पंजाब में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा किए गए दूसरे सेरोलॉजिकल सर्वे के परिणाम सामने आ गए हैं। आईसीएमआर के मुताबिक, सर्वे के दौरान हुई टेस्टिंग में हर नौवां व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है। ऐसे लोग कोविड-19 से ग्रस्त होने के बाद उसके खिलाफ एंटीबॉडी विकसित कर चुके हैं। आईसीएमआर ने पंजाब के चार जिलों - गुरदासपुर, पटियाला, जालंधर और लुधियाना - में यह सेरो सर्वे कराया था। इसके लिए सितंबर के मध्य में करीब 1,600 लोगों के सैंपल रैंडम तरीके से लिए गए थे। इनमें से 180 सैंपल सेरोपॉजिटिव पाए गए हैं। यानी ये 180 लोग किसी समय कोरोना वायरस की चपेट में आए थे, जिसके बाद उनके शरीर ने उसके खिलाफ रोग प्रतिरोधक पैदा कर लिए।

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सर्वे का परिणाम बताता है कि इन चारों जिलों में सेरोप्रेवलेंस 11.26 प्रतिशत ही है। इसका मतलब है कि पंजाब में अधिकतर जनसंख्या अभी भी सार्स-सीओवी-2 के खतरे में है और यहां हर्ड इम्यूनिटी की उम्मीद दूर-दूर तक नहीं दिखती। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, चारों जिलों में से सबसे अधिक सेरोपॉजिटिविटी लुधियाना में देखने को मिली। यहां लिए गए कुल 400 सैंपलों में से 18.79 प्रतिशत या 75 पॉजिटिव पाए गए हैं। दूसरे नंबर पर जालंधर है, जहां 9.75 प्रतिशत सैंपल सेरोपॉजिटिव निकले हैं। वहीं, 8.27 प्रतिशत और 8.25 प्रतिशत पॉजिटिविटी रेट के साथ पटियाला और गुरदासपुर (क्रमशः) तीसरे और चौथे नंबर पर हैं।

खबरों की मानें तो आईसीएमआर के इस सेरो सर्वे में संक्रमित लोगों की संख्या पंजाब सरकार द्वारा कराए गए सर्वे से कम है। अगस्त महीने में कराए गए उस सर्वे में पंजाब में कनटेंमेंट जोन घोषित इलाकों की 27.7 प्रतिशत आबादी में कोरोना एंटीबॉडी मिलने का दावा किया गया था। हालांकि आईसीएमआर के अपने पहले सेरो सर्वे के मुकाबले दूसरे सर्वे का सेरोपॉजिटिल रेट ज्यादा है। मई महीने में किए गए पहले सर्वे में पटियाला, लुधियाना, जालंधर और पठानकोट में 1,600 लोगों के ब्लड सैंपल लिए गए थे। इनमें से केवल एक प्रतिशत पॉजिटिव पाए गए थे।

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सेरोलॉजिकल सर्वे क्या है?
किसी रोगाणु या एंटीजन के खिलाफ मानव शरीर का इम्यून सिस्टम जब काम करना शुरू करता है तो इससे संबंधित रोगाणु के संक्रमण को खत्म करने वाले एंटीबॉडीज का निर्माण होता है। ये एंटीबॉडीज या रोग प्रतिरोधक स्वयं को रोगाणुओं से अटैच कर उन्हें निष्क्रिय कर देते हैं। सेरोलॉजिकल टेस्ट शरीर में इन्हीं एंटीबॉडी की मौजूदगी की पुष्टि के लिए किया जाने वाला परीक्षण है। यह टेस्टिंग जब बड़े पैमाने पर अंजाम की जाती है, यानी जब किसी अभियान के तहत सैकड़ों-हजारों लोगों के ब्लड टेस्ट लेकर उनमें किसी संक्रामक रोग के खिलाफ पैदा हुए एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है तो उसे सेरोलॉजिकल या सेरो सर्वे कहते हैं। ये सर्वे एंटीबॉडी के अलावा एंटीजन की पहचान करने के लिए भी किए जाते हैं।

पंजाब में मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से दोगुनी
पंजाब में आईसीएमआर के दूसरे सेरो सर्वे के परिणाम ऐसे समय में सामने आए हैं, जब राज्य में कोरोना संक्रमण के मामले न सिर्फ अब तक की सबसे तेज गति से बढ़ रहे हैं, बल्कि मृतकों की संख्या में भी अप्रत्याशित रूप से उछाल देखा गया है। एक समय कोविड-19 से सबसे बेहतर तरीके से निपटने वाले राज्यों में शामिल रहे पंजाब में अब हर दिन दर्जनों मौतें दर्ज की जा रही हैं। जबकि एक समय यहां कोरोना वायरस से किसी की मौत होना आश्चर्य की बात मानी जाती थी। आंकड़े बताते हैं कि पंजाब में सार्स-सीओवी-2 एक लाख 20 हजार से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर चुका है। इनमें से 3,712 लोगों की मौत हो गई है।

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हालांकि बचाए गए मरीजों की संख्या भी एक लाख 5,500 से ज्यादा है। यानी राज्य में कोविड-19 का रिकवरी रेट 87 प्रतिशत से भी ज्यादा है, जो अधिकतर राज्यों से बेहतर है। लेकिन मृतकों की संख्या को प्रतिशत में देखें तो पंजाब के आंकड़े चिंताजनक मालूम होते हैं। गौरतलब है कि पंजाब में कोरोना वायरस की मृत्यु दर तीन प्रतिशत से भी ज्यादा है, जो मौतों से संबंधित राष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुनी है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: आईसीएमआर ने पंजाब में हुए दूसरे सेरो सर्वे के परिणाम जारी किए, केवल 11.26 प्रतिशत सैंपल पॉजिटिव, हर्ड इम्यूनिटी के कोई आसार नहीं है

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