वसंत ऋतु आते ही तापमान में बढोतरी के साथ ही गर्माहट आनी शुरू हो जाती है। वसंत ऋतु में हम सर्दियों की बजाय खुले आसमान में ज्यादा समय बिताते हैं। हमारी दिनचर्या की चहल-पहल बढ़ जाती है। वसंत ऋतु में मौसम में शुष्क हवा तथा तापमान में बढ़ोतरी से त्वचा में जलन तथा अन्य सौंदर्य समस्याएं उभर जाती है।

मौसम में बदलाव के साथ ही हमें अपनी सौंदर्य आवश्यकताओं को बदलकर बदलते मौसम के अनुरूप ढलना चाहिए, ताकि हमारी त्वचा तथा बालों की पर्याप्त देखभाल सुनिश्चित की जा सके।

वास्तविकता यह है कि हम हर मौसम में सुंदर दिखना चाहते हैं। त्वचा को सौंदर्य बनाए रखने के लिए त्वचा की प्रकृति, मौसम के मिजाज तथा इसकी पोषक जरूरतों के प्रति निरंतर सजग रहना पड़ता है। वसंत ऋतु शुरू होते ही आप यह महसूस करते हैं कि आपकी त्वचा रूखी तथा पपडीदार बन गई है। इस मौसम में त्वचा में नमी की कमी की वजह से आपकी त्वचा में रूखे लाल चक्कते भी पड़ जाते है। वसंत ऋतु में सर्दियां खत्म होते ही आपकी अपनी त्वचा की आर्द्रता को बराबर बनाए रखने की आवश्यकता होती है। अगर आपकी त्वचा अत्यधिक शुुष्क है तथा इसमें रूखे लाल चकत्ते पड़ रहे हैं तो आप तत्काल रसायनिक साबुन का प्रयोग करना बन्द कर दीजिए। साबुन की बजाय सुबह-शाम क्लींजर का उपयोग कर सकते हैं। त्वचा को प्रतिदिन क्लींजिंग के साथ ही त्वचा को पोषाहार भी प्रदान कीजिए।

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घरेलू आर्युवेदिक उपचार के तौर पर आप त्वचा पर तिल के तेल की मालिश कर सकते हैं। वैकल्पिक तौर पर आप दूध में कुछ शहद की बूंदे डालकर इसे त्वचा पर लगाकर 10-15 मिनट तक लगा रहने दीजिए तथा बाद में इसे ताजे स्वच्छ जल से धो डालिए। यह उपचार सामान्य तथा शुष्क दोनों प्रकार की त्वचा के लिए उपयोगी है। यदि आपकी त्वचा तैलीय है तो 50 मिली लीटर गुलाब जल में एक चम्मच शुद्ध ग्लिसरीन मिलाइए। इस मिश्रण को बोतल में डालकर इसे पूरी तरह मिलाकर इस मिश्रण को चेहरे पर लगा लीजिए। आपको यह अहसास होगा कि ग्लिसरीन तथा गुलाब जल से त्वचा में पर्याप्त आर्द्रता बनी रहती है तथा त्वचा में ताजगी का अहसास होता है।

आप तैलीय त्वचा पर भी शहद का लेप कर सकते हैं। शहद प्रभावशाली प्राकृतिक आर्द्रता प्रदान करके त्वचा को मुलायम तथा कोमल बनाता है। वास्तव में आप वसंत ऋतु के दौरान रोजाना 15 मिनट तक शहद का लेपन अपने चेहरे पर करके उसे स्वच्छ ताजे पानी से धो सकते हैं तथा इससे त्वचा पर सर्दियों के दौरान पडे़ विपरीत प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। वसंत ऋतु आते ही त्वचा में एलर्जी की समस्या देखने को मिलती है, जिसमें त्वचा में खारिश, चकत्ते तथा लाल धब्बे देखने में मिलते है।

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वसंत ऋतु में वातावरण में वायु तथा जल प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है। इसका त्वचा पर सीधा प्रभाव पड़ता है इन परिस्थितियों में ‘‘ओवर क्रीम’’ सौंदर्य प्रसाधन काफी मददगार साबित होते हैं, चन्दन क्रीम को त्वचा को संरक्षण तथा रंगत रखने में अत्यंत उपयोगी माना जाता है। इससे फोडे़-फुन्सी तथा अन्य एलर्जी को शांत रखने में मदद मिलती है। इससे त्वचा में खारिश को नियंत्रित रखने में भी मदद मिलती है। लेकिन यदि त्वचा में खारिश ज्यादा हो तो डॉक्टर की सलाह आवश्य लीजिए। चन्दन अत्यधिक गुणकारी होता है तथा सभी प्रकार की त्वचा के लिए उपयोगी माना जाता है। यह प्रभावकारी एंटीसेप्टिक होता है तथा त्वचा की नमी बनाए रखने की क्षमता को भी बढ़ाता है।

त्वचा के रोगों खासकर फोड़े, फुंसी लाल दाग तथा चकत्ते आदि में तुलसी को भी अत्यधिक उपयोगी माना जाता है। तुलसी के औषधीय गुणों की वजह से इसे प्राचीन काल से ही पूजा जाता है। आधुनिक वैज्ञानिक अनुसन्धानों में यह पाया गया है कि तुलसी हवा को शुद्ध करती है तथा त्वचा को शान्त, शौम्य तथा चिकित्सकीय लाभ प्रदान करता है। शायद इसी वजह से प्राचीन समय से ही तुलसी को घर के आंगन में उगाया जाता है।

त्वचा के घरेलू उपचार में नीम तथा पुदीना की पत्तियां भी काफी सहायक मानी जाती हैं।

वसंत ऋतु में घरेलू उपचार

त्वचा की खाज, खुजली तथा फुंसियों में चन्दन पेस्ट का लेपन कीजिए। चन्दन पेस्ट में थोड़ा सा गुलाब जल मिलाकर उसे प्रभावित त्वचा पर लगाकर आधा घंटे बाद ताजे स्वच्छ जल से धो डालिए।

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चन्दन का सुगन्धित तेल भी इसमें अत्यधिक लाभकारी साबित होता है। दो या तीन बूंद चन्दन सुगन्धित तेल को 50 मिली लीटर गुलाब जल में मिलाइए तथा इसे प्रभावित क्षेत्र पर लगाइए। त्वचा की खारिश में एपल साइडर विनेगर काफी मददगार साबित होता है। इससे एंटीसेप्टिक तथा एंटी फंगल गुण विद्यमान होते हैं, जिससे गर्मी की जलन तथा बालों को रूसी की समस्या को निपटने में अहम मदद मिलती है। एपल साइडर विनेगर की कुछ बूंदों को काटनवूल की मदद से खारिश वाले हिस्से पर लगाइए। यदि आपको एपल साइडर विनेगर मार्किट में नहीं मिल रहा तो इसकी जगह पर विकल्प के तौर पर रसोई में प्रयोग किए जाने वाले सिरके का उपयोग भी कर सकते हैं।

नींबू की पत्तियों को चार कप पानी में हल्की आंच पर एक घंटा उबालिए। इस मिश्रण को टाईट जार में रात्रि भर रहने दीजिए। अगली सुबह मिश्रण से पानी निचोड़ कर पत्तियों का पेस्ट बना लीजिए तथा इस पेस्ट को प्रभावित त्वचा पर लगा लीजिए। नीम में आर्गेनिक सल्फर कम्पाउंड विद्यमान होते हैं, जिसकी  चिकित्सक गुणों की वजह से त्वचा को विशेष लाभ मिलता है। त्वचा में मुल्तानी मिट्टी भी अत्यधिक शांतकारी साबित होती है। एक चम्मच मुल्तानी मिट्टी को गुलाब जल में मिलाकर इस पेस्ट को प्रभावित क्षेत्र में लगाकर 15-20 मिनट बाद धो डालिए। त्वचा की खारिश में बायोकार्बोनेट सोडा भी अत्यधिक प्रभावशाली साबित होता है। बायोकार्बोनेट सोड़े तथा मुल्तानी मिट्टी एवं गुलाब-जल का मिश्रण बनाकर पैक बना लें तथा इसे खारिश, खुजली चकत्ते तथा फोड़े फुंसियों पर लगाकर 10 मिनट बाद ताजे स्वच्छ जल से धो डालिए तथा इससे त्वचा को काफी राहत मिलेगी।

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