हृदय की धड़कनों के साथ-साथ हृदय के अंदर खून के तीव्रता से प्रवाहित होने की आवाजों को “हार्ट मर्मर” कहा जाता है। हार्ट वाल्व का काम हृदय के ऊपरी व निचले हिस्‍से (एट्रिया और वेंट्रिकल्स) में खून के बहाव को नियंत्रित रखना होता है। इन वाल्‍व में दिक्‍कत होने की वजह से हृदय से मर्मर यानी सरसराहट जैसी आवाज आने लगती है। इसकी वजह से हृदय सामान्य से अधिक तेजी से खून को पंप करने लगता है। इस प्रयास में हृदय कम समय में अधिक मात्रा में ब्‍लड को पंप कर देता है।

इसके अलावा हार्ट मर्मर के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे जन्मजात हृदय रोग, वृद्धावस्‍था और हृदय संबंधी कोई अन्य समस्या। हार्ट मर्मर से आमतौर पर कोई नुकसान नहीं होता है और ना ही इसका इलाज करवाने की आवश्यकता पड़ती है। हालांकि, कुछ दुर्लभ मामलों में हार्ट मर्मर की वजह से कुछ परेशानियां आ सकती हैं।

हार्ट मर्मर के कारणों को समझें

निम्‍न समस्‍याओं के कारण दिल की धड़कन तेज हो सकती है और उसमें मर्मर या सरसराहट की आवाज़ आ सकती है। 

  • हृदय संबंधी कुछ जटिलताएं:
  • हृदय की वाल्व से संबंधित समस्याएं:
    • जन्मजात (जन्म से मौजूद) विकार
      जन्‍मजाम विकार जैसे कि दिल में छेद या हार्ट वाल्व में खराबी की वजह से हृदय संबंधी रोग हो सकते हैं। इनके दुष्प्रभाव के रूप में हार्ट मर्मर की शिकायत हो सकती है।
       
    • माइट्रल/एओर्टिक रिगर्जिटेशन:
      माइट्रल वाल्व, हृदय के एट्रियम से वेंट्रिकल में रक्‍त प्रवाह को नियंत्रित करती है। जब माइट्रल वाल्व से खून वापस गलत दिशा में बहता है तो इसके परिणामस्वरूप हार्ट मर्मर होने लगता है। माइट्रल वाल्व से खून गलत दिशा में बहने का मुख्य कारण है, वाल्व का पूरी तरह से बंद ना हो पाना, जिसे माइट्रल वाल्व प्रोलैप्स कहा जाता है। इस स्थिति में हृदय क्षतिग्रस्त हुई वाल्व में रक्‍त प्रवाह का प्रयास करने लगजा है जिससे दिल की धड़कन तेज हो जाती हैं। एओर्टिक रिगर्जिटेटशन भी ऐसी ही स्थिति है, जिसमें खून वापस एओर्टिक वाल्व की तरफ प्रवाहित होने लगता है।
       
    • एओर्टिक स्क्लेरोसिस:
      एओर्टिक वाल्‍व (एओर्टिक स्क्लेरोसिस) के लगातार सख्‍त होने की वजह से वृद्धावस्‍था में हार्ट मर्मर की समस्‍या होना एक समस्‍या है। यह समस्‍या प्रत्‍येक तीन में से एक व्‍यक्‍ति को प्रभावित करती है। एओर्टिक स्क्लेरोसिस से होने से कुछ लक्षण विकसित हो सकते हैं जिनमें से छाती में तीव्र दर्द होना और हृदय गतिविधियां बढ़ जाने सांस लेने में दिक्कत आदि आम हैं।
       
    • एओर्टिक स्टेनोसिस:
      एओर्टिक स्टेनोसिस एक ऐसी समस्या है, जो हृदय में बाएं हाथ की तरफ मौजूद वाल्व के सिकुड़ने के कारण होती है। हृदय, संकुचित वाल्व के अंदर खून की आपूर्ति करने के लिए अधिक तेजी से धड़कता है, जिसके परिणामस्वरूप हार्ट मर्मर की आवाजें आने लगती हैं। यह स्थिति जन्मजात या वृद्धावस्था से जुड़ी हो सकती है या बुखार से संबंधित संक्रमण के कारण हृदय में स्कार (खरोंच जैसे निशान) बनने की वजह से भी यह समस्या हो सकती है।

हार्ट मर्मर की जांच:

सामान्य शारीरिक परीक्षण के दौरान स्टेथोस्कोप की मदद से आसानी से मर्मर (दिल से आने वाली सरसराहट की आवाज) का पता लगाया जा सकता है। हार्ट मर्मर की पुष्टि करने के बाद डॉक्टर कुछ प्रकार के टेस्ट करते हैं, जिनकी मदद से यह पता लगाया जाता है कि हार्ट मर्मर की समस्‍या जन्मजात है या बाद में विकसित हुई है:

  • एक्स-रे:
    हृदय व उसकी वाल्व की संरचना में किसी भी असामान्यता का पता लगाने के लिए एक्स-रे किया जाता है।
  • इकोकार्डियोग्रामर्स कार्डिएक इको:
    इकोकार्डियोग्रामर्स कार्डिएक इको टेस्ट के दौरान ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी मदद से हृदय की संरचना का एक विशेष चार्ट बनाया जाता है।
  • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी (ईसीजी):
    ईसीजी में विद्युत गतिविधियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी मदद से हृदय की संरचनाओं का मैप तैयार किया जाता है।

क्‍या हार्ट मर्मर को रोका जा सकता है?

आमतौर पर हार्ट मर्मर किसी बड़ी समस्या का लक्षण या दुष्‍प्रभाव होता है। इनमें से कुछ ऐसी समस्याएं हैं जिनका इलाज व बचाव करना संभव है। उदाहरण के तौर पर, हृदय दूषित होने के कारण विकसित हुए संक्रमण की रोकथाम करके भी हृदय संबंधी कई समस्याओं से बचा जा सकता है।

हार्ट वाल्व का सामान्य इलाज

हार्ट मर्मर से संबंधित समस्याओं के लिए उपलब्‍ध सामान्‍य उपचार इस प्रकार हैं:

  • घबराहट और ब्लड प्रेशर कम करने के लिए दवा लेना
  • खून के थक्के जमने से रोकने के लिए दवाएं लेना
  • मूत्रवर्द्धक दवाओं का सेवन करना जिससे शरीर से अतिरिक्त पानी और नमक बाहर निकल जाए और हृदय को खून पंप करने में मदद मिले।
  • जन्मजात विकारों और वाल्व संबंधी विकृतियों को ठीक करने के लिए सर्जरी करना।
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