एम्पुल्लेक्टमी एक सर्जरी प्रोसीजर है, जिसकी मदद से एम्पुला ऑफ वेटर (ampulla of Vater) में बने घाव या कैंसर का इलाज करने के लिए किया जाता है। एम्पुला ऑफ वेटर एक छिद्र होता है, जिसकी मदद से पित्तरस छोटी आंतों में जा पाते हैं। यह सर्जरी सिर्फ तभी की जाती है, जब कैंसर शुरूआती स्टेज में हो या ट्यूमर का आकार छोटा हो। सर्जरी से पहले डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछते हैं और साथ ही कुछ डायग्नोस्टिक व इमेजिंग टेस्ट भी किए जाते हैं। यह सर्जरी जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाकर की जाती है और इस प्रोसीजर को पूरा होने में लगभग तीन घंटों का समय लगता है। ऑपरेशन के बाद आपको लगभग एक हफ्ते तक ही अस्पाल में भर्ती रखा जा सकता है।
अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद डॉक्टर आपको घर पर देखभाल करने के कुछ खास निर्देश देते हैं, जिसमें घाव का ध्यान रखना और दर्द कम करने के तरीके आदि शामिल हैं। एम्पुल्लेक्टमी सर्जरी की मदद से ट्यूमर को बिना आसपास के ऊतकों को क्षति पहुंचाए निकाला जा सकता है।
डॉक्टर आपको कुछ समय बाद फिर से बुला सकते हैं, जिस दौरान यह जांच की जाती है कि सर्जरी के घाव सामान्य रूप से ठीक हो रहे हैं या नहीं। इसके अलावा यदि आपको सर्जरी के बाद बुखार, तेज दर्द या अन्य कोई लक्षण महसूस हो, तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर लें।
(और पढ़ें - तेज बुखार होने पर क्या करें)
- एम्पुल्लेक्टमी क्या है - What is Ampullectomy in Hindi
- एम्पुल्लेक्टमी किसलिए की जाती है - Why is Ampullectomy done in Hindi
- एम्पुल्लेक्टमी से पहले की तैयारी - Before Ampullectomy in Hindi
- एम्पुल्लेक्टमी के दौरान - During Ampullectomy in Hindi
- एम्पुल्लेक्टमी के बाद - After Ampullectomy in Hindi
- एम्पुल्लेक्टमी की जटिलताएं - Complications of Ampullectomy in Hindi
एम्पुल्लेक्टमी क्या है - What is Ampullectomy in Hindi
एम्पुल्लेक्टमी सर्जरी की मदद से वेटर के एम्पुला को निकाला जाता है। एम्पुला ऑफ वेटर छोटी आंत के शुरूआती हिस्से में मौजूद एक छिद्र होता है। इस छिद्र की मदद से पित्तरस और अग्न्याशय से निकलने वाले अन्य द्रव ड्यूडेनम तक जा पाते हैं। एम्पुल्लेक्टमी सर्जरी को आमतौर पर एम्पुला में हुए कैंसर को निकालने के लिए किया जाता है। इसके अलावा न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर और इंफ्लेमेटरी स्टेनोसिस जैसी समस्याओं का इलाज करने के लिए भी यह सर्जरी प्रोसीजर की जा सकती है।
एम्पुला में होने वाला कैंसर एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है, जिसमें जीवित रहने की संभावना अन्य कई प्रकार के कैंसरों की तुलना में काफी अधिक होती है। जब कैंसर के कारण वेटर के एम्पुला में रुकावट हो जाती है, तो पित्तरस व अन्य द्रवों का ड्यूडेनम में जाने का रास्ता भी रुक जाता है और इसके परिणामस्वरूप मरीज को पीलिया हो सकता है।
(और पढे़ं - पीलिया होने पर क्या करना चाहिए)
एम्पुल्लेक्टमी किसलिए की जाती है - Why is Ampullectomy done in Hindi
एम्पुल्लेक्टमी सर्जरी आमतौर पर उन लोगों के लिए की जाती है, जिन्हें एम्पुला कैंसर है। एम्पुला में कैंसर होने पर निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं -
- पीलिया
- दस्त
- शरीर का वजन कम होना
- भूख न लगना या कम भूख लगना
- पेट दर्द
- जठरांत्र पथ में रक्तस्राव होना
- पैंक्रियास में सूजन
- पीठ में दर्द
- जी मिचलाना और उल्टी
- पीले रंग का लसदार मल आना
यदि एम्पुला में बिना कैंसर के कोई घाव, ट्यूमर या फोड़ा आदि बना हुआ है, तो उसे निकालने के लिए भी एम्पुल्लेक्टमी सर्जरी की जा सकती है।
निम्न स्थितियों पर विचार करते हुए ही एम्पुल्लेक्टमी सर्जरी प्रोसीजर की जा सकती है -
- यदि ट्यूमर का आकार 2 सेंटीमीटर है
- कैंसर अभी तक लिम्फ नोड्स तक नहीं फैल पाया है।
- कैंसर अभी शुरूआती चरणों में ही है
एम्पुल्लेक्टमी सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?
कुछ स्थितियां हैं, जिनमें सर्जरी करने से मना किया जा सकता है -
- कैंसर आसपास के ऊतकों में फैल जाना
- घाव अग्न्याशय या पित्त नलिकाओं तक फैल जाना
- ट्यूमर का आकार 4 सेंटीमीटर से बड़ा होना
(और पढ़ें - पित्त का कैंसर का इलाज)
एम्पुल्लेक्टमी से पहले की तैयारी - Before Ampullectomy in Hindi
डॉक्टर आपको ऑपरेशन से कुछ दिन पहले अस्पताल बुला सकते हैं और इस दौरान आपके स्वास्थ्य संबंधी पिछली सभी जानकारी ली जाती हैं और साथ ही साथ आपको कुछ अन्य चीजों से संबंधित सवाल पूछे जा सकते हैं -
- हाल में आपके द्वारा ली जाने वाली दवाएं, हर्बल उत्पाद या विटामिन आदि।
- हाल ही में या पहले हुआ कोई रोग, एलर्जी या स्वास्थ्य संबंधी अन्य कोई समस्या होना
- आपका प्रेगनेंसी टेस्ट रिजल्ट और भविष्य में आपका प्रेगनेंसी के बारे में प्लान
इस दौरान डॉक्टर आपका शारीरिक परीक्षण करते रहते हैं और साथ ही आपके कुछ अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं -
- ब्लड टेस्ट
- यूरिन टेस्ट
- सीटी स्कैन
- कोलेन्जियोपैनक्रिएटोग्राफी (एक प्रकार का एमआरआई)
- चेस्ट एक्स रे
- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम
- एंडोस्कोपिक बायोप्सी
इसके अलावा डॉक्टर आपको सर्जरी से पहले निम्न निर्देश देते हैं -
- यदि आप कोई भी रक्त पतला करने वाली दवाएं ले रहे हैं, तो उसके बारे में डॉक्टर को बता दें
- यह सर्जरी खाली पेट की जाती है इसलिए आपको ऑपरेशन से कम से कम 8 घंटे पहले तक कुछ भी खाने या पीने से मना किया जाता है।
- यदि आप सिगरेट या शराब पीते हैं, तो सर्जरी से कुछ दिन पहले और बाद तक उन्हें छोड़ने को कहा जा सकता है, क्योंकि इनसे सर्जरी के बाद जटिलताएं हो सकती हैं।
- आपको विशेष डाइट प्लान बताया जा सकता है, जिससे आपका मल नरम आए और आंतें खाली करने में आसानी रहे।
- अपने साथ अस्पताल में किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र का लाने की सलाह दी जाती है, ताकि सर्जरी से पहले और बाद के कार्यों में आपको मदद मिल सके।
- अंत में आपको एक सहमति पत्र दिया जाता है, जिस पर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति प्रदान करते हैं। सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से पहले उसे एक बार अच्छे से पढ़ व समझ लेना चाहिए।
(और पढ़ें - शराब की लत का कारण)
एम्पुल्लेक्टमी के दौरान - During Ampullectomy in Hindi
जब आप ऑपरेशन के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो आपको एक विशेष ड्रेस पहनने को दी जाती है, जिसे हॉस्पिटल गाउन कहा जाता है। इसे बाद आपको ऑपरेशन थिएटर ले जाया जाता है और टेबल पर पीठ के बल लेटने को कहा जाता है। आपकी बांह की नस में सुई लगाकर उसे इंट्रावेनस लाइन से जोड़ दिया जाता है, जिसकी मदद से आपको सर्जरी के दौरान दवाएं व अन्य आवश्यक द्रव दिए जाते हैं। इसके बाद आपको एनेस्थीसिया का इंजेक्शन दिया जाता है, जिससे आप गहरी नींद में सो जाते हैं और सर्जरी के दौरान आपको कुछ महसूस नहीं होता है। जब एनेस्थीसिया का असर शुरू हो जाता है, तो सर्जरी प्रोसीजर शुरू की जाती है। एम्पुल्लेक्टमी को अलग-अलग सर्जरी प्रोसीजरों की माध्यम से किया जाता है जो कुछ इस प्रकार है -
ओपन एम्पुल्लेक्टमी -
- सबसे पहले पेट की त्वचा में चीरा लगाया जाता है और फिर उसके अंदर से ड्यूडेनल तक पहुंचा जाता है।
- इसके बाद प्रभावित हिस्से के आस-पास की लिम्फ नोड से सेंपल लिया जाता है, ताकि कैंसर के फैलाव का पता लगया जा सके।
- इसके बाद पित्त नलिकाओं व वेटर के एम्पुला की ठीक से जांच की जाती है और फिर पित्त व अग्न्याशय की नलिकाओं को बचाते हुए एम्पुला में चीरा लगाकर उसे निकाल लिया जाता है। इस दौरान आसपास के थोड़े-थोड़े ऊतकों को भी निकाल लिया जाता है।
- इसके बाद टांकों की मदद से पित्त व अग्न्याशय नलिकाओं को फिर से जोड़ दिय जाता है और फिर ड्यूडेनल में को फिर से बंद करके त्वचा को टांके लगाकर या स्टेपल से बंद कर दिया जाता है।
- यदि सर्जरी के दौरान ब्लैडर भी बीच में आ रहा है, तो उसे भी निकाला जा सकता है ताकि भविष्य में कोई जटिलता न हो पाए।
मिनीमली इनवेसिव सर्जरी -
- इसमें एक बड़ा चीरा लगाने की बजाय कई छोटे चीरे लगाए जाते हैं, जिनकी मदद से लेप्रोस्कोप अंदर डाला जाता है। लेप्रोस्कोप एक पतली व लचीली ट्यूब है, जिसे सिरे पर कैमरा व लाइट लगी होती है।
- अन्य छिद्रों के माध्यम से दूसरे सर्जिकल उपकरण डाले जाते हैं, जिनकी मदद से एम्पुल्लेक्टमी सर्जरी की जाती है।
इसके अलावा एम्पुल्लेक्टमी को अन्य कई सर्जिकल प्रोसीजरों की मदद से किया जान सकता है, जिनमें आमतौर पर रोबोट एसिस्टेड और एंडोस्कोपिक प्रोसीजर भी शामिल हैं। इस सर्जरी को पूरा होने में लगभग तीन घंटों का समय लगता है और ऑपरेशन पूरा होने के बाद आपको रिकवरी रूप में शिफ्ट कर दिया जाता है। रिकवरी रूम में हेल्थकेयर टीम आपके सभी शाररिक संकेतों पर करीब से नजर रखती है, जिनमें मुख्य रूप से ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट और ऑक्सीजन लेवल आदि शामिल है।
एम्पुल्लेक्टमी के बाद - After Ampullectomy in Hindi
ऑपरेशन के बाद जब आपको अस्पताल से घर के लिए छुट्टी मिलती है, तो इस दौरान डॉक्टर कुछ विशेष बातों का ध्यान रखने के निर्देश देते हैं। इनमें निम्न शामिल हो सकते हैं -
- घाव की देखभाल -
डॉक्टर से पूछे बगैर किसी बाहर की क्रीम, लोशन या अन्य दवा का इस्तेमाल करें। तंग कपड़े न पहनें क्योंकि इनसे घाव पर रगड़ लग सकती है।
- नहाना -
जब तक डॉक्टर अनुमति न दें तब तक नहाना शुरू न करें। क्योंकिं घाव गीला होने पर जटिलताएं हो सकती हैं। यदि घाव किसी कारण से गीला हो जाता है, तो उसे तुरंत किसी स्वच्छ कपड़े से हल्के-हल्के लगाकर सुखा लें।
- दवाएं -
सर्जरी के बाद कुछ दिनों तक दर्द व सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा घाव में संक्रमण होने का खतरा भी बढ़ जाता है, जिसके लिए आपको विशेष प्रकार की एंटीबायोटिक दवाएं दी जा सकती हैं।
- शारीरिक गितिविधियां -
सर्जरी के बाद आपको कुछ दिन तक पूरी तरह से बेडरेस्ट करने के निर्देश दिए जाते हैं। उसके बाद धीरे-धीरे आपको चलने-फिरने जैसी गतिविधियां करने को कहा जाता है, जिसे धीरे-धीरे बढ़ाया जाता है। हालांकि, जब तक डॉक्टर आपको अनुमति न दें तब तक भारी वजन न उठाएं और न ही कोई अधिक मेहनत वाली एक्सरसाइज करें। यदि आप ड्राइविंग करना चाहते हैं, तो उससे पहले डॉक्टर से एक बार बात कर लें।
- आहार -
डॉक्टर कुछ समय के लिए आपको एक विशेष डाइट प्लान बना कर दे सकते हैं, जिसे फॉलो करना जरूरी होता है। इस डाइट में आमतौर पर पोषक तत्वों और फाइबर से भरपूर पाए जाने वाले खाद्य पदार्थों को शामिल किया जाता है।
डॉक्टर को कब दिखाएं?
एम्पुल्लेक्टमी सर्जरी के बाद यदि आपको निम्न में से कोई भी लक्षण महसूस होता है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए -
- घाव खुल जाना
- तेज बुखार होना
- पेशाब में दर्द
- त्वचा पर लाल चकत्ते बनना
- पेट में गंभीर दर्द
- सांस लेने में कठिनाई
- सीने में दर्द
- घाव से द्रव निकलना
- उल्टी व मतली जैसी समस्याएं होना
(और पढ़ें - छाती में दर्द होने पर क्या करें)
एम्पुल्लेक्टमी की जटिलताएं - Complications of Ampullectomy in Hindi
एम्पुल्लेक्टमी सर्जरी निम्न जटिताएं हो सकती हैं -
- रक्तस्राव
- अग्नाशयशोथ
- आंत में छिद्र बन जाना
- आंत, मूत्रवाहिनी या मूत्राशय में क्षति होना
- संक्रमण
- हर्निया (मांसपेशियों में कमजोरी होने के कारण गांठ बनना)
- आंत्र रुकावट
(और पढ़ें - आंतों को साफ करने का तरीका)
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एम्पुल्लेक्टमी के डॉक्टर

Dr. Paramjeet Singh.
गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव

Dr. Nikhil Bhangale
गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव

Dr Jagdish Singh
गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
12 वर्षों का अनुभव

Dr. Deepak Sharma
गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
12 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
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- American Society of Clinical Oncology [Internet]. Virginia. US; Neuroendocrine Tumors
- Johns Hopkins Medicine [Internet]. The Johns Hopkins University, The Johns Hopkins Hospital, and Johns Hopkins Health System; Ampullary Cancer
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