गर्भावस्था में कई महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस (गर्भावस्था के दौरान उल्टी या मतली होना) की समस्या होती है। तीन फीसदी से भी कम गर्भवती महिलाओं को हाइपरमेसिस ग्रेविडरम नामक दिक्कत होती है। इसमें गर्भावस्था के दौरान गंभीर रूप से मतली, उल्टी, वजन घटने और डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) हो सकता है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन यह अस्थायी है और इसे नियंत्रित करने के कई तरीके मौजूद हैं।

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हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम क्या है?

हाइपरमेसिस ग्रेविडरम (एचजी) से ग्रस्त होने पर गर्भवती महिलाओं को बहुत ज्यादा उल्टी होती है। इससे डिहाइड्रेशन और वजन घटने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। मॉर्निंग सिकनेस अक्सर गर्भावस्था के तीसरे महीने के अंत तक ठीक हो जाती है, लेकिन हाइपरमेसिस ग्रेविडरम आमतौर पर लंबे समय तक प्रभावित करता है।
हाइपरमेसिस ग्रेविडरम गर्भावस्था के चौथे व छठे सप्ताह के बीच शुरू होता है और नौ से 13 सप्ताह के आसपास स्थिति और बदतर हो सकती है। इसमें उल्टी इतनी ज्यादा होती है कि कई महिलाओं को अपने रोजमर्रा के काम करने में भी दिक्कत होती है। आमतौर पर इस बीमारी के लक्षण 20वें सप्ताह तक ठीक हो जाते हैं, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है।
डॉक्टरों को इस बीमारी के सटीक कारण के बारे में पता नहीं है, लेकिन उनका मानना है कि इसका संबंध हार्मोन का स्तर बढ़ने से है।

हाइपरमेसिस ग्रेविडरम के लक्षण

हाइपरमेसिस ग्रेविडरम के लक्षण बहुत गंभीर होते हैं, इसके लक्षण इस प्रकार हैं:

  • गर्भावस्था के दौरान लगातार गंभीर रूप से मतली एवं उल्टी की समस्या
  • सामान्य से अधिक लार आना
  • वजन घटना
  • डिहाइड्रेशन के संकेत जैसे कि गहरे रंग का पेशाब, रूखी त्वचा, कमजोरी या बेहोशी
  • कब्ज

हाइपरमेसिस ग्रेविडरम का कारण

ज्यादातर गर्भवती महिलाओं में मतली या उल्टी (मॉर्निंग सिकनेस) की समस्या होती है, यह परेशानी गर्भावस्था के पहले तीन महीनों के दौरान ज्यादा प्रभावित करती है। गर्भावस्था के दौरान मतली और उल्टी होने का सही कारण ज्ञात नहीं है। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि यह ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीआर) नामक एक हार्मोन का स्तर तेजी से बढ़ने के कारण होता है। प्रेग्नेंसी में थोड़ी-बहुत मॉर्निंग सिकनेस होना सामान्य बात है, लेकिन हाइपरमेसिस ग्रेविडेरियम ज्यादा महिलाओं को नहीं होता है। इसके लक्षण भी गंभीर होते हैं।

हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम की जटिलताएं

हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम मां और बच्चे दोनों के लिए समस्या पैदा कर सकता है, इसकी वजह से निम्न जटिलताएं हो सकती हैं:

  • प्रेग्नेंसी में पांच फीसदी तक वजन कम होना सामान्य बात है लेकिन अगर इससे ज्यादा वजन कम हो रहा है तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए। 
  • किडनी का सही तरीके से काम न करना, जिससे पेशाब कम आने की समस्या हो सकती है।
  • शरीर में खनिज पदार्थों की मात्रा में असंतुलन आ सकता है, जिसे इलेक्ट्रोलाइट्स कहा जाता है। इनमें सोडियम और पोटेशियम शामिल हैं। यदि पर्याप्त मात्रा में खनिज नहीं होंगे तो, ऐसे में चक्कर आने, कमजोरी व ब्लड प्रेशर लेवल में उतार-चढ़ाव आ सकता है।

हाइपरमेसिस ग्रेविडरम का इलाज

इलाज इसके लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। डॉक्टर मतली और उल्टी के इलाज के लिए विटामिन बी6 या अदरक का सेवन करने के लिए कह सकते हैं।

थोड़ी-थोड़ी देर में कम मात्रा में भोजन करने और हाइड्रेट रहने के लिए तरल पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। एचजी के गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है। जिन गर्भवती महिलाओं को लगातार मतली या उल्टी के कारण तरल पदार्थ या भोजन लेने में दिक्कत होती है, उन्हें नस के जरिए फ्लूइड (तरल पदार्थ) दिए जाते हैं।

जब उल्टी की वजह से मां या बच्चे को खतरा हो तो इस स्थिति में दवा लेनी पड़ सकती है। इसमें सबसे ज्यादा प्रोमेथाज़ीन और मैक्लिजिन दवा दी जाती है। उपचार से जुड़े जोखिम के बार में डॉक्टर से बात करें।

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