तकनीक से जुड़ी आज की दुनिया में हर दिन नई खोज की जा रही है। वैज्ञानिक हर पल किसी न किसी बीमारी और समस्या का समाधान निकालने में लगे हैं। इसी को आगे बढ़ाते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी आईआईटी हैदराबाद के शोधकर्ताओं ने एक लो पॉवर डिवाइस विकसित की है, जो इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम यानी ईसीजी (ECG) को मॉनिटर करेगी। इससे डॉक्टर और मरीज को रियल टाइम हृदय रोग के जोखिम का पता लगाने और उसे अलर्ट रहने में मदद मिल सकेगी।

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तेजी से बढ़ रही हार्ट मरीजों की संख्या
डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक हृदय रोग पब्लिक हेल्थ से जुड़ी सबसे गंभीर बीमारियों में शीर्ष स्थान पर हैं और इंसानों में मौत के कारणों की सबसे बड़ी वजह हार्ट डिजीज ही हैं। क्योंकि इन दिनों लोगों का रहन-सहन बहुत तेजी के साथ बदला है, जो बीमारियों को बढ़ावा देने में सहयोग करता है। जैसे-  

  • खान-पान से जुड़ी बुरी आदतें
  • तंबाकू का इस्तेमाल
  • सब्जियों और फलों का कम सेवन
  • शारीरिक गतिविधियों में कम शामिल होना
  • ज्यादा तनाव या स्ट्रेस लेना

इन आदतों की वजह से ही हृदय रोग का जोखिम अधिक हो सकता है। ईसीजी को मॉनिटर करने वाली इस डिवाइस के अस्तित्व में आने से हृदय संबंधी बीमारियों की रोकथाम में मदद मिल सकेगी।

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क्या है ईसीजी?
ईसीजी (ECG)  एक प्रकार का टेस्ट है, जो हृदय रोग से जुड़ी बीमारी को जांचने के लिए किया जाता है। ईसीजी मशीन टेस्ट के दौरान दिल की इलेक्ट्रिक गतिविधियों को स्कैन कर दर्ज करती है। दरअसल दिल की हर धड़कन एक विद्युत आवेग (इलेक्ट्रिकल सिग्नल) की वजह से होती है। इस सिग्नल से दिल की मांसपेशियां सिकुड़ या संकुचित हो जाती हैं और हृदय से रक्त प्रवाहित करती हैं।

ईसीजी क्यों कराया जाता है?
ईसीजी आपके दिल की मौजूदा स्थिति और उसकी धड़कन को जांचने के लिए किया जाता है। ईसीजी, इलेक्ट्रिकल गतिविधि की एक तस्वीर को रिकॉर्ड करता है, लेकिन ये केवल उस वक़्त ही हो सकता है जब आपको मॉनिटर किया जा रहा हो। हालांकि, हृदय से संबंधित कुछ समस्याएं आती-जाती रहती हैं। इन मामलों में आपको अधिक देखभाल की आवश्यकता हो सकती है।

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ईसीजी की जरूरत क्यों होती है?
हृदय संबंधी बीमारियों की जांच के लिए सबसे शुरुआत में ईसीजी टेस्ट की जरूरत होती है। इसमें दिल की धड़कनों से जुड़ी तरंगों से बीमारी का पता किया जाता है। इसके अलावा  ECG से आपके डॉक्टर को यह पता चलेगा कि -

  • विद्युत आवेग (इलेक्ट्रिकल सिग्नल) सामान्य, तेज, धीमा या अनियमित है।
  • हृदय सामान्य से बड़ा है या इसे सामान्य से अधिक काम तो नहीं करना पड़ रहा।
  • हृदय की मांसपेशी को दिल के दौरे से नुकसान पंहुचा है या नहीं।

ईसीजी के परिणाम का क्या मतलब होता है?
इस टेस्ट के आधार पर डॉक्टर इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि आपको हृदय संबंधी कोई बीमारी है या नहीं। अगर हृदय संबंधी किसी बीमारी की पहचान ईसीजी के जरिए पाई जाती है, तो टेस्ट के आधार पर डॉक्टर आपका इलाज शुरू करते हैं। अगर आपका ईसीजी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षण दिखाता है तो आपके डॉक्टर तुरंत आपका इलाज शुरू करेंगे।

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डॉक्टर की क्या है राय?
myUpchar से जुड़ी डॉक्टर जैसमीन कौर के मुताबिक इस डिवाइस के आने से कई फायदे हो सकते हैं, क्योंकि ये एक लो कॉस्ट (सस्ती) डिवाइस हो सकती है। इसलिए इसे रखना आसान होगा। इसके अलावा ये डिवाइस एक प्रकार से स्मार्टफोन की तरह की होगी, जो कई प्रकार के ईसीजी के बदलावों के बारे में बताएगी।

कुल मिलाकर इस डिवाइस के आने से हृदय संबंधी बीमारियों की जांच करना थोड़ा और आसान हो जाएगा, क्योंकि इस डिवाइस को आम व्यक्ति भी अपने पास रख सकता है, जो कि उन्हें हृदय से संबंधित किसी भी बीमारी को लेकर पहले ही अलर्ट करेगा। इस लिहाज से हृदय के जोखिम को समय रहते कम किया जा सकता है।

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