शिशुओं या छोटे बच्चों का किसी भी समय रोना आम है. यह ऐसी प्रतिक्रिया होती है, जिसके जरिए बच्चे अपनी बात को समझाने का प्रयास करते हैं. वहीं, कुछ बच्चे नींद में भी अचानक से रोने लगते हैं. यह देखकर अक्सर पेरेंट्स घबराने लगते हैं. अधिकतर मामलों में बच्चों का नींद में रोना कोई गंभीर समस्या का संकेत नहीं होता है. लगभग 30 फीसदी बच्चे नींद के दौरान रोते हैं. कुछ बच्चे दांत निकलने से होने वाले दर्द के कारण सोते हुए रोते हैं, तो कुछ बुरा सपना देखने पर ऐसी प्रतिक्रिया देते हैं.

आज इस लेख में आप बच्चों के नींद में रोने के कारणों व उन्हें चुप कराने के तरीके के बारे में जानेंगे -

(और पढ़ें - बच्चों को चुप कराने का तरीका)

  1. बच्चों का नींद में रोने का कारण
  2. नींद में रोते हुए बच्चों को कैसे चुप कराएं?
  3. सारांश
बच्चे नींद में रोएं, तो कैसे चुप कराएं के डॉक्टर

कई पेरेंट्स शिकायत करते हैं कि उनका बेबी नींद में रोने लगता है, लेकिन ये किसी बीमारी का संकेत नहीं है, बल्कि सिर्फ एक प्रतिक्रिया होती है. इसलिए, नींद में रोना बच्चों के विकास के लिए सामान्य माना जाता है. बड़ों की तुलना में बच्चों की नींद बिल्कुल अलग होती है. वे 16 से 20 घंटे सो सकते हैं. नींद में रोने के कुछ आम कारण इस प्रकार हैं -

नवजात शिशु

नवजात शिशु नींद में अचानक से रोना शुरू कर सकते हैं, क्योंकि वो अभी तक नींद की टाइमिंग को पूरी तरह से समझ नहीं पाते हैं. इसलिए, शिशुओं का नींद में रोना और अचानक से बार-बार जागना आम बात मानी जाती है.

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बात समझाना

छोटे बच्चे बोल नहीं सकते, इसलिए वो रोकर अपनी बात समझाने का प्रयास करते हैं. वो अपनी जरूरतों को बताने के लिए भी नींद में रो सकते हैं. इस दौरान पेरेंट्स को समझना होता है कि आखिर बच्चे को क्या चाहिए या फिर वह क्यों रो रहा है. 

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बुरे सपने

छोटे बच्चे कोई बुरा सपना देखने पर भी नींद में रो सकते हैं. बुरा सपना उन्हें डरा सकता है, इसकी वजह से कई बार बच्चे रोने लगते हैं. ऐसे स्थिति में बच्चे को शांत कराने कोशिश करें.

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नाइट टेरर

कई बच्चों में नाइट टेरर भी नींद में रोने का कारण बन सकता है. यह समस्या आमतौर पर 4 से 12 साल की उम्र के बच्चों में देखने को मिलती है, लेकिन कुछ बच्चों को 18 महीने की उम्र में भी नाइट टेरर हो सकता है. यह स्थिति कुछ ही बच्चों में देखने को मिलती है. इस स्थिति में बच्चा नींद में रो सकता है. इतना ही नहीं कुछ बच्चे नींद में बोलते भी हैं.

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दांत निकलना

दांत निकलने पर बच्चों को दर्द से परेशान होना पड़ता है. दांत निकलने पर बच्चे दर्द की वजह से नींद में रो भी सकते हैं. ऐसे में चिंतित होने की जरूरत नहीं होती है.

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भूख

छोटे बच्चों को आमतौर पर भूख बार-बार लगती है. कई बच्चे भूख की वजह से भी नींद में रो सकते हैं. ऐसे में उन्हें भोजन या स्तनपान की जरूरत होती है. इसके लिए आप बच्चे ब्रेस्ट फीड करवा सकती हैं.

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गहरी नींद टूटना

बड़ों की तुलना में बच्चे अधिक गहरी नींद में सोते हैं. ऐसे में जब उनकी गहरी नींद किसी कारण से टूट जाती है, तो वे धीरे-धीरे रोने लग सकते हैं. ऐसे में बच्चों को अचानक से जगाने से बचें.

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कई बच्चे नींद में रोते हैं, फिर खुद ही शांत हो जाते हैं, लेकिन कुछ बच्चे नींद में ज्यादा रोने लगते हैं. ऐसे में पेरेंट्स और बच्चे दोनों की नींद खराब हो जाती है. अगर आपका बच्चा भी नींद में रोता है, तो उसे इन तरीकों से चुप कराएं -

पीठ या पेट मलें

अगर बच्चा नींद में रो रहा है, तो उसकी पीठ या पेट पर हाथ रखें. उसे सहलाएं और शांत कराने की कोशिश करें.

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ब्रेस्ट फीडिंग

जब बच्चों को नींद में भूख लगती है, तो वे रोना शुरू कर देते हैं. ऐसे में बच्चों को शांत कराने के लिए स्तनपान करवाएं. दूध पीने से बच्चे का पेट भरेगा और वह शांत हो जाएगा. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो नवजात शिशु को 24 घंटे में 8 से 12 बार स्तनपान करवाना चाहिए. इससे बच्चे की हेल्थ भी सही रहेगी.

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बातचीत करें

कई बार बुरा सपना देखने पर बच्चे रोने लगते हैं. ऐसे में अगर बच्चा थोड़ा बड़ा है, तो आप उससे बात कर सकते हैं. इससे बच्चे को डर का अहसास कम होगा. इस दौरान आप बच्चे को स्तनपान कराने के दौरान बातचीत कर सकती हैं. इससे बच्चा धीरे-धीरे शांत होने लगेगा.

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स्पर्श करें

जब बच्चा नींद में रोता है, तो आप उसके चेहरे, पेट, पीठ व हाथों को स्पर्श कर सकते हैं. बच्चों को स्पर्श से शांत कराया जा सकता है. बच्चा छूने के अहसास से रोना बंद कर सकता है.

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बच्चों का नींद में रोना आम है, यह किसी गंभीर समस्या का संकेत नहीं होता है. नींद में रोने के बाद बच्चा कुछ देर में ही शांत हो जाता है. इसलिए आपको घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन अगर बच्चे को नींद से जुड़ी कोई अन्य समस्या है, तो इस स्थिति को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. ऐसे में तुरंत बच्चों के डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

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