स्नेह वस्ति थेरेपी जिसे पेट साफ करने के लिए प्रयोग किया जाता है. आयुर्वेद में मूल कारणों का सिर्फ दवाइयों से ही नहीं इलाज किया जाता, बल्कि इसमें डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव करके, संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर करने की कोशिश भी की जाती है. जब शरीर में वात, पित्त और कफ दोष बढ़ जाते हैं, तो इन्हें डिटॉक्स की सलाह दी जाती है और आयुर्वेद इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ऐसी ही एक महत्वपूर्ण थेरेपी है स्नेह वस्ति.
(और पढ़ें - कटी बस्ती क्या है)
इस लेख में आप स्नेह वस्ति की प्रक्रिया और फायदों के बारे में जानेंगे-
स्नेह वस्ति क्या है?
आयुर्वेद में पंचकर्म के मुताबिक स्नेह वस्ति डिटॉक्सिफिकेशन की थेरेपी है. यहां वस्ति का अर्थ है एनिमा. इस थेरेपी में तेल, जड़ी बूटी या घी और हल्की मसाज से इलाज किया जाता है. इसके द्वारा कब्ज जैसी स्थिति को ठीक किया जा सकता है. इस थेरेपी में शरीर में आंतरिक और बाहरी रूप से तेल लगाने की प्रक्रिया को ओलीएशन कहा जाता है और शरीर को चिकनाई मिलती है. पंचकर्म की इस थेरेपी से ब्लड सर्कुलेशन भी बढ़ता है.
(और पढ़ें - वमन क्रिया के फायदे)
स्नेह वस्ति के फायदे
स्नेह वस्ति कठोर मल को नरम करने में सहायक है. इस थेरेपी के प्रयोग से पेट फूलना, कमर के निचले हिस्से में दर्द और ड्राइनेस कम करने के लिए भी किया जाता है. स्नेह वस्ति शरीर में वात दोष को कंट्रोल करती है और गैस्ट्रिक समस्या कम करती है. आइए विस्तार से जानते हैं स्नेह वस्ति से मिलने वाले फायदों के बारे में-
- इस थेरेपी से कमर के निचले हिस्से में दर्द, गाउट और गठिया के कारण होने वाला दर्द कम होता है.
- कब्ज और पेट फूलना जैसी गैस्ट्रिक समस्याओं का इलाज किया जा सकता है.
- पैरालिसिस जैसे तंत्रिका संबंधी बीमारियों को ठीक किया जा सकता है.
- इस थेरेपी से वात दोष को भी ठीक किया जा सकता है.
(और पढ़ें - कषाय वस्ति के फायदे)
स्नेह वस्ति की प्रक्रिया
डॉक्टर स्नेह वस्ति थेरेपी को उम्र, बीमारी और कई अन्य फैक्टर्स के आधार पर करते हैं.
- इस प्रक्रिया से पहले मरीज को पेट और कमर के लिए मसाज और स्टीम बाथ देते हैं.
- इस प्रक्रिया से पहले भोजन भी बहुत लाइट खाना चाहिए.
- मसाज के बाद मरीज को उस जगह पर लेटना होता है, जो न तो अधिक ऊंची हो और न ही अधिक नीची.
- मरीज को बाई साइड लेटना होता है और इस दौरान उसकी दांई जांघ मुड़ी हुई होनी चाहिए और दूसरी जांघ पूरी खुली होनी चाहिए.
- वर्टेब्रल कॉलम की दिशा में इस उपकरण में बिना हाथ हिलाए प्रेशर के माध्यम से ऑयल भर दिया जाता है.
- यह प्रक्रिया ज्यादा तेज या धीमी नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसमें मीडियम फोर्स लगा होना चाहिए और वह भी केवल एक ही बार.
- इसके बाद मरीज को सीधा लेट जाना होता है और अपनी एड़ियों के नीचे तकिया रखा जाता है.
- इसके बाद भी पेट, हाथों और पैरों को मसाज दी जाती है.
- इस थेरेपी के बाद मरीज को रात में कुछ नहीं खाना चाहिए और सीधा सुबह ही नाश्ता करना चाहिए.
(और पढ़ें - क्षीरा धूमम के फायदे)
सारांश
स्नेह वस्ति आंतों को डिटॉक्सिफाई कर शरीर से सारे टॉक्सिंस को बाहर निकालने में सहायक है. स्नेह वस्ति से पेन मैनेजमेंट, गैस की समस्या, कब्ज की समस्या आदि कम होती हैं, लेकिन इसका प्रयोग 70 से अधिक उम्र के लोगों को नहीं करना चाहिए. यह भी ध्यान रखें कि इस थेरेपी का प्रयोग किसी एक्सपर्ट की देखरेख में करना बेहतर है. साथ ही इस बात का भी ख्याल रखें कि इसका प्रयोग केवल तब ही करें जब काफी ज्यादा इमरजेंसी हो.
(और पढ़ें - धन्याम्लाधारा के फायदे)
शहर के आयुर्वेदिक डॉक्टर खोजें
स्नेह बस्ती क्या है, प्रक्रिया और फायदे के डॉक्टर

Dr. Megha Sugandh
आयुर्वेद
6 वर्षों का अनुभव

Dr. Nadeem
आयुर्वेद
3 वर्षों का अनुभव

Dr.Ashok Pipaliya
आयुर्वेद
12 वर्षों का अनुभव
