सेंट्रल पेन सिंड्रोम (सीपीएस) न्यूरोलॉजिकल यानी नसों से जुड़ी समस्या है। यह बीमारी तब होती है जब केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को किसी वजह से नुकसान होता है या वह सही से कार्य नहीं कर पाती है। इसमें मस्तिष्क, मस्तिष्क के पीछे का हिस्सा (ब्रेन स्टेम) और रीढ़ की हड्डी शामिल है।

​सीपीएस का निदान करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि बीमारी की पुष्टि करने के लिए विशेष टेस्ट उपलब्ध नहीं है। इस विकार की चपेट में ऐसे लोग आ सकते हैं, जिन्हें या तो निम्नलिखित समस्या है या फिर कभी रही हो -

सेंट्रल पेन सिंड्रोम के लक्षण

इस बीमारी के लक्षण हर दूसरे व्यक्ति में अलग हो सकते हैं। यह लक्षण किसी चोट या अन्य स्थिति के तुरंत बाद दिखना शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस समस्या को पूरी तरह से विकसित होने में महीनों या साल भी लग सकते हैं।

सीपीएस से ग्रस्त लोगों को आमतौर पर विभिन्न प्रकार की दर्द संवेदनाएं महसूस हो सकती हैं;

  • सामान्य दर्द
  • जलन के साथ दर्द
  • तेज दर्द
  • सुन्न होना

गंभीर मामलों में कपड़े बदलते समय, कंबल ओढ़ते वक्त या तेज हवा के संपर्क में आने से भी यह दर्द ट्रिगर हो सकता है।

सेंट्रल पेन सिंड्रोम का कारण

सीपीएस में होने वाला दर्द परिधीय तंत्रिका से जुड़ा नहीं होता है, बल्कि यह मस्तिष्क से उत्पन्न होता है। इसी कारण से सीपीएस को अन्य दर्द की स्थिति की तुलना में अलग समझा जाता है। परिधीय तंत्रिका ऐसी नसें होती हैं, जो मानव शरीर में मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के बाहर मौजूद होती हैं। फिलहाल निम्नलिखित स्थितियों की वजह से सीपीएस की समस्या ट्रिगर हो सकती है

  • मस्तिष्क से खून निकलना
  • धमनी का कोई हिस्सा कमजोर होना
  • रीढ़ की हड्डी में चोट
  • मस्तिष्क की चोट
  • मिर्गी
  • मस्तिष्क या रीढ़ की सर्जरी

सेंट्रल पेन सिंड्रोम का इलाज

सीपीएस के लिए कोई इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन इस पर शोध जारी है। डॉक्टरों का मानना है कि लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए पेन किलर, एंटीडिप्रेसेंट्स (अवसादरोधी) और मिर्गी रोधी दवाएं कुछ राहत प्रदान करने में मदद कर सकती हैं जैसे -

सेंट्रल पेन सिंड्रोम का जोखिम

सीपीएस एक दर्दनाक स्थिति है। इसकी वजह से रोजाना किए जाने वाले सामान्य काम-काज करने में दिक्कत होती है। कुछ लोगों को भावनात्मक समस्याओं सहित अन्य जटिलताएं भी हो सकती हैं जैसे - तनाव, चिंता, अवसाद, थकान, नींद आने में परेशानी, व्यवहार में बदलाव, गुस्सा करना, अलग रहना पसंद करना और खुदकुशी करने की सोचना।

भले ही इस समस्या के लिए सटीक इलाज न हो, लेकिन दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर ऐसी दवाइयां दे सकते हैं, जिनसे आपको सामान्य जीवन जीने में मदद मिल सकती है।

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