रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी पावर की जितनी चर्चा पिछले चार-पांच महीनों में हुई है उतनी शायद ही पहले कभी हुई होगी। नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 की वजह से फैली कोविड-19 बीमारी ने हम सबको अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर बार-बार विचार करने को मजबूर किया है। जानकार एक ही बात दोहरा रहे हैं कि जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है वे इस संक्रमण से ज्यादा अच्छे से लड़ पाते हैं। डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और जानकारों की यह बात बिल्कुल सही है, लेकिन यह बातें सुन और पढ़कर किसी भ्रम में न रहें कि आपको कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं हो सकता। बल्कि आपकी यही रोग-प्रतिरोधक क्षमता और अति आत्मविश्वास आपको मौत के मुंह में धकेल सकता है। इस रिपोर्ट में इस बारे में विस्तार से जानते हैं...
आपको भी यह बीमारी हो सकती है। हां, रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होने की वजह से आपका शरीर इस वायरस से पूरी ताकत से लड़ता है। हो सकता है आप वायरस से संक्रमित हों, लेकिन आपमें इसके लक्षण न दिख रहे हों। मतलब आप असिम्टोमैटिक संक्रमण की चपेट में हों।
असिम्टोमैटिक क्या होता है?
सीधे-सपाट शब्दों में असिम्टोमैटिक का मतलब वही होता है जो आप ऊपर के पैराग्राफ में पढ़ चुके हैं। यानी आपमें संक्रमण तो है, लेकिन कोई लक्षण न दिखने के कारण आपको उसकी जानकारी नहीं है। यह स्थिति इसलिए ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि इसमें आप लापरवाह हो जाते हैं। घर में, बाहर और दफ्तर में लोगों से सामान्य रूप से मिलते-जुलते हैं और इससे आप दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं। myUpchar से जुड़े एम्स के डॉ. अजय मोहन के अनुसार बुखार, सर्दी-जुकाम और सांस फूलना कोरोना वायरस के आम लक्षण हैं, लेकिन कुछ लोगों में ये लक्षण नजर नहीं आते। डॉक्टरों की भाषा में ऐसी ही स्थिति को असिम्टोमैटिक कहा जाता है।
आपकी जान को है बड़ा खतरा
आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है, इसलिए संक्रमित होने के बावजूद आपमें लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं। असल में यही स्थिति आपके लिए बेहद घातक है। संक्रमण आपके शरीर में अंदर ही अंदर बढ़ता रहेगा और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता उसके लक्षणों को बाहर नहीं आने देगी। धीरे-धीरे संक्रमण इतना बढ़ जाएगा कि यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर हावी हो जाएगा। इसके बाद अचानक से लक्षण दिखने लगेंगे, लेकिन तब तक संक्रमण बहुत ज्यादा फैल चुका होगा और इलाज के लिए बहुत देर हो चुकी होगी। ऐसे मामलों में मौत की आशंका काफी ज्यादा होती है।
आज कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा पीड़ित अमेरिका है। यहां के मैसाचुसेट्स इलाके में कोरोना संक्रमण के कई मामले अचानक सामने आए थे। उस दौरान पता चला था कि 2000 संक्रमितों में से 85 लोगों में कोई लक्षण नजर ही नहीं आ रहे थे। जापान की हेल्थ एजेंसी के अनुसार बच्चों, युवाओं और जिन लोगों को कोई लाइफस्टाइल डिजीज नहीं है उनमें असिम्टोमैटिक संक्रमण का खतरा ज्यादा है। यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज एंड कंट्रोल ने भी इस बात की तस्दीक की है।
असिम्टोमेटिक संक्रमण में शरीर के अंदर क्या होता है
संक्रमण को पहचान कर शरीर का रोग प्रतिरोधी तंत्र तुरंत एक्टिव हो जाता है। कई गंभीर मरीजों में पाया गया कि हमारा रक्त उच्च स्तर के इम्यून सिस्टम प्रोटीन (साइटोकिन्स) के साथ मिलकर इस संक्रमण से लड़ता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह साइटोकिन्स एक रोग प्रतिरोधक प्रतिक्रिया के सुबूत हैं, जिन्हें साइटोकिन स्टॉर्म कहा जाता है। इस स्थिति में हमारा शरीर वायरस के साथ अपनी ही कोशिकाओं और ऊतकों पर हमला कर देता है।
(ये भी पढ़ें - COVID 19: ये खबर संभालकर रख लें, लॉकडाउन खुलने के बाद आपके काम आएगी)
रिसर्च क्या कहती है
जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी, अटलांटा में वायरोलॉजिस्ट और इम्यूनोलॉजिस्ट पीएचडी मुकेश कुमार ने अपनी एक रिसर्च के जरिए साइटोकिन स्टॉर्म की डराने वाली तस्वीर पेश की है। उन्होंने रिसर्च में पाया कि यह वायरस किसी कोशिका को संक्रमित करने के बाद तेजी से अपनी संख्या बढ़ाता है। इससे कोशिका पर काफी ज्यादा तनाव बढ़ जाता है और वह मुसीबत का इशारा करते हुए लगातार सिग्नल भेजती है। हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम इस तरह से काम करता है कि जब किसी कोशिका को बाहरी तत्व संक्रमित कर देता है तो वह बाकी शरीर को बचाने के लिए खुद को खत्म कर देती है। खासतौर पर फेफड़ों में जब एक के बाद एक कई कोशिकाएं संक्रमित हो जाती हैं और वे खुद को खत्म करने लगती हैं तो इससे फेफड़ों की दीवार कमजोर हो जाती हैं। इससे हवा की छोटी-छोटी थैलिया लीक कर जाती हैं और उनमें पानी भर जाता है। इससे निमोनिया हो जाता है और वहां खून में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। एक-एक कर कोशिकाएं खुद को खत्म करती जाती हैं और पूरे फेफड़े ही खत्म हो जाते हैं। मुकेश कुमार के अनुसार इन्हें दोबारा ठीक भी नहीं किया जा सकता। जानकारों को लगता है कि ज्यादातर मौतों के पीछे कारण भी यही है।
(ये भी पढ़ें - कोरोना वायरस के संक्रमण से बचना है तो चेहरा छूने की आदत छोड़े)
आप सुरक्षित रहें यही हमारा ध्येय
मुकेश कुमार ने बताया, उन्होंने अपनी रिसर्च में पाया कि सार्स-सीओवी-2 की वजह से पैदा होने वाले साइटोकिन स्टॉर्म, जीका वायरस और वेस्ट नाइल वायरस से 50 गुना ज्यादा हैं। इसलिए आप सबसे हमारी यही गुजारिश है कि आप घर में रहें, भले ही आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कितनी ही अच्छी क्यों न हो। बहुत जरूरी काम हो तभी बाहर जाएं और मास्क पहनकर ही निकलें। सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें और समय-समय पर साबुन व पानी से हाथ धोते रहें। आप सुरक्षित रहें और आपको स्वास्थ्य संबंधी हर जानकारी और सलाह मिले, इसलिए myUpchar में हम दिन रात काम कर रहे हैं।
(ये भी पढ़ें - कोविड-19 वैक्सीन: लक्ष्य और वैक्सीन के प्रकार)
शहर के इन्फेक्टीओलॉजिस्ट खोजें
इम्यूनिटी मजबूत है तो किसी भ्रम में ना रहें, आपको पलभर में धराशायी कर सकता है कोरोना वायरस के डॉक्टर

Dr Rahul Gam
संक्रामक रोग
8 वर्षों का अनुभव

Dr. Arun R
संक्रामक रोग
5 वर्षों का अनुभव

Dr. Neha Gupta
संक्रामक रोग
16 वर्षों का अनुभव

Dr. Anupama Kumar
संक्रामक रोग
उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें इम्यूनिटी मजबूत है तो किसी भ्रम में ना रहें, आपको पलभर में धराशायी कर सकता है कोरोना वायरस है
- Proctosedyl BD Cream - ₹108
- Anovate Cream - ₹140
- Pilo GO Cream - ₹80
- Covifor Injection - ₹3780
- Fabiflu 200 Mg Tablet - ₹1292
- Fabiflu 400 Tablet - ₹856
- Fabiflu (Favipiravir) 400 Mg Tablet - ₹1224
- Fabiflu (Favipiravir) 200 Mg Tablet - ₹1292
- Remdesivir Injection - ₹10500
- Molusafe Capsule - ₹457
- Movfor 200 Mg Capsule - ₹2490
- Molflu 200 Mg Capsule - ₹1400
- Molulife 200 Capsule - ₹1399
- Cipmolnu 200 Mg Capsule - ₹2000
- Molxvir 200 Mg Capsule - ₹1520
- Immunocin Alpha Plus 1.6mg Injection - ₹5998
- Alzumab Injection - ₹8229
- Imualfa 1.6mg Injection 1ml - ₹2628
- Molnutor 200 Mg Capsule - ₹2000
- Sotrovimab Injection - ₹165000
- Nirmatrelvir - ₹5000
- Molnupiravir 200 Mg Capsule - ₹1400
- Covihalt 200 Tablet - ₹465
- Ciplenza Tablet - ₹646
- Itolizumab Injection - ₹8220