अनिद्रा (नींद न आना) क्या है?
अनिद्रा एक नींद से सम्बन्धित समस्या है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। संक्षेप में, अनिद्रा से पीड़ित व्यक्तियों के लिए नींद आना या सोते रहना मुश्किल होता है। अनिद्रा के प्रभाव बहुत भयंकर हो सकते हैं।
अनिद्रा आमतौर पर दिन के समय नींद, सुस्ती, और मानसिक व शारीरिक रूप से बीमार होने की सामान्य अनुभूति को बढाती है। मनोस्थिति में होने वाले बदलाव (मूड स्विंग्स), चिड़चिड़ापन और चिंता इसके सामान्य लक्षणों से जुड़े हुए हैं।
अनिद्रा में नींद से जुड़े विकारों की एक विस्तृत श्रृंखला है, जिसमें अच्छी नींद के अभाव से लेकर नींद की अवधि में कमी से जुडी समस्याएं हैं। अनिद्रा को आमतौर पर तीन प्रकारों में विभाजित किया जाता है –
- अस्थायी अनिद्रा – यह तब होती है, जब लक्षण तीन रातों तक रहते हैं।
- एक्यूट अनिद्रा – इसे अल्पकालिक अनिद्रा भी कहा जाता है। लक्षण कई हफ्तों तक जारी रहते हैं।
- क्रोनिक अनिद्रा – यह आमतौर पर महीनों और कभी-कभी सालों तक रहती है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक, क्रोनिक अनिद्रा के ज़्यादातर मामले किसी अन्य प्राथमिक (primary) समस्या से उत्पन्न दुष्प्रभाव होते हैं।
अनिद्रा रोग किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। यह वयस्क पुरुषों की तुलना में वयस्क महिलाओं में अधिक आम है। नींद विकार स्कूल और काम के प्रदर्शन को कमजोर कर सकता है। साथ ही, यह मोटापे, चिंता, अवसाद, चिड़चिड़ापन, एकाग्रता की समस्याओं, याददाश्त से जुडी समस्याओं, प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) की कार्यक्षमता को कमज़ोर और प्रतिक्रिया समय (reaction time) को कम करने का कारण बनता है।
अनिद्रा रोग दीर्घकालिक बीमारियों के होने के जोखिम को बढ़ाता है। अमेरिका की राष्ट्रीय निद्रा फाउंडेशन (National Sleep Foundation) के मुताबिक 30-40 प्रतिशत अमेरिकी वयस्कों का कहना है कि उनमें पिछले 12 महीनों में अनिद्रा के लक्षण उत्पन्न हुए हैं और 10-15 प्रतिशत वयस्कों का दावा है कि उन्हें क्रोनिक अनिद्रा है।
अनिद्रा के कारणों में मनोवैज्ञानिक कारक, दवाएं और हार्मोन का स्तर शामिल है।
अनिद्रा का उपचार चिकित्सकीय या व्यावहारिक हो सकता है।
अनिद्रा से ग्रसित लोगों में काम पर ध्यान केंद्रित करने और एकाग्रता से जुडी समस्याएं सामान्य हैं। अमेरिका की राष्ट्रीय हृदय, फेफड़े और रक्त संस्थान (National Heart, Lung and Blood Institute) के अनुसार, 20 प्रतिशत गैर-अल्कोहल से संबंधित कार दुर्घटनाएं ड्राइवर द्वारा झपकी लेने के कारण होती हैं।
लघु जीवन प्रत्याशा (Shortened life expectancy)
अनिद्रा के कारण आपकी जीवन प्रत्याशा कम हो सकती है। 16 अध्ययनों के एक विश्लेषण में 10 लाख से अधिक प्रतिभागियों और 112,566 मौतों के अंतर्गत नींद की अवधि और मृत्यु दर के बीच के संबंध को जाँचा गया। उसमें पाया कि जो लोग हर रात सात से आठ घंटे सोते थे, उनकी तुलना में कम सोने वाले व्यक्तियों में मृत्यु का खतरा 12 प्रतिशत ज़्यादा था।
हाल ही में हुए एक अध्ययन में 38 सालों से सतत अनिद्रा और मृत्यु दर के प्रभावों को जाँचा गया। उसमें पाया कि सतत अनिद्रा से ग्रसित लोगों की मौत का जोखिम 97% अधिक था।