हेल्थ इन्शुरन्स आज के दौर में एक जरूरत है और बीमारी या एक्सीडेंट के समय इससे ज्यादा उपयोगी और कुछ नहीं हो सकता। बहुत से लोगों के पास एक साथ दो हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी होती हैं। इनमें से एक उनकी अपनी व्यक्तिगत तो दूसरी कंपनी से मिली ग्रुप हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी होती है। मेडिकल के क्षेत्र में बढ़ती महंगाई को देखते हुए भी आप दो इन्शुरन्स पॉलिसी लेने का फैसला ले सकते हैं। इसके साथ ही कई लोगों के मन में कई बार यह प्रश्न भी आता है कि क्या मैं एक साथ दो इन्शुरन्स कंपनियों में क्लेम कर सकता हूं। अगर आप भी इस प्रश्न का उत्तर ढूंढ़ रहे हैं तो उत्तर हां और ना दोनों हैं। कुछ स्थितियों में आप दो अलग-अलग कंपनियों में क्लेम कर सकते हैं। जबकि कुछ स्थितियां हैं, जब आप एक ही कंपनी में क्लेम कर सकते हैं। इस आर्टिकल में इन स्थितियों के बारे में भी बात करेंगे।

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  1. अलग-अलग कंपनियों से क्लेम कैसे करें - Process to make claims from Multiple insurers in Hindi
  2. रिइम्बर्समेंट के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता है - Documents needed to make reimbursement claims in Hindi

आपके पास एक साथ कई हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी हो सकती हैं। लेकिन ध्यान रखें आप एक ही स्वास्थ्य खर्च या बिल के लिए अलग-अलग कंपनियों में कई क्लेम नहीं कर सकते। यानी आप सभी बीमा कंपनियों से मिलाकर या किसी एक से अधिकतम उतनी ही राशि पा सकते हैं, जितना आपका खर्च हुआ है। अगर आपका मेडिकल बिल एक इन्शुरन्स पॉलिसी के सम-इनश्योर्ड से ज्यादा है, तभी आप दूसरी कंपनी में बची हुई राशि के लिए क्लेम कर सकते हैं।

साल 2013 में इन्शुरन्स रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आईआरडीएआई) ने नियमों में जरूरी बदलाव किए। नियमों में इन संशोधनों से पहले हर हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में एक कॉन्ट्रिब्यूशन क्लॉज था। क्लेम के समय प्रत्येक इन्शुरन्स कंपनी सम-इनश्योर्ड के बराबर अनुपात में राशि का योगदान करती थी। नियमों में इस संशोधन ने क्लेम प्रक्रिया को आसान बना दिया। अब यदि क्लेम सम इनश्योर्ड से कम होता है तो कॉन्ट्रीब्यूशन क्लॉज लागू ही नहीं होता। हालांकि, यदि क्लेम राशि सम-इनश्योर्ड से ज्यादा है तो उस स्थिति में यह कॉन्ट्रीब्यूशन क्लॉज लागू होता है। यहां एक अच्छी बात यह भी हुई कि आप स्वयं तय कर सकते हैं कि आप पहले किस इन्शुरन्स कंपनी से क्लेम लेना चाहते हैं।

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कैशलेस क्लेम
कैशलेस क्लेम के मामले में आप एक कंपनी से क्लेम करते हैं और कंपनी अस्पताल के साथ सीधे बिल सेटल कर देती है। यदि क्लेम राशि आपके सम इनश्योर्ड से ज्यादा है तो आप दूसरी कंपनी में क्लेम कर सकते हैं। इसके लिए पहले आपको अतिरिक्त बिल स्वयं अस्पताल में चुकाना होगा। इसके साथ ही आपको पहली कंपनी से क्लेम सेटलमेंट समरी भी लेनी होगी। आपको सभी बिलों की अटेस्टेड कॉपी भी लेनी होगी। इसके बाद आपको अतिरिक्त राशि के लिए दूसरी कंपनी में रिइम्बर्समेंट क्लेम करना होगा।

रिइम्बर्समेंट क्लेम
हालांकि, कैशलेस क्लेम बीमाधारक के लिए सुविधाजनक होता है, क्योंकि इसमें इन्शुरन्स कंपनी अस्पताल के साथ बिल का सेटलमेंट स्वयं करती है। इसके बावजूद जरूरी तो नहीं कि आप इन्शुरन्स कंपनी के नेटवर्क अस्पताल में ही इलाज करवा रहे हों। ऐसी स्थिति में आपको पहले स्वयं अस्पताल का बिल चुकाना होगा और फिर अपनी हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी में रिइम्बर्समेंट क्लेम करना होता है। रिइम्बर्समेंट के लिए आपको सभी ऑरिजिनल बिल और अस्पताल के दस्तावेज (इन्हें इन्शुरन्स कंपनी अपने पास रख लेगी) के साथ क्लेम एप्लिकेशन फॉर्म इन्शुरन्स कंपनी में जमा करने होंगे।

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यदि आपके पास एक से ज्यादा कंपनियों के हेल्थ इन्शुरन्स प्लान हैं और आप नॉन-नेटवर्क अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं तो आपको सभी इन्शुरन्स कंपनियों को अपने अस्पताल में भर्ती होने के बारे में जानकारी देनी होगी। इसके बाद आप स्वयं तय कर सकते हैं कि आप पहले किस इन्शुरन्स कंपनी में क्लेम करना चाहते हैं। रिइम्बर्समेंट क्लेम के लिए कुछ जरूरी दस्तावेजों की आवश्यकता होती है, वे दस्तावेज निम्न हैं -

  • अस्पताल, डॉक्टर और दवाओं के बिल व रसीदें
  • डिस्चार्ज फॉर्म
  • डायग्नोस्टिक टेस्ट
  • डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन
  • एक्स-रे फिल्म और स्लाइड, यदि किए गए हों तो

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में ओपीडी कवर)

यदि आपको हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम करना है तो हमारी आपको यही सलाह होगी कि आप अपनी कंपनी से मिले ग्रुप इन्शुरन्स पॉलिसी के तहत क्लेम करें। क्योंकि इसमें क्लेम प्रक्रिया तेज होती है। एक महत्वपूर्ण बात आपको यह भी याद रखनी चाहिए कि आप ऊपर बताए गए सभी दस्तावेजों की उतनी ही अटेस्टेड कॉपी ले लें, जितनी इन्शुरन्स कंपनियों में आप क्लेम करना चाहते हैं। पहली कंपनी जहां आप क्लेम करेंगे वह आपको एक क्लेम सेटलमेंट समरी उपलब्ध कराएगी। इस कॉपी को आप दूसरी इन्शुरन्स कंपनी में लगाएंगे, इस तरह दूसरी कंपनी आपके क्लेम की बकाया राशि आपको ट्रांस्फर करेगी। 

हर बार जब आप क्लेम करें तो उसे कंपनी पास कर ही दे, यह जरूरी तो नहीं है। कई बार हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी क्लेम को अस्वीकार भी कर देती है। अगर आपने दूसरी इन्शुरन्स पॉलिसी लेते समय अपनी पहले से मौजूद हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी के बारे में नहीं बताया है तो कंपनी क्लेम देने से इनकार कर सकती है। इसके अलावा अगर क्लेम राशि कॉन्ट्रीब्यूशन क्लॉज की राशि से ज्यादा है तो भी आपको क्लेम देने से इनकार किया जा सकता है।

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इस बात में कोई शक नहीं कि स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़ी महंगाई लगातार बढ़ रही है। इसलिए हेल्थ इन्शुरन्स में बड़ा सम-इनश्योर्ड होना बेहद जरूरी हो गया है। किसी तरह की समस्या से बचने के लिए छोटे-छोटे सम-इनश्योर्ड वाली कई पॉलिसी लेने की बजाय हमारी आपको यही सलाह है कि एक ही पॉलिसी में बड़ा सम-इनश्योर्ड लें।

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