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हृदय रोग असमय मौत के कारणों में प्रमुख बनता जा रहा है. अपने हृदय को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है अपने पूरे शरीर को स्वस्थ रखना. इसमें एक्सरसाइज करना और कुछ हेल्दी टिप्स का प्रयोग करना शामिल है. प्राणायाम ऐसा योगासन है, जिससे हृदय स्वस्थ रह सकता है.

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यह कई तरह से हृदय को लाभ पहुंचाता है, जैसे ब्लड प्रेशर लेवल को बैलेंस करना, रेस्पिरेटरी रेट को कम करना आदि. प्राणायाम के अलग-अलग प्रकार होते हैं, जिनमें से भस्त्रिका और कपालभाती सबसे आम है. हृदय को स्वस्थ रखने के लिए केवल कुछ ही प्रयास करने की आवश्यकता है, जिनमें से प्राणायाम एक है.

आज इस लेख में जानेंगे कि कैसे हृदय रोग के लिए प्राणायाम फायदेमंद है -

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  1. हृदय रोग में फायदेमंद हैं ये प्राणायाम
  2. प्राणायाम करने से हृदय को मिलने वाले फायदे
  3. सारांश
हृदय रोग के लिए प्राणायाम के डॉक्टर

यह सांसों को नियंत्रित करने की एक तकनीक होती है. इस आसन के माध्यम से सांस लेने का समय और सांस रोकने के समय पर काम किया जाता है. प्राणायाम के माध्यम से शरीर और मस्तिष्क को एक दूसरे से जोड़ा जा सकता है. आप मेडिटेशन करने के दौरान भी प्राणायाम कर सकते हैं. प्राणायाम से शरीर में ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है. साथ ही प्राणायाम के माध्यम से शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन जाती है. इससे शरीर से टॉक्सिंस यानी विषैले पदार्थ भी बाहर निकलते हैं. यह आसन करने में भी आसान हैं, इसलिए हर कोई इसे कर सकता है. हृदय रोग से बचाने में मुख्य रूप से निम्न प्राणायाम लाभकारी हैं : 

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कार्डियोवैस्कुलर फंक्शन को कंट्रोल करने के लिए कुछ न्यूट्रल फैक्टर्स जैसे कि हार्मोन्स शरीर का तापमान आदि अपनी भूमिका निभाते हैं. ये सभी फैक्टर्स ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम से संबंधित हैं. जिनका मुख्य काम सिस्टोलिक और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करना है. इनमें से किसी में भी असंतुलन हृदय रोगों जैसे कि हाई बीपी इस्किमिया और इन्फेक्शन आदि का कारण बन सकता है. आइए, विस्तार से जानते हैं हृदय रोग के लिए प्राणायाम के फायदे-

ब्लड प्रेशर कम करता है

प्राणायाम करने से शरीर को आराम मिलता है और काफी हल्का महसूस होता है. इससे स्ट्रेस कम होता है, जो ब्लड प्रेशर बढ़ने का मुख्य कारण है. प्राणायाम में ब्रीदिंग तकनीक जुड़ी होती हैं, जिनके माध्यम से नर्वस सिस्टम रिलैक्स होता है. इससे भी स्ट्रेस कम होता है. इस प्रकार ब्लड प्रेशर लेवल बैलेंस में मदद मिलती है. ब्लड प्रेशर का बढ़ना भी हृदय रोग का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है, लेकिन प्राणायाम से इस खतरे से बचा जा सकता है.

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स्ट्रेस कम करता है

स्ट्रेस अधिक लेने से काफी सारी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जिनमें से एक बीमारी है हृदय रोग. स्ट्रेस से मानसिक सेहत भी काफी खराब होती है. प्राणायाम करने से स्ट्रेस रिस्पॉन्स कम होता है और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है जिससे काफी फ्रेश और ऊर्जा से भरपूर महसूस होता. प्राणायाम करने से मूड भी खुश हो जाता है और तनाव व चिंता कम होती है. इस प्रकार मानसिक समस्याओं के कारण होने वाली हृदय बीमारियों से प्राणायाम करने से बचा जा सकता है.

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नींद की गुणवत्ता बढ़ती है

अगर हेल्दी नींद नहीं होगी, तो स्ट्रेस बढ़ेगा. इसके कारण हार्ट रेट में भी बढ़ सकती है. इससे दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है और हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है. प्राणायाम करने से हार्ट रेट संतुलित हो सकता है, क्योंकि इसमें एक तकनीक (भ्रामरी) शामिल है, जिसके कारण ब्रीदिंग और हार्ट रेट धीमा हो जाता है. इससे दिमाग को भी शांति मिलती है और शरीर सोने के लिए तैयार हो जाता है. इसलिए, रात को सोने से पहले भी इस योगासन को कर सकते हैं.

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हृदय की कार्यप्रणाली में सुधार

हृदय रोगों से बचने के लिए जरूरी है हृदय का सही ढंग से काम करना. हृदय के फंक्शन को प्राणायाम जैसे आसनों को करके बढ़ाया जा सकता है. अगर 15 दिन तक लगातार प्राणायाम के साथ-साथ मेडिटेशन भी किया जाए, तो हृदय के सभी फंक्शन में पहले से सुधार आएगा. अगर उम्र 40 से ऊपर बढ़ गई है तो प्राणायाम जरूर करना चाहिए, ताकि हृदय सही ढंग से काम करता रहे. प्राणायाम करने से हृदय में होने वाली ब्लॉकेज से भी बचा जा सकता है.

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प्राणायाम केवल हृदय के लिए ही नहीं, पूरे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है. प्राणायाम के माध्यम से हृदय में आने वाली रुकावटें भी कम की जा सकती हैं. प्राणायाम करने से एंजायटी कम होती है और माइंडफुलनेस बढ़ती है. आयुर्वेद में भी प्राणायाम करना सुझाया गया है. इसमें केवल सही तरह से ब्रीदिंग तकनीक शामिल है. सुबह-सुबह किए गए प्राणायाम से पूरा दिन मन शांत और शरीर भी रिलैक्स रहता है.

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