वज्रोली मुद्रा को हठ योग का हिस्सा माना गया है. इसे करने से यौन स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सकता है. इसे मुख्य रूप से प्रीमैच्योर इजेकुलेशन की समस्या को ठीक करने के लिए किया जाता है. साथ ही इसे करने से यूरिनरी डिसऑर्डर की समस्या भी कुछ हद तक ठीक हो सकती है. यह रिप्रोडक्टिव सिस्टम को स्वस्थ बनाने में भी लाभदायक होता है.

यह वज्र व ओली दो शब्दों से मिल कर बना है. वज्र का अर्थ है बादलों के टकराने से पैदा होने वाली आवाज या फिर इंद्र देव का हथियार. वहीं, ओली का अर्थ गोद या झोली से होता है. वज्र एक नाड़ी का नाम भी होता है, जो जेनिटल से शुरू होती है. यह नाड़ी जेनिटल सिस्टम को नियंत्रित करती है.

आज लेख में आप जानेंगे कि वज्रोली मुद्रा को कैसे करते हैं और इसके फायदे क्या-क्या हैं -

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  1. वज्रोली मुद्रा के फायदे
  2. सारांश
वज्रोली मुद्रा के फायदे, करने की विधि व सावधानी के डॉक्टर

वज्रोली मुद्रा यौन स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए बेहतरीन योग है. यह मुद्रा पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन और पुरुषों में सभी सेक्सुअल ब्लॉक्स को खोलने में सहायक है. आइए, वज्रोली मुद्रा के फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

पेल्विक फ्लोर डिस्फंक्शन

वज्रोली मुद्रा सेक्सुअल गतिविधियों से जुड़े विभिन्न प्रकार के डिसऑर्डर को ठीक करने में लाभदायक है, जैसे - यूरिनरी ब्लैडर या फिर प्रोस्टेट ग्लैंड का बड़ा होना. साथ ही यूरिन लीकेज व बार-बार पेशाब आना जैसे लक्षणों से राहत मिल सकती है.

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सेक्सुअल फ्लूइड को बचाने में सहायक

वज्रोली मुद्रा सेक्सुअल फ्लूइड को बचाने में सहायक है. इसे रोजाना 5 मिनट करने से प्रीमैच्याेर इजेकुलेशन जैसी समस्या से बचा जा सकता है. वज्रोली मुद्रा से कामेच्छा बढ़ती है, जिससे एक अच्छी सेक्स लाइफ का अनुभव किया जा सकता है. वज्रोली मुद्रा में माहिर होने पर सेक्सुअल फ्लूइड रिटेंशन पर अच्छा कंट्रोल मिलता है, जिससे इंटेंस ऑर्गेज्म महसूस होने में मदद मिलती है.

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सेक्सुअल ब्लॉक्स को खोलने में सहायक

वज्रोली मुद्रा पुरुषों में सभी सेक्सुअल ब्लॉक्स को खोलने में मदद कर सकती है. अगर सेक्सुअल चीजों पर कम नियंत्रण है या फिर इस वजह से मानसिक सेहत भी खराब रहती है, तो यह मुद्रा सारे ब्लॉक को खोल कर सब चीजों में सुधार लाने में सक्षम है. साथ ही वज्र नाड़ी के कारण पाचन में लाभ मिलता है.

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वज्रोली मुद्रा का तरीका

इस मुद्रा को करने के 2 तरीके होते हैं. यहां हम इसका पहला तरीका बता रहे हैं, जिसे करना आसान है, जबकि दूसरा तरीका करना मुश्किल है और उसे काफी अभ्यास व हमेशा प्रशिक्षक की देखरेख में ही किया जा सकता है. आइए, अब जानते हैं कि वज्रोली मुद्रा को किस प्रकार किया जाता है -

  • सबसे पहले आराम से सुखासन या वज्रासन में बैठ जाएं. अगर नीचे बैठना संभव न हो, तो कुर्सी पर बैठ जाएं.
  • अपनी रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखें.
  • अब आंखें बंद करके आराम से सांस लेते हुए अपना ध्यान पेल्विक मसल्स यानी गुदा द्वार व अंडकोष के बीच वाले भाग पर लेकर जाएं.
  • अब सांस लेते हुए गुदा द्वार व अंडकोष के बीच वाले भाग को संकुचित करें और कुछ समय के लिए सांस को रोककर रखें.
  • अब धीरे-धीरे सांस छोड़ें और पेल्विक मसल्स को भी ढीला छोड़ दें.
  • इसे कुछ समय तक होल्ड करके रखें और फिर छोड़ दें. इसके 15 से 20 राउंड जरूर करें.

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वज्रोली मुद्रा को करते समय सावधानियां

वज्रोली मुद्रा को करते समय निम्न बाताें पर जरूर ध्यान देना चाहिए -

  • इस मुद्रा को हमेशा खाली पेट ही किया जाता है.
  • इसे हमेशा मल व मूत्र त्याग करने के बाद ही करना चाहिए.
  • अगर किसी काे पेट में दर्द या पेट संबंधी कोई रोग है, तो इसे नहीं करना चाहिए.
  • अगर किसी को मलद्वार से संबंधित कोई रोग है, तो उसे वज्रोल मुद्रा करने से बचना चाहिए.
  • नाभि में दर्द होने पर भी इसे नहीं करना चाहिए.
  • शुरुआत में इसे प्रशिक्षित योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करना चाहिए.

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वज्रोली मुद्रा के 2 लेवल माने गए हैं. इसमें से पहला लेवल आसान है, जबकि दूसरा लेवल मुश्किल है. यौन स्वास्थ्य से जुड़ी विभिन्न प्रकार की समस्याओं को इस मुद्रा से ठीक किया जा सकता है. खासकर पुरुषों को इसे करने से प्रीमैच्योर इजेकुलेशन की समस्या से राहत मिल सकती है. ध्यान रहे कि इसका पहला लेवल भी शुरुआत में प्रशिक्षक की देखरेख में ही करना चाहिए.

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Dr. Smriti Sharma

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