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गर्भावस्था की अवधि के अंत के समय महिला और उसके परिवार में बच्चे के जन्म को लेकर उत्सुकता होने के साथ मां के स्वास्थ्य के मामले में कई प्रकार की चिंता भी होती है। इस चिंता के कई कारण हैं। इनमें से एक है सिजेरियन या सी-सेक्शन डिलिवरी। कोई भी परिवार नहीं चाहता कि उनके घर की महिला सदस्य को बच्चे को जन्म देने के लिए सी-सेक्शन डिलीवरी का सहारा लेना पड़े। हालांकि गर्भावस्था से जुड़ी अपनी जटिलताओं के चलते मांओं को यह ऑपरेशन करवाकर बच्चे को जन्म देना पड़ता है। लेकिन अगर कोई दावा करे कि किसी पुरुष प्रसूति विज्ञानी अथवा विशेषज्ञ की देखरेख में होने के कारण गर्भवती महिला की सी-सेक्शन डिलिवरी होने का अंदेशा ज्यादा होता है तो यह कई लोगों के लिए आश्चर्यजनक और दिलचस्प दोनों ही हो सकता है।

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दरअसल, सी-सेक्शन के विषय पर प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि महिला प्रसूति विशेषज्ञ अपने पुरुष समकक्षों की अपेक्षा कम सीजेरियन सेक्शन डिलीवरी कराती हैं। इस जानकारी को ऑब्सेट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजी नामक मेडिकल पत्रिका में प्रकाशित भी किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने इस विषय पर दुनियाभर में हुए 15 अलग-अलग अध्ययनों का डेटा इकट्ठा कर उनका विश्लेषण करने के बाद यह दावा किया है। इन अध्ययनों में बच्चों के जन्म से जुड़े 12 लाख से ज्यादा मामलों की जांच कर पता लगाया गया था कि इनमें से कितने महिला विशेषज्ञों द्वारा सुपरवाइज किए गए और कितने जन्म पुरुष डॉक्टरों द्वारा अटेंड किए गए। इसके अलावा, 11 ऐसे अलग अध्ययनों का विश्लेषण भी किया गया, जिनमें अनुमान के तहत 4,911 प्रसूति विज्ञानियों के प्रेफ्रेंस से जुड़ी जानकारी का ब्योरा दिया गया था।

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कुल-मिलाकर अध्ययन का निष्कर्ष यह रहा कि पुरुष प्रसूति विशेषज्ञों की अपेक्षा महिला ऑब्स्टेट्रिशियन की देखरेख में गर्भवती महिलाओं की सी-सेक्शन डिलिवरी की संभावना 25 प्रतिशत कम होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो अगर गर्भावस्था के दौरान प्रेग्नेंट महिला की देखरेख किसी महिला विशेषज्ञ की निगरानी या निरीक्षण में हुई है अथवा उसकी डिलिवरी महिला विशेषज्ञ द्वारा की गई है, तो उसकी सामान्य डिलिवरी की संभावना 25 प्रतिशत ज्यादा होती है। जिन अध्ययनों के विश्लेषण के आधार पर वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला, उनमें महिला और पुरुष प्रसूति विज्ञानियों में अलग-अलग क्राइटेरिया के तहत तुलना की गई थी। मसलन, पेट में भ्रूण की पोजिशन, प्रसव की शुरुआत आदि। सभी में यह पाया गया कि अगर गर्भवती महिलाओं को महिला डॉक्टर द्वारा अटेंड किया जाए तो सी-सेक्शन के मामले कम देखने को मिलते हैं। उदाहरण के लिए, अध्ययन में यह जानने को मिला कि एक समान जेस्टेशन एज वाले सी-सेक्शन डिलिवरी के मामले अधिकतर पुरुष प्रसूति विज्ञानियों से जुड़े थे।

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यह भी पता चला है कि जन्म के काल्पनिक संदर्भ के मामले में महिला विज्ञानी अपने पुरुष समकक्षों की अपेक्षा 40 प्रतिशत कम सी-सेक्शन के विकल्प को चुनती हैं। इसके अलावा, जब तक मेडिकली जरूरी न हो, तब तक महिला विशेषज्ञ मां की तरफ से सी-सेक्शन डिलिवरी करने की मांग को भी अपने पुरुष समकक्षों की अपेक्षा जल्दी नहीं मानतीं या कम मानती हैं।

हालांकि, अध्ययन इस बारे में कोई जानकारी नहीं देता कि महिला और पुरुष ऑब्स्टेट्रिशियन के सी-सेक्शन डिलिवरी रिकॉर्ड में पाए गए इस अंतर का कारण क्या है। प्रतिष्ठित अमेरिकी अखबार दि न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मुद्दे पर अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. आइलिर होक्सा कहते हैं, 'ऐसा इसलिए कि शायद महिलाएं मुश्किल भरे पलों (डिलिवरी) में मां के प्रति ज्यादा संवेदनशील हों और पुरुष (प्रसूति विज्ञानियों) का झुकाव आमतौर पर केवल (डिलिवरी के) प्रोसीजर पर हो। लेकिन हम इस व्याख्या को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करते। इन पर और अध्ययन व जांच करने की जरूरत है।'

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