आयुर्वेद के तहत स्वेदन कर्म ऐसी थेरेपी है, जिसमें शरीर से गर्मी की मदद से पसीना निकाला जाता है. इससे शरीर में महसूस होने वाले भारीपन व ठंडक को दूर किया जाता है. सर्दी-जुकाम, शरीर में दर्दपैरालिसिस की स्थिति में स्वेदन लाभ पहुंचाता है. वहीं, स्वेदन पित्त दोष को बढ़ा सकता है, इसलिए गर्भावस्था, डायरिया व सूजन जैसी स्वास्थ्य स्थितियों में स्वेदन कर्म नहीं किया जाता है.

आज इस लेख में आप स्वेदन कर्म के अर्थ, प्रकार, लाभ व सावधानियों के बारे में जानेंगे -

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  1. स्वेदन कर्म का अर्थ
  2. स्वेदन कर्म के प्रकार
  3. स्वेदन कर्म के लाभ
  4. सारांश
स्वेदन क्या है, प्रकार, उपयोग और फायदे के डॉक्टर

स्वेदन कर्म शरीर से पसीना निकालने की प्रक्रिया है. अमूमन इसे स्टीम बाथ समझ लिया जाता है, जबकि आयुर्वेद में स्वेदन कर्म को चिकित्सीय प्रणाली कहा गया है. इसे मुख्य रूप से पंचकर्म से पहले किया जाता है. इस प्रक्रिया में विभिन्न तरीकों से शरीर के तापमान को बढ़ाया जाता है और थेरेप्यूटिक कारणों से पसीना निकाल जाता है.

स्वेदन कर्म को अंग्रेजी में सूडेशन थेरेपी (sudation therapy) कहा जाता है, जिसका मतलब न केवल थर्मल तरीके से पसीना लाना है, बल्कि इसमें नॉन थर्मल तरीके भी शामिल हैं, जो पसीना लाने की वजह बनते हैं. पंचकर्म से पहले स्वेदन कर्म महत्वपूर्ण प्रक्रिया है.

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शरीर को आराम पहुंचाने व डिटॉक्सीफाई करने के प्रभाव की वजह से स्वेदन का अहम महत्व है. स्वेदन दो प्रकार के होते हैं - साग्नि स्वेदन और निराग्नि स्वेदन. आइए, स्वेदन के इन दोनों प्रकारों के बारे में जानते हैं -

साग्नि स्वेदन

इस प्रक्रिया में शरीर को गर्म करने के लिए बाहरी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. इसे पैसिव हीट थेरेपी भी कहा जाता है. 

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निराग्नि स्वेदन

इस प्रक्रिया के तहत शरीर को बिना किसी चीज का इस्तेमाल करे गर्म किया जाता है. यह एक्टिव थेरेपी के बराबर है. इसमें मोटे भारी कपड़े पहनना व एक्सरसाइज करना शामिल है.

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स्वेदन ऐसी प्रक्रिया है, जो वात और कफ दोष को शांत करके शरीर से ठंडक को कम करती है. यह शरीर में जमा दोष को पिघलाकर वात दोष को नियमित भी करती है. आइए, स्वेदन कर्म के लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं -

सर्दी-जुकाम से निजात

स्वेदन कर्म का काम शरीर को गर्म करना है, तो इस स्थिति में यदि किसी को सर्दी-जुकाम है, तो शरीर को गर्माहट मिलने से उसके जल्दी ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है.

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दर्द करे कम

शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द को ठीक करने में स्वेदन कर्म अहम भूमिका निभाता है. कान, गर्दन, सिर, साइटिका, पीठ, कलाई, पेट, पीठ, घुटने व जोड़ों में दर्द होने पर स्वेदन कर्म से मिलने वाली गर्माहट से मांसपेशियों को आराम मिलता है और ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर होता है. इस तरह से शरीर का दर्द दूर हो सकता है.

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पैरालिसिस करे ठीक

पैरालिसिस में शरीर या शरीर के किसी हिस्से का हिलना-डुलना बंद हो जाता है. ऐसे में स्वेदन थेरेपी से लाभ पहुंच सकता है, क्योंकि यह शरीर की कठोरता को कम करने की क्षमता रखता है.

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त्वचा को रखे स्वस्थ

स्वेदन कर्म से शरीर को गर्माहट पहुंचती है, जो त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी चीज है. इससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और त्वचा को मुलायम होने के साथ हेल्दी होने में मदद मिलती है.

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पाचन में मददगार

अगर किसी को पाचन संबंधी दिक्कत होती है कब्ज की शिकायत रहती है, तो भी स्वेदन कर्म उसमें राहत दिला सकता है.

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स्वदेन कर्म के लिए सावधानियां

स्वेदन कर्म में शरीर को गर्माहट पहुंचाई जाती है, जो पित्त दोष को बढ़ा सकता है. यह कुछ मामलों में हानिकारक हो सकता है. इसलिए निम्न स्थितियों में स्वेदन कर्म को न करने की सलाह दी जाती है -

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स्वेदन कर्म में शरीर से पसीना निकालकर रोगों को ठीक किया जाता है. स्वेदन कर्म के मुख्य रूप से दो प्रकार माने गए हैं - साग्नि स्वेदन और निराग्नि स्वेदन. सर्दी-जुकाम व शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द व पैरालिसिस की स्थिति में स्वेदन कर्म से लाभ पहुंच सकता है. वहीं, गर्भवती महिलाएं, मोटापे से ग्रस्त लोग, पीलिया से ग्रस्त मरीज को स्वेदन कर्म से परहेज करने की सलाह दी जाती है. बेहतर तो यह होगा कि स्वेदन कर्म को करने से पहले आयुर्वेद एक्सपर्ट की सलाह ली जाए, क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि एक ही इलाज का असर सभी पर एक जैसा हो.

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