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  1. किडनी ट्रांसप्लांट क्या होता है? - Kidney Transplant Surgery kya hai in hindi?
  2. किडनी ट्रांसप्लांट क्यों की जाती है? - Kidney Transplant Surgery kab kiya jata hai?
  3. गुर्दा प्रत्यारोपण से पहले की तैयारी - Kidney Transplant Surgery ki taiyari
  4. किडनी ट्रांसप्लांट कैसे किया जाता है? - Kidney Transplant Surgery kaise hota hai?
  5. गुर्दा प्रत्यारोपण के बाद देखभाल - Kidney Transplant Surgery hone ke baad dekhbhal
  6. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद सावधानियां - Kidney Transplant Surgery hone ke baad savdhaniya
  7. किडनी ट्रांसप्लांट की जटिलताएं - Kidney Transplant Surgery me jatiltaye

गुर्दा प्रत्यारोपण (Kidney Transplantation) एक सर्जिकल प्रक्रिया है जो गुर्दे के फेलियर (Kidney Failure) के इलाज के लिए की जाती है। गुर्दे रक्त से अपशिष्ट (Waste; वेस्ट) को फिल्टर करते हैं और मूत्र के माध्यम से इसे शरीर से हटा देते हैं। वे आपके शरीर के द्रव और इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस (Electrolyte Balance) को बनाए रखने में भी सहायता करते हैं। यदि आपके गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं तो शरीर में अपशिष्ट बढ़ जाता है और आपको बहुत बीमार कर सकता है।

जिन लोगों के गुर्दे फेल हो गए हों उन्हें आमतौर पर डायलिसिस (Dialysis) नामक एक उपचार से गुजरना पड़ता है। जब गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं, तो यह उपचार रक्तप्रवाह में बनने वाले अपशिष्ट को यांत्रिक रूप से फ़िल्टर कर देता है। कुछ लोग जिनके गुर्दे फेल हो चुके हैं, उन्हें गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए भी कहा जा सकता है, जिसमें एक या दोनों गुर्दों को जीवित या मृतक व्यक्ति द्वारा डोनेट किये हुए अंग से प्रस्थापित कर दिया जाता है।

गुर्दा प्रत्यारोपण डायलिसिस मशीन पर आजीवन निर्भरता और उसके प्रयोग से जुड़े कड़े शिड्यूल से छुटकारा दिला सकता है। इससे आपका जीवन अधिक सक्रिय हो सकेगा। हालाँकि गुर्दे का प्रत्यारोपण सबके लिए उचित नहीं है। 

प्रत्यारोपण के दौरान, सर्जन डोनेट किया हुआ गुर्दा आपके शरीर में लगा देगा। भले ही मनुष्य का जन्म दो गुर्दों के साथ होता है, लेकिन वो एक स्वस्थ गुर्दे पर भी जी सकते हैं। प्राप्तकर्ता को आम तौर पर एक ही गुर्दा मिलता है। दुर्लभ स्थितियों में, उसे किसी मृत डोनर से दोनों गुर्दे मिल सकते हैं। रोगग्रस्त गुर्दों को आम तौर पर उनकी जगह पर ही छोड़ दिया जाता है। प्रत्यारोपित गुर्दे पेट के निचले हिस्से में आगे की तरफ लगा दिए जाते हैं।

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गुर्दे का प्रत्यारोपण उन मरीज़ों के लिए एक विकल्प है जिनके गुर्दे पूरी तरह से काम करना बंद कर चुके हैं। इस स्थिति को अंत-स्तरीय गुर्दे की बीमारी (End-Stage Renal Disease, ESRD Or End-Stage Kidney Disease, ESKD) कहा जाता है। इस स्थिति पर पहुँचने पर डॉक्टर आपको डायलिसिस का सुझाव दे सकते हैं। 
डायलिसिस के अतिरिक्त डॉक्टर यह भी देखते हैं कि गुर्दे का प्रत्यारोपण आपके लिए उचित है या नहीं। एक बड़ी सर्जरी से गुजरने के लिए और आजीवन दवाओं का सेवन करने के लिए आपका स्वस्थ होना आवश्यक है।
अगर आपको कोई गंभीर मेडिकल समस्या है तो, गुर्दे का प्रत्यारोपण आपके लिए खतरनाक सिद्ध हो सकता है और इसके असफल होने की भी सम्भावना है। निम्न स्थितियों में आप गुर्दे का प्रत्यारोपण नहीं करवा सकते:

  1. हृदय की गंभीर बीमारी,
  2. वृद्धावस्था,
  3. कैंसर है या कभी कैंसर रह चुका है,
  4. मानसिक बीमारी,
  5. मनोभ्रंश (Dementia),
  6. आप धूम्रपान या मदिरा का सेवन करते हैं,
  7. लिवर की कोई बीमारी,
  8. गंभीर संक्रमण जैसे टीबी (TB), आदि। (और पढ़ें – टीबी के प्रकार)

सर्जरी की तैयारी के लिए आपको निम्न कुछ बातों का ध्यान रखना होगा और जैसा आपका डॉक्टर कहे उन सभी सलाहों का पालन करना होगा: 

  1. सर्जरी से पहले किये जाने वाले टेस्ट्स/ जांच (Tests Before Surgery)
  2. सर्जरी से पहले एनेस्थीसिया की जांच (Anesthesia Testing Before Surgery)
  3. सर्जरी की योजना (Surgery Planning)
  4. सर्जरी से पहले निर्धारित की गयी दवाइयाँ (Medication Before Surgery)
  5. सर्जरी से पहले फास्टिंग खाली पेट रहना (Fasting Before Surgery)
  6. सर्जरी का दिन (Day Of Surgery)
  7. सामान्य सलाह (General Advice Before Surgery)
  8. प्रत्यारोपण के लिए डोनर ढूंढ़ना (Finding The Donor For The Transplant)
    प्रत्यारोपण 2 प्रकार के होते हैं: जीवित व्यक्ति का, आम तौर पर परिवार के सदस्य या अन्य किसी करीबी का जो गुर्दा डोनेट करने के लिए तैयार है और यदि आपके परिवार के सदस्य के रक्त और ऊतक आपके रक्त और ऊतकों से मैच हो जाते हैं तो, गुर्दा प्रत्यारोपित करना (Living Donor Kidney Transplant) और किसी मृत (हाल ही में) व्यक्ति का गुर्दा प्रत्यारोपित करना (Deceased Donor Kidney Transplant)।
    आपकी जांच के दौरान आपका ब्लड ग्रुप और मानव ल्यूकोसाइट एंटीजन (Human Leukocyte Antigen, HLA) जांचा जाता है। अगर आपका HLA टाइप और डोनर का HLA टाइप मैच कर जाता है तो शरीर द्वारा गुर्दे की अस्वीकृति की सम्भावना बहुत कम हो जाती है। संभावित डोनर मिलने पर एक और टेस्ट किया जाता है कि आपके एंटीबॉडीज (Antibodies) डोनर के अंग पर हमला न करें। ऐसा बहुत ही छोटी मात्रा में आपके रक्त को डोनर के रक्त के साथ मिलाकर जांचा जाता है। अगर आपके रक्त में डोनर के रक्त के प्रभाव में एंटीबॉडीज बनते हैं तो प्रत्यारोपण नहीं किया जा सकता। और अगर इस जांच और अन्य सभी जांचों के परिणाम अनुकूल हैं तो प्रत्यारोपण की योजना बनाई जाती है।
    मृतक डोनर (Deceased Donor) की प्रतीक्षा के दौरान, जब तक एक उपयुक्त गुर्दा/ गुर्दे उपलब्ध नहीं हो जाते तब तक रोगी प्रत्यारोपण टीम के साथ फॉलो-अप करता रहता है। यदि रोगी की स्थिति में बिगड़ने के लक्षण दिखाई देते हैं, तो सामान्य रूप से परिवार को गुर्दा डोनेट करने पर विचार करने को कहा जाता है।
  9. प्रक्रिया से पहले डायलिसिस (Dialysis Before The Procedure)
    अगर आप सर्जरी से पहले से नियमित डायलिसिस पर हैं तो आपको सर्जरी की प्रक्रिया से पहले भी डायलिसिस दिया जाएगा। 

इन सभी के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लिंक पर जाएँ - सर्जरी से पहले की तैयारी

अगर आप किसी शवदायी डोनर (Cadaver Donor) द्वारा गुर्दे प्रत्यापित किये जाने का इंतज़ार कर रहे हैं जिसके ऊतकों का प्रकार आपसे मैच कर जाये तो ऐसे में आपको जैसे ही अस्पताल से डोनर के मिलने की खबर मिले उस ही वक़्त तुरंत अस्पताल पहुंचना होगा। उसके बाद जैसे जीवित डोनर की जांच के दौरान एंटीबॉडीज टेस्ट्स किये जाते हैं वैसे ही इसमें भी किये जायेंगे। परिणाम उचित होने पर सर्जरी शुरू की जा सकती है।

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जैसे ही एनेस्थीसिया अपना प्रभाव दिखाना पूरी तरह शुरू करदे, सर्जन पेट में एक चीरा काटते हैं। फिर डोनर के गुर्दे/ गुर्दों को अंदर रखा जाता है। उसके बाद डॉक्टर आपकी धमनियों और नसों से डोनर के गुर्दे/ गुर्दों की धमनियां और नसें जोड़ते हैं। इससे नए गुर्दे में से रक्त का प्रवाह शुरू हो जाएगा। फिर नए गुर्दे की मूत्रनली को आपके मूत्राशय से जोड़ा जाएगा जिससे आप सामान्य रूप से मूत्रत्याग कर पाएंगे। मूत्रनली गुर्दे को मूत्राशय से जोड़ने वाली ट्यूब है। डॉक्टर आपके वास्तविक गुर्दों को शरीर में ही रहने देंगे जब तक कि वो उच्च रक्त चाप या संक्रमण जैसी परेशानियां न पैदा कर रहे हों। चीरे को सर्जिकल धागों की मदद से सिल दिया जायेगा।

अस्पताल में देखभाल (Hospital Care)

होश आने के बाद अस्पताल का स्टाफ आपका शारीरिक परीक्षण करेंगे। रक्तचाप, नब्ज और श्वास स्थिर हो जाने पर आपको ICU में शिफ्ट किया जायेगा ताकि आपकी स्थिति पर और ढंग से निगरानी की जा सके। कुछ समय बाद आपको अस्पताल के सामान्य कमरे में शिफ्ट कर दिया जायेगा। प्रत्यारोपण के बाद अगर आप बहुत अच्छा भी महसूस करते हैं (जैसा कि अक्सर लोग करते हैं), फिर भी आपको लगभग एक हफ्ते तक अस्पताल में ही रहना होगा। 

  1. नए गुर्दे तुरंत ही अपशिष्ट फ़िल्टर करना शुरू कर सकते हैं या इसमें कुछ हफ्ते भी लग सकते हैं। परिवार के सदस्यों द्वारा डोनेट किये गए गुर्दे अन्य डोनर्स के गुर्दे के मुकाबले जल्दी काम करना शुरू करते हैं।
  2. आपके मूत्राशय में एक कैथेटर (Cathetar) लगाया जाएगा जिससे मूत्रत्याग में आसानी होगी। मूत्र की मात्रा का आंकलन आपके नए गुर्दे की जांच करने के लिए किया जायेगा।
  3. जब तक कि आप स्वयं खा या पी नहीं पाएंगे तब तक आपको IV द्रव दिए जायेंगे। धीरे धीरे आपकी को डाइट तरल आहार से ठोस आहार में बदला जायेगा। 
  4. जब तक आप अस्पताल में हैं, डॉक्टर्स जांच करते रहेंगे कि किसी भी प्रकार की जटिलता न हो। नए गुर्दे और शरीर के अन्य अंगों की स्थिति की जांच करने के लिए आपके रक्त परीक्षण किये जायेंगे। 
  5. आमतौर पर आप प्रक्रिया के अगले दिन से चलना शुरू कर देंगे। आपको हलकी मूवमेंट करते रहना चाहिए। 
  6. घाव की जगह पर दर्द महसूस हो सकता है। इसके लिए डॉक्टर आपको दर्द निवारक (Pain Killer) देंगे।

अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले डॉक्टर आपको अच्छे से समझायेंगे कि कौन सी दवा कब लेनी है। आपको डॉक्टर द्वारा निर्धारित हर निर्देश का पालन करना होगा।

घर में रिकवरी (Recovery At Home)

  1. घर पहुँचने के बाद, आपको डॉक्टर के साथ नियमित चेक-अप करवाने होंगे जिससे डॉक्टर यह जांच कर पाए कि नया गुर्दा सही से कार्य कर रहा है या नहीं। 
  2. घाव को साफ़ और सूखा रखा जाना ज़रूरी है। घाव को गीला करने से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। जब डॉक्टर ने कहा हो तब टाँके खुलवाने अवश्य जाएँ। 
  3. कोशिश करें कि आपको ऐसी जगहों पर न जाना पड़े जहाँ कोई बीमार हो क्योंकि प्रत्यारोपण के बाद दवाओं द्वारा आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बाधित कर दिया जाता है जिससे नए गुर्दे के अग्रहण (Rejection) को रोका जा सके। ये सावधानी आपको आजीवन बरतनी होगी।
  4. बुखार; चीरे की जगह पर सूजन, लाल होना या रक्तस्त्राव; चीरे के स्थान पर दर्द बढ़ जाने जैसे संक्रमण या अग्रहण के लक्षण पाए जाने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करें। (और पढ़ें – बुखार का घरेलू इलाज)

दवाएं (Medication)

आपको दवाओं कड़े शिड्यूल का आजीवन पालन करना होगा। आपको प्रतिरक्षा दमनकारी दवाएं (Immunosuppressant Drugs; रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करके या प्रतिरक्षा प्रणाली की कार्यवाही को बाधित करके काम करने वाली दवाएं) दी जाएँगी जिससे नए गुर्दे के अग्रहण को रोका जा सके। संक्रमण से बचने के लिए भी अन्य दवाएं निर्धारित की जाएँगी। दर्द से बचने के लिए डॉक्टर दर्द निवारक दवाएं भी निर्धारित कर सकते हैं।

अग्रहण को रोकने के लिए (To Prevent Rejection)

जैसा की उपर्लिखित है, आपके शरीर में नए गुर्दे के अग्रहण को रोकने के लिए आपको आजीवन दवाओं का सेवन करना होगा। हर व्यक्ति की इन दवाओं के प्रति अलग प्रतिक्रिया हो सकती है।

नयी अग्रहण रोधी दवाएं विकसित और अनुमोदित की जा रहीं हैं। आपके शरीर की ज़रूरतों के हिसाब से आपके लिए दवाएं निर्धारित की जाएँगी। 

आम तौर पर शुरुआत में कई सारी अग्रहण रोधी दवाएं दी जाती हैं। इन दवाओं की खुराक को आपके द्वारा होने वाले प्रभाव के अनुसार बदलते रहते हैं। क्योंकि अग्रहण रोधी दवाएं प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करती हैं जिससे आपके शरीर में संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है इसलिए संक्रमण रोधी दवाएं भी दी जाती हैं। अग्रहण रोकने और संक्रमण के प्रति अतिसंवेदनशील होने में संतुलन बनाये रखना अत्यंत आवश्यक है। 

आपको थ्रश (Thrush; मुँह में खमीर संक्रमण), दाद या श्वसन वायरस (Respiratory Virus) जैसे संक्रमण का जोखिम ज़्यादा होता है। कुछ महीनों तक कोशिश करें कि आप भीड़ में न जाएँ या ऐसे किसी ऐसे व्यक्ति के पास न जाएँ जिसे संक्रमण हो। 

बुखार और गुर्दे के ऊपर की त्वचा पर संवेदनशीलता अग्रहण के सबसे आम लक्षण हैं। रक्त में क्रिएटिनिन दर (Blood Creatinine Level) का बढ़ना (गुर्दे की कार्यवाही की जांच के लिए रक्त परीक्षण) और/ या रक्त चाप का बढ़ना भी अग्रहण की वजह से हो सकता है। अग्रहण के लक्षण भी अन्य सामान्य मेडिकल परेशानियों जैसे ही लगते हैं। कोई भी परेशानी होने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

आपको पहले कुछ महीनों तक डॉक्टर से नियमित रूप से मिलते रहना होगा। पूरी तरह रिकवर होने में छह महीने लग सकते हैं।

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गुर्दे का प्रत्यारोपण एक बड़ी सर्जरी है। इसलिए इसमें जोखिम भी होते हैं:

  1. एनेस्थीसिया के प्रति एलर्जिक प्रतिक्रिया
  2. रक्तस्त्राव
  3. रक्त के थक्कों का गठन
  4. मूत्रनली में स्त्राव
  5. मूत्रनली में ब्लॉकेज
  6. संक्रमण
  7. डोनेट किये हुए गुर्दे का शरीर द्वारा अग्रहण
  8. डोनेट किये हुए गुर्दे का फेलियर
  9. दिल का दौरा (और पढ़ें – दिल का दौरा के लक्षण)
  10. स्ट्रोक (Stroke) (और पढ़ें - स्ट्रोक का इलाज)
  11. दवाओं के दुष्प्रभाव जैसे वज़न बढ़ना, हड्डियों का कमज़ोर होना, बालों के विकास का बढ़ जाना, मुँहासे (Acne) आदि।

कोई भी जटिलता या दुष्प्रभाव होने पर अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।

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