हृदय हमारे शरीर का जरूरी अंग होता है. स्वस्थ रहने के लिए हृदय का सही तरीके से काम करना जरूरी होता है. हृदय सही तरीके से काम करे, उसके लिए रक्त संचार का सही होना जरूरी होता है. जब ऐसा नहीं होता है, तो दिल से जुड़ी बीमारियां होने का जोखिम बढ़ जाता है. शुरुआत में डॉक्टर इसे ठीक करने के लिए दवा लिख सकते हैं, लेकिन जब परेशानी बढ़ती है, तो स्टेंट लगवाने की सलाह दे सकते हैं.

आज इस लेख में आप स्टेंट के फायदों और जोखिम के बारे में जानेंगे -

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  1. स्टेंट क्या है?
  2. स्टेंट का प्रयोग कब किया जाता है?
  3. स्टेंट के फायदे
  4. स्टेंट के जोखिम
  5. इन बातों का ध्यान रखें
  6. सारांश
स्टेंट का प्रयोग, फायदे व जोखिम के डॉक्टर

स्टेंट एक छोटी-सी ट्यूब होती है. इसे धमनी या वाहिनी में डाला जाता है. इससे ब्लॉक हुई रक्त वाहिकाओं को खुला रखने में मदद मिल सकती है. स्टेंट ब्लड और अन्य लिक्विड के प्रवाह को आगे तक पहुंचाने में मदद करता है. स्टेंट कमजोर धमनियों का इलाज करने में मदद कर सकता है. इसके अलावा, मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं और पित्त को ले जाने वाली नलिकाओं को सहारा देने के लिए शरीर के अन्य हिस्सों में स्टेंट को डाला जा सकता है. 

अधिकतर स्टेंट मेंटल या प्लास्टिक से बने होते हैं. वहीं, कुछ स्टेंट खास प्रकार के फैब्रिक से बने होते हैं. इन्हें स्टेंट ग्राफ्ट कहा जाता है. इनका उपयोग बड़ी धमनियों के लिए किया जाता है. स्टेंट पर दवा भी लगाई जा सकती है. इससे अवरुद्ध धमनी को बंद होने से बचाने में मदद मिल सकती है.

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स्टेंट का इस्तेमाल मुख्य रूप से प्लाक के कारण बंद हुई रक्त वाहिकाओं को खोलने के लिए किया जाता है. प्लाक का निर्माण काेलेस्ट्रोल, फैट और रक्त में पाए जाने वाले अन्य तत्वों के मिलने से होता है. फिर जब ये प्लाक रक्तप्रवाह में एकत्रित हो जाता है, तो यह धमनियों की दीवारों से चिपक जाता है. समय के साथ-साथ ये प्लाक बढ़ता जाता है और आर्टरी को संकरा करता है, जिससे रक्त का प्रवाह बाधित होता है. ऐसे में स्टेंट का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा, निम्न स्थितियों में स्टेंट का प्रयोग किया जा सकता है -

  • मस्तिष्क या अन्य रक्त वाहिकाओं में एन्यूरिज्म को फटने से रोकने के लिए स्टेंट का उपयोगी किया जा सकता है.
  • जब फेफड़ों में मौजूद ब्रोंची के फटने का खतरा रहता है, तो भी स्टेंट लगाया जा सकता है.
  • मूत्रवाहिनी में भी स्टेंट का प्रयोग किया जाता है. मूत्रवाहिनी मूत्र को किडनी से मूत्राशय में ले जाती है.
  • पित्त नलिकाओं में स्टेंट का उपयोग किया जा सकता है. पित्त नलिकाएं अंगों और छोटी आंत के बीच पित्त ले जाती हैं.
  • सीने के दर्द व हार्ट अटैक के जोखिम को कम करने के लिए भी स्टेंट का प्रयोग किया जा सकता है.

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स्टेंट के लाभ निम्न प्रकार से हैं -

  • हृदय में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने के लिए स्टेंट लगवाना फायदेमंद हो सकता है. अगर स्टेंट लगाने के बाद सब कुछ ठीक रहता है, तो हृदय में ब्लड फ्लो सही रहता है. 
  • साथ ही सीने का दर्द भी कम होने में मदद मिल सकती है. 
  • स्टेंट कोरोनरी हृदय रोग का इलाज नहीं कर सकता है, लेकिन इसके जोखिम को कम जरूर कर सकता है.

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किसी भी सर्जिकल प्रक्रिया में जोखिम होता है. स्टेंट डालने के लिए हृदय या मस्तिष्क की धमनियों तक पहुंचने की जरूरत होती है. ऐसे में स्टेंट डालने के बाद कुछ जोखिम बढ़ सकते हैं. 

  • स्किन पर उस जगह से ब्लीडिंग हो सकती है, जहां स्टेंट डाला गया है.
  • स्टेंट रक्त वाहिका को नुकसान पहुंच सकता है.
  • स्टेंट से इन्फेक्शन का जोखिम बढ़ सकता है.
  • स्टेंट का उपयोग करने से दिल की धड़कने अनियमित हो सकती हैं.
  • स्टेंट ब्लड क्लॉट का कारण भी बन सकता है. 1 से 2 फीसदी लोगों में यह देखा जा सकता है.
  • यह हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है.
  • स्टेंट एलर्जी रिएक्शन का कारण भी बन सकता है.
  • सांस लेने में दिक्कत हो सकती है.
  • इसके अलावा, स्टेंट के उपयोग से किडनी को भी नुकसान पहुंच सकता है.
  • कुछ मामलों में स्टेंट के बाद रेस्टेनोसिस हो सकता है. रेस्टेनोसिस तब होता है, जब स्टेंट के आसपास बहुत अधिक ऊतक बढ़ जाते हैं. ये ऊतक धमनी को संकीर्ण या अवरुद्ध कर सकते हैं.
  • स्टेंट में मेटल के घटक होते हैं और कुछ लोगों को मेटल से एलर्जी हो सकती है. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति मेटल के प्रति संवेदनशील है, तो उसे स्टेंट नहीं लगवाना चाहिए. 

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स्टेंट लगाने के बाद डॉक्टर रक्त के थक्कों को रोकने के लिए एस्पिरिन लेने की सलाह दे सकते हैं. स्टेंट के बाद व्यक्ति को 1 महीने से लेकर 1 साल तक दवा लेने की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन कुछ उपाय स्टेंट के बाद होने वाले जोखिम को कम कर सकते हैं -

  • डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयों का सेवन जरूर करें.
  • हैवी एक्सरसाइज या भारी सामान उठाने से बचें.
  • धूम्रपान और तंबाकू खाना छोड़ दें.
  • तनाव कम लें और खुश रहने की कोशिश करें.

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डॉक्टर आमतौर पर धमनियों को चौड़ा करने के लिए स्टेंट लगवाने की सलाह दे सकते हैं. इसके अलावा, कोरोनरी हृदय रोग और अन्य स्थितियों के जोखिम को कम करने के लिए भी स्टेंट डाले जा सकते हैं, लेकिन स्टेंट लगाने के बाद व्यक्ति को संक्रमण, दर्द, सूजन और लालिमा जैसे साइड इफेक्ट नजर आ सकते हैं. ऐसे में स्टेंट लगवाने के बाद आपको अपनी जीवनशैली और डॉक्टर द्वारा बताए गए दिशा निर्देशों का पालन जरूर करना चाहिए.

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