क्या दिल की सर्जरी के लिए राजनेता और आर्थिक रूप से संपन्न लोग अनावश्यक रूप से विदेश जा रहे हैं? या भारत में हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध है?

30 साल पहले, जब हमने बड़े पैमाने पर बाईपास सर्जरी करना शुरू किया था, तब इस प्रक्रिया का खर्च तकरीबन 1 लाख रूपए तक था। तीन दशकों के बाद, ये खर्च अत्यधिक नहीं बढ़ा है। अगर किसी व्यक्ति को अच्छी गुणवत्ता व निपुणता के साथ सर्वश्रेष्ठ उपकरणों के द्वारा सर्जरी चाहिए, तो उसे न्यूनतम इतना खर्च तो उठाना ही पड़ेगा।

कृपया एंजियोग्राफी में उपयोग किए जाने वाले उस रोबोटिक हाथ (आर्टिस-ज़ीगो) के बारे में हमें बताइए, जो मेदांता में इस्तेमाल किया जाता है। क्या भारत में किसी और अस्पताल में इसका उपयोग किया जाता है?

‘आर्टिस-ज़ीगो एंडोवास्कुलर सर्जिकल कैथ लैब’ (आर्टिस-ज़ीगो) एक कैथ लैब और ऑपरेशन रूम दोनों ही है। इसमें एक ही समय पर कैथेटर उपयोग की जाने वाली छोटी सर्जरी (जिसमें कम से कम चीरे लगाए जाते हैं) और पारम्परिक ओपन सर्जरी की जा सकती है। मेदांता में उपलब्ध आर्टिस-ज़ीगो एंजियोग्राफी के क्षेत्र में पहली ऐसी व्यवस्था है, जिसमें रोबोटिक हाथ का उपयोग करके रोगी को उस पोजीशन में रखा जा सकता है, जो सर्जरी के लिए सबसे बेहतर होती है। ये ऑपरेशन थिएटर मेदांता की ‘हार्ट टीम’ की परिकल्पना का प्रतीक है, क्योंकि इसमें दिल के सर्जन और विशेषज्ञ दोनों ही साथ में काम कर पाते हैं, जिससे मरीजों को सबसे आधुनिक देखभाल मिलती है।

हमने पढ़ा था कि इंदौर में 18 वर्षीय लड़के की मृत्यु के बाद उसका दिल निकालकर हवाई एम्बुलेंस के जरिये एक 46 साल के व्यक्ति की जान बचाई गई। क्या हवाई यात्रा के दौरान भी कोई प्रक्रिया की गई थी?

अप्रैल 28, सन 2016, इंदौर में स्थित श्री अरबिंदो इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस में दीपक ढ़ाकेता को मानसिक रूप से मृत घोषित किए जाने के 4 घंटे 3 मिनट के भीतर उनके दिल को दिल्ली की 47 वर्षीय अनीता वर्मा के शरीर में प्रत्यारोपित किया गया था। इंदौर में सुबह 10:53 पर एओर्टा (दिल को ऑक्सीजन वाला खून पहुंचाने वाली धमनी) को दबाकर बंद कर दिया गया था, ताकि हृदय को बचाया जा सके। गुड़गांव में दोपहर 3:56 पर ये ऑपरेशन खत्म हुआ था।

इस ऑपरेशन को संभव करने के लिए दिल को इंदौर से दिल्ली लाया गया और फिर दिल्ली से गुड़गांव। दिल को तेजी से मेदांता तक पहुंचाने के लिए हवाई और सड़क के रास्ते को खाली करवाया गया। यह अपने आप में एक बहुत बड़ा कार्य था।

मेदांता में कोरोनरी आर्टरी सर्जरी के इलाज के लिए एक विशेष ‘हार्ट टीम’ मौजूद है। क्या कार्डियोलॉजी में ये एक नया दृष्टिकोण है?

दिल के रोगों के इलाज के लिए मरीज की हालत के अनुसार इलाज को बदलना चाहिए। इसी जगह पर हार्ट टीम का सिद्धांत काम आता है। कार्डिओलॉजिस्ट, इंटरवेंशनलिस्ट या सर्जन में से किसी को भी अकेले कोई फैसला नहीं लेना चाहिए। उपलब्ध जानकारी के अनुसार तीनों विशेषज्ञों को मिलकर सही निर्णय लेना चाहिए, ताकि मरीज का सर्वोत्तम इलाज किया जा सके।

क्या हृदय में रुकावट के लिए कोई नई दवा या इलाज उपलब्ध हैं?

हृदय की देखभाल के हर क्षेत्र में तकनीकी तौर पर काफी वृद्धि हुई है। इसका एक उदाहरण है एंजियोग्राम में उपयोग होने वाली एफएफआर तकनीक (फेशियल फ्लोर रिज़र्व वायर)। इस तकनीक के द्वारा धमनी की रुकावट में तार डाली जाती है जिससे आंकड़े रिकॉर्ड किए जाते हैं। इन आंकड़ों की मदद से मरीज को दिए जाने वाले इलाज का चयन किया जाता है।

नई डायबिटीज-रोधी दवाओं का हृदय रोग पर क्या प्रभाव होता है? क्या ये सच है कि डायबिटीज मेलिटस से ग्रस्त लोगों को हृदय रोग होने का खतरा अधिक होता है? अगर हां, तो इससे कैसे बचा जा सकता है?

डायबिटीज एक ऐसी समस्या है जो हमारे देश में तेजी से बढ़ रही है और इसमें हमारी जीवनशैली एक अहम भूमिका निभाती है। डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए खानपान से संबंधित बदलाव भारतीयों के लिए एक चुनौती है। इसी कारण, दिल की समस्याओं से बचने के लिए बचपन से ही खानपान की स्वस्थ आदतों का पालन किया जाना चाहिए।

अब भारत में हृदय रोग से होने वाली मृत्‍यु दर 28% तक पहुंच गया है। अधिकतर 70 से कम उम्र के लोग हद्रय रोग से प्रभावित होते हैं। ह्रदय रोग से होने वाली मृत्‍यु में इजाफा होने के पीछे क्‍या प्रमुख कारण हैं, खासतौर पर भारतीय आहार और आदतों में किस वजह से इस संख्‍या में बढ़ोत्तरी हुई है?

उम्र, लिंग और आनुवांशिकता के अलावा ऐसे और कई कारक हैं जो हृदय रोग उत्‍पन्‍न करते हैं और वह हमारे कंट्रोल में होते हैं। इनमें शामिल हैं हाइपरटेंशन, डायबिटीज, ब्‍लड लिपिड का स्‍तर बिगड़ना, धूम्रपान, तनाव, शारीरिक रूप से सक्रिय ना होना और मोटापा। जोखिम कारकों के बारे में पता होने के बावजूद भी लोग कोई बीमारी या बड़ी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या उत्‍पन्‍न होने तक इन्‍हें नजरअंदाज करते रहते हैं। 

आपके स्वास्थ्य के लिए हमारी myUpchar Ayurveda Madhurodh डायबिटीज टैबलेट आसानी से उपलब्ध हैं। अपना आर्डर आज ही करें, और रक्त शर्करा को नियंत्रित करके स्वस्थ जीवन का आनंद लें!

किस उम्र और किस स्थिति में व्‍यक्‍ति को नियमित हार्ट चेकअप के लिए जाना चाहिए? अगर व्‍यक्‍ति के परि‍वार में किसी को ह्रदय रोग हो, तो क्‍या उसे चेकअप की सामान्‍य उम्र से पहले जांच के लिए जाना चाहिए?

हृदय रोग ही नहीं, आपको अपने परिवार के सभी सदस्यों की सवास्थ्य समस्याओं के बारे में पता होना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी व्‍यक्‍ति के माता या पिता को हृदय रोग है तो उस व्‍यक्‍ति में इस बीमारी का खतरा 15 से 20 फीसदी बढ़ जाता है, और अगर माता-पिता दोनों ही दिल की बीमारी से ग्रस्‍त हों तो उनके बच्‍चे में इसका खतरा 30 से 40 फीसदी तक बढ़ जाता है। इस स्थिति में 25 की उम्र से ही जांच करवाना शुरु कर सकते हैं।

बचपन या किशोरावस्‍था से किन स्‍वस्‍थ आदतों को अपनाकर दिल से संबंधित बीमारियों के जोखिम को कम किया जा सकता है?

जीवनशैली में कुछ बदलाव करके दिल की बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। आप क्‍या खाते हैं, कितना व्यायाम करते हैं, आपका वजन कितना है और आप किस तरह स्‍ट्रेस को नियंत्रित करते हैं, इन सभी बातों का ध्‍यान रखकर भी हृदय रोग को रोका जा सकता है। जंक फूड एवं तला हुआ या मीठा खाना न खाएं, खास तौर से 40 की उम्र के बाद। 

आजकल हर स्वास्थ्य समस्या के लिए योग और व्‍यायाम की सलाह दी जाती है। क्‍या आपको लगता है कि अगर कार्डियोलोजिस्‍ट योग एवं व्‍यायाम की बात करें तो क्या मरीज इसे ज्‍यादा गंभीरता से लेते हैं?

जीवनशैली में कुछ बदलाव खासतौर पर शारीरिक रूप से ज्‍यादा सक्रिय होकर दिल की बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। दिन में कम से कम 45 मिनट एक्‍सरसाइज करें जिसमें तेज चलना, दौड़ लगाना, साइकिल चलाना या अन्‍य किसी रूप से सक्रिय रहना शामिल है। योग से भी काफी हद तक मदद मिल सकती है।                                                     

जिन मरीजों को स्‍टेंट डलवाने की सलाह दी गई है, आप उनको क्या सलाह देंगे? क्‍या उन्‍हें एक दूसरे विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए? क्‍या जरूरत ना होने पर भी अस्‍पतालों द्वारा स्‍टेंट का इस्‍तेमाल किया जा रहा है? क्‍या ऐसी कोई नई ट्रीटमेंट ईजाद की गई है जिससे स्‍टेंट की जरूरत को खत्‍म किया जा सके?

चिकित्‍सकीय रूप से अगर धमनियां 70 फीसदी तक अवरुद्ध हैं तो उन्हें दवाओं से ठीक किया जा सकता है। अगर ब्‍लॉकेज 70 फीसदी से ज्‍यादा हो तो इस स्थिति में स्‍टेंट का इस्‍तेमाल बेहतर रहता है।

अगर फिर भी आप संतुष्‍ट नहीं है तो किसी दूसरे डॉक्‍टर से भी सलाह ले सकते हैं। किसी ऐसे चिकित्‍सक या संस्‍था से परामर्श करें जिसकी सलाह पर आप पूरी तरह से भरोसा करते हों।

ऐप पर पढ़ें