आयुर्वेद में कई तरह की थेरेपी उपलब्ध हैं. इन्हीं थेरेपी में से एक है, जानू बस्ती. यह थेरेपी जोड़ों में दर्द खासतौर से घुटने में होने वाले दर्द की परेशानी को ठीक करने में प्रभावी होती है. घुटनों में दर्द के उपचार के लिए विभिन्न तरह की दवाइयां, थेरेपीज, सर्जरी का विकल्प मौजूद हैं, लेकिन इस समस्या को दूर करने के लिए जानू बस्ती को सबसे प्रभावी और प्राकृतिक उपाय माना जाता है. जानु बस्ती थेरेपी में विषगर्भ, बला व नारायण जैसी औषधियों से युक्त गर्म तेलों का इस्तेमाल किया जाता है, जो घुटनों के जाेड़ाें में होने वाले दर्द से राहत दिलाने में असरदार हो सकता है.
आज आप इस लेख में जानू बस्ती थेरेपी का अर्थ, प्रक्रिया, फायदे, नुकसान व सावधानियों के बारे में विस्तार से जानेंगे -
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- जानू बस्ती थेरेपी क्या है?
- जानू बस्ती की प्रक्रिया
- जानू बस्ती थेरेपी के फायदे
- जानू बस्ती के नुकसान
- जानू बस्ती में सावधानियां
- सारांश
जानू बस्ती थेरेपी क्या है?
जानू बस्ती एक विशेष आयुर्वेदिक थेरेपी है, जिसके उपयोग से घुटनों के जोड़ों में दर्द की समस्या को दूर किया जा सकता है. 'जानू' का अर्थ घुटनों के जोड़ होता है, जबकि 'बस्ती' शब्द का अर्थ है पकड़ना. इस प्रकार जानू बस्ती का शाब्दिक अर्थ हुआ घुटनों के जोड़ों में दर्द को पकड़े रहना.
जानू बस्ती आयुर्वेदिक थेरेपी में नारायण, विषगर्भ व बला जैसी औषधियों से तैयार गर्म तेल का इस्तेमाल किया जाता है. औषधीय गुणों से भरपूर तेल का इस्तेमाल करने से घुटनों के जोड़ में होने वाले दर्द से काफी हद तक राहत मिलती है.
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जानू बस्ती की प्रक्रिया
जानू बस्ती के लिए निम्न प्रकार की प्रक्रिया का पालन किया जाता है -
- सबसे पहले रोगी को थेरेपी टेबल पर पीठ के बल लेटाया जाता है.
- इसके बाद बेसन को पर्याप्त मात्रा में पानी के साथ गूंथ लिया जाता है और इस बेसन को रिंग का आकार देकर एक सांचा तैयार कर दिया जाता है.
- अब बेसन से तैयार इस रिंगनुमा सांचे को घुटनों के आसपास के हिस्से पर रखा जाता है. बेसन के इस रिंग के अंदर एक कटोरीनुमा हिस्सा होता है, जिसमें नारायण, विषगर्भ, बला जैसी औषधियों से युक्त गर्म तेल को धीरे-धीरे डाला जाता है.
- तेल के गर्म रहने तक इसे कटोरीनुमा हिस्से में भरे रहने दिया जाता है. जब रिंग में मौजूद तेल ठंडा हो जाता है, तो फिर इस तेल को बदलकर गर्म तेल डाल दिया जाता है.
- यह पूरी प्रक्रिया 20-45 मिनट तक की जाती है. आमतौर पर 1 से 3 सेशन में इस थेरेपी की प्रक्रिया पूरी हो जाती है, लेकिन जरूरत पढ़ने पर चिकित्सक 5 से 7 सेशन करवाने की भी सलाह दे सकते हैं.
- आयुर्वेद में वात दोष के कारण जोड़ों में दर्द पैदा होता है. जानू बस्ती में गर्म औषधीय तेल को घुटनों पर स्थिर रखा जाता है, जिससे यह घुटनों के उत्तकों की गहराई तक पहुंच पाता है और वात दोष को शांत कर पाता है. इससे घुटनों के जोड़ में चिकनाहट आती है, ऊतकों में नई जान आती है और ऊतकों को पहुंचे नुकसान भी ठीक होते हैं.
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जानू बस्ती थेरेपी के फायदे
घुटनों के जोड़ में दर्द को दूर करने लिए जानू बस्ती आयुर्वेदिक थेरेपी काफी फायदेमंद है. इसके अलावा, यह थेरेपी कई अन्य समस्याओं, जैसे - जोड़ों में अकड़न व सूजन इत्यादि को दूर करने में प्रभावी हो सकती है. आइए, जानते हैं जानू बस्ती थेरेपी के कुछ अन्य फायदों के बारे में -
- जानू बस्ती थेरेपी घुटनों के जोड़ों में अकड़ को दूर करती है.
- इस थेरेपी को लेने से ऑस्टियोअर्थराइटिस, सूजन और आयु संबंधी विकारों को दूर करने में काफी लाभ मिलता है.
- आयुर्वेद की यह थेरेपी जोड़ों को मजबूती और ऊर्जा प्रदान करने में असरदार हो सकती है.
- भार सहने की क्षमता को बढ़ावा देने में यह थेरेपी मददगार साबित हो सकती है.
- यह घुटनों को गतिशीलता प्रदान करने में मददगार है.
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जानू बस्ती के नुकसान
जानू बस्ती एक सुरक्षित और प्रभावी आयुर्वेदिक थेरेपी है, जिससे घुटनों के जोड़ों की समस्या को दूर किया जा सकता है. आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल होने से इस थेरेपी से नुकसान होने की आशंका कम होती है. फिर भी कुछ अपवाद मामलों में इसके कुछ आंशिक नुकसान, जैसे- स्किन में जलन व घाव हो सकते हैं. आइए जानते हैं कुछ अन्य नुकसान -
- इस थेरेपी को लेने से कुछ लोगों के घुटनों की त्वचा में जलन महसूस हो सकती है. हालांकि, यह नुकसान सभी व्यक्तियों को नहीं होता है. कुछ संवेदनशील स्किन वालों को इस तरह की परेशानी हो सकती है.
- अधिक गर्म तेल का इस्तेमाल करने से घुटने की पुरानी चोट में इस थेरेपी की वजह से घाव हो सकता है.
- जानू बस्ती को ठीक से न करने के कारण इससे घुटनों में सूजन की भी परेशानी हो सकती है.
- इसके अत्यधिक उपयोग से घुटनों की गतिशीलता प्रभावित हो सकती है.
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जानू बस्ती में सावधानियां
जानू बस्ती थेरेपी लेने वालों को कुछ विशेष सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है, ताकि व्यक्ति को किसी भी तरह का शारीरिक नुकसान न पहुंचे. ये सावधानियां कुछ इस प्रकार हैं -
- जानू बस्ती थेरेपी कराने के तुरंत बाद स्नान न करें.
- थेरेपी लेने के बाद एसी में बैठने से बचें.
- थेरेपी करवाने के बाद शराब और धूम्रपान के सेवन से बचें. ऐसा करने से थेरेपी का असर कम हो सकता है.
- थेरेपी लेने के साथ-साथ रोजाना वॉकिंग, योग और हल्की-फुल्की एक्सरसाइज जैसी गतिविधियां जरूर करें.
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सारांश
घुटनों के जोड़ों में दर्द की समस्या दूर करने के लिए जानू बस्ती आयुर्वेदिक थेरेपी एक प्राकृतिक और सुरक्षित उपचार विकल्प हो सकता है. इस आयुर्वेदिक थेरेपी में नारायण व बला जैसी औषधियों से युक्त गर्म तेल को बेसन के आटे से बने रिंग आकार के सांचे में डालकर घुटनों के जोड़ वाले प्रभावित हिस्से पर लगाया जाता है. इससे घुटनों के दर्द व सूजन को दूर किया जा सकता है. साथ ही इस थेरेपी को लेने से शरीर को नई ऊर्जा और मजबूती मिलती है. बस ध्यान रखें कि यह थेरेपी हमेशा विशेषज्ञ की देखरेख में ही लेनी चाहिए. जानू बस्ती थेरेपी करवाने से पूर्व एक बार आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह जरूर लें, ताकि इससे होने वाले नुकसान से बचा जा सके.
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