हर साल 28 मई को मासिक धर्म स्वच्छता दिवस (मेन्स्ट्रुअल हाइजीन डे) मनाया जाता है और इसकी शुरुआत साल 2014 में हुई थी। इस दिन का मकसद दुनियाभर की लड़कियों और महिलाओं को उनकी मासिक धर्म से जुड़ी सेहत और स्वच्छता को बनाए रखने के महत्व के बारे में जागरूक करना है। अगर आप गर्भवती नहीं हैं तो आपको हर महीने पीरियड्स तो आते ही होंगे और 10-12 साल की उम्र से हर लड़की को इसके बारे में पता होता है। औसतन हर महिला के जीवनकाल में करीब 450 पीरियड्स होते हैं। 

मासिक धर्म के इस चक्र के साथ महिलाओं को हर महीने उन 4-5 दिनों के दौरान पेट में दर्द, चिड़चिड़ापन, पेट फूलना, मूड स्विंग जैसी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बावजूद इसके आज भी हमारे समाज में मासिक धर्म को टैबू समझा जाता है और इसके बारे में कोई खुलकर बात नहीं करता जिस कारण बड़ी संख्या में लड़कियों और महिलाओं को माहवारी के दिनों में संक्रमण का खतरा रहता है और इसकी वजह से उन्हें प्रजनन संबंधी कई गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। 

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पीरियड्स के दौरान अगर हाइजीन का ध्यान रखा जाए तो योनि में संक्रमण, यीस्ट इंफेक्शन, यूरिन इंफेक्शन और प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली कई तरह की दिक्कतों से बचा जा सकता है। लिहाजा मेन्स्ट्रुअल हाइजीन यानी मासिक धर्म के दौरान साफ-सफाई का मतलब सिर्फ पैड बदलना नहीं है बल्कि इससे जुड़ी कई और बातें भी हैं जिसके बारे में आपको पता होना चाहिए।

पीरियड्स का कैलेंडर मेनटेन करें
हर महीने आपकी माहवारी कितने तारीख को शुरू होती है इसका एक कैलेंडर बनाकर रखना जरूरी है। मासिक धर्म का औसत चक्र 28 दिनों का होता है लेकिन 21 से 35 दिनों के बीच के चक्र को भी सामान्य ही माना जाता है। इन दिनों अनियमित पीरियड्स की समस्या काफी बढ़ रही है। ऐसे में अगर मासिक धर्म समय से पहले आ जाए या देर से आए और लगातार इसी तरह अनियमित रहे तो महिला स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क जरूर करें। अनियमित पीरियड्स का कारण ओवरी में सिस्ट की बीमारी या पीसीओएस भी हो सकती है।

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4-5 घंटे में पैड जरूर चेंज करें
मासिक धर्म के दिनों में रोजाना हर 4-5 घंटे में सैनिटरी नैपकिन चेंज जरूर करें। ये न सोचें कि यह अभी खराब नहीं हुआ है। एक ही पैड को लंबे समय तक इस्तेमाल करने के कारण भी इंफेक्शन का खतरा रहता है। दरअसल, जब पीरियड्स ब्लड शरीर से बाहर निकलता है तो इसकी वजह से योनि में खुजली, जलन, रैशेज या यूरिन इंफेक्शन होने का भी खतरा रहता है। लिहाजा अगर आप नियमित रूप से पैड चेंज करती रहेंगी तो इंफेक्शन का खतरा कम से कम होगा। अगर ब्लीडिंग ज्यादा हो रही हो तो हर 1-2 घंटे में भी पैड चेंज करने की जरूरत पड़ सकती है।

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पीरियड्स के दौरान किसी एक चीज ही इस्तेमाल करें
कई बार पीरियड्स के दौरान महिलाएं सैनिटरी नैपकिन, टैम्पोन या मेन्स्ट्रुअल कप सभी को मिलाकर इस्तेमाल करने लगती हैं या फिर हेवी फ्लो से बचने के लिए एक साथ 2 पैड यूज करती हैं। ऐसा न करें इससे भी इंफेक्शन का खतरा हो सकता है। अगर आपको सैनिटरी नैपकिन या पैड से एलर्जी हो तो आप टैम्पोन या मेन्स्ट्रुअल कप का इस्तेमाल करें। यह पूरी तरह से सेफ होते हैं और इन्हें इस्तेमाल करना भी आसान होता है।

योनि क्षेत्र की करें सफाई
हर रोज नहाने की आदत डालें, फिर चाहे ठंड का मौसम ही क्यों न हो और नहाते वक्त अपने शरीर के बाकी अंगों की ही तरह योनि की भी अच्छे से सफाई करें। खासकर पीरियड्स के दिनों में संक्रमण, खुजली और जलन के खतरे से बचने के लिए योनि क्षेत्र की सफाई जरूरी है। हालांकि इस दौरान साबुन या मार्केट में मिलने वाले हाइजीन प्रॉडक्ट्स के इस्तेमाल की जगह सिर्फ गुनगुने पानी से ही सफाई काफी है।

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पीरियड्स रैशेज से बचें
बहुत सी महिलाओं को मासिक धर्म के दिनों में योनि और आसपास के क्षेत्र में रैशेज का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर जब पीरियड्स के दिनों में ब्लीडिंग ज्यादा हो रही हो और आप लंबे समय तक गीले पैड का ही इस्तेमाल करें तो पीरियड्स रैशेज का खतरा अधिक होता है। पीरियड्स के दौरान जहां तक संभव हो खुद को ड्राई रखने की कोशिश करें, नियमित रूप से पैड बदलती रहें। अगर रैशेज हो जाएं तो एंटीसेप्टिक क्रीम या पाउडर का इस्तेमाल करें।

इस्तेमाल किए गए पैड को कैसे फेंके
अगर माहवारी के दिनों में ब्लीडिंग ज्यादा होने की वजह से कपड़ों में खून का दाग लग जाए तो उन कपड़ों को तुरंत ठंडे पानी से धोकर धूप में सुखा दें ताकि इंफेक्शन का खतरा न हो। इसके अलावा इस्तेमाल किए गए सैनिटरी नैपकिन, पैड या टैम्पोन को यूं ही कहीं भी फेंकने या टॉइलेट में फ्लश करने की बजाए सही तरीके से पेपर में लपेटकर ढक्कन वाले डस्टबिन में ही डालें ताकि उसकी बदबू और इंफेक्शन फैलने के खतरे को कम किया जा सके। साथ ही यूज्ड नैपकिन को फेंकने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ करना न भूलें।

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