जैसे-जैसे उम्र अधिक होती है, शरीर में कोलेजन और इलास्टिन नामक प्रोटीन में कमी आने लगती है. इसकी वजह से त्वचा ढीली पड़ने लगती है. त्वचा पर झुर्रियां व फाइन लाइंस नजर आने लगते हैं. 35 से 40 वर्ष की उम्र में कोलेजन का उत्पादन कम होने लगता है. ऐसे में अधिकतर लोग अपनी त्वचा को एजिंग से बचाने के लिए तरह-तरह के सर्जिकल ट्रीटमेंट लेते हैं, लेकिन सर्जिकल या प्लास्टिक ट्रीटमेंट महंगा हो सकता है. साथ ही इसके कुछ गंभीर नुकसान भी हो सकते हैं. अगर आप नॉन-सर्जिकल ट्रीटमेंट चाहते हैं, तो इसके लिए रेडियोफ्रीक्वेंसी स्किन टाइटनिंग ट्रीटमेंट बेस्ट साबित हो सकता है. 

आज इस लेख में आप स्किन टाइटनिंग के लिए और कोलेजन बढ़ाने के लिए रेडियोफ्रीक्वेंसी ट्रीटमेंट के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. रेडियोफ्रीक्वेंसी स्किन टाइटनिंग क्या है?
  2. रेडियोफ्रीक्वेंसी स्किन टाइटनिंग कैसे काम करती है?
  3. रेडियोफ्रीक्वेंसी स्किन टाइटनिंग के फायदे
  4. रेडियोफ्रीक्वेंसी का असर कब तक रहता है?
  5. रेडियोफ्रीक्वेंसी से होने वाले नुकसान
  6. रेडियोफ्रीक्वेंसी ट्रीटमेंट की कीमत
  7. सारांश
रेडियोफ्रीक्वेंसी स्किन टाइटनिंग के फायदे व नुकसान के डॉक्टर

रेडियोफ्रीक्वेंसी स्किन टाइटनिंग ट्रीटमेंट एक तरह की थेरेपी होती है. यह स्किन को टाइट बनाने का नॉन-सर्जिकल तरीका है. रेडियोफ्रीक्वेंसी सेफ और इफेक्टिव एंटी एजिंग ट्रीटमेंट है. चेहरे और गर्दन से एजिंग के लक्षणों को कम करने में यह मददगार साबित हो सकता है. इसके अलावा, यह पेट या ऊपरी हाथों के आसपास की ढीली त्वचा को भी टाइट बनाने में मदद कर सकता है.

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रेडियोफ्रीक्वेंसी ट्रीटमेंट में सर्जरी नहीं की जाती है. इस प्रक्रिया में त्वचा की गहरी परत को गर्म करने के लिए ऊर्जा तरंगों का उपयोग किया जाता है. इसे डर्मिस के रूप में जाना जाता है. जब त्वचा पर गर्मी पैदा होती है, तो यह गर्मी कोलेजन के उत्पादन को उत्तेजित करती है. साथ ही इलास्टिन का उत्पादन भी तेजी से होने लगता है. इस तरह से त्वचा समय के साथ टाइट, मोटी और मजबूत बनने लगती है. त्वचा में कसाव भी आने लगता है.

आपको बता दें कि रेडियोफ्रीक्वेंसी की तरंगें त्वचा की गहरी परत को 122 और 167°F  के बीच गर्म करती हैं. इससे कोलेजन के उत्पादन में मदद मिलती है. दरअसल, कई अध्ययनों में साबित हुआ है कि 3 मिनट तक 115°F से अधिक तापमान बनाए रखने से शरीर हीट-शॉक प्रोटीन रिलीज करता है. ये प्रोटीन शरीर को नए कोलेजन फाइबर बनाने में मदद करता है. इस प्रक्रिया में आमतौर पर 30 से 90 मिनट लग सकते हैं.

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रेडियोफ्रीक्वेंसी स्किन टाइटनिंग एक दर्द रहित ट्रीटमेंट होता है. यह त्वचा में कोलेजन के उत्पादन को बढ़ाकर एजिंग को कम करने का काम करता है. इससे झुर्रियों और फाइन लाइंस से छुटकारा मिल सकता है. साथ ही यह सूरज की वजह से त्वचा को होने वाले नुकसान को भी कम करने में मदद कर सकता है -

सन डैमेज ठीक करे

रेडियोफ्रीक्वेंसी ट्रीटमेंट सूरज की वजह से त्वचा को होने वाले नुकसान को भी ठीक कर सकता है. दरअसल, सूरज की पराबैंगनी (यूवी) किरणों के संपर्क में आने से त्वचा में कोलेजन कम होने लगता है. इसकी वजह से आपको सन टैन, झुर्रियों और फाइन लाइंस आदि का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में रेडियोफ्रीक्वेंसी ट्रीटमेंट लेना फायदेमंद हो सकता है. इसे लेने से सूजन की वजह से त्वचा को हुए नुकसान में सुधार हो सकता है.

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त्वचा को टाइट करे

उम्र बढ़ने पर त्वचा ढीली पड़ने लगती है. ऐसे में रेडियोफ्रीक्वेंसी ट्रीटमेंट लाभकारी हो सकता है. आरएफ ट्रीटमेंट कोलेजन के उत्पादन को बढ़ाने में मदद कर सकता है. इससे ढीली और झुर्रीदार त्वचा टाइट बन सकती है. आरएफ ढीली त्वचा को कसने में मदद कर सकती है.

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चेहरे में कसाव लाए

रेडियोफ्रीक्वेंसी ट्रीटमेंट चेहरे में कसाव लाने में भी मददगार साबित हो सकता है. कई अध्ययनों में भी साबित हो चुका है कि आरएफ चेहरे की स्किन पर भी काम कर सकता है. यह चेहरे की त्वचा की लोच में सुधार कर सकता है.

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झुर्रियां व महीन रेखाएं मिटाए

उम्र बढ़ने पर जब कोलेजन कम होने लगता है, तो झुर्रियां और फाइन लाइंस पड़ने लगते हैं. ये एजिंग के सबसे आम लक्षण होते हैं, लेकिन आरएफ एजिंग के इन लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है. आरएफ ट्रीटमेंट झुर्रियों को काफी हद तक कम करने में मदद कर सकता है. कई अध्ययनों में पता चला है कि 6 सप्ताह में तीन आरएफ लेने से झुर्रियां को कम किया जा सकता है.

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चेहरे का फैट कम करे

रेडियोफ्रीक्वेंसी स्किन टाइटनिंग ट्रीटमेंट चेहरे के फैट को भी कम करने में असरदार साबित हो सकता है. कई अध्ययनों में भी दिखा है कि आरएफ चेहरे के फैट को कम करके चेहरे को स्लीम कर सकता है.

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रेडियोफ्रीक्वेंसी स्किन टाइटनिंग ट्रीटमेंट का असर सर्जरी की तुलना में कम समय तक ही रहता है. फिर भी एक बार आरएफ लेने के बाद एक या दो साल तक इसे फिर से लेने की जरूरत नहीं पड़ती है.

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रेडियोफ्रीक्वेंसी का त्वचा पर काफी असर पड़ता है. इससे झुर्रियां, फाइन लाइंस कम होते हैं. साथ ही यह सूरज की वजह से होने वाले नुकसान को भी कम कर सकता है, लेकिन आरएफ के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं -

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इसकी कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि शरीर के किस हिस्से पर ये थेरेपी ली जा रही है. अमूमन इसकी कीमत करीब 5 हजार से शुरू होती है, जो थेरेपी सेंटर और राज्य के अनुसार कम या ज्यादा हो सकती है.

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रेडियोफ्रीक्वेंसी को स्किन टाइनिंग ट्रीटमेंट के रूप में जाना जाता है, क्योंकि आरएफ स्किन को टाइट बनाने का काम करता है. रेडियोफ्रीक्वेंसी थेरेपी त्वचा को कसने में मदद कर सकती है. यह प्रक्रिया आमतौर पर सुरक्षित होती है. इसमें डॉक्टर ऊर्जा तरंगों के माध्यम से त्वचा में गर्मी पैदा करते हैं. यह गर्मी त्वचा पर कोलेजन का उत्पादन बढ़ाती है. इससे झुर्रियां व फाइन लाइंस जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है, लेकिन आरएफ को हमेशा डॉक्टर के दिशा-निर्देश पर ही करना चाहिए, क्योंकि आरएफ से त्वचा पर जलन, खुजली और रेडनेस हो सकती है.

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