आयुर्वेद का हमारे जीवन में खास महत्व है. शारीरिक समस्याओं को दूर करने के लिए आयुर्वेद में कई तरह की थेरेपी दी जाती है. उन्हीं थेरेपी में से एक है ‘धन्याम्ला धारा थेरेपी’. यह थेरेपी मुख्य रूप से वात दोष को दूर करने में असरदार होती है.
दरअसल, वात शरीर में गति से जुड़ी हर प्रक्रिया का कारण होता है. इसका मुख्य स्थान पेट और आंत में होता है. वात में जोड़ने वाले गुण होते हैं, जो अन्य दोषों के साथ मिलकर उनके गुणों को धारण कर लेता है. वात के कारण ही पाचक अग्नि बढ़ती है और सभी इन्द्रियों में सक्रियता बनी रहती है.
वात दोष के कारण गैस, पीठ दर्द, गठिया, साइटिका, लकवा और नसों में दर्द जैसे स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. वात दोष रोगों की उत्पत्ति मुख्य रूप से बड़ी आंत में होती है. आयुर्वेद में वात दोष को दूर करने के लिए धन्याम्ला धारा थेरेपी को सबसे असरदार माना गया है.
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आज हम इस लेख में धन्याम्ला धारा का अर्थ, प्रक्रिया, लाभ, सावधानियां व कीमत के बारे में जानेंगे-
- क्या है धन्यमलाधारा थेरेपी?
- धन्याम्ला धारा की प्रक्रिया
- धन्याम्ला धारा के फायदे
- धन्याम्ला धारा के नुकसान
- धन्याम्ला धारा में सावधानियां
- धन्याम्ला धारा की कीमत
- सारांश
क्या है धन्यमलाधारा थेरेपी?
धन्यमलाधारा एक विशेष आयुर्वेदिक थेरेपी है, जो विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों, जैसे- सूजन संबंधी बीमारियां और वात विकारों का इलाज करने में मददगार हो सकती हैं. इसका उपयोग गठिया व साइटिका जैसी बीमारियों के इलाज के लिए और दोषपूर्ण चयापचय का कारण बनने वाले विषाक्त उत्पादों को खत्म करने के लिए किया जाता है.
धन्यामलाधारा तीन शब्दों से मिलकर बना है. 'धन्या' यानी अनाज. 'अमला' जिसका अर्थ है किण्वित या खट्टा और 'धारा' का अर्थ है छिड़कना या स्नान करना. धन्याम्ला धारा थेरेपी को शरीर में वात दोषों को समाप्त करने और उनसे होने वाली बीमारियों के प्रभावी इलाज के लिए उपयोग किया जाता है.
धन्याम्ला धारा थेरेपी में उपयोग किया जाने वाले तरल पदार्थ को औषधीय जड़ी बूटियों और अनाज से तैयार किया जाता है. संपूर्ण धन्यामलाधारा की तैयारी और प्रक्रिया में एक निश्चित ऊंचाई, तापमान और लय को बनाए रखते हुए किण्वित तेल को शरीर पर डाला जाता है. इस थेरेपी की प्रक्रिया योग्य चिकित्सक द्वारा दी जाती है.
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धन्याम्ला धारा की प्रक्रिया
किसी भी व्यक्ति को धन्याम्ला धारा थेरेपी देने के लिए सबसे पहले एक निश्चित मात्रा में औषधीय युक्त गुनगुना तरल पदार्थ तैयार किया जाता है. फिर इसे शरीर के प्रभावित हिस्से पर एक लयबद्ध धारा में डाला जाता है. इस आयुर्वेदिक तरल पदार्थ के शरीर से स्पर्श होते ही असर दिखना शुरू हो जाता है.
धन्यामला किण्वित तरल औषधि में आवश्यक गुण जैसे- लघु, तीक्ष्ण, शीत स्पर्श और उष्णा गुण शामिल हैं. इन गुणों के कई औषधीय लाभ होते हैं. यह आयुर्वेदिक तरल एंटी-इंफ्लेमेटरी, एनाल्जेसिक व एंटीहिस्टामाइन जैसे गुणों से भरपूर होता है. यह पाचन प्रक्रिया को मजबूत बनाए रखने में आपकी मदद कर सकता है.
धन्याम्ला धारा थेरेपी के दौरान तापमान स्थिर रखा जाता है. इसके कारण शरीर में वासोडिलेटेशन होता है, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में रक्त प्रवाह में वृद्धि होती है. रक्त प्रवाह बेहतर होने से शरीर में आवश्यक पोषक तत्व और ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है. साथ ही यह विषाक्त पदार्थों को समाप्त करता है. इसके साथ ही धन्याम्ला धारा थेरेपी आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ने में मददगार हो सकती है.
इस थेरेपी को कनेक्टिव टिश्यू डिसऑर्डर रेट को सामान्य करने के लिए जाना जाता है. इसका मतलब यह है कि इस थेरेपी से रोग उन्मूलन प्रक्रिया नियंत्रित रहती है, जिससे आपको लंबे समय तक राहत मिल सकती है.
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धन्याम्ला धारा के फायदे
इस थेरेपी के मुख्य लाभ निम्न प्रकार से हैं-
- धन्याम्ला धारा थेरेपी ब्लड सर्कुलेशन में सुधार कर सकती है.
- यह शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद कर सकती है.
- इस थेरेपी से शरीर में दर्द व मांसपेशियों की ऐंठन से राहत मिल सकती है.
- धन्याम्ला धारा थेरेपी की जरिए त्वचा की रंगत में सुधार किया जा सकता है
- गठिया, साइटिका व लकवा जैसी समस्याओं के प्रभावी इलाज में भी इस थेरेपी को अपनाया जा सकता है.
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धन्याम्ला धारा के नुकसान
धन्याम्ला धारा थेरेपी पूरी तरह से प्राकृतिक और सुरक्षित आयुर्वेदिक थेरेपी मानी जाती है. इसके साइड इफेक्ट होने की आशंका कम होती है. हालांकि, अगर सही तरीके से थेरेपी न ली गई हो, तो इसकी वजह से पीठ में दर्द, जकड़न, थकावट जैसी परेशानी हो सकती है. वहीं, अगर आपको कोई गंभीर समस्या है, तो चिकित्सक को इस बारे में बताकर ही ये थेरेपी लें. हमेशा किसी अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक से अपनी जांच करवाएं और थेरेपी लें, ताकि इससे होने वाले नुकसानों से बचा जा सके.
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धन्याम्ला धारा में सावधानियां
धन्याम्ला धारा आयुर्वेर्दिक थेरेपी करवाने से पहले और बाद में आपको कुछ सावधानियों को बरतने की जरूरत हो सकती है, ताकि आपको किसी तरह का शारीरिक या मानसिक नुकसान न पहुंच सके. धन्याम्ला धारा थेरेपी लेने से पहले आपको निम्न सावधानियां बरतने की आवश्यकता है-
- धन्याम्ला धारा थेरेपी को लेने से पहले सबसे पहले अपनी प्राथमिक जांच जरूर करवाएं.
- अगर आपको अधिक थकान महसूस हो रही है, तो यह थेरेपी बिल्कुल भी न लें.
- धन्याम्ला धारा थेरेपी करवाने के बाद निर्धारित रूप से आहार लें और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं.
- इस थेरेपी को करने के बाद रोजाना ब्रीथिंग एक्सरसाइज और वॉकिंग करें, ताकि शरीर में चुस्ती बनी रहे.
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धन्याम्ला धारा की कीमत
धन्याम्ला धारा आयुर्वेदिक थेरेपी सरकारी और प्राइवेट स्वस्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध हैं. सरकारी केंद्रों पर धन्याम्ला धारा थेरेपी की कीमत 200 रुपये प्रति सेशन से शुरू होती है. वहीं, प्राइवेट केंद्रों पर इसकी शुरुआती कीमत 500 रुपये प्रति सेशन है. उपयोग व प्रकार के अनुसार हर राज्य और केंद्र पर इसकी कीमत अलग-अलग हो सकती है.
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सारांश
इस थेरेपी को पूर्ण रूप से करवाने से शरीर को लंबे समय तक लाभ मिल सकता है. बस इस बात का ध्यान रखें कि थेरेपी लेने के बाद निर्धारित रूप से भोजन और पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करते रहे. अगर आपको कोई पुरानी बीमारी है या फिर आप पहली बार इस थेरेपी को लेने जा रहे हैं, तो एक बार अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें.
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