ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन (एचएलए)-बी 27 टेस्ट क्या है? 

एचएलए एक प्रकार का प्रोटीन है जो कि सभी न्यूक्लियस युक्त कोशिकाओं में पाया जाता है पर सबसे अधिक सफेद रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है। इस एंटीजन के अब 27 से अधिक प्रकार मिल चुके हैं। एलएचए प्रोटीन की मदद से प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर की कोशिकाओं और बाहरी एंटीजन वाली कोशिकाओं के बीच में अंतर पता कर पाती है, जिसमें शरीर की कोशिकाओं को “सेल्फ” और एंटीजन वाली कोशिकाओं को “नोन-सेल्फ” कोशिकाएं कहा जाता है। इन एंटीजन की उपस्थिति या अनुपस्थिति हर व्यक्ति के लिए एक विशेष एचएलए पैटर्न बनाने में मदद करती है। यह कुछ विशेष ऑटोइम्यून डिजीज की मौजूदगी और गैर-मौजूदगी का पता लगाने में भी मदद करते हैं। एचएलए-बी 27 टेस्ट कोशिकाओं में एक विशेष प्रोटीन नंबर 27 की जांच करने के लिए किया जाता है। नई जेनेटिक टेस्टिंग तकनीक की मदद से अब एचएलए-बी 27 को और कई उप प्रकारों (सब-टाइप) में वर्गीकृत कर दिया गया है आज तक इसके 105 उप-प्रकारों का पता लगाया जा चुका है। आजतक ऐसे किसी मामले के बारे में पता नहीं चल पाया है, जिनमें इन उप प्रकारों से कोई ऑटोइम्यून डिजीज (स्व-प्रतिरक्षित रोग) हुआ हो।

  1. एचएलए-बी 27 टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of HLA B27 test in Hindi
  2. एचएलए-बी 27 टेस्ट से पहले - Before HLA B27 test in Hindi
  3. एचएलए-बी 27 टेस्ट के दौरान - During HLA B27 test in Hindi
  4. एचएलए-बी 27 टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - What does HLA B27 test result mean in Hindi?

एचएलए-बी 27 टेस्ट क्यों किया जाता है?

एचएलए प्रोटीन की उपस्थिति हमेशा किसी बीमारी की तरफ संकेत नहीं करती। एचएलए-बी27 टेस्ट एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस का पता लगाने के लिए किया जाता है। एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के 90 प्रतिशत से अधिक मरीजों में यह एंटीजन पाया जाता है। हालांकि, ये 5-7% तक उन लोगों में भी पाया जा सकता है जिन्हें कोई ऑटोइम्यून डिजीज नहीं है। यह रूमेटाइड अर्थराइटिस, ग्रेव्स डिजीज और रिटर्स सिंड्रोम का पता लगाने में भी सहायक है। इस टेस्ट की सलाह डॉक्टर द्वारा एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस की शुरुआती अवस्था में दी जाती है जब बीमारी अधिक विकसित नहीं हुई होती और केशरुका से सम्बंधित कोई बदलाव एक्स-रे में दिखाई नहीं देते।

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एचएलए-बी 27 टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती। टेस्ट से पहले मरीज को टेस्ट की प्रक्रिया के बारे में सभी जानकारी दे दी जाती है।

 

एचएलए-बी 27 टेस्ट कैसे किया जाता है?

बांह की नस में सुई लगाकर सात मिलीलीटर खून का सैंपल ले लिया जाता है। सैंपल को एक ट्यूब में रखा जाता है जिसमें हेपरिन होता है जो कि खून के थक्के जमने से रोकता है। इसके अलावा ट्यूब में अन्य एंटी-क्लॉटिंग पदार्थ का प्रयोग भी किया जा सकता है। डॉक्टर टेस्ट के दौरान विशेष दस्ताने पहनते हैं। सुई के पंक्चर की जगह पर हल्का सा दबाव देकर पट्टी लगा दी जाती है। ट्यूब पर लेबल लगाकर आगे के परीक्षण के लिए लैब में भेज दिया जाता है। इसके बाद डॉक्टर को रिजल्ट दिखाया जाता है। एचएलए-बी27 टेस्ट एक विशेष टेस्ट है जो कि हर लैब में नहीं किया जाता। ब्लड सैंपल दूसरी लैब में भेजा जा सकता है और परिणामों को आने में कुछ दिनों का समय लग सकता है।

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एचएलए-बी 27 टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

 एचएलए-बी 27 की उपस्थिति कुछ बीमारियों के होने संकेत दे सकती है, जैसे:

  • एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस: इस रोग में जोड़ों, स्पाइन, गर्दन और छाती में सूजन आ जाती है और धीरे-धीरे अकड़न भी होने लगती है।
  • रूमेटाइड आर्थराइटिस: एक बीमारी जिसमें जोड़ों की ऊपर की परत प्रभावित होती है जिससे सूजन व दर्द होता है। 
  • ग्रेव्स डिजीज: एक बीमारी जिसमें थायराइड ग्रंथि अत्यधिक सक्रिय हो जाती है। 
  • सोरायाटिक आर्थराइटिस: सोरायसिस की वजह से होने वाले आर्थराइटिस को सोरायाटिक गठिया कहा जाता है।
  • क्रोहन डिजीज: एक बीमारी जिसमें छोटी आंत में सूजन आ जाती है और किडनी भी क्षतिग्रस्त हो सकती है 
  • अल्सरेटिव कोलाइटिस: बड़ी आंत में सूजन और छाले होने की स्थिति को अल्सरेटिव कोलाइटिस कहा जाता है।
  • रिएक्टिव आर्थराइटिस: आंखों, जोड़ों, यूरेथ्रा और दूसरे त्वचा के भागों में सूजन 
  • यूवेइटिस (Uveitis): इस रोग में आंखों की संरचना में सूजन, जलन व लालिमा हो जाती है।
  • सैक्रोइलिइटिस: सेक्रम व कूल्हे की हड्डियों में सूजन, लालिमा व अकड़न आदि होना।

यह टेस्ट ऑर्गन ट्रांसप्लांट के दौरान टिश्यू मैचिंग के लिए भी किया जाता है। यह कोई विशेष परीक्षण टेस्ट नहीं है, यह सिर्फ स्थिति का पता लगाने में मदद करता है, इसलिए इसे “रूलिंग आउट” कहा जाता है।

यह परीक्षण टेस्ट नहीं है बल्कि बीमारियों की अलग से पहचान करने में मदद करता है। अन्य टेस्ट जैसे, सी-रिएक्टिव प्रोटीनएरिथ्रोसाइट सेडीमेंटेशन रेट, रूमेटाइड फैक्टर और एक्स रे टेस्ट भी मरीज के लक्षणों के अनुसार किए जाने चाहिए। 

यह रूटीन टेस्ट की तरह नहीं किया जाता। केवल जिन लोगों में ऑटोइम्यून डिजीज के लक्षण दिख रहे हैं, उनको ही यह टेस्ट करवाना चाहिए। यदि एचएलए-बी 27 का रिजल्ट पॉजिटिव आने के साथ-साथ मरीज में किसी प्रकार के लक्षण नहीं दिख रहे हैं, तो यह किसी मेडिकल स्थिति का संकेत नहीं देते। यदि किसी व्यक्ति के परिवारजनों में एचएलए-बी27 है तो ऐसा जरूरी नहीं कि उस व्यक्ति को कोई ऑटोइम्यून डिजीज हो। 

संदर्भ

  1. Fischbach FT. Manual of Laboratory and Diagnostic Tests 7th Edition Philadelphia: Lippincott Williams & Wilkins Publishers, July 2003
  2. Denise D. Wilson.Manual of Laboratory and Diagnostic Tests New York: McGraw-Hill Education, 2008
  3. Vikram Haridas et al. Human leukocyte Antigen-B*27 allele subtype prevalence and disease association of ankylosing spondylitis among south indian population Indian Journal of Rheumatology, 2018, Volume 13, Issue 1, Page : 38-43
  4. American College of Rheumatology. [Internet] Atlanta, Georgia, United States Psoriatic Arthritis
  5. American College of Rheumatology. [Internet] Atlanta, Georgia, United States Ankylosing spondylitis
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