ऑस्टियोकॉन्ड्रिटिस डिस्केन्स - Osteochondritis Dissecans in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

November 05, 2018

March 06, 2020

ऑस्टियोकॉन्ड्रिटिस डिस्केन्स
ऑस्टियोकॉन्ड्रिटिस डिस्केन्स

ऑस्टियोकॉन्ड्रिटिस डिस्केन्स क्या है?

ऑस्टियोकॉन्ड्रिटिस डिस्केन्स एक जोड़ों की समस्या है। यह तब होती है जब जोड़ों में स्थित कार्टिलेज के एक हिस्से के नीचे हड्डी का कोई भाग नष्ट हो जाता है। ऐसा इस क्षेत्र में रक्त की आपूर्ति न होने की वजह से होता है। यह हड्डी की एक पतली परत और कार्टिलेज के टूट कर ढीला होने का कारण होता है। इस दौरान प्रभावित टुकड़ा अपनी जगह या जोड़ों के बीच में भी पहुंच सकता है। इसकी वजह से जोड़ अस्थिर होते हैं। ऐसा होने पर दर्द होता है और ऐसा महसूस होता है जैसे जोड़ चिपक गए हैं या अलग हो गए हैं।

(और पढ़ें - हड्डी टूटने का इलाज)

ऑस्टियोकॉन्ड्रिटिस डिस्केन्स अक्सर घुटनों में होता है। यह कोहनी, टखने, कंधे और कूल्हों सहित अन्य जोड़ों में भी हो सकता है। बच्चों और किशोरों की यह सबसे आम समस्या है।

ऑस्टियोकॉन्ड्रिटिस डिस्केन्स के लक्षण क्या हैं?

जोड़ों में दर्द और सूजन ऑस्टियोकॉन्ड्रिटिस डिस्केन्स की समस्या के सबसे आम लक्षण हैं। जोड़ों में सूजन और दर्द शारीरिक गतिविधि के बाद अधिक तेज हो सकता है, जैसे सीढ़ियों पर चढ़ना या खेल खेलना इत्यादि। अन्य लक्षणों में, जोड़ों में कमजोरी, जोड़ों को सीधा करने में परेशानी, कड़-कड़ की आवाज या एक ही स्थिति में जाम हो जाते हैं।

(और पढ़ें - जोड़ों के दर्द को ठीक करने के उपाय)

ऑस्टियोकॉन्ड्रिटिस डिस्केन्स क्यों होती है?

इसके कारणों का अभी तक पता नहीं लगाया गया है कि रक्त आपूर्ति में गड़बड़ी क्यों होती है और इसकी वजह से ऑस्टियोकॉन्ड्रिटिस डिस्केन्स क्यों होता है। डॉक्टरों का मानना ​​है कि इसका कारण हड्डी में बार-बार होने वाला आघात (ट्रॉमा) या तनाव हो सकता है।

(और पढ़ें - तनाव दूर करने के उपाय)

ऑस्टियोकॉन्ड्रिटिस डिस्केन्स का इलाज कैसे होता है?

ऑस्टियोकॉन्ड्रिटिस डिस्केन्स के लिए कुछ सामान्य उपायों में गतिविधियों में परिवर्तन या आराम करना शामिल हैं। इससे जोड़ों को ठीक होने का समय मिल जाता है और भविष्य में किसी भी फ्रैक्चर, जोड़ों में खाली जगह के बनने या कार्टिलेज के कम होने को रोकने में मदद मिल सकती है। यदि रोगी कोई खिलाड़ी है, तो उसको कुछ दिन खेल छोड़ना पड़ सकता है।

डॉक्टर एक चिकित्सा उपकरण, जैसे स्प्लिंट या ब्रेस की मदद से जोड़ों को स्थिर कर सकता है। इसके इलाज में रोगी के लिए बैसाखी आवश्यक हो सकती है। इस दौरान नॉन-स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी) दर्द को कम करने में मदद कर सकती है। डॉक्टर जोड़ों के लिए एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं। यदि किसी भी प्रकार के इलाज से रोगी को फायदा नहीं हो, तो ऐसे में डॉक्टर सर्जरी का विकल्प चुन सकते हैं।

(और पढ़ें - जोड़ों का दर्द ठीक करने के लिए योग)