नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से होने वाली बीमारी कोविड-19 ने दुनियाभर के 3 करोड़ से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर दिया है और इस वायरस के बारे में रोजाना नई-नई बातें सुनने को मिल रही हैं। अब तक ये कहा जा रहा था कि मास्क पहनना, फेस शील्ड का इस्तेमाल करना इन सबका इस्तेमाल करने से कोरोना वायरस संक्रमण से बचने में मदद मिल सकती है। लेकिन अब लिस्ट में आंखों का चश्मा भी शामिल हो गया है। 

वायरल ट्रांसमिशन के फैलने के प्रमुख रास्तों में आंख भी शामिल है
चीन जहां से दिसंबर 2019 में इस नए वायरस की शुरुआत हुई थी वहीं के वैज्ञानिकों की एक टीम बताती है कि जो लोग दिन में 8 घंटे से अधिक समय तक चश्मा पहनते हैं वे सार्स-सीओवी-2 इंफेक्शन यानी कोविड-19 संक्रमण के प्रति कम संवेदनशील होते हैं। इस स्टडी को हाल ही में JAMA ऑप्थैल्मोलॉजी नाम की पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। कोविड-19 बीमारी करीब 8-9 महीने से भी ज्यादा समय से दुनियाभर में फैली हुई है और ये तो हम सब जानते हैं कि सार्स-सीओवी-2 बेहद संक्रामक और खतरनाक वायरस है जो सांस की बूंदें (रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स) की मदद से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इस वायरल ट्रांसमिशन के फैलने के प्रमुख रास्तों में नाक, मुंह और आंख शामिल है।

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क्या चश्मा और कोविड-19 संक्रमण के जोखिम के बीच कोई संबंध है?
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि चीन की करीब एक तिहाई आबादी मायोपिया यानी निकट दृष्टि दोष से पीड़ित हैं। यह दूर की वस्तुओं को धुंधला बनाने वाला एक दृष्टि विकार है। दृष्टि को सही करने के लिए चिकित्सीय हस्तक्षेप के रूप में, चीन के अधिकांश लोग चश्मा पहनते हैं। हालांकि, चीन में कोविड-19 महामारी के सामने आने के बाद से यह ध्यान दिया गया है कि अस्पतालों में सार्स-सीओवी-2 के पॉजिटिव मरीजों का प्रसार या व्यापकता बहुत कम है। इस विचार ने ही वर्तमान अध्ययन के वैज्ञानिकों को यह विश्लेषण करने के लिए प्रोत्साहित किया कि क्या चश्मा पहनना और कोविड-19 संक्रमण के जोखिम के बीच कोई संबंध है या नहीं।

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चीन के इस अध्ययन में कुल 276 कोविड-19 के मरीजों को शामिल किया गया था जिन्हें 27 जनवरी 2020 से 13 मार्च 2020 के बीच चीन के सूझो जेंगडू अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अध्ययन के प्रतिभागियों की औसत आयु 51 साल थी (आयु सीमा: 41 से 58 साल के बीच) और उनमें से लगभग 56.2% प्रतिभागी पुरुष थे। इनमें से लगभग 5.1% रोगियों में कोविड-19 की गंभीर समस्या थी। 

मरीजों से उनके चश्मा पहनने की आदतों के बारे में सवाल पूछे गए
लोगों के चश्मा पहनने की आदतों को पूरी तरह से डॉक्यूमेंट करने के लिए, मरीजों से उनके चश्मा पहनने का कारण, रोजाना चश्मा पहनने की अवधि और कॉन्टैक्ट लेंस पहनने या अपवर्तक (रीफ्रैक्टिव) सर्जरी करवाने- इन सभी बातों के बारे में जानकारी ली गई। इनमें से जिन मरीजों ने प्रतिदिन 8 घंटे से अधिक समय के लिए चश्मा पहना, उन्हें दीर्घकालिक चश्मा पहनने वाले व्यक्ति के रूप में माना गया। इस आधार पर वैज्ञानिकों ने यह भी माना कि ये वे लोग हैं जो घर से बाहर रहने और लोगों के साथ सामाजिक व्यवहार करने के दौरान भी चश्मा पहनते हैं। 

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मौजूदा स्टडी के निष्कर्षों से पता चला है कि कोविड-19 के लगभग 10.9% रोगियों ने चश्मा पहना था और इनमें से 5.8% को मायोपिया था और 5.1% को प्रेसबायोपिया (बढ़ती उम्र के कारण दृष्टि का कमजोर होना) था। जिन रोगियों में मायोपिया (5.8%) था, वे प्रतिदिन 8 घंटे से अधिक समय तक चश्मा पहनते थे (औसत आयु: 33 वर्ष)। इनमें से किसी भी मरीज ने कॉन्टैक्ट लेंस पहनने या अपवर्तक सर्जरी होने की सूचना नहीं दी। 

जनसंख्या के आंकड़ों के बारे में बात करें तो 1987 में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि 7 से 22 वर्ष की आयु के लगभग 31.5% चीनी छात्रों को मायोपिया था। वर्तमान अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि 2010 तक, ये छात्र 42 से 57 वर्ष की आयु सीमा में थे, जो वर्तमान अध्ययन प्रतिभागियों की आयु सीमा के समान है। इन टिप्पणियों से संकेत मिलता है कि चीन के सूझो (अध्ययन क्षेत्र) में, मायोपिया की व्यापकता सामान्य आबादी में (31.5%) कोविड-19 के अध्ययन (5.8%) में दर्ज रोगियों की तुलना में बहुत अधिक है, जो यह सुझाव देता है कि जो लोग चश्मा पहनते हैं उन्हें सार्स-सीओवी-2 संक्रमण होने की संभावना कम हो सकती है।

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आंखों पर लगा चश्मा कैसे सुरक्षा प्रदान कर सकता है?
इस बारे में जितने भी सबूत मौजूद हैं उनसे पता चलता है कि जो लोग चश्मा नहीं पहनते हैं वे अनैच्छिक रूप से 1 घंटे में लगभग 10 बार अपनी आंखों को छूते हैं। वहीं, चश्मा पहनने से लोगों को बार-बार आंखों को छूने से रोका जा सकता है, जिससे सार्स-सीओवी-2 वायरस के संक्रमित हाथों से आंखों के संचरण की संभावना कम हो जाती है। 

प्रकाशित स्टडी के अनुसार, कोविड-19 मरीजों में से लगभग 1 से 12% मरीजों में नेत्र संबंधी समस्याएं देखने को मिलती हैं जैसे- आंसू या नेत्रश्लेष्मला कोष में सार्स-सीओवी-2 की मौजूदगी। दरअसल, नया कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 एंजियोटेंसिन-कन्वर्टिंग एंजाइम 2 (ACE2) रिसेप्टर्स से जुड़कर ही मानव शरीर के अंदर प्रवेश करता है, और ये एसीई2 रिसेप्टर्स नेत्र-संबंधी सतहों पर प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए, इस बात की संभावना है कि चश्मा पहनने से आंखों के माध्यम से वायरस के शरीर में प्रवेश की आशंका को कम किया जा सकता है। 

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हालांकि, वर्तमान स्टडी के नतीजे इस तथ्य पर भी जोर देते हैं कि कोविड-19 संक्रमण को फैलने से को रोकने के लिए, लोगों को सभी अनुशंसित उपायों का अभ्यास करना चाहिए जैसे- बार-बार हाथों को साबुन पानी या सैनिटाइजर से अच्छी तरह से धोना, आंख, नाक और मुंह को बार-बार हाथों से छूने से बचना, मास्क पहनना, दूरों से शारीरिक दूरी बनाए रखना और होम आइसोलेशन के नियमों का पालन करना।


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