नाक और मुंह से अचानक और तेजी से निकलने वाली हवा जिसको नियंत्रित न किया जा सके उसे ही छींक कहते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो छींक शरीर की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शरीर को जब महसूस होता है कि नाक में कोई ऐसी चीज चली गई है जिसे वहां पर नहीं होना चाहिए तो शरीर छींक के जरिए उसे बाहर निकालने की कोशिश करता है। फिर चाहे वह बैक्टीरिया हो, धूल-मिट्टी या गंदगी हो, फफूंद हो, पराग-कण हो या फिर किसी तरह का धुंआ।

नाक में अगर कोई बाहरी चीज प्रवेश कर जाए जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकती हो या हमें बीमार बना सकती हो तो उसे शरीर के बाहर निकालकर हमें बीमार होने से बचाती है छींक। डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की मानें तो छींक, नाक को एक बार फिर से नॉर्मल होने में मदद करती है। लेकिन कई बार जब हम किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर होते हैं या किसी से बात कर रहे होते हैं या किसी जरूरी काम में होते हैं तो अक्सर हम अपनी छींक को रोकने की कोशिश करते हैं। 

छींकने से बच रहे हैं, ऐसा बिलकुल न करें
खासकर अभी के समय जब से नए कोरोना वायरस ने दुनियाभर में आतंक मचा रखा है, लोग सार्वजनिक जगहों पर छींकने से परहेज करने लगे हैं। लोग अपनी छींक को दबाने या रोकने की कोशिश इसलिए करते हैं ताकि आसपास खड़े लोगों को ऐसा न लगे कि हम अपनी छींक के जरिए कीटाणु या वायरस फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपनी छींक को रोक कर आप फायदा नहीं बल्कि अपना ही नुकसान कर रहे हैं। रिसर्च की मानें तो कई बार छींक रोकने से बेहद गंभीर जटिलताओं का भी सामना करना पड़ सकता है।

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डॉक्टरों की मानें तो भले ही छींक, इंफेक्शन को फैलने में अहम मानी जाती हो लेकिन आपके शरीर में मौजूद उत्तेजित करने वाले पदार्थों, ऐलर्जी पैदा करने वाले तत्वों और दूसरे बाहरी कचरे को साइनस से बाहर निकालना जरूरी है। अगर हमें छींक नहीं आएगी तो हमारा शरीर संभावित रूप से नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों को साइनस और फेफड़ों तक आसानी से पहुंचने देगा जिससे हम बीमार पड़ जाएंगे।

इंफेक्शन को बाहर निकालती है छींक
कई बार बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन होने पर भी हमें काफी छींक आती है। ऐसा होने पर अगर आप छींकेगे नहीं तो म्यूकस जमा होता रहेगा और यूस्टेकी नलिका तक पहुंच जाएगा। यूस्टेकी नलिका एक छोटी सी गली या रास्ता है जो आपके कंठ को मध्य कर्ण के हिस्से से जोड़ता है। जब आप किसी चीज को निगलते हैं, उबासी या जम्हाई लेते हैं या छींकते हैं तो ये यूस्टेकी नलिकाएं खुल जाती हैं जिससे हवा का दबाव या फ्लूइड कानों में जमा नहीं होता।

लेकिन अगर संक्रमित म्यूकस यूस्टेकी नलिका में वापस आकर जमा हो जाएगा तो इससे मध्य कर्ण में संक्रमण का खतरा हो सकता है। इसके अलावा भी छींक रोकने के कई और गंभीर नुकसान हैं। 

छींक रोकने से जुड़े खतरे
आपको जानकर हैरानी होगी कि छींक कितनी शक्तिशाली गतिविधि है। एक छींक आपके नाक से बलगम की बूंदों को 100 मील प्रति घंटे की दर से बढ़ा सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब आप छींकते हैं तो आपका शरीर श्वसन प्रणाली में प्रेशर उत्पन्न करता है जिसमें साइनस, नाक, कंठ और फेफड़े तक शामिल होते हैं। ऐसे में छींक को रोकने से आपके श्वसन प्रणाली के अंदर छींक के प्रेशर की तुलना में 5 से 24 गुना ज्यादा प्रेशर बन जाता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो इस अतिरिक्त प्रेशर को शरीर के अंदर रोकने से कई तरह की गंभीर चोट लगने का खतरा रहता है।

  • कान का पर्दा फटने का डर : छींक से ठीक पहले श्वसन प्रणाली में जो हाई प्रेशर बनता है अगर उसे शरीर के अंदर ही रोक लिया जाए तो कुछ मात्रा में हवा कान में भी पहुंच जाएगी। प्रेशर से भरी ये हवा दोनों कानों में मौजूद यूस्टेकी नलिका तक पहुंच जाएगी जो कान के पर्दे और मध्य कर्ण को जोड़ने का काम करती है। एक्सपर्ट्स की मानें तो हवा के इस प्रेशर से एक या दोनों कान के पर्दे फट सकते हैं जिससे सुनने की क्षमता खत्म हो जाएगी। 
  • आंख, नाक, कान की रक्त धमनियों को नुकसान : एक्सपर्ट्स कहते हैं कि वैसे तो यह स्थिति बेहद दुर्लभ है लेकिन इस बात की आशंका भी है कि अगर आप अपनी छींक को शरीर के अंदर ही रोक लें तो इससे आपकी आंख, नाक या कान के पर्दों तक जाने वाली रक्त धमनियों को नुकसान पहुंचे। इसका कारण ये है कि छींक की वजह से पैदा हुए इस प्रेशर के कारण रक्त धमनियों के फटने का खतरा हो सकता है। 
  • डायफ्राम में लग सकती है चोट : पेट से ठीक ऊपर छाती का जो मस्कुलर हिस्सा है उसे ही डायफ्राम कहते हैं। वैसे तो इस तरह की घटनाएं या चोट लगाना बेहद रेयर केस में ही होता है लेकिन डॉक्टरों ने ऐसे केस भी देखे हैं जिसमें छींक रोकने वाले लोगों के शरीर में प्रेशर वाली हवा डायफ्राम में फंस जाती है जिससे फेफड़ों को भी नुकसान होता है। यही कारण है कि कई बार छींक रोकने पर हवा के अतिरिक्त प्रेशर की वजह से छाती में दर्द भी महसूस होता है।
  • कंठ में लगने वाली चोट : डॉक्टरों को एक केस ऐसा भी मिला था जिसमें एक व्यक्ति ने छींक रोकने की कोशिश की तो उसके कंठ के पीछे का हिस्सा फट गया था। घटना के बाद से वह व्यक्ति बहुत ज्यादा दर्द में था और कुछ बोल या निगल भी नहीं पा रहा था। उस व्यक्ति ने अपनी नाक को संकुचित कर लिया और मुंह बंद करके छींक रोकने की कोशिश की थी जिसके बाद उसके गर्दन में एक सेंसेशन महसूस हुआ और वहां सूजन आ गई।

मौजूदा समय में जब सभी लोग कोविड-19 को फैलने से रोकने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं, ऐसे समय में हो सकता है कि आपको सबसे सामने छींकने में डर महसूस हो कि कहीं लोग ये न समझें कि आप कोरोना वायरस फैला रहे हैं। लेकिन अपने शरीर को उसका काम करने से न रोकें। ध्यान सिर्फ इस बात का रखें कि आप छींकते वक्त अपनी नाक और मुंह को अच्छी तरह से ढंक कर रखें ताकि कीटाणुओं के फैलने का खतरा न हो। साथ ही साथ छींकने के बाद अपने हाथों को साबुन पानी से और आसपास मौजूद सतहों को भी साफ कर लें।

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