बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए हेल्दी आहार का अहम योगदान होता है. आहार में किसी तरह की कमी होने पर बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है, जिसके कारण बच्चों को कई तरह की परेशानी हो सकती है. आयुर्वेद में बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए सुवर्णप्राशन को मत्वपूर्ण माना जाता है. इसे स्वर्ण प्राशन या स्वर्ण बिंदु प्राशन भी कहा जाता है.
सुवर्णप्राशन प्रक्रिया में बच्चों को घी, शहद और स्वर्ण भस्म का मिश्रण पिलाया जाता है. इस प्रक्रिया को अपनाने से न सिर्फ इम्यून सिस्टम बूस्ट होता है, बल्कि इससे बच्चों के शारीरिक व बौद्धिक विकास को भी बढ़ावा मिलता है. शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने से इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है, जिसकी वजह से बच्चे बार-बार बीमार होने लगते हैं. आयुर्वेद में इस तरह की स्थिति से बचने के लिए माता-पिता बच्चों को सुवर्णप्राशन की सलाह देते हैं.
आज आप इस लेख में सुवर्णप्राशन क्या है, फायदे, बनाने की विधि और डोज के बारे में विस्तार से जानेंगे -
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- सुवर्णप्राशन क्या है?
- सुवर्णप्राशन के फायदे
- सुवर्णप्राशन बनाने की विधि
- सुवर्णप्राशन की मात्रा
- सारांश
सुवर्णप्राशन क्या है?
सुवर्णप्राशन विधि में बच्चों को स्वर्ण भस्म के साथ शहद व घी इत्यादि मिलाकर पिलाया जाता है. यह हिन्दू धर्म में किए जाने वाले 16 संस्कारों में से एक है. यह प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की यात्रा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होता है.
जिस तरह बीमारियों से बचाव के लिए वैक्सीन दी जाती है. उसी तरह बच्चों में रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाने के लिए सुवर्णप्राशन विधि अपनाई जाती है. यह आयुर्वेदिक प्रतिरक्षण की एक प्रक्रिया हैं. इस विधि से बच्चों की इम्यूनिटी बूस्ट होती है. साथ ही इससे शारीरिक और मानसिक विकास बेहतर तरीके से होता है.
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सुवर्णप्राशन के फायदे
सुवर्णप्राशन प्रक्रिया अपनाने से बच्चों के स्वास्थ्य को कई लाभ हो सकते हैं. इससे न सिर्फ बच्चों का शारीरिक विकास होता है, बल्कि मानसिक रूप से भी बच्चों को काफी लाभ मिलता है, जैसे -
- यह शक्ति और प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करता है.
- एलर्जी और वायरस संबंधी समस्याओं, जैसे- सर्दी, खांसी व बुखार जैसी बीमारियों के बार-बार होने से बचाव कर सकता है.
- जीवन को पूरी तरह से स्वस्थ्य बनाने में यह विधि मददगार होती है.
- बच्चों की बुद्धि व स्मरण शक्ति में सुधार करने में असरदार है.
- बच्चों में भूख की कमी और पाचन प्रक्रिया में सुधार करता है.
- रंगत में सुधार और स्वस्थ चमक प्रदान करता है.
- बच्चों की शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करता है.
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सुवर्णप्राशन बनाने की विधि
सुवर्ण ड्रॉप तैयार करने के लिए पारंपरिक रूप से शुद्ध सोने को पानी के साथ पत्थर (सिलबट्टे) पर रगड़ा जाता है. इससे एक महीन पतला पेस्ट प्राप्त होता है. स्वर्ण भस्म बाजार में भी आसानी से मिल जाती है. अब इस पेस्ट में शहद और घृत को मिलाकर बच्चों को दिया जाता है. ध्यान रखें कि शहद और घी को समान अनुपात में लेने से यह एक विरुद्ध संयोग उत्पन्न करता है.
एक लोकप्रिय धारणा ये भी है कि इसकी कम खुराक देने से विषाक्त संयोजन प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने में मदद मिलती है. इससे विषाक्त पदार्थों और एलर्जी से बचाव के लिए बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है.
घृत को लाभकारी बनाने के लिए मेध्या और रसायन जड़ी बूटियों, जैसे- ब्राह्मी, मंडूकपर्णी, यष्टिमधु, शंखपुष्पी, वच और गुडुची इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि बच्चों में अपेक्षाकृत रूप से इम्यूनोमॉड्यूलेटरी और नॉट्रोपिक प्रभावों को बढ़ाया जा सके. सुवर्ण ड्रॉप तैयार करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन किया जा सकता है -
- 2.4 ग्राम स्वर्ण भस्म को 250 मिली शहद और 250 मिली प्रोसेस्ड घी में मिलाकर बच्चों को दें.
- अलग-अलग खुराक तैयार करने के लिए 6 मिली प्रोसेस्ड घी में 100 मिलीग्राम स्वर्ण भस्म मिलाएं और 6 मिली शहद को अलग से रख दें. यह शहद मिश्रण में तब मिलाएं जब बच्चों को सुवर्णप्रशान देने जा रहे हों.
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सुवर्णप्राशन की मात्रा
सुवर्णप्राशन आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह पर ही बच्चों को दें. इसकी मात्रा जानने के लिए डॉक्टर से सलाह लें. एक्सपर्ट बच्चों को सुवर्णप्राशन देने की मात्रा इस प्रकार बता सकते हैं, जैसे -
- जन्म से लेकर 2 महीने तक के शिशु को रोजाना 1 बूंद.
- 2 से 3 महीने तक के शिशु को रोजाना 2 बूंद.
- 6 से 12 महीने तक के बच्चे को रोजाना 2 बूंद.
- 1 वर्ष से 5 वर्ष तक के बच्चों को रोजाना 3 बूंद.
- 5 वर्ष से 6 वर्ष तक के बच्चों को रोजाना 5 बूंद.
ध्यान रहे कि सुवर्ण ड्रॉप आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह पर देना बच्चों के समुचित स्वास्थ्य के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है.
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सारांश
सुवर्णप्राशन आयुर्वेदिक प्रक्रिया है, जिसमें बच्चों को शहद, घी और स्वर्ण भस्म का मिश्रण पिलाया जाता है. इस प्रक्रिया को अपनाने से बच्चों की इम्यूनिटी बूस्ट होती है. साथ ही इससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास अच्छे से होता है. सुवर्ण ड्रॉप को घर में भी तैयार किया जा सकता है. डॉक्टर या चिकित्सक की सलाह पर बच्चों को सुवर्ण ड्रॉप दें, ताकि बच्चों को सही मात्रा में सुवर्ण डोज मिल सके. ध्यान रखें कि अगर बच्चों को सुवर्ण डोज देने के बाद किसी तरह की परेशानी हो रही है, तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लें, ताकि किसी भी तरह की गंभीर परिस्थिति से बचा जा सके.
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