एम्नियोटमी एक सर्जरी प्रोसीजर है, जिसकी मदद से एम्नियोटिक सैक को तोड़ा जाता है, ताकि बच्चे की डिलीवरी के दौरान संकुचन (दबाव) को शुरू किया जा सके। एम्नियोटिक सैक गर्भाशय के अंदर एक विशेष थैली होती है, जिसमें एम्नियोटिक द्रव होता है। एम्नियोटिक द्रव गर्भ में बच्चे को सुरक्षित रखता है।
यह सर्जरी आमतौर पर तब की जाती है, जब बच्चे की डिलीवरी डेट आने पर भी बच्चा पैदा न हो। इसके अलावा मां का बीपी बढ़ना, जुड़वां बच्चे होना या गर्भ में शिशु सामान्य से धीमी गति में विकसित हो रहा है, तो ऐसी स्थिति में भी एम्नियोटमी सर्जरी की जा सकती है। एम्नियोटमी सर्जरी के लिए अस्पताल जाने के दौरान आपको अपने साथ सैनिटरी पैड व शिशु की देखभाल के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चीजें (साफ कपड़ा आदि) लेकर जाना चाहिए। सर्जरी के दौरान सर्जन एक विशेष उपकरण को आपके सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) में डालते हैं, जो एम्नियोटिक थैली को तोड़ देता है और परिणामस्वरूप संकुचन शुरू हो जाता है। जन्म के बाद आपको रक्तस्राव, दर्द व अन्य तकलीफों को कम करने के लिए कुछ विशेष देखभाल करने की आवश्यकता पड़ती है। इस सर्जरी के बाद वापस अपनी दिनचर्या के सामान्य कार्य करना शुरू करने के लिए डॉक्टर से अनुमति लेना आवश्यक होता है।
(और पढ़ें - ब्लीडिंग कैसे रोकें)
- एम्नियोटमी क्या है - What is Amniotomy in Hindi
- एम्नियोटमी किसलिए की जाती है - Why is Amniotomy in Hindi
- एम्नियोटमी से पहले - Before Amniotomy in Hindi
- एम्नियोटमी के दौरान - During Amniotomy in Hindi
- एम्नियोटमी के बाद - After Amniotomy in Hindi
- एम्नियोटमी की जटिलताएं - Complications of Amniotomy in Hindi
एम्नियोटमी क्या है - What is Amniotomy in Hindi
एम्नियोटमी सर्जरी किसे कहते हैं?
एम्नियोटमी सर्जरी को “भ्रूण झिल्ली को कृत्रिम रूप से तोड़ने की सर्जरी” भी कहा जाता है। अंग्रेजी भाषा में इसे “वॉटर ब्रेकिंग” प्रोसीजर के नाम से भी जाना जाता है।
जब आप बच्चे को जन्म देती हैं, तो आपको प्रसव के कई चरणों से गुजरना पड़ता है। शिशु को जन्म देने के लिए आपके गर्भाशय के मुख (सर्विक्स) को कम से कम 10 सेमी तक खुलना पड़ता है। प्रसव के शुरुआती चरणों में सर्विक्स धीरे-धीरे खुलता है और इस दौरान असामान्य रूप से संकुचन होने लगता है। डिलीवरी के दौरान गर्भाशय की मांसपेशियां बार-बार टाइट व ढीली पड़ती हैं, जिस प्रक्रिया को संकुचन (कॉन्ट्रैक्शन) कहा जाता है। यह प्रसव का सबसे लंबा चरण होता है। हालांकि, कुछ तरीके हैं, जिनकी मदद से इस प्रक्रिया में लगने वाले समय को थोड़ा कम किया जा सकता है।
एम्नियोटमी भी उन्ही प्रक्रियाओं में से एक है, जिसमें एम्नियोटिक सैक को तोड़ा जाता है और शिशु के चारों ओर मौजूद द्रव (एम्नियोटिक फ्लूइड) को निकाल दिया जाता है। एम्नियोटमी सर्जरी के बाद डिलीवरी की कॉन्ट्रैक्शन प्रक्रिया और शक्तिशाली हो जाती है।
(और पढ़ें - प्रसव पीड़ा लाने के उपाय)
एम्नियोटमी किसलिए की जाती है - Why is Amniotomy in Hindi
एम्नियोटमी सर्जरी क्यों की जाती है?
यदि आपको डिलीवरी से संबंधी कुछ जटिलताएं होने का खतरा है, तो डॉक्टर कृत्रिम रूप से प्रसव शुरू करने के लिए एम्नियोटिक सर्जरी कर सकते हैं। इन जटिलताओं में शामिल हैं -
- डिलीवरी में देरी हो जाना (41 हफ्तों से ज्यादा) ऐसे में शिशु को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा होने लगती हैं
- मां को डायबिटीज, हाई बीपी या किडनी संबंधी समस्याएं होना
- गर्भ में जुड़वा या इससे अधिक बच्चों का होना
- गर्भनाल (गर्भ में शिशु को ऑक्सीजन व अन्य पोषक तत्व प्रदान करने वाला अंग) का ठीक से काम न कर पाना
- गर्भ में शिशु के विकसित होने की गति धीमी होना
- शिशु की शारीरिक गतिविधि कम होना
- शिशु की हृदय दर सामान्य न होना
इसके अलावा डिलीवरी से पहले अंदर कोई मॉनिटरिंग डिवाइस रखने के लिए भी एम्नियोटमी सर्जरी की जा सकती है। उदाहरण के तौर पर शिशु की निगरानी करने के लिए शिशु के सिर पर फीटल स्कैल्प इलेक्ट्रोड लगाना।
एम्नियोटमी सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?
निम्न समस्याओं से ग्रस्त महिलाओं की एम्नियोटमी सर्जरी नहीं की जाती है -
- वेसा प्रेविया या प्लेसेंटा प्रेविया
- हर्पीस का घाव होना
- एचआईवी एड्स
- शिशु की पोजीशन सही न होना
- शिशु का सिर मां के पेल्विस में न आना
- महिला के सर्विक्स का मुंह सिर्फ 6 सेंटीमीटर तक ही खुला होना
- महिला कोई और सर्जरी न करवाना चाहती हो
हालांकि, कुछ स्थितियां हैं, जिसमें इस सर्जरी को बहुत ही ध्यानपूर्वक और एक वरिष्ठ चिकित्सक की उपस्थिति में किया जाता है -
- पॉलिहाइड्रेमनियोस (एम्नियोटिक फ्लूइड अधिक मात्रा में विकसित होना)
- भ्रूण का सामने वाला हिस्सा पेल्विस में न आ पाना (शिशु के सामने वाले हिस्से में सिर, पैर, कंधे या नितंब हो सकते हैं)
(और पढ़ें - हर्पीस के घरेलू उपाय)
एम्नियोटमी से पहले - Before Amniotomy in Hindi
एम्नियोटमी सर्जरी से पहले क्या तैयारी की जाती है?
एम्नियोटमी सर्जरी प्रसव प्रक्रिया का एक हिस्सा है, जिसे करने से पहले निम्न तैयारियां करने की आवश्यकता पड़ती है -
- यदि आप किसी प्रकार की दवाएं, हर्बल उत्पाद, विटामिन, मिनरल या कोई अन्य सप्लीमेंट ले रहे हैं, तो डॉक्टर को इस बारे में बता दें। क्योंकि कुछ दवाएं रक्त को पतला करती हैं, जिन्हें सर्जरी से पहले व बाद में छोड़ना जरूरी होता है।
- यदि आपको किसी प्रकार की कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या या एलर्जी है, तो इस बारे में डॉक्टर को बता दें।
- ऑपरेशन वाले दिन आपको अपने साथ बड़े आकार के सैनिटरी पैड्स लाने की सलाह दी जाती है।
- अस्पताल आते समय अपने साथ किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र को ले आएं, तो सर्जरी से पहले के कार्यों में आपकी मदद कर सके और बाद में आपको घर ले जाने में मदद करे।
- ढीले-ढाले व आरामदायक कपड़े पहनें और अपने साथ एक अतिरिक्त जोड़ी भी ले चलें। साथ ही नैपकिन, रुई और साबुन भी ले लें।
इसके अलावा आपको शिशु के लिए भी कुछ आवश्यक चीजें अपने साथ लेकर जानी चाहिए, जिनमें निम्न शामिल हैं -
- टिश्यू पेपर
- बच्चों के कंबल
- कपड़े
- नैपी वाइप्स, रूई, साबुन और बच्चों के अन्य उत्पाद
(और पढ़ें - एलर्जी के घरेलू उपाय)
एम्नियोटमी के दौरान - During Amniotomy in Hindi
एम्नियोटमी सर्जरी कैसे की जाती है?
जब आप सर्जरी के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो निम्न प्रक्रियाएं की जाती हैं -
- आपके शारीरिक तापमान, नाड़ी, बीपी की जांच की जाती है और ब्लड टेस्ट व यूरिन टेस्ट किए जाते हैं।
- डॉक्टर बच्चे की पोजीशन और हृदय की धड़कनों की जांच भी कर सकते हैं।
- इसके अलावा योनि के अंदरूनी हिस्से की जांच की जाती है, जिसमें नर्स सर्विक्स का मुंह कितना खुला है उसकी जांच करती है। साथ में यह भी जांच की जाती है, कि डिलीवरी के दौरान पहले शिशु का सिर आ रहा है या नहीं और शिशु पेल्विस में आ चुका है या नहीं।
एम्नियोटमी को निम्न सर्जिकल प्रक्रियाओं के अनुसार किया जाता है -
- प्लास्टिक से बने एक हुक जैसे उपकरण को सर्विक्स में एम्नियोटिक मेम्बरेन में डाला जाता है।
- डॉक्टर एम्नियोटिक मेम्बरेन को हुक से पकड़ लेते हैं और फिर धीरे-धीरे ऊपर की तरफ ले जाते हैं, जिससे इस झिल्ली में चीरा लग जाता है।
- इससे एम्नियोटिक सैक टूट जाती है, एम्नियोटिक द्रव योनि से बाहर बहने लगता है। नर्स इस दौरान द्रव की जांच करती है, जो कि रंगहीन होना चाहिए और इसमें से कोई बदबू भी नहीं आनी चाहिए।
- इससे सर्विक्स के पास शिशु के सिर पर पड़ने वाला दबाव धीरे-धीरे बढ़ जाता है, जिससे संकुचन प्रक्रिया में भी सुधार आने लगता है।
- कई बार संकुचन प्रक्रिया को शुरू करने के लिए कृत्रिम हार्मोन भी दिए जा सकते हैं।
जब एम्नियोटिक सर्जिकल प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तो उसके बाद निम्न कार्य किए जाते हैं -
- आपके शारीरिक तापमान को हर घंटे चेक किया जाएगा, ताकि संक्रमण के संकेत का पता लगाया जा सके।
- समय-समय पर शिशु की हृदय दर की जांच की जाएगी।
- जब संकुचन शुरू होता है, तो आपको जोर लगाने के लिए कहा जाएगा ताकि प्रसव शुरू हो सके।
- बच्चे के पैदान होने के बाद के बाद डॉक्टर गर्भनाल को काट देते हैं और प्लेसेंटा को हटा देते हैं।
- इसके अलावा अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान आपको दर्द व सूजन कम करने वाली दवाएं भी दी जाती हैं। योनि व गुदा के बीच वाले हिस्से की सूजन को कम करने के लिए ठंडी सिकाई भी की जा सकती है।
(और पढ़ें - सिकाई करने के फायदे)
एम्नियोटमी के बाद - After Amniotomy in Hindi
एम्नियोटमी सर्जरी के बाद की तैयारी?
एम्नियोटमी सर्जरी से डिलीवरी होने के बाद जब आप घर आ जाती हैं, तो डॉक्टर निम्न देखभाल करने की सलाह देते हैं -
- पेरिनियम की देखभाल -
पेरिनियम (योनि और गुदा के बीच का हिस्सा) व उसके आसपास की जगह में सूजन, दर्द व तकलीफ जैसे अन्य तरीकों को निम्न की मदद से दूर किया जा सकता है -- पेरिनियम को हल्के गर्म पानी में सोक करना
- जितनी बार भी बाथरूम जाएं उतनी बार ही पेरिनियम के हिस्सों को अच्छे से धोना
- बैठने के लिए विशेष तकिए का इस्तेमाल करना जो बीच से खाली हो
- प्रभावित हिस्से में बर्फ पर तौलिया लपेट कर उसकी सिकाई करना
- पेल्विक को फिर से मजबूत बनाने के लिए कीगल एक्सरसाइज करना
- दर्द को नियंत्रित करना -
- डॉक्टर दर्द, सूजन व अन्य तकलीफों को कम करने के लिए आपको कुछ विशेष दवाएं दे सकते हैं।
- यदि आपको पेट में ऐंठन महसूस हो रही है, तो उनको कम करने के लिए भी दवाएं दी जा सकती हैं।
- डिलीवरी के बाद कुछ दिन तक आपको स्तनों में दर्द भी रह सकता है, जिसके लिए डॉक्टर कुछ लगाने वाली दवाएं देते हैं। आप डॉक्टर से पूछ कर स्तनों की मालिश भी कर सकती हैं।
- योनि से रक्त व अन्य द्रव के स्राव को रोकना -
- डिलीवरी के बाद शुरुआती कुछ दिनों तक आपको योनि से रक्त व अन्य द्रवों का रिसाव हो सकता है। यह कुछ हफ्तों या महीनों में धीरे-धीरे कम होकर ठीक हो जाता है।
- जब तक यह पूरी तरह से खत्म नहीं होता है, तब तक डॉक्टर आपको सैनिटरी नैपकिन्स का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं।
- मासिक धर्म -
- यदि आप स्तनपान नहीं करा रही हैं, तो एम्नियोटमी सर्जरी से हुई डिलीवरी के छह से आठ हफ्तों बाद आपको फिर से मासिक धर्म होना शुरू हो जाते हैं। (और पढ़ें - स्तनपान से जुड़ी समस्याएं)
- शारीरिक गतिविधियां -
- जब तक डॉक्टर आपको सलाह न दें, तब तक सीढ़ियां चढ़ना, भारी वस्तुएं उठाना या कोई भी ऐसी शारीरिक गतिविधि न करें जिसमें अधिक मेहनत लगती हो।
- सर्जरी के कुछ दिनों बाद आप बिना मेहनत वाले कार्य कर सकते हैं, जैसे चलना-फिरना आदि।
- यौन गतिविधियां -
- डिलीवरी के बाद कुछ समय तक आपको योनि में सूखापन महसूस हो सकता है। यदि डॉक्टर ने आपको यौन संबंध बनाने की अनुमति दे दी है और आपको योनि में सूखापन महसूस हो रहा है, तो आप पानी से बने लुबरीकेंट इस्तेमाल कर सकती हैं।
- एम्नियोटमी सर्जरी प्रोसीजर की मदद से डिलीवरी के दौरान प्रसव चरणों में सामान्य से कम समय लगता है। यदि एम्नियोटमी के दौरान हार्मोन सप्लीमेंट दिए जाएं, तो सिजेरियन सर्जरी करवाने की जरूरत कम हो सकती है। (और पढ़ें - हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी)
डॉक्टर को कब दिखाएं?
यदि आपको एम्नियोटमी सर्जरी के बाद इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए -
- तेज बुखार होना
- अत्यधिक रक्तस्राव होना (हर घंटे में सैनिटरी पैड बदलने की आवश्यकता पड़ना)
- रक्त के साथ बड़े-बड़े थक्के आना
- टांगों में दर्द, सूजन और छूने पर दर्द बढ़ना
- सीने में दर्द
- खांसी
- मतली और उल्टी
- पेट में दर्द (गंभीर)
- योनि से बदबूदार द्रव रिसना
- स्तनों में दर्द या निप्पल के आस-पास की त्वचा में लालिमा व रक्तस्राव होना
- पेशाब में दर्द
- अचानक से पेशाब करने की तीव्र इच्छा होना (पेशाब को कंट्रोल न कर पाना)
- योनि व उसके आसपास दर्द बढ़ जाना
- सिर दर्द व दृष्टि में बदलाव
- डिप्रेशन या मतिभ्रम
- मन में खुदकुशी या खुद को नुकसान पहुंचाने से संबंधित अन्य विचार आना
(और पढ़ें - डिप्रेशन कम करने के घरेलू तरीके)
एम्नियोटमी की जटिलताएं - Complications of Amniotomy in Hindi
एम्नियोटमी सर्जरी से क्या जोखिम हो सकते हैं?
एम्नियोटमी सर्जरी से निम्न जोखिम व जटिलताएं जुड़ी हो सकती हैं -
- गर्भनाल बाहर की तरफ निकलना
- शिशु को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने के कारण उसके दिल की धड़कन कम होना (फीटल ब्रैडीकार्डिया)
- शिशु या आपको संक्रमण होना
- इमरजेंसी में सिजेरियन सेक्शन करने की आवश्यकता पड़ना
(और पढ़ें - ऑक्सीजन की कमी के लक्षण)
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सर्जरी की लागत
- दिल्ली में एम्नियोटमी (भ्रूण झिल्ली को कृत्रिम रूप से तोड़ना) की लागत
- बैंगलोर में एम्नियोटमी (भ्रूण झिल्ली को कृत्रिम रूप से तोड़ना) की लागत
- नोएडा में एम्नियोटमी (भ्रूण झिल्ली को कृत्रिम रूप से तोड़ना) की लागत
- कोलकाता में एम्नियोटमी (भ्रूण झिल्ली को कृत्रिम रूप से तोड़ना) की लागत
- मुंबई में एम्नियोटमी (भ्रूण झिल्ली को कृत्रिम रूप से तोड़ना) की लागत
एम्नियोटमी के डॉक्टर

Dr. Ayushi Gandhi
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Dr. Anjali
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Dr. Geeta Kulkarni
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संदर्भ
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