दिल पर खर्राटों का क्‍या असर पड़ सकता है?

नींद के दौरान खर्राटे लेने का मतलब सांस में रुकावट से होता है। सामान्‍य स्थिति में हवा को नाक और गले से फेफड़ों तक जाने में कोई दिक्‍कत नहीं आती है। इस हवा का मार्ग अवरूद्ध होने पर खर्राटे आने शुरु हो जाते हैं। गले के ऊतकों के लंबे समय तक आराम करने और वायुमार्ग के अवरूद्ध होने पर वाइब्रेशन पैदा होती है जिससे खर्राटों की आवाज़ आने लगती है। 

अक्सर खर्राटे लेने वाले व्‍यक्‍ति को उसकी स्थिति के बारे में पता ही नहीं होता है और उससे पहले उसके आसपास के लोगों को इस समस्‍या के बारे में पता चलता है।

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स्‍लीप एप्निया का लक्षण हैं खर्राटे

खर्राटे, नींद से संबंधित विकार स्लीप एप्निया का एक पहला लक्षण होता है। स्लीप एप्निया से ग्रस्त व्‍यक्‍ति की ऊपरी श्वास नलियों में आंशिक रूप से रुकावट आने के कारण सांस रुक-रुक कर आती है। ऐसे लोगों को हमेशा या कभी-कभी खर्राटे आते हैं, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि खर्राटे लेने वाला हर इंसान स्लीप एप्निया से ग्रस्‍त हो।

सामान्य रूप से मांसपेशियों में थकान के कारण खर्राटे आते हैं जिनका नींद की गुणवत्ता (गहरी नींद) पर कोई असर नहीं पड़ता है। इस तरह के खर्राटे कभी-कभी आते हैं। नींद के दौरान ज़ुकाम, थकान और शराब पीने की वजह से खर्राटे आ सकते हैं। 

हालांकि, अगर कोई व्यक्ति रात को उठकर या नींद में मुंह से सांस लेता है तो उसे सुबह उठने पर थकान महसूस होती है और पूरा दिन सुस्‍ती रहती है। इस स्थिति का मतलब हो सकता है कि वह व्‍यक्‍ति स्‍लीप एप्निया का शिकार है।   

गर्दन के आसपास जमी चर्बी के कारण भी श्‍वसन मार्ग अवरूद्ध हो सकता है। इससे तात्‍पर्य है कि गर्दन के आसपास अधिक चर्बी वाले मोटे लोगों में स्लीप एप्निया का खतरा ज्‍यादा रहता है। 

स्लीप एप्निया और हृदय रोग के बीच संबंध

  • जिन लोगों को स्लीप एप्निया के कारण सांस लेने में दिक्कत होती है, उनके शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है जिसकी वजह से अचानक दिल की धड़कन कम हो जाती है। ऐसी स्थति में तुरंत मस्तिष्‍क के पास ऑक्सीजन की आपूर्ति कम होने का संकेत जाता है और ऑक्‍सीजन की कमी को पूरा करने के लिए नींद टूट जाती है। इस दौरान नींद के अचानक टूटने से दिल की धड़कन बढ़ जाती है और हाई बीपी हो जाता है। ऐसा बार- बार होने पर ब्‍लड प्रेशर अनियमित हो जाता है जिससे हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर जैसे हृदय से संबंधित समस्‍याओं का खतरा बढ़ सकता है।
     
  • शरीर में श्वसन मार्ग में रूकावट आने पर ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है जिससे एड्रेनालाईन नामक हार्मोन रिलीज़ (स्ट्रेस हॉर्मोन) होता है। रुक-रुक कर सांस आने पर खून में एड्रेनालाईन की मात्रा बढ़ जाती है। इससे बीपी और दिल की धड़कन बढ़ जाती है।
     
  • अगर आपको लम्बे समय से स्लीप एप्निया की वजह से खर्राटे आ रहे हैं तो इससे हृदय की मांसपेशियों में लचीलापन कम होने लगता है और हृदय की परतें (दीवारें) सख्त होने लगती हैं। इन दिक्‍कतों के बढ़ने पर हृदय को ठीक तरह से खून पंप करने में परेशानी आने लगती है और इसके कारण दिल की धड़कन से जुड़े विकार जैसे कि एट्रियल फिब्रिलेशन का खतरा हो सकता है। एट्रियल फिब्रिलेशन एक ऐसा विकार है जिसमें दिल की धड़कन तेज़ और असामान्य हो जाती है।
     
  • खर्राटे लेते समय होने वाली कंपन (वाइब्रेशन) के कारण गर्दन की दोनों तरफ स्थित बाहरी और अंदरूनी कैरोटिड धमनियां की दीवारें मोटी होने लगती हैं। बाहरी कैरोटिड धमनी स्कैल्प, चेहरे और गर्दन तक खून पहुंचाने में मदद करती हैं जबकि मस्तिष्क तक खून पहुंचाने का काम अंदरूनी कैरोटिड धमनी द्वारा किया जाता है। इन कैरोटिड धमनियों के सख्‍त होने पर मस्तिश्‍क में होने वाली खून की आपूर्ति प्रभावित होती है और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

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क्या खर्राटों के इलाज से हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है?

सीपीएपी (कंटिन्यूअस पॉजिटिव एयरवे प्रेशर) या बीपीएपी (बाईलेवेल पॉजिटिव एयरवे प्रेशर) जैसी थेरेपी से स्लीप एप्निया का उपचार किया जाए तो इससे खर्राटे आने की समस्‍या को दूर किया जा सकता है। डॉक्टरों का मानना है कि स्लीप एप्निया के उपचार से बी.पी का लेवल सामान्‍य स्‍तर पर लाया जा सकता है। ब्‍लड प्रेशर लेवल नियंत्रित होने से हार्ट फेलियर और हार्ट अटैक जैसे हृदय रोगों का खतरा कम हो सकता है। 

खर्राटों से बचने के उपाय 

वैसे तो खर्राटों से छुटकारा पाने में इलाज कारगर होता है लेकिन कुछ उपायों से भी इसे नियंत्रित या इससे बचा जा सकता है:

  • वज़न घटाएं:
    अत्‍यधिक वजन खासतौर पर गर्दन के आसपास चर्बी होने से गले के अंदर की जगह कम हो जाती है जिससे सांस लेने में दिक्‍कत होने लगती  है।
     
  • करवट लेकर सोना:
    कमर के बल सोने पर जीभ के निचले हिस्‍से (बेस) और तालु का गले के पिछले हिस्से पर दबाव पड़ने की संभावना होती है। इसकी वजह से खर्राटे आ सकते हैं। इसलिए खर्राटों से बचने के लिए करवट लेकर सोना ज्‍यादा बेहतर रहता है।
     
  • शराब से दूरी:
    अगर आप सोने से ठीक पहले शराब या किसी अन्य शामक (आराम देने वाले) पदार्थ का सेवन करते हैं तो इससे गले की मासपेशियां रिलैक्‍स हो जाती हैं। ये भी खर्राटे आने का कारण बन सकता है। इसलिए खर्राटों से बचने के लिए सोने से पहले शराब आदि का सेवन ना करने की सलाह दी जाती है।
     
  • पर्याप्‍त नींद:
    रोज़ पर्याप्‍त मात्रा में नींद लेना बहुत जरूरी है। दिनभर के काम के बाद शरीर थका हुआ महसूस करता है। ऐसे में सोने पर मांसपेशियों को जरूरत से ज्‍यादा आराम मिलता है। इसकी वजह से भी सोते समय खर्राटे आते हैं।
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  • धूम्रपान से बचें:
    अगर आप धूम्रपान करते हैं तो इससे श्वसन मार्ग के ऊतकों में सूजन आ सकती है। खर्राटों से बचने के लिए डॉक्‍टर धूम्रपान कम करने की सलाह देते हैं।

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