इसमें कोई शक नहीं कि हम क्या खाते हैं इसका हमारे वजन, मेटाबॉलिज्म और स्वास्थ्य पर सीधा असर होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हम कब खाते हैं यानी किस समय पर खाते हैं इसका भी हमारे वजन और शरीर पर महत्वपूर्ण असर देखने को मिलता है। इस बारे में उत्तरी आयरलैंड के अलस्टर यूनिवर्सिटी स्थित न्यूट्रीशन इनोवेशन सेंटर फॉर फूड एंड हेल्थ (NICHE), बायोमेडिकल साइंसेज रिसर्च इंस्टिट्यूट और सेंटर फॉर एक्सरसाइज मेडिसिन, फिजिकल एक्टिविटी एंड हेल्थ स्पोर्ट्स एंड एक्सरसाइज साइंसेज रिसर्च इंस्टिट्यूट, के शोधकर्ताओं ने एक नया अध्ययन किया जिसमें यह देखा गया कि भोजन करने के समय का हमारे मेटाबॉलिज्म और वजन बढ़ने पर क्या प्रभाव होता है।

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इस स्टडी का शीर्षक दिया गया था, "हम किस समय खाते हैं, इसका हम क्या खाते हैं इस पर क्या कोई असर होता है?" ब्रिटेन के राष्ट्रीय आहार और पोषण सर्वेक्षण का एक माध्यमिक विश्लेषण है जिसे मोटापे पर यूरोपीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (ECOICO 2020) में एक पोस्टर के रूप में इस साल 1 से 4 सितंबर के बीच प्रस्तुत किया जाना है। 

जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ता है भूख में वृद्धि होती है
शोधकर्ताओं ने व्याख्या करते हुए बताया कि हाल के दिनों में कई अध्ययनों से यह पता चला है कि खाने का समय, मेटाबॉलिज्म और अन्य शारीरिक प्रक्रियाओं में अहम भूमिका निभा सकता है। अनुसंधानकर्ता आगे लिखते हैं कि भूख की भावनाओं में अक्सर एक दैनिक ताल होती है और जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ता जाता है व्यक्ति के भूख में भी वृद्धि होती जाती है। यही कारण है कि यह शाम के समय किसी व्यक्ति द्वारा खाए गए भोजन की मात्रा को भी बढ़ा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि आहार की गुणवत्ता और आहार की मात्रा, दोनों गैर-संचारी बीमारियों की रोकथाम में भूमिका निभा सकते हैं। 

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शाम के समय ऊर्जा का अधिक अंतर्ग्रहण मोटापे को बढ़ाता है
इस बारे में कई अध्ययन हुए जिसमें यह दिखाया गया है कि शाम के समय किए गए आहार में भोजन की अधिक मात्रा या ऊर्जा का अधिक अंतर्ग्रहण (एनर्जी इनटेक ईआई) करने से मोटापे का खतरा बढ़ सकता है। इस अध्ययन का उद्देश्य शाम की ईआई और कुल ईआई के बीच क्या संबंध है और साथ ही साथ जिस आहार को फॉलो कर रहे हैं उससे भी इसका क्या संबंध है यह जानना। 

स्टडी को कैसे किया गया?
इस अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं की टीम ने 2012 से 2017 (5 से 7 साल) के बीच यूके के राष्ट्रीय आहार और पोषण सर्वेक्षण के डेटा का उपयोग किया। 1 हजार 177 वयस्क प्रतिभागियों के लिए, टीम ने ईआई डेटा इकट्ठा करने के लिए 4-दिवसीय भोजन डायरी का उपयोग किया। स्टडी में शामिल प्रतिभागियों की आयु 19 से 64 वर्ष के बीच थी। इसके अलावा कुछ अंडर रिपोर्टर यानी वैसे लोग जो सही आंकड़ा देने में असफल रहे (1349 प्रतिभागियों) को अंतिम विश्लेषण से हटा दिया गया था।

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भोजन के समय का मेटाबॉलिज्म पर असर
सर्वेक्षण में शामिल प्रतिभागियों से मिले आंकड़ों के आधार पर शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया कि शाम 6 बजे के बाद ऊर्जा की औसत खपत कुल एनर्जी इनटेक (ईआई 39.8 प्रतिशत) का लगभग 40 प्रतिशत थी। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि भोजन के सेवन का समय मेटाबॉलिज्म (चयापचय) में अहम भूमिका निभा सकता है। इस बारे में शोधकर्ताओं ने कहा कि और अधिक विश्लेषण करने की जरूरत है यह देखने के लिए कि क्या दिन के समय ईआई वितरण और शाम को खाए जाने वाला खाद्य पदार्थ शरीर की संरचना और कार्डियोमेटाबोलिक स्वास्थ्य के उपायों से जुड़े हो सकते हैं।

टीम ने अपनी इस स्टडी के बारे में लिखा, "भविष्य के अनुसंधान को ऐसी प्रक्रिया या तंत्र का पता लगाना चाहिए जो ईआई की टाइमिंग का आहार की गुणवत्ता और समग्र ऊर्जा अन्तर्ग्रहण पर क्या असर होता है इसमें शामिल हो, खासकर इसमें भूख और तृप्ति की भावनाओं की क्या भूमिका है, यह भी देखा जाए।" उन्होंने बताया कि यह एक परिवर्तनीय व्यवहार हो सकता है जो पोषण संबंधी हस्तक्षेप का हिस्सा हो सकता है। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला, "शाम को ईआई के अधिक से अधिक अनुपात का सेवन कम आहार गुणवत्ता स्कोर के साथ जुड़ा हो सकता है।" उन्होंने कहा कि ये निष्कर्ष "शरीर की संरचना और कार्डियोमेटाबोलिक स्वास्थ्य के उपायों" में एक भूमिका निभा सकते हैं।

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दो भोजन के बीच उपवास की अवधि की भूमिका
इससे पहले साल 2019 में हुई एक स्टडी- "इंसान की सेहत पर खाने की फ्रीक्वेंसी और समय का प्रभाव: उपवास की भूमिका" में कहा गया है कि महामारी विज्ञान के प्रमाण उच्च भोजन आवृत्तियों और कम बीमारी के जोखिम के बीच संबंध को इंगित करते हैं,लेकिन प्रयोगात्मक परीक्षणों ने परस्पर विरोधी परिणाम दिखाए हैं। भोजन की आवृत्ति (मील फ्रीक्वेंसी) और भोजन के समय के अलावा हमें नाश्ते का सेवन, दैनिक ऊर्जा अधिग्रहण, कैलोरी प्रतिबंध और रात के भोजन के समय पर भी विचार करना होगा। इस जटिल परिदृश्य में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है कि दो भोजन के बीच उपवास की अवधि कितनी लंबी है।

डिनर में अधिक कैलोरी का सेवन करने वालों को मोटापे का खतरा अधिक
इसके अलावा सामान्यतया, जो लोग लगातार सुबह का नाश्ता करते हैं, उन्हें ब्रेकफास्ट छोड़ने वालों की तुलना में वजन बढ़ने का कम जोखिम होता है तो वहीं, दिन के भोजन लंच या रात के भोजन डिनर में अपना सबसे बड़ा भोजन खाने वालों का बीएमआई बढ़ने और मोटापे का अधिक खतरा होता है। जब अधिक वजन और मोटापे से ग्रस्त महिलाओं को तीन महीने के लिए वजन कम करने वाले आहार पर रखा गया तब जिन महिलाओं ने नाश्ते में अपनी अधिकांश कैलोरी का सेवन किया उनका वजन ढाई गुना अधिक तेजी से कम हुआ उन महिलाओं की तुलना में जिन्होंने हल्का नाश्ता किया और रात के खाने में अपनी ज़्यादातर कैलोरी का सेवन किया- भले ही इन दोनों ग्रुप की महिलाओं का दिनभर में कुल कैलोरी सेवन एक समान ही क्यों न हो।

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कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि आप क्या खाते हैं, इसके साथ-साथ आप किस समय खाते हैं इस पर ध्यान देना जरूरी है। 

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