बैरिएट्रिक सर्जरी शरीर का वजन कम करने के लिए किया जाने वाला एक सर्जिकल प्रोसीजर है। इसमें पाचन तंत्र में कुछ बदलाव किए जाते हैं, जिससे आपके द्वारा सामान्य रूप से ली जाने वाली कुल कैलोरी में कमी की जाती है या फिर पोषक तत्वों के अवशोषित होने की प्रक्रिया को कम कर किया जाता है। बैरिएट्रिक सर्जरी को कई अलग-अलग सर्जरी प्रक्रियाओं के अनुसार किया जाता है, जिनमें लेप्रोस्कोपिक एडजस्टेबल गैस्ट्रिक बैंड, गैस्ट्रिक स्लीव, गैस्ट्रिक बाइपास और बिलियोपेनक्रिएटिक डाइवर्जन/ड्यूडेनल स्विच आदि शामिल हैं।
सर्जरी को शुरू करने से पहले आपका शारीरिक परीक्षण व कुछ टेस्ट किए जाते हैं, जिनसे आपके स्वास्थ्य की जांच की जाती है। सर्जरी जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाकर की जाती है। सर्जरी के बाद उसके घाव को साफ व सूखा रखने के लिए कुछ विशेष देखभाल रखनी पड़ सकती है। सर्जरी के 2 या 3 साल बाद आपके शरीर का वजन कम हो जाएगा।
(और पढ़ें - घाव ठीक करने के उपाय)
- बैरिएट्रिक सर्जरी क्या है - What is Bariatric surgery in Hindi
- बैरिएट्रिक सर्जरी किसलिए की जाती है - Why is Bariatric surgery done in Hindi
- बैरिएट्रिक सर्जरी से पहले - Before Bariatric surgery in Hindi
- बैरिएट्रिक सर्जरी के दौरान - During Bariatric surgery in Hindi
- बैरिएट्रिक सर्जरी के बाद - After Bariatric surgery in Hindi
- बैरिएट्रिक सर्जरी की जटिलताएं - Complications of Bariatric surgery in Hindi
बैरिएट्रिक सर्जरी क्या है - What is Bariatric surgery in Hindi
बैरिएट्रिक सर्जरी किसे कहते हैं?
बैरिएट्रिक सर्जरी को मेटाबॉलिक सर्जरी और वेट लॉस सर्जरी के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रोसीजर में डॉक्टर आपके पाचन तंत्र में कुछ बदलाव कर देते हैं। इन बदलावों को करने के बाद या तो आप कम खाने लगते हैं या फिर आपकी पाचन प्रणाली खाए गए भोजन से कम मात्रा में पोषक तत्वों को अवशोषित करने लगती है। पाचन तंत्र में किए गए बदलावों में निम्न बदलाव किए जा सकते हैं -
- पेट के आकार को कम करना -
आपकी भूख को कम करने के लिए डॉक्टर आपके पेट का आकार कम कर देते हैं। आकार छोटा होने पर उसमें भोजन कम आ पाता है और खाना खाते समय आप जल्दी तृप्त हो जाते हैं। कम भोजन खाने पर आपके पेट में कम कैलोरी जा पाती है और परिणामस्वरूप मोटापा कम होने लगता है। (और पढ़ें - पेट कम करने के उपाय)
- आंतों में बदलाव करना -
इसमें डॉक्टर या तो आंत के किसी टुकड़े को निकाल देते हैं या फिर भोजन को निकलने के लिए बाइपास बना देते हैं, जिससे आंतें भोजन से कैलोरी व अन्य पोषक तत्वों को कम मात्रा में अवशोषित कर पाती हैं।
बैरिएट्रिक सर्जरी के प्रकार के अनुसार अलग-अलग तरीकों से यह प्रोसीजर किया जा सकता है, जैसे -
- लेप्रोस्कोपिक एडजस्टेबल गैस्ट्रिक बैंड (LAGB) -
इस सर्जिकल प्रोसीजर में पेट के चारों ओर एक बैंड लगा दिया जाता है। यह बैंड पेट के कुछ हिस्से को संकुचित कर देता है, जिससे आपको पेट भरा हुआ महसूस होता है।
- गैस्ट्रिक स्लीव -
इस प्रोसीजर में पेट के कुछ हिस्से को निकाल दिया जाता है, जिसके बाद पेट की भोजन संग्रह करने की क्षमता कम हो जाती है।
- गैस्ट्रिक बाइपास -
इस सर्जिकल प्रक्रिया को रॉक्स-इएन-वाई गैस्ट्रिक बाइपास भी कहा जाता है। इस सर्जिकल प्रक्रिया में पेट के ऊपरी हिस्से में एक छोटी थैली बनाई जाती है और उसे आंत से जोड़ दिया जाता है। इससे पाचन तंत्र भोजन से कम मात्रा में कैलोरी को अवशोषित कर पाता है और आपका पेट भी जल्दी भर जाता है।
- बिलियोपैनक्रिएटिक डाइवर्जन/ड्यूडेनल स्विच (BPD/DS) -
इस सर्जिकल प्रक्रिया में पेट के एक हिस्से को इस तरह से काटकर हटाया जाता है, जिससे बचे हुए पेट की आकृति नलीदार बन जाए। इसके बाद छोटी आंत के एक बड़े हिस्से को बाइपास कर दिया जाता है, जिससे भोजन पेट से सीधा छोटी आंत के अंतिम हिस्से में पहुंच जाता है।
शरीर का वजन कम करने के लिए कौन सी सर्जरी उपयुक्त है, यह आपके डॉक्टर निर्धारित करते हैं। हालांकि, यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि बैरिएट्रिक सर्जरी को एक स्वस्थ जीवनशैली के वैकल्पिक रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
(और पढ़ें - मोटापे का आयुर्वेदिक इलाज)
बैरिएट्रिक सर्जरी किसलिए की जाती है - Why is Bariatric surgery done in Hindi
बैरिएट्रिक सर्जरी क्यों की जाती है?
बैरिएट्रिक सर्जरी सिर्फ तब ही की जाती है, जब आपको गंभीर मोटापा हो और किसी अन्य विकल्प से इसे कम नहीं किया जा सकता हो। यदि मोटापे के साथ आपको निम्न से संबंधित कोई समस्या है, तो बैरिएट्रिक सर्जरी की जा सकती है -
- टाइप 2 डायबिटीज
- हाई ब्लड प्रेशर
- हाई कोलेस्ट्रॉल
- गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज (गर्ड)
- अस्थमा (और पढ़ें - अस्थमा के लिए आहार)
- स्लीप एपनिया
अलग-अलग समस्याओं के अनुसार ही बैरिएट्रिक सर्जरी के प्रकार का चयन किया जाता है।
गैस्ट्रिक बाइपास सर्जरी को आमतौर तब किया जाता है, जब आपको मोटापे के साथ निम्न समस्याएं भी हों -
- डायबिटीज
- बीएमआई अधिक होना (उम्र व कद के अनुसार शरीर का वजन सामान्य से अधिक होना)
- रिफ्लक्स संबंधी गंभीर रोग
गैस्ट्रिक स्लीव सर्जरी आमतौर पर उन लोगों के लिए की जाती है, जिन्हें मोटापे के साथ-साथ निम्न समस्याएं भी हैं -
- जिनकी पहले पेट संबंधी कोई सर्जरी हो चुकी हो
- जिनका वजन 200 किलोग्राम या उससे भी अधिक हो
- जो मानसिक विकारों से संबंधित कई दवाएं ले रहे हैं
बैरिएट्रिक सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?
अभी तक यह सटीक रूप से पता नहीं लग पाया है कि बैरिएट्रिक सर्जरी किनके लिए अनुचित है। हालांकि, डॉक्टरों के अनुसार कुछ स्थितियां हैं, जिनमें बैरिएट्रिक सर्जरी करवाने से आपके स्वास्थ्य के लिए जोखिम हो सकते हैं -
- शराब या अन्य किसी नशे की लत होना
- हार्ट फेलियर
- कोरोनरी धमनी रोग
- गंभीर फेफड़ों के रोग (अंतिम स्टेज)
- पाचन तंत्र से लिवर में रक्त पहुंचाने वाले नस का रक्तचाप बढ़ जाना (पोर्टल हाइपरटेंशन)
- बौद्धिक क्षमता प्रभावित होना
- यदि पहले से ही कैंसर का इलाज चल रहा हो
(और पढ़ें - कैंसर का आयुर्वेदिक इलाज)
बैरिएट्रिक सर्जरी से पहले - Before Bariatric surgery in Hindi
बैरिएट्रिक सर्जरी से पहले कुछ जांच की जाती हैं, जिनकी मदद से यह पता लगाया जाता है कि आप सर्जरी के लिए पर्याप्त रूप से स्वस्थ हैं या नहीं। इनमें निम्न टेस्ट शामिल हैं -
- समस्त शरीर का शारीरिक परीक्षण
- स्वास्थ्य की जांच करने के लिए ब्लड टेस्ट
- पित्ताशय की थैली का अल्ट्रासाउंड स्कैन
- फेफड़ों के स्वास्थ्य का पता लगाने के लिए एक्स रे
- पेट के लिए इमेजिंग स्टडी या अपर एंडोस्कोपी
- हृदय की दर का पता लगाने के लिए ईसीजी
सर्जरी से पहले सर्जन आपको अन्य डॉक्टरों के पास भी भेज सकते हैं, ताकि निम्न का पता लगाया जा सके -
- पोषण संबंधी जानकारी व परामर्श के लिए
- आप इस सर्जरी के लिए मानसिक रूप से तैयार हैं या नहीं यह पता लगाने के लिए
- यदि आपको डायबिटीज, हाई बीपी या हृदय या फेफड़ों से संबंधी कोई रोग है, तो उनको ठीक से नियंत्रित किया जा रहा है या नहीं, यह जाननके लिए
सर्जरी से पहले ही अपने स्वास्थ्य व जीवनशैली से संबंधित सारी जानकारी डॉक्टर को दे दें, जैसे -
- यदि आप किसी भी प्रकार की दवाएं लेते हैं
- किसी भी प्रकार का कोई हर्बल उत्पाद, विटामिन या कोई अन्य सप्लीमेंट लेते हैं
- हाल ही में आपको कोई बीमारी हुई है जैसे बुखार या कोई संक्रमण आदि
- यदि आपको रक्त संबंधी कोई विकार है
- यदि आप गर्भवती हैं या हो सकती हैं
- स्लीप एपनिया या सांस संबंधी किसी अन्य बीमारी के कारण यदि आप कोई दवा ले रहे हैं
- अगर आप रक्त को पतला करने वाली कोई दवा ले रहे हैं, जैसे एस्पिरिन, आइबुप्रोफेन या वारफेरिन
- यदि आपको किसी भी चीज से एलर्जी है, जैसे कोई दवा, लैटेक्स, एनेस्थीसिया या टेप आदि। (और पढ़ें - एलर्जी का घरेलू इलाज)
सर्जरी से पहले आपके डॉक्टर आपको कुछ विशेष सलाह दे सकते हैं, जैसे -
- धूम्रपान छोड़ दें, क्योंकि इससे सर्जरी के बाद स्वस्थ होने की प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है
- अपनी खाने की आदतों में सुधार के लिए और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए डॉक्टर के पास जाएं
- डॉक्टर आपको सर्जरी से संबंधित कुछ लेख भी पढ़ने को दे सकते हैं, ताकि आप सर्जरी से संबंधित सभी जानकारियां प्राप्त कर सकें।
सर्जरी वाले दिन आपको निम्न तैयारियां करने की सलाह दी जा सकती है -
- इस दिन आपको खाली पेट रहना होगा
- यदि आपको कुछ दवाएं लेनी जरूरी हैं, तो उस बारे में डॉक्टर से बात कर लें
- अपने साथ किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र को लाएं, ताकि सर्जरी से पहले के कार्यों में और सर्जरी के बाद घर जाने में आपको मदद मिल सके।
(और पढ़ें - सिगरेट छोड़ने के घरेलू उपाय)
बैरिएट्रिक सर्जरी के दौरान - During Bariatric surgery in Hindi
बैरिएट्रिक सर्जरी कैसे की जाती है?
बैरिएट्रिक सर्जरी की हर प्रोसीजर अलग-अलग होती हैं। ये सभी सर्जिकल प्रक्रियाएं लैप्रोस्कोपी मेथड से की जा सकती हैं, जैसे -
- डॉक्टर आपको सबसे पहले एनेस्थीसिया देंगे, जिससे आपको गहरी नींद जाएगी और आपको सर्जरी के दौरान कुछ भी महसूस नहीं होगा।
- जब आप सो जाते हैं, तो पेट में एक या कई चीरे लगाए जाते हैं।
- इनमें से एक चीरे में लेप्रोस्कोप डाला जाता है, जिसके सिरे पर कैमरा और लाइट लगी होती है।
- इसके बाद अन्य उपकरण चीरों में डाले जाते हैं, जिनकी मदद से सर्जरी करने में मदद मिलती है।
लेप्रोस्कोपिक एडजस्टेबल गैस्ट्रिक बैंड
एलएजीबी (LAGB) सर्जिकल प्रक्रिया को करने में 30 से 60 मिनट का समय लगता है। जब पेट में लेप्रोस्कोप और अन्य उपकरण डाल दिए जाते हैं, तो निम्न प्रक्रियाएं की जाती हैं -
- सर्जन पेट के ऊपरी भाग में एक बैंड लगाते हैं, जिसे वह निचले हिस्से से अलग हो जाता है।
- बैंड लगने के बाद पेट के ऊपरी हिस्से की एक थैली बन जाती है, जिससे एक नली निचले हिस्से में जाती है।
- इस सर्जरी में पेट के अंदरूनी हिस्से में कोई चीरा आदि नहीं लगाया जाता है। एक छोटा पोर्ट जो गैस्ट्रिक बैंड से जुड़ा होता है, जो बैंड को एडजस्ट करने का काम करता है। इस पोर्ट से बैंड में सेलाइन भी डाला जा सकता है, जिससे पेट को सिकोड़ने या खोलने में मदद मिलती है।
- जब सर्जरी के बाद आप कुछ खाते हैं, तो पहले पेट के ऊपरी हिस्से में बनी थैली भरती है, जिससे आपको तृप्ती महसूस होती है। इसके बाद, भोजन धीरे-धीरे ऊपरी हिस्से से निचले हिस्से की तरफ जाने लगता है।
सर्जरी वाले दिन की आपको घर जाने की अनुमति मिल जाती है। हालांकि, कुछ लोगों को एक या दो दिन अस्पताल में भी भर्ती रहना पड़ सकता है, जो उनके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।
गैस्ट्रिक बाइपास सर्जरी
बैरिएट्रिक सर्जरी की इस प्रक्रिया को करने में 2 से 4 घंटों का समय लगता है। गैस्ट्रिक बाइपास सर्जरी के लिए पेट में चीरे लगाकर लेप्रोस्कोप व अन्य उपकरण डाले जाते हैं, जिसके बाद निम्न प्रक्रियाएं की जाती हैं -
- पेट के ऊपरी हिस्से में थैली बनाने के लिए लेप्रोस्कोपिक स्टेपल का इस्तेमाल किया जाता है।
- इसके बाद, इस पाउच को आंत के बीच वाले हिस्से (जेजुनम) से जोड़ दिया जाता है।
- सर्जरी प्रक्रिया पूरी होने के बाद घाव में टांके सिल दिए जाते हैं।
सर्जरी के बाद जब आप खाते हैं, तो भोजन पहले पाउच में जाता है और फिर जेजुनम में चला जाता है। इस प्रक्रिया के कारण बहुत कम भूख लगती है और खाए गए भोजन से कम मात्रा में कैलोरी अवशोषित होती है।
(और पढ़ें - ज्यादा भूख लगने का कारण)
गैस्ट्रिक बाइपास सर्जरी को ओपन सर्जरी के रूप में भी किया जाता है, जिसमें पेट में एक बड़ा कट बनाया जाता है।
गैस्ट्रिक स्लीव सर्जरी
इस सर्जरी प्रक्रिया में 60 से 90 मिनट का समय लगता है। जब पेट में चीरा लगाकर लेप्रोस्कोप और अन्य उपकरण पेट में भेज दिए जाते हैं, तो उसके बाद निम्न प्रक्रियाएं की जाती हैं -
- लेप्रोस्कोप स्टेपलर की मदद से पेट को दो भागों में बांट देते हैं, जिससे पेट का एक हिस्सा केले की आकृति का बन जाता है और बाकी के पेट के हिस्से को काटकर हटा दिया जाता है।
- इस प्रक्रिया के बाद लेप्रोस्कोप व अन्य उपकरण शरीर के छिद्रों में से निकाल दिए जाते हैं और टांके लगाकर सर्जरी के चीरों को बंद कर दिया जाता है।
- पेट का आकार छोटा होने पर उसमें भोजन कम आने लगता है और आपका पेट जल्दी भर जाता है। सर्जरी के 2 दिन बाद आप घर जा सकते हैं, हालांकि, कुछ लोगों को इससे अधिक समय भी लग सकता है।
बिलियोपैन्क्रिएटिक डाइवर्जन विद ड्यूडेनल स्विच
इस सर्जिकल प्रक्रिया को बीपीडी/डीएस (BPD/DS) भी कहा जाता है, जिसे निम्न तरीके से किया जाता है -
- इसमें सर्जन लेप्रोस्कोप स्टेपलर की मदद से पेट के हिस्से को काटकर पेट की ट्यूब जैसी संरचना बना देते हैं।
- छोटी आंत के ऊपरी हिस्से (ड्यूडेनम) को छोटी आंत के निचले हिस्से के जोड़ दिया जाता है।
- इस बाइपास रास्ते की मदद से पित्तरस और अग्नाशय के एंजाइम मिलते हैं, जो वसा व कैलोरी को पचाने का काम करते हैं। इस भाग को छोटी आंत के अंतिम हिस्से से फिर से जोड़ दिया जाता है, जिस प्रक्रिया को बिलियोपैन्क्रिएटिक डाइवर्जन कहा जाता है।
- इसके बाद चीरे से उपकरणों को निकाल दिया जाता है और फिर टांके लगाकर चीरे को बंद कर दिया जाता है। (और पढ़ें - टांके कैसे लगाते हैं)
बिलियोपैन्क्रिएटिक डाइवर्जन को ओपन सर्जरी के रूप में भी किया जा सकता है।
प्रक्रिया के बाद जब आप खाना खाते हैं, तो वह भोजन सिर्फ नई थैली से होकर गुजरता है और आंत के अंतिम हिस्से में जाकर जमा हो जाता है। इस कारण से कम से कम भोजन पच पाता है और कम मात्रा में ही उनसे पोषक तत्व मिल पाते हैं।
(और पढ़ें - पाचन शक्ति बढ़ाने के उपाय)
सर्जरी के बाद आपको अस्पताल के कमरे में शिफ्ट कर दिया जाएगा। डॉक्टर आपकी स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार आपको थोड़ा-बहुत चलने फिरने की सलाह दे सकते हैं। जब तक आप अस्पताल में भर्ती रहते हैं, आपको भोजन में तरल पदार्थ दिए जाते हैं।
बैरिएट्रिक सर्जरी के बाद - After Bariatric surgery in Hindi
बैरिएट्रिक सर्जरी के बाद कैसे देखभाल करें?
सर्जरी के बाद डॉक्टर आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखने की सलाह देते हैं, जिनमे निम्न शामिल है -
- घाव को सूखा व साफ रखें
- सर्जरी के 7 से 10 दिन बाद घाव से टांके या स्टेपल निकाल दिए जाते हैं।
- घाव की पट्टी को रोजाना बदलते रहें। यदि गंदी या गीली हो जाती है, तो तुरंत बदल दें।
- घाव के आस-पास आपकी त्वचा नीली पड़ सकती है, उसे छुएं नहीं वह अपने आप ठीक हो जाती है।
- घाव के पूरी तरह से ठीक न होने तक अधिक टाइट कपड़े न पहनें।
- जब तक डॉक्टर अनुमति न दें, नहाना शुरू न करें। हालांकि, गीले कपड़े के साथ सर्जरी वाले हिस्से को छोड़कर आप अपने शरीर को साफ कर सकते हैं।
- जब आपको नहाने की सलाह दे दी जाती है, तब भी नहाते समय सर्जरी वाले स्थान को रगड़ें नहीं।
- छींकते या खांसते समय सर्जरी वाले घाव पर तकिए रखें, ताकि ज्यादा दबाव न पड़े
आहार संबंधी देखभाल
- डॉक्टर आपके लिए विशेष डाइट प्लान तैयार करेंगे और उसे किस मात्रा में किस समय लेना है आदि के बारे में आपको समझाएंगे।
- आपको कुछ खाद्य पदार्थों की लिस्ट भी दी जाएगी, जिनसे सर्जरी के कुछ समय बाद तक परहेज करना है।
- सर्जरी के बाद दो से तीन हफ्तों के लिए आपको नरम खाद्य पदार्थ खाने की सलाह दी जाएगी।
- खाने और पीने की चीजों को एक साथ न लें, उनमें कम से कम 30 मिनट का अंतर रखें
- पानी व अन्य तरल पेय पदार्थ पीते समय छोटी-छोटी घूंट ही लें।
शारीरिक गतिविधियां
डॉक्टर आपको नियमित रूप से चलने-फिरने या सीढ़ियां चढ़ने जैसे हल्के व्यायाम करने की सलाह देते हैं।
- यदि आपके पेट में दर्द होता है, तो वह थोड़ा-बहुत टहलने से ठीक हो जाता है।
- यदि आपको कोई भी शारीरिक गतिविधि करने पर दर्द होता है, तो उसे तुरंत छोड़ दें।
- सर्जरी के बाद 5 किलो से भारी वजन न उठाएं।
- कोई भी ऐसी गतिविधि न करें, जिसमें शरीर का अधिक जोर लगता हो (जैसे कुछ खींचने या धकेलने का काम)
(और पढ़ें - दर्द का आयुर्वेदिक इलाज)
दवाएं
डॉक्टर आपको सर्जरी के बाद कुछ दवाएं व सप्लीमेंट्स देते हैं, जिन्हें आपको रोजाना लेना होता है। इनमें निम्न शामिल हैं -
सर्जरी होने के 3 से 6 महीनों बाद ही धीरे-धीरे आपके शरीर का वजन कम होने लगेगा, जिस दौरान आपको निम्न महसूस हो सकता है -
- त्वचा में रूखापन
- बदन दर्द
- बाल झड़ना या कमजोर पड़ना
- मूड स्विंग होना
- थकान व कमजोरी महसूस होना
- ठंड लगना
हालांकि, ये लक्षण अस्थायी होते हैं और जब आपके शरीर को वजन कम करने की प्रक्रिया की आदत हो जाती है, तो ये लक्षण कम होने लगते हैं। जब वजन कम होने की प्रकिया रुक जाती है, तब ये लक्षण पूरी तरह से गायब हो जाते हैं। इसमें शरीर का वजन धीरे-धीरे 2 से 3 साल तक कम होता है और मोटापे से होने वाली समस्याएं भी ठीक होने लगती हैं।
(और पढ़ें - वजन घटाने के उपाय)
डॉक्टर को कब दिखाएं?
यदि आपको सर्जरी के बाद निम्न लक्षण महसूस होते हैं, तो डॉक्टर से बात कर लें -
- खाना खाने के बाद उल्टी आना
- दस्त या पतला मल आना
- खाने या पीने में अक्षम महसूस करना
- तेज बुखार होना
- सांस लेने संबंधी समस्याएं होना
- लगातार खांसी होना
- आंख का सफेद हिस्सा और त्वचा का रंग पीला होना
- दर्दनिवाारक दवाएं लेने के बाद भी दर्द रहना
- घाव से रक्त या अन्य कोई द्रव स्रावित होना, जैसे हल्के हरे, पीले या सफेद रंग का द्रव
(और पढ़ें - दस्त रोकने के घरेलू उपाय)
बैरिएट्रिक सर्जरी की जटिलताएं - Complications of Bariatric surgery in Hindi
बैरिएट्रिक सर्जरी से क्या जोखिम हो सकते हैं?
बैरिएट्रिक सर्जरी से होने वाले जोखिम व जटिलताएं अलग-अलग स्थितियों पर निर्भर करते हैं।
एनेस्थीसिया से होने वाली समस्याएं -
- सांस लेने में दिक्कत
- रक्त का थक्का जमना
- दवाओं से एलर्जी होना
- हृदय संबंधी समस्याएं होना
बैरिएट्रिक सर्जरी से होने वाले जोखिम -
- पेट में अल्सर
- सीने में जलन
- पेट में सूजन
- सर्जरी वाले हिस्सों में संक्रमण
- पोषक तत्वों की कमी
- सर्जरी के दौरान अंदरूनी अंगों में क्षति होना (पेट, आंत व अन्य)
- सर्जरी वाले स्थान पर हर्निया होना (छिद्र में ऊतक फंस जाना)
- गुर्दे खराब होना
- एसिड रिफ्लक्स (पेट में मौजूद खाद्य सामग्री वापस भोजन नली में आना, जिससे जलन होना)
- पेट में दर्द व ऐंठन होना
- दस्त
- अधिक खाने के कारण उल्टी आना
- अंदरूनी हिस्से में स्कार बनने के कारण आंतों में रुकावट होना
बिलियोपैन्क्रिएटिक डाइवर्जन विद ड्यूडेनल स्विच सर्जरी के बाद विटामिन और मिनरल अवशोषित करने में भी परेशानी होने लगती है, जिस कारण से निम्न समस्याएं हो सकती हैं -
- शरीर में प्रोटीन की कमी
- शरीर में कैल्शियम की कमी
- विटामिन ए, डी, ई और के की कमी
- हड्डियां पतली होना
- एनीमिया
(और पढ़ें - एनीमिया के घरेलू उपाय)
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संदर्भ
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