दुनियाभर में मौजूद रोगाणुओं और एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों के खिलाफ पहले सुरक्षात्मक अवरोध की तरह काम करती है हमारी त्वचा। लिहाजा जब स्किन में खुजली होती है, तो आपको यह पता होना चाहिए कि आपकी त्वचा किसी ऐसी चीज के संपर्क में आयी है जो हानिकारक है और जिसकी वजह से स्किन में यह प्रतिक्रिया हुई है। इस शुरुआती जैविक प्रतिक्रिया में स्किन की कोशिकाओं के साथ ही पूरा इम्यून सिस्टम भी शामिल होता है। 

एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों के खिलाफ शरीर प्रतिक्रिया क्यों देता है?
जॉन हॉपकिन्स मेडिसिन के मुताबिक, एलर्जी से संबंधित प्रतिक्रिया जिसे एलर्जिक रिऐक्शन कहते हैं, जिसकी वजह से खुजली होती है, उसकी शुरुआत इम्यून सिस्टम में होती है। कोई ऐसा तत्व या पदार्थ जिससे आपके शरीर को एलर्जी है जैसे- धूल, फफूंद और पराग-कण आदि, जब इनके संपर्क में आपकी स्किन आती है तो इसकी वजह से इम्यून सिस्टम में प्रतिक्रिया होती है और इम्यून सिस्टम एंटीबॉडीज का उत्पादन करता है जो एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों पर हमला कर उन्हें शरीर से बाहर निकाल देता है। इस प्रतिक्रिया की वजह से न सिर्फ स्किन में खुजली होती है, बल्कि कई और लक्षण भी नजर आते हैं जैसे- घरघराहट की आवाज आना, नाक बहना, आंखों से पानी आना, आंख में खुजली होना और छींक आना।  

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सटीक प्रक्रिया जिसके जरिए एलर्जिक प्रतिक्रिया होती है
इम्यूनिटी जर्नल में प्रकाशित एक नई स्टडी में उस सटीक प्रक्रिया के बारे में बताया गया है जिसके माध्यम से एलर्जी से संबंधित प्रतिक्रिया होती है। इस स्टडी को करने वाले अनुसंधानकर्ताओं ने समझाते हुए कहा कि वैसे तो रोगाणुओं के प्रति इम्यून सिस्टम की इस प्रतिक्रिया के पीछे स्पष्ट क्रियाविधि क्या है इसे तो वैज्ञानिकों ने अच्छी तरह से जान लिया है लेकिन एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों के प्रति इम्यून रिस्पॉन्स की जानकारी अब भी अनिश्चित ही है। 

एलर्जी से संबंधित प्रतिक्रिया जैसे- खुजली उस वक्त होती है जब डेंड्रिटिक कोशिकाएं, टी सेल्स को उत्तेजित करती हैं ताकि वे एंटीबॉडीज को रिलीज कर सकें लेकिन इसमें शामिल सटीक कदम और प्रक्रियाएं कौन सी हैं, इस नई स्टडी से पहले उसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी।

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एलर्जी से संबंधित प्रतिक्रिया में संवेदी तंत्रिका की भूमिका
इस स्टडी में पता चला कि ये डेंड्रिटिक कोशिकाएं, जो जन्मजात और प्राप्त किए गए इम्यून सिस्टम इन दोनों के बीच संदेशवाहक का काम करती हैं- उन न्यूरॉन्स के ठीक बगल में स्थित होती हैं जो स्किन में होने वाली एलर्जी के खिलाफ प्रतिक्रिया देती हैं। इन न्यूरॉन्स को cd301b+dcs (डेंड्रिटिक कोशिकाएं) कहते हैं। जब एलर्जी पैदा करने वाला कोई तत्व स्किन के संपर्क में आता है, तो ये डेंड्रिटिक कोशिकाएं न्यूरॉन उत्तेजित हो जाते हैं और न्यूरोपेप्टाइड को रिलीज करते हैं जिन्हें सब्स्टेंस पी कहते हैं, जो न्यूरोट्रांसमिटर (तंत्रिकासंचारक) और न्यूरोमॉड्यूलेटर (तंत्रिका आपरिवर्तक) की तरह काम करते हैं।

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इम्यून सिस्टम को सक्रिय करती हैं संवेदी तंत्रिकाएं
इसके बाद सब्स्टेंस पी, डेंड्रिटिक कोशिकाओं से संदेश को लेकर सीधे लिम्फ नोड्स यानी लसीका पर्व तक लेकर जाते हैं। फिर लसीका पर्व टी सेल्स को उत्तेजित करती हैं और फिर टी सेल्स, एलर्जी पैदा करने वाले तत्व के खिलाफ हमला करते हैं। वैज्ञानिकों ने इस स्टडी में यह भी दिखाया कि ये संवेदी तंत्रिकाएं (सेंसरी न्यूरॉन) जो सब्स्टेंस पी को रिलीज करती हैं वे अलग-अलग कोशिका नमूनों में भी पाए जाते हैं और संपूर्ण संघटित जीव जैसे- चूहे में भी। स्टडी के ये नतीजे दिखाते हैं कि त्वचा में मौजूद संवेदी तंत्रिकाएं एक अहम रोल निभाती हैं, इम्यून सिस्टम को सक्रिय बनाने में जो एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों के खिलाफ प्रतिक्रिया देते हैं। 

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मौसमी एलर्जी जैसी समस्याओं से निपटने में मिलेगी मदद
अनुसंधानकर्ताओं ने आगे चूहों में यह भी टेस्ट किया कि अगर एलर्जी को महसूस करने वाली डेंड्रिटिक कोशिकाओं को रासायनिक रूप से अवरुद्ध कर दिया जाए तो क्या एलर्जी से संबंधित प्रतिक्रिया जैसे- खुजली को सक्रिय होने से (ऐक्टिवेशन) रोका जा सकता है। अगर इस ऐक्टिवेशन को रोकने में सफलता मिल जाती है तो इसका मतलब ये होगा कि तंत्रिका संबंधी इस प्रतिक्रिया के मार्ग में परिवर्तन करके बेहतर थेरेपी और दवाइयों की खोज करने में मदद मिलेगी उन लोगों के लिए जिन्हें मौसमी एलर्जी या एलर्जी से संबंधित गंभीर प्रतिक्रिया जैसी दिक्कतें होती हैं।   

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यह एक ऐसी महत्वपूर्ण स्टडी है जो न सिर्फ एलर्जिक रिऐक्शन में शामिल कोशिकाओं की क्रियाविधि को बेहतर तरीके से समझने में मदद करती है बल्कि, एक ऐसे मंच को भी साझा करती है जिसके आधार पर भविष्य में एलर्जी से जुड़ी थेरेपीज को विकसित किया जा सकता है।

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