रूस के दो शिक्षा संस्थानों हाई स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स यूनिवर्सिटी और जेलिन्स्की इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्गेनिक केमिस्ट्री के रसायन विज्ञानियों की एक टीम ने एल्कोहोलिज्म के इलाज से जुड़ी एक दवा को लेकर दावा किया है कि ये कोविड-19 महामारी की वजह बने कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ कारगर रूप से इस्तेमाल की जा सकती हैं। इन वैज्ञानिकों दो दवाओं के लैब टेस्ट के बाद यह दावा किया है। इन दो दवाओं के नाम हैं डाइसलफिरेम, जो एल्कोहोलिज्म (शराब की लत) के इलाज में इस्तेमाल की जाती है और नेराटिनिब, जिसे ब्रेस्ट क्रैंसर के इलाज में बतौर एक्सपेरिमेंट उपयोग किया जा रहा है। कोविड-19 के संबंध में इन दोनों दवाओं के प्रभाव से जुड़े तथ्य मेंडलीव कम्युनिकेशंस नाम की पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में बताए गए हैं।

(और पढ़ें - कोविड-19: केवल 60 प्रतिशत स्वस्थ मरीजों में कोरोना वायरस को रोकने वाले सक्षम एंटीबॉडी, कुछ संक्रमण को बढ़ाने में सहायक: वैज्ञानिक)

स्टडी के मुताबिक, किसी वायरस के विकसित होने के दौरान उसके कुछ एलिमेंट ऐसे होते हैं, जो विकास की प्रक्रिया (एवलूशन) से कम प्रभावित रहते हैं। इसके चलते वे एवलूशन के बाद भी ज्यादा परिवर्तित नहीं हो पाते। पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविड-19 के इलाज में इन एलिमेंट्स को टार्गेट किया जाना चाहिए। यह काम उन प्रोटीनों को टार्गेट करके किया जा सकता है, जो वायरस में होने वाले बदलावों के साथ नहीं बदलते। मिसाल के लिए सार्स-सीओवी-2 वायरस का मुख्य प्रोटीज एम प्रो, जो वायरस को कोशिका में अपनी कॉपियां बनाने में मदद करता है। वैज्ञानिकों को विश्वास है कि अगर एम प्रो को ब्लॉक करने में कामयाबी मिल जाए तो इससे नए कोरोना वायरस के रीप्रॉडक्शन को कम किया जा सकता है या पूरी तरह रोका भी जा सकता है।

(और पढ़ें - कोरोना वायरस की कॉपियां बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले प्रोटीज को टार्गेट करने से कोविड-19 का इलाज संभव: वैज्ञानिक)

अध्ययन के लेखक और शोधकर्ता इगोर स्वितांको ने बताया कि इस जानकारी के आधार पर वैज्ञानिकों की टीम ने एम प्रो की पूरी सतह पर कई दवाएं आजमाने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने जनवरी 2020 में बनाए सार्स-सीओवी-2 एम प्रो के एक मॉडल का इस्तेमाल किया। इसके बाद यूनाइटेड स्टेट फूड एंड ड्रग्स एडिमिनिस्ट्रेशन यानी यूएस एफडीए से स्वीकृति प्राप्त दवाओं को इकट्ठा किया गया। फिर एक विशेष क्रम के तहत इन्हें रिसर्च मॉडल में इस्तेमाल गिया गया। जांच के दौरान पता चला कि जिन दवाओं में सल्फर था, उनका प्रोटीन एम प्रो के एक्टिव सेंटर पर प्रभाव ज्यादा था। ऐसी ही एक दवा है डाइसलफिरेम, जिसे शराब पर निर्भर हो जाने वाले लोगों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, एफडीए से मान्यता प्राप्त एक और ड्रग नेराटिनिब ने भी सार्स-सीओवी-2 एमप्रो के खिलाफ प्रभावी असर दिखाया। यह दवा ब्रेस्ट कैंसर के ट्रीटमेंट में उपयोग की जाती है। हालांकि, लैब टेस्ट में डाइसलफिरेम ज्यादा कारगर साबित हुई, जबकि नेराटिनिब को कोविड-19 के क्लिनिकल इस्तेमाल के लिए उचित नहीं पाया गया।

(और पढ़ें - कोविड-19: नोवावैक्स कंपनी की वैक्सीन में ऐसा क्या है कि कुछ विशेषज्ञ इसे कई अन्य प्रतियोगी वैक्सीन से 'अलग और बेहतर' बता रहे हैं?)


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: शराब की आदत छुड़ाने में इस्तेमाल होने वाले इस ड्रग में कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभाव दिखाने की क्षमता- अध्ययन है

ऐप पर पढ़ें