तेजी से बदलती लाइफ स्टाइल ने बीमारियों के जोखिम को भी दोगुनी रफ्तार से बढ़ा दिया है। स्वास्थ्य के प्रति सजगता का आभाव, लगभग हर दूसरे व्यक्ति में दिखता है। इसके कारण बीमारियों का खतरा बढ़ा है। हालांकि, हेल्थ को लेकर जागरुकता लाई जाए तो इन गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। जैसे कि हृदय रोग। ताजा रिसर्च में सामने आया है कि अगर युवा अवस्था यानी 45 साल से उम्र में बॉडी में कोलेस्ट्रॉल को कम किया जाए तो हृदय संबंधी बीमारियों से बचाव किया जा सकता है।

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आज इस लेख में आप जानेंगे कि किस प्रकार युवाअवस्था में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना फायदेमंद है -

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  1. क्या कहती है रिसर्च?
  2. कोलेस्ट्रॉल कम होने से घटेगा हृदय रोग का जोखिम
  3. विशेषज्ञों की क्या है राय?
  4. कोलेस्ट्रॉल को कैसे कम करें?
  5. सारांश
जवानी में कोलेस्ट्रॉल को रखेंगे काबू में तो बढ़ती उम्र में स्वस्थ रहेगा दिल के डॉक्टर

मेडिकल जरनल लेंसेट में प्रकाशित ताजा रिसर्च के मुताबिक 45 साल की उम्र में होने वाली हृदय समस्याओं को रोकने के लिए लोगों को खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करना होगा। इसके लिए खान-पान और व्यायाम की आदतों में परिवर्तन की जरूरत है। साथ ही व्यक्ति अपने डॉक्टर से स्टैटिन जैसी दवाओं के बारे में भी बात कर सकते हैं।

यह सबसे व्यापक विश्लेषणों में से एक है, जो हृदय रोग के दीर्घकालिक जोखिम से संबंधित नॉन-एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के रूप में जाना जाता है।

नॉन-एचडीएल कोलेस्ट्रॉल का मतलब आपके कुल कोलेस्ट्रॉल या अच्छे कोलेस्ट्रॉल से है। नॉन-एचडीएल कोलेस्ट्रॉल में एलडीएल (Low-density lipoprotein cholesterol) या बुरा कोलेस्ट्रॉल भी होता है, जो धमनियों की नई लेयर या दीवार बनाता है। इससे हृदय में खून और ऑक्सीजन का बहाव प्रभावित होता है और ट्राइग्लिसराइड्स  यानी जो खाना आप खाते हैं उसके फैट को आपके खून में ले जाता है।

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इस रिसर्च के दौरान अध्ययनकर्ताओं ने शोध में शामिल लगभग 4 लाख लोगों के रिकॉर्ड को देखा। 19 देशों से आए इन लोगों की उम्र 30 से 85 साल के बीच थी, जिन्हें साढ़े 13 साल के बीच या अंतराल में ट्रैक किया गया था।

  • आंकड़ों को देखकर पता चला कि जो लोग 45 साल से कम उम्र के थे, उनमें नॉन एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के कारण भविष्य में हृदय रोग का खतरा अधिक था।
  • रिसर्च में पता चला है कि 45 साल से कम उम्र की वो महिलाएं जिनमें नॉन एचडीएल कोलेस्ट्रॉल कम था, उनके 75 साल की उम्र तक पहुंचने पर नॉन फैटल हार्ट डिजीज (हृदय रोग) या स्ट्रोक होने की आशंका 16 प्रतिशत थी।
  • इस तरह से, महिलाओं में कम से कम दो अतिरिक्त हृदय जोखिम कारक थे, जैसे कि मोटापा अधिक होना। ऐसी समान स्थिति में बुजुर्ग महिलाओं में हृदय रोग का जोखिम 12 फीसदी था।
  • इस तरह की समान स्थिति में 45 साल से कम उम्र के पुरुषों में 29 प्रतिशत जोखिम था, जबकि 60 साल या उससे अधिक उम्र के पुरुषों में ये जोखिम 21 प्रतिशत था।

अध्ययन के लेखक और जर्मनी में जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर एन्वायरमेंटल हेल्थ शोध का हिस्सा रहे बारबारा थौरेंड का कहना है कि युवा लोगों में हृदय रोग के जोखिम बढ़ने का कारण खून में लंबे समय तक हानिकारक लिपिड का होना हो सकता है।

हृदय रोग के बढ़ते जोखिम को लेकर अध्ययनकर्ताओं ने हिसाब लगाया और कहा कि कल्पना के आधार पर देखा जाए तो, अगर 45 साल से कम उम्र वाले लोग नॉन-एचडीएल कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करते हैं, तो इन लोगों में हृदय रोग का जोखिम काफी घट सकता है। हृदय जोखिम वाले कारकों के बावजूद पुरुषों में लगभग 29 प्रतिशत से 6 प्रतिशत और महिलाओं में 16 प्रतिशत से 4 प्रतिशत तक हृदय रोग के खतरे को कम किया जा सकता है।

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जोन्स हॉप्किंस सिकारोने सेंटर फॉर द प्रिवेंशन ऑफ कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के डायरेक्टर डॉक्टर रोजर ब्लूमेंथल का कहना है कि लेंसेट की ये रिसर्च बहुत सटीक है और इन्होंने अच्छा विश्लेषण किया है, जो कि मरीजों और डॉक्टरों के लिए काफी फायदेमंद होगी।

  • डॉक्टर ब्लूमेंथल के मुताबिक मोटापे और बैठे रहने की आदत को नजर अंदाज करते हुए व्यायाम करना जरूरी है। दिन में कम से कम 30 मिनट और हफ्ते में 5 दिन व्यायाम जरूर करें। इसके अलावा ध्रूमपान न करें, तंबाकू प्रोडक्ट खाना छोड़ दें और कैलोरी को हेल्दी मात्रा में लें।
  • अमेरिकी डायट्री गाइडलाइंस के मुताबिक वयस्क महिलाओं के लिए 16,00 से 2,400 कैलोरी और वयस्क पुरुषों के लिए 2,000 से 3,000 तक हर दिन कैलोरी लेना हेल्दी माना जाता है।

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अगर फिर भी किसी मरीज का कोलेस्ट्रॉल स्तर हाई रहता या बढ़ता है, तो इंतजार से बेहतर है कि जल्द ही स्टैटिन दवा लेना शुरू करें, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक के जोखिम को कम किया जा सकता है। साथ ही बेहतर यही होगा कि कोई दवा लेने से पहले एक बार डॉक्टर से अच्छी तरह से चेकअप करवाएं।

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