आज हिंदुस्तान में आधे से ज़्यादा लोग वजन कम करना चाहते हैं और इसके के लिए अलग-अलग तरीके ढ़ूढ़ंते रहते हैं। हालांकि आज के दौर में वजन कम करने के लिए तरह-तरह के उत्पाद उपलब्ध है। लेकिन वजन कम करने के लिए आज कल व्हाइट टी बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा। व्हाइट टी वजन कम करने में मददगार साबित हो रहा है। एक्सरसाइज और संतुलित आहार के अलावा कई चीजे हैं जो आपके वजन कम करने के सफर को आसान बना सकती हैं। उनमें से व्हाइट टी एक है और ये बेहद लाभकारी है।

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इस बात का भी दावा किया जा रहा है कि व्हाइट टी, वजन कम करने में ग्रीन टी से ज्यादा सहायक है। हालांकि ग्रीन टी और व्हाइट टी दोनों एक ही चाय के पौधे से प्राप्त होते हैं। व्हाइट टी को प्राप्त करने के लिए चाय के पौधे की ताजी पत्तियों या कालियों को काट लिया जाता है, जबकि ग्रीन टी प्राप्त करने के लिए ठीक इसके विपरीत विधि को अपनाया जाता है। इसलिए इसे प्राप्त करने में कम समय लगता है और इसमें अधिक एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो वजन कम करने में बहुत लाभदायक है। तो आइए जानते हैं कि किस तरह से व्हाइट टी, वजन कम करने में ग्रीन टी से ज्यादा फायदेमंद है।

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व्हाइट टी क्या है -

व्हाइट टी को कैमलिया सीनेंसिस के पौधे से प्राप्त किया जाता है। इसे प्राप्त करने के लिए कैमलिया सीनेंसिस के पौधे की पत्तियों को पूरी तरह से बड़े होने के पहले ही काट लिया जाता है। जब इन्हे काटा जाता है, उस समय तक ये सफेदे रेशे से ढ़के होते हैं, जिसे व्हाइट टी कहते हैं। व्हाइट टी में किसी प्रकार के कैमिकल नहीं मिलाए जाते हैं और ये बहुत कम प्रक्रियों से गुज़र कर तैयार होता है। इसलिए व्हाइट चाय सबसे अच्छा माना जाता है। आइए जानते है कि किस प्रकार से ये वजन कम करने में मदद करता है।

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व्हाइट टी नई फैट कोशिकाओं के निर्माण को रोकती है -

जब हम बहुत अधिक भोजन करते हैं, तो जितनी हमारे शरीर को आवश्यकता होती है, उसे हमारा शरीर प्रयोग कर लेता है और बचे हुए अनुपयक्त भोजन फैट के रूप में संग्रहित कर लेता है, जिसे हम बाद में उर्जा के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। हमारे शरीर के द्वारा प्रेडिपोसाइट कोशिकाएं फैट में परिवर्तित हो जाते हैं और जब हम व्हाइट चाय पीते हैं, तो इससे फैट की नई कोशिकाएं नहीं बन पाती हैं। इस प्रकार व्हाइट टी फैट की नई कोशिकाओं के निर्माण को रोकता  है।

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कैलोरी को अवशोषित करने की क्षमता को कम करती है -

व्हाइट टी में उपस्थित पॉलीफेनोल कैलोरी के अवशोषण करने की क्षमता को कम करता है। इस बात का पता लगाने के लिए चूहों पर एक प्रयोग किया गया। इस अध्ययन में चूहों को अधिक फैट वाले फूड खिलाए गए और साथ में पॉलीफेनोल भी दिया गया। इसके बाद जांच की गयी, जिसमें देखा गया कि उनमे कैलोरी कोअवशोषित करने की क्षमता कम हो गयी है। इसके परिणाम स्वरूप उनके मल के साथ अधिक कैलोरी बाहर निकली।

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व्हाइट टी फैट को कम करती है -

उर्जा को रिलीज करने के लिए, हमारा शरीर या तो फैट को इस्तेमाल करता है या फैट का ऑक्सीकरण करता है। वसा ऑक्सीकरण का संबंध वजन बढ़ने से है। जिन लोगों में निम्न-वसा-ऑक्सीकरण होता है वे लोग मोटे होते हैं और जिन लोगों में उच्च-वसा-ऑक्सिीकरण होता है, वो लोग दुबले होते हैं। व्हाइट टी में मौजूद कैफीन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को सक्रिय करके हमारे शरीर में वसा ऑक्सीकरण को उत्तेजित करते हैं। इस प्रकार व्हाइट टी फैट को कम करता है।

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व्हाइट टी पाचन शक्ति को बढ़ाती है -

जिस दर से आपका शरीर कैलोरी बर्न करती है, उसे मेटाबोलिज्म या पाचन शक्ति की दर कहते हैं। इस प्रकार जब आपका पाचन क्रिया मजबूत होती है, तब आपके शरीर की कैलोरी बर्न करने की गति भी अधिक होती है। लेकिन जब आप डाइटिंग करते हैं, तब आपके शरीर के मेटाबोलिज्म की गति धीमी हो जाती है, जिससे कैलोरी बर्न करने की गति भी कम हो जाती है। व्हाइट टी पाचन क्रिया की गति को बढ़ाती है, जिससे कैलोरी बर्न करने की गति भी बढ़ जाती है। इस तरह ये पाचन शक्ति बढ़ाने का उपाय है। 

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व्हाइट टी और ग्रीन टी में तुलना -

हालांकि ग्रीन टी और व्हाइट टी दोनों ही कैमलिया सीनेंसिस चाय के पौधे से प्राप्त होते हैं, बस फर्क इतना है कि व्हाइट टी को प्राप्त करने के लिए चाय के पौधे की ताजी पत्तियों या कलियों को काट लिया जाता है, जबकि ग्रीन टी बनाने के लिए पत्तियों को पूरे तरीके से बड़े होने पर काटा जाता है। ग्रीन टी की तुलना में व्हाइट टी महंगी होती है। व्हाइट टी प्राप्त करने के लिए वसंत ऋतु आने के पहले चाय की पत्तियों को तोड़ा जाता है और इन्हें अतिरिक्त देख-भाल की ज़रूरत होती है।

व्हाइट टी की तुलना में ग्रीन टी ज़्यादा प्रोसेस्ड है, यानि कम नेचुरल है। इसलिए व्हाइट टी में एक ही तरह के एंटीऑक्सिडेंट अधिक मात्रा में होते हैं, जबकि ग्रीन टी में कम। व्हाइट टी में कम कैफीन और अधिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो व्हाइट टी को ग्रीन टी से बहेतर बनाते हैं। लेकिन अध्ययन के अनुसार, लोग व्हाइट टी की तुलना में ग्रीन टी को अधिक इस्तेमाल करते हैं क्योंकि ये कम दाम में और बाजार में आसानी से मिल जाती है।

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