सोशल डिस्टेंसिंग, फेस मास्क और आंखों की सुरक्षा (आई प्रोटेक्शन) के लिए इस्तेमाल होने वाले उपकरणों से कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने में काफी मदद मिलती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन से मान्यता प्राप्त एक समीक्षा में यह बात कही गई है। जानी-मानी स्वास्थ्य एवं विज्ञान पत्रिका 'दि लांसेट' में प्रकाशित इस समीक्षा के अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 से निपटने के लिए अपनाए जाने वाले ये तरीके आम लोगों के साथ-साथ हेल्थकेयर वर्कर्स और स्वास्थ्य संस्थानों (जैसे अस्पताल) में भी कोविड-19 को फैलने से रोक सकते हैं।

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खबरों के मुताबिक, इस समीक्षा में पाया गया है कि लोगों से कम से कम तीन फीट (एक मीटर) की दूरी बना कर रखने से कोरोना वायरस के संक्रमण से 82 प्रतिशत तक सुरक्षा मिल जाती है। वहीं, छह फीट यानी दो मीटर दूर रहने से और ज्यादा फायदा मिल सकता है। मास्क को लेकर इस समीक्षा आधारित अध्ययन के शोधकर्ताओं का कहना है, फेस मास्क पहनने से आम लोगों के साथ-साथ स्वास्थ्यकर्मियों को भी कोविड-19 से सुरक्षा मिलती है। उनकी मानें तो एन95 मास्क पहनने से स्वास्थ्यकर्मियों को ज्यादा सुरक्षा मिलती है। आमतौर पर लोग समझते हैं कि आंख से ज्यादा नाक को ढंकने से वायरस से ज्यादा सुरक्षा मिलती है, लेकिन आई प्रोटेक्शन भी कम्युनिटी और हेल्थकेयर के स्तर पर बीमारी से बचाव कर सकती है।

समीक्षा अध्ययन के परिणाम
इस नई समीक्षा के लिए शोधकर्ताओं ने कोविड-19 को लेकर हुए कई अध्ययनों और कोरोना वायरस से ही होने वाली दो अन्य बीमारियों सार्स और मेर्स से जुड़ी स्थितियों का विश्लेषण किया। 16 देशों के 25 हजार से ज्यादा लोगों पर किए गए कोई 44 अध्ययनों पर गौर करने के बाद शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला है। इसके मुताबिक, सोशल डिस्टेंसिंग के तहत लोगों से अगर कम से कम तीन फीट की दूरी बना कर रखी जाए तो इससे कोरोना वायरसों के संक्रमण या ट्रांसमिशन फैलने की संभावना तीन प्रतिशत के आसपास ही रहती है। इससे कम दूरी पर रहने से यह संभावना 13 प्रतिशत हो जाती है। वहीं, अगर अपेक्षित दूरी में तीन फीट का अतिरिक्त डिस्टेंस बार-बार बढ़ाया जाए तो इससे वायरस के ट्रांसमिशन की संभावना आधी रह जाती है।

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साथ ही, मास्क पहनने से भी कोरोना वायरस के फैलने की तीन प्रतिशत संभावना रह जाती है, जबकि नहीं पहनने पर यह खतरा 17 प्रतिशत हो जाता है। आई प्रोटेक्शन से भी संक्रमण फैलने की संभावना छह प्रतिशत और बिना प्रोटेक्शन के 16 प्रतिशत हो जाती है। इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने कहा है कि स्वास्थ्यकर्मियों के एन95 मास्क पहनने से वे कोरोना वायरस से 96 प्रतिशत तक सुरक्षित रह सकते हैं।

हाथ धोने का महत्व
समीक्षा से जुड़े शोधकर्ताओं ने साफ किया है कि उनके अध्ययन में सामने आई बातें सीमित साक्ष्यों पर आधारित हैं और उपरोक्त (सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, आई प्रोटेक्शन) में से कोई-सा भी तरीका अपनाने से कोविड-19 से पूरी तरह सुरक्षा नहीं मिलती। अमेरिका स्थित मैकमास्टर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और क्लिनिशियन साइंटिस्ट तथा इस समीक्षा अध्ययन के एक प्रमुख शोधकर्ता डॉ. डेरेक चू का कहना है कि चूंकि दूरी बनाए रखने, मास्क पहनने और आई प्रोटेक्शन से भी पूरी तरह कोरोना वायरस से बचाव नहीं होता, लिहाजा हाथ धोने जैसी बुनियादी सावधानियों की अहमियत बढ़ जाती है। वे कहते हैं, 'मौजूदा कोविड-19 महामारी से निपटने और इसके संक्रमण को भविष्य में फिर फैलने से रोकने के लिए हाथ धोने जैसे बुनियादी साफ-सफाई वाले काम जरूरी हो जाते हैं।'

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में कितने कारगर हैं सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और आई प्रोटेक्शन, इस समीक्षा अध्ययन में आया सामने है

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