनशैली और खानपान के साथ-साथ शराब, धूम्रपान व तंबाकू की वजह हर उम्र के लोग हृदय रोग से प्रभावित हो रहे हैं. डायबिटीज जैसी समस्या भी हृदय रोग का कारण बन सकती है.

(और पढ़ें - हृदय रोग के लिए आयुर्वेदिक दवा)

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हृदय रोग होने पर एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए.

यह एक बहुत बड़ा मिथ है, क्योंकि हृदय रोगियों के लिए एक्सरसाइज करना जरूरी होता है. रेगुलर एक्सरसाइज करने से हृदय की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं. एक्सरसाइज करने से शरीर में रक्त का प्रवाह भी बेहतर होता है. इसलिए, अगर किसी को हृदय से जुड़ी कोई भी समस्या है, तो अपनी लाइफस्टाइल में एक्सरसाइज को जरूर शामिल करें. इससे लाभ मिलेगा.

यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी के अनुसार, हृदय रोगियों के लिए एक्सरसाइज करना फायदेमंद हो सकता है. एक्सरसाइज करने से हृदय रोगियों को कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक आने की आशंका काफी कम हो जाती है.

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कोलेस्ट्रॉल कम करने की दवाई लेने पर कुछ भी खा सकते हैं.

कोलेस्ट्रॉल भी एक हृदय रोग होता है, जिसमें ब्लड में खराब कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ जाता है. कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर अक्सर हेल्दी डाइट पर फोकस किया जाता है, लेकिन समाज में एक मिथ फैला हुआ है कि अगर कोई कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने की दवाई ले रहा है, तो वह खाने में कुछ भी खा सकता है. कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए दवाइयों और हेल्दी डाइट का कॉम्बिनेशन बहुत जरूरी होता है. खराब आहार हृदय रोग के जोखिम कारकों, जैसे- मोटापाहाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को बढ़ा सकता है.

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अगर परिवार में किसी को हृदय रोग है, तो किसी अन्य सदस्य को भी हो सकता है.

अक्सर लोगों को लगता है कि अगर परिवार में किसी के माता-पिता, दादा-दादी या फिर भाई-बहन को हृदय रोग है, तो यह उन्हें भी शत प्रतिशत होगा ही होगा. जेनेटिक हृदय रोग को रोकने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता है, जबकि ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है. अच्छी जीवनशैली और आहार की आदतों को अपनाकर हृदय रोगों से हमेशा बचा जा सकता है.

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विटामिन सप्लीमेंट हृदय रोग होने से रोक सकते हैं.

वैसे तो विटामिन और मिनरल से भरपूर खाना खाने से हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखा जा सकता है, लेकिन इसका कोई सबूत नहीं है कि किसी भी विटामिन सप्लीमेंट को लेने से हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है. इसलिए, विटामिन सप्लीमेंट हृदय रोग होने से रोक सकता है, यह एक बहुत बड़ा मिथ होता है.

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हृदय रोग सिर्फ पुरुषों को ही प्रभावित करता है.

हृदय रोग सिर्फ पुरुषों को ही प्रभावित करता है, यह भी मिथ है. हृदय रोग पुरुषों और महिलाओं दोनों को ही हो सकता है. हृदय रोग पुरुषों और महिलाओं दोनों में मृत्यु का प्रमुख कारण माना जाता है. एक अध्ययन के अनुसार, 2017 में 24.2 फीसदी पुरुषों और 21.8 फीसदी महिलाओं की हृदय रोग से मृत्यु हुई थी.

अगर स्ट्रोक की बात की जाए, तो इसके मामले पुरुषों और महिलाओं में एक समान ही है. यह सच है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में हृदय रोग विकसित होने का जोखिम अधिक रहता है, लेकिन यह गलत धारणा है कि केवल पुरुष ही हृदय रोग से प्रभावित होते हैं.

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कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक एक ही है.

कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक दोनों स्थितियां अलग-अलग होती हैं. हार्ट अटैक रक्त परिसंचरण से जुड़ी समस्या है. हार्ट अटैक तब आता है, जब हृदय की मांसपेशियों तक ऑक्सीजन रिच ब्लड पहुंचाने वाली कोरोनरी धमनियां अवरुद्ध हो जाती हैं.

वहीं, कार्डियक अरेस्ट तब आता है, जब हृदय शरीर के चारों ओर रक्त को प्रभावी ढंग से पंप करने में असमर्थ हो जाता है. कार्डियक अरेस्ट अक्सर हार्ट अटैक के कारण होता है.

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डायबिटीज होने पर हृदय को कोई खतरा नहीं होता है.

डायबिटीज की वजह से हृदय रोग होने का कोई खतरा नहीं होता है, यह भी एक मिथ है. डायबिटीज को हृदय रोग का एक जोखिम कारक माना जाता है. जब डायबिटीज की वजह से शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ता जाता है, तो रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचने लगता है. ऐसे में डायबिटीज वाले लोगों में हृदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है.

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हृदय रोग आम है. आजकल अधिकतर लोग तरह-तरह के हृदय रोगों का सामना कर रहे हैं. यहीं वजह है कि समाज में हृदय रोग से जुड़े कई मिथक फैले हुए हैं, जिन्हें अक्सर लोग सच मान लेते हैं. अगर किसी को भी कोई हृदय रोग है, तो सही जीवनशैली और खानपान की मदद से इसके लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है और स्वस्थ जीवन का आनंद लिया जा सकता है.

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