इसमें कोई शक नहीं कि कोविड-19 संक्रमण अलग-अलग लोगों को अलग तरह से प्रभावित करता है। कुछ लोगों में जहां संक्रमण होने के बाद भी कोई लक्षण नहीं दिखते तो वहीं दूसरों में तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (एआरडीएस), निमोनिया, सेप्टिक शॉक, खून के असामान्य थक्के जमना और एक साथ कई अंगों का काम करना बंद कर देना जैसी गंभीर जटिलताएं देखने को मिलती हैं। खून के इस असामान्य जमाव के कारण रक्त के थक्के फेफड़ों में, मस्तिष्क में या हृदय में जाकर जमा हो सकते हैं जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं और मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।

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डॉक्टर खून के थक्कों की समस्या का समाधान करने के लिए विभिन्न दवाओं जैसे ब्लड थिनर (खून को पतला करने वाली दवा) और टिशू प्लास्मिनोजेन एक्टिवेटर का उपयोग कर रहे हैं। हालांकि, इन दवाओं का कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकता है। इसी को देखते हए हाल ही में, यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने एक रिसर्च की जिसके आधार पर उन्होंने कहा कि एस्पिरिन -संतोषजनक सुरक्षा प्रोफाइल वाली प्रसिद्ध दवा- का सेवन कोविड-19 संक्रमण की वजह से अस्पताल में भर्ती लोगों में मृत्यु के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है।

ऐस्पिरिन का कैसा होता है असर?
एनेस्थीसिया एंड ऐनलजीसिया नाम के जर्नल में 21 अक्टूबर 2020 को हाल ही में हुई एक स्टडी को प्रकाशित किया गया जिसमें वैज्ञानिकों ने 412 मरीजों के आंकड़ों को इक्ट्ठा किया। इसमें मरीजों की औसत उम्र 55 साल थी और ये सभी लोग अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ मैरिलैंड मेडिकल सेंटर बाल्टीमोर और 3 अन्य अस्पतालों में मार्च 2020 से जुलाई 2020  के बीच भर्ती थे।

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इनमें से एक-चौथाई मरीजों ने अपने हृदय रोग का प्रबंधन करने के लिए रोजाना कम खुराक वाली एस्पिरिन (लगभग 81 मिलीग्राम) का सेवन किया था और वह भी अस्पताल में भर्ती होने से 7 दिन पहले या फिर अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटे के अंदर। इसका मतलब यह है कि 412 मरीजों में से, 314 रोगियों को एस्पिरिन नहीं मिली, जबकि 98 रोगियों को एस्पिरिन की कम खुराक दी गई।  

मृत्यु का जोखिम कम
स्टडी के परिणामों का विश्लेषण करने से पहले, वैज्ञानिकों ने कई कारकों जैसे उम्र, लिंग और बॉडी मास इंडेक्स इन सारी चीजों को ध्यान में रखा। इसके अलावा शोधकर्ताओं ने मरीज में पहले से मौजूद स्थितियों जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, किडनी की बीमारी और लिवर की बीमारी जैसे कारणों को भी शामिल किया। स्टडी के परिणामों से पता चला है कि:

  • 1. जिन मरीजों ने एस्पिरिन का सेवन किया उन मरीजों में सांस लेने में कठिनाई के लिए मेकैनिकल वेंटिलेशन की आवश्यकता का जोखिम 35.7 प्रतिशत था, तो वहीं जिन मरीजों ने एस्पिरिन नहीं लिया उन मरीजों में यह जोखिम 48.4 प्रतिशत था।
  • 2. आईसीयू में भर्ती होने का जोखिम एस्पिरिन लेने वाले रोगियों में 38.8 प्रतिशत था, जबकि एस्पिरिन न लेने वाले मरीजों में यह जोखिम 51 प्रतिशत था।

हैरानी की बात ये है कि परिणामों ने आगे यह भी दिखाया कि एस्पिरिन का सेवन करने वाले मरीजों में अस्पताल के अंदर (इन-हॉस्पिटल) मृत्यु का जोखिम 47 प्रतिशत कम था उन मरीजों की तुलना में जो एस्पिरिन नहीं ले रहे थे।

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कोविड-19 की गंभीर जटिलताओं को रोकना
इस स्टडी के आधार पर वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि यह सस्ती, आसानी से उपलब्ध दवा एस्पिरिन, गंभीर जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकती है। एस्पिरिन में एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती है जो कोविड-19 संक्रमण के दौरान फेफड़ों को सुरक्षित रखने में मदद कर सकती है। वैज्ञानिकों ने आगे कहा कि एस्पिरिन दवा, वैसे मरीज जिन्हें पहले से हृदय रोग की समस्या है उनमें इंटरल्यूकिन-6 (आईएल -6), सी-रिऐक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) और मैक्रोफेजेज जैसी प्रतिरक्षा कोशिकाओं के उत्पादन को कम कर सकती है। इसकी वजह से साइटोकीन स्टॉर्म की घटनाओं को कम करने में मदद मिलती है।

हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि आगे और अधिक रिसर्च करने की जरूरत है इस बात की पुष्टि करने के लिए कि एस्पिरिन के उपयोग और कोविड-19 संक्रमण की वजह से मरीज के फेफड़ों में लगने वाली चोट और मृत्यु के बीच कोई रिलेशन है। 


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 की गंभीर जटिलताओं के कारण होने वाली मौत के खतरे को कम कर सकती है एस्पिरिन, स्टडी का दावा है

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