नींद में बोलना - Sleep talking in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

May 07, 2019

March 06, 2020

नींद में बोलना
नींद में बोलना

परिचय

नींद में बोलने की बीमारी को मेडिकल भाषा में “निद्रालाप” (Somniloquy) कहा जाता है। नींद में बोलना एक प्रकार का पैरासोमनिया (नींद के समय असाधारण व्यवहारिक गतिविधियां) होता है। नींद में बोलना एक सामान्य घटना है, जिसे कोई गंभीर मेडिकल समस्या नहीं माना जाता। डॉक्टर अभी तक इस समस्या के बारे में ज्यादा जान नहीं पाए हैं कि यह क्यों होता है और ऐसा मस्तिष्क में क्या होता है कि व्यक्ति नींद में बोलने लग जाता है। नींद में बोलने वाले व्यक्ति को पता नही होता कि वह बोल रहा है और उठने के बाद उसको इस बारे में कुछ याद नहीं होता है। 

नींद में बोलने वाले व्यक्ति को इस घटना के बारे में कुछ भी पता नहीं होता है और नींद के दौरान उनके बोलने की भाषा और आवाज थोड़ी अलग हो सकती है। नींद के दौरान व्यक्ति जो बोलता है, वह स्वभाविक भी हो सकती है या फिर व्यक्ति द्वारा पहले हुई किसी बातचीत से जुड़ी हो सकती है। 

ज्यादातर मामलों में नींद में बोलने की समस्या का इलाज करने की आवश्यकता नहीं होती है। यदि आपको लगता है कि नींद में बोलने की समस्या कंट्रोल से बाहर हो रही है या आपको इससे कुछ अन्य समस्या भी होने लगी हैं, तो ऐसी स्थित में स्लीप स्पेशलिस्ट (नींद के विशेषज्ञ डॉक्टर) से दिखा लेना चाहिए। नींद में बोलने की बीमारी से रात के समय डरना, चिल्लाना या कोई हिंसक गतिविधि करना आदि समस्याएं हो सकती हैं। ऐसी स्थितियों का इलाज करने के लिए डॉक्टर कुछ प्रकार की दवाएं लिख सकते हैं। 

बिस्तर गीला करने और नींद में चलने जैसी समस्याओं की तरह नींद में बोलना भी बचपन में होने वाली काफी आम समस्या होती है और उम्र के साथ-साथ अपने आप ठीक हो जाती है। नींद में बोलने से स्वास्थ्य या शरीर संबंधी कोई हानि तो नहीं होती है, लेकिन इससे मरीज को थोड़ी शर्मिंदगी महसूस हो सकती है। इसके अलावा नींद में बोलने से पास में सो रहे व्यक्ति की नींद में भी बाधा पड़ सकती है।

(और पढ़ें - नींद में चलने के लक्षण)

नींद में बोलना क्या है - What is Sleep talking in Hindi

नींद में बोलना क्या है?

नींद में बोलना या निद्रालाप एक प्रकार का नींद संबंधी विकार है, जिसमें मरीज सोते समय बोलता है और उसको पता भी नहीं होता है। नींद में बोलने के दौरान व्यक्ति खुद से बड़बड़ाता हुआ प्रतीत होता है और इस दौरान बोले गए शब्द इतने जटिल तरीके से बोले जाते हैं कि सुनने वाले व्यक्ति को बहुत ही कम समझ में आता है। यह समस्या आमतौर बहुत कम मामलों में देखी जाती है और थोड़े ही समय तक रह पाती है। यह समस्या के ज्यादातर मामले पुरुषों व छोटे बच्चों में देखे जाती हैं।

(और पढ़ें - नींद की कमी का कारण)

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नींद में बोलने के प्रकार - Types of Sleep talking in Hindi

नींद में बोलने के प्रकार क्या हैं?

नींद में बोलने की बीमारी को स्टेज व उसकी गंभीरता दोनों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है:

स्टेज के अनुसार:

  • स्टेज 1 और 2:
    इन चरणों में व्यक्ति गहरी नींद में नहीं होता है और उसके द्वारा नींद में बोली जाने वाली बातें समझ में आ जाती हैं।  नींद में बोलने वाले जिन लोगों की स्टेज 1 या 2 होती है, वे नींद के दौरान बेमतलबी बातें नहीं करते, मतलब उनकी बातों का अर्थ निकलता है।
     
  • स्टेज 3 से 4:
    इन स्टेज में व्यक्ति गहरी नींद में सो रहा होता है और इस दौरान बोली जाने वाली बातों को समझना काफी मुश्किल हो जाता है। इस दौरान नींद में बोलने वाले व्यक्ति आहें भरने या बड़बड़ाने जैसी आवाज निकालते हैं। 

गंभीरता के अनुसार:

नींद में बोलने की बीमारी कितनी बार हो रही है उसके अनुसार उसकी गंभीरता को निर्धारित किया जाता है:

  • सौम्य (हल्का):
    इसमें व्यक्ति महीने में एक बार नींद में बोलता है।
     
  • मध्यम:
    इसमें नींद में बोलने की समस्या हफ्ते में एक बार होती है। इस दौरान बोली जाने वाली बातों से व्यक्ति के आस-पास सो रहे लोगों की नींद में किसी प्रकार की बाधा नहीं आती है।
     
  • गंभीर:
    इस स्थिति में व्यक्ति हर रात को सोते समय बोलता है और इससे आस-पास सोने वाले अन्य लोगों की नींद में भी बाधा आने लग जाती है।

(और पढ़ें - नींद संबंधी विकार का इलाज)

नींद में बोलने के लक्षण - Sleep talking Symptoms in Hindi

नींद में बोलने के लक्षण क्या हैं?

  • निद्रालाप को आमतौर पर नींद में बोलना (स्लीप टॉकिंग) कहा जाता है, इसमें व्यक्ति सोते समय बड़बड़ाने या स्पष्ट रूप से बोलने लग जाता है।
  • इस समस्या में मरीज रात को अपने आप भी बिना किसी कारण के बोलने या बड़बड़ाने लग जाता है जबकि कुछ मामलों में किसी दूसरे व्यक्ति के द्वारा पूछताछ करने से भी वह बड़बड़ाने लग जाता है। 
  • नींद में बोलने की समस्या कभी-कभार या रोजाना हो सकती है। 
  • नींद में बोलने के दौरान व्यक्ति फुसफुसा या चिल्ला भी सकता है। नींद में बोलने की समस्या आमतौर पर लगभग 30 सेकेंड तक रहती है।

यह समस्या रात को सोते समय किसी भी समय और नींद के किसी भी चरण में हो सकती है। रात के शुरूआती भाग में लोग आमतौर पर गहरी नींद में सोते हैं। इस दौरान नींद में बोलने वाले व्यक्ति फुसफुसाते या अस्पष्ट रूप से बोलते हैं। जैसे ही रात निकलती जाती है, तो नींद भी हल्की होती रहती है और इस समय नींद में बोलने वाले व्यक्ति की बातें समझ में आ सकती हैं। 

इसके अलावा नींद के दौरान किसी प्रकार की आवाज निकालना या उच्चारण करना भी नींद में बोलने का एक उदाहरण हो सकता है। नींद में बोलने के कुछ अन्य उदाहरण भी हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आप नींद में बहुत अधिक बोलते हैं जिस कारण आप रात के समय ठीक से सो नहीं पाते हैं या यदि आपको दिन के समय बहुत अधिक थकान महसूस होती है और काम में ध्यान नहीं लगा पा रहे हैं, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए। 

यदि आपके बच्चे को या आपको नींद में बोलने के साथ-साथ रात को डरावने सपने आना, नींद के दौरान भयभीत होना, पसीने आना या सोते समय कोई अन्य असाधारण गतिविधि भी होती है, तो जल्द से जल्द इस बारे में डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए। जिन वयस्कों लोगों को अचानक से नींद में बोलने की समस्या हो गई है, तो वे भी डॉक्टर को दिखा सकते हैं। 

यदि नींद में बोलने की समस्या बार-बार हो रही है, जिससे पास में सो रहे व्यक्ति की नींद पर असर पड़ रहा है तो ऐसे में डॉक्टर से मदद ले लेनी चाहिए। अगर यह नींद संबंधी किसी विकार के कारण नहीं है, तो डॉक्टर कुछ अन्य अंदरुनी समस्या का पता लगाते जो नींद में बोलने का कारण बन सकती हैं, जैसे भावनात्मक तनाव या नशा करना आदि। 

(और पढ़ें - नशे की लत के कारण)

नींद में बोलने के कारण व जोखिम कारक - Sleep talking Causes & Risk Factors in Hindi

नींद में बोलने का कारण क्या है?

शोधकर्ता अभी तक उन सभी कारणों का पता नहीं लगा पाएं हैं, जिनसे नींद में बोलने की समस्या होती है। हालांकि कुछ अध्ययन से पता चला है कि रेपिड आई मूवमेंट विकार (REM sleep behavior disorder) के कारण भी नींद मे बोलने की समस्या हो सकती है। ऐसा माना जाता है कि मस्तिष्क का जो हिस्सा नींद के दौरान बोलने व अन्य गतिविधियां करने से रोकता है, अगर व ठीक से काम ना करे तो नींद में बोलने की समस्या हो सकती है। 

कुछ अन्य कारक भी हैं, जो नींद में बोलने की संभावना को बढ़ा देते हैं, जैसे:

  • आनुवंशिक (माता-पिता से प्राप्त होने वाले गुण-दोष)
  • नींद की कमी
  • बीमार व्यक्ति 
  • शराब पीना या अन्य कोई नशा करना
  • बुखार होना
  • अधिक तनाव होना
  • डिप्रेशन हो जाना
  • भावनात्मक तनाव बढ़ जाना
  • कुछ निश्चित प्रकार की दवाएं लेना
  • नींद संबंधी कोई समस्या जैसे स्लीप एपनिया

(और पढ़ें - डिप्रेशन के घरेलू उपाय)

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नींद में बोलने की रोकथाम - Prevention of Sleep talking in Hindi

नींद में  बोलने की बीमारी से बचाव कैसे करें?

कुछ उपायों की मदद से नींद में बोलने की संभावना को कम किया जा सकता है, जैसे:

  • नींद का सही शैड्यूल बना कर रखें
  • पूरी नींद लें 
  • नींद के दौरान आने वाली बाधाओं को हटा दें (स्लीप हाइजीन), जैसे शोर आदि
  • शराब ना पिएं
  • सोने से पहले अधिक भारी भोजन ना खाएं
  • शारीरिक व मानसिक तनाव से भी बचें

(और पढ़ें - रात को क्या खाना चाहिए)

नींद में बोलना का परीक्षण - Diagnosis of Sleep talking in Hindi

नींद में बोलने का परीक्षण कैसे किया जाता है?

यदि आपको ऐसा लग रहा है कि आपको नींद संबंधी कोई विकार या समस्या है, तो ऐसे में आपको डॉक्टर को अपने लक्षणों के बारे में बता देना चाहिए। 

यदि डॉक्टर को ऐसा लगता है कि आपके लक्षण किसी नींद संबंधी विकार का संकेत दे रहे हैं, तो वे आपके स्लीप क्लिनिक भेज सकते हैं जहां पर स्लीप स्टडी की जाती है।

स्लीप स्पेशलिस्ट डॉक्टर आपसे पूछ सकते हैं कि आपको कितने समय से नींद में बोलने की समस्या हो रही है। इस बारे में आपके पास सोने वाले लोग व आपके माता-पिता भी बता सकते हैं कि आपको कितने समय से नींद में बोलने की समस्या हो रही है। कुछ लोगों को नींद में बोलने की समस्या बचपन से ही होती है। 

यदि आपके आस-पास कोई स्लीप क्लिनिक है, जहां पर नींद से जुड़ी समस्याओं का इलाज किया जाता है, तो आप सीधे वहां जाकर भी नींद के विशेषज्ञ डॉक्टरों से अपनी समस्या बता सकते हैं। स्लीप स्पेशलिस्ट आपकी स्लीप स्टडी कर सकते हैं, जिनकी मदद से इस समस्या का परीक्षण व उसका इलाज करने में मदद मिलती है। 

(और पढ़ें - ज्यादा नींद आने का कारण)

नींद में बोलना का इलाज - Sleep talking Treatment in Hindi

नींद में बोलने का इलाज कैसे किया जाता है?

नींद में बोलने की बीमारी के लिए कोई विशेष इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन नींद के विशेषज्ञ डॉक्टर और स्लीप सेंटर इस स्थिति में सुधार करने में आपकी मदद कर सकते हैं। स्लीप एक्सपर्ट डॉक्टर यह भी सुनिश्चित कर सकते हैं कि रात के समय आपके शरीर को जरूरत के अनुसार आराम मिल पा रहा है या नहीं।

यदि आपके पास सोने वाले लोगों को आपने नींद में बोलने की समस्या से काफी परेशानी हो रही है, तो ऐसे में डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए और ताकि दोनों की नींद की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। इसके लिए निम्नलिखित तरीके भी अपनाएं जा सकते हैं: 

  • किसी दूसरे कमरे में सोना
  • पास में सोने वाले व्यक्ति को ईयर प्लग (Ear plug) देना
  • कमरे में व्हाइट नोइस मशीन (लगातार एक ही प्रकार का शोर करने वाली मशीन) लगाना, जिससे पास में सोने वाले व्यक्ति को नींद में बोलने की आवाज सुनाई नहीं दे। 

जीवनशैली में कुछ बदलाव करने और उनका पालन करने से भी नींद में बोलने की स्थिति को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है। 

  • शराब ना पीना
  • सोने से पहले अधिक भोजन ना खाना या हल्का खाना लेना
  • रोजाना एक ही समय सोने का शैड्यूल बनाना, ऐसा करने से मस्तिष्क को धीरे-धीरे उस समय सोने की आदत पड़ जाती है।

आमतौर पर इस स्थिति के लिए किसी प्रकार के इलाज की आवश्यकता नहीं होती है, हालांकि यदि नींद में बोलने की समस्या गंभीर है और लंबे समय से हो रही है तो इस बारे में आपको अपने डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए। नींद में बोलने की समस्या के पीछे कोई अंदरुनी समस्या हो सकती है, जैसे स्लीप डिसऑर्डर या परेशान कर देने वाली चिंता या तनाव।

नींद में बोलने वाले व्यक्ति के पास सोने वाले अन्य लोगों को ईयर प्लग या व्हाइट नोइस (जैसे पंखे की आवाज) से भी बिना रूकावट की नींद लेने में मदद मिल सकती है।

(और पढ़ें - चिंता दूर करने के घरेलू उपाय)

नींद में बोलने की जटिलताएं - Sleep talking Complications in Hindi

नींद में बोलने से क्या जटिलताएं हो सकती हैं?

नींद में बोलना कोई हानिकारक समस्या नहीं है, जो आमतौर पर छोटे बच्चों व पुरुषों में अधिक देखी जाती है। यह समस्या अक्सर किसी व्यक्ति के जीवन की निश्चित अवधि में होती है। नींद में बोलने की बीमारी का इलाज करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है और ज्यादातर मामलों में यह कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाती है। यह समस्या कुछ समय के लिए हो सकती है या लंबे समय तक भी रह सकती है। इतना ही नहीं यह समस्या ठीक होने के कुछ साल बाद फिर से भी हो सकती है। 

नींद में बोलने से किसी प्रकार का शारीरिक या स्वास्थ्य संबंधी नुकसान नहीं होता है, लेकिन इससे मरीज को काफी शर्मिंदगी महसूस हो सकती है। इसके अलावा नींद में बोलने से पास में सो रहे व्यक्ति को भी काफी परेशानी हो सकती है। जो व्यक्ति नींद में बोलता है वह अन्य लोगों के पास सोने में हिचकिचाने लगता है, क्योंकि उसे डर रहता है कि रात के समय वह अन्य लोगों की नींद में बाधा डाल सकता है। 

(और पढ़ें - सोने का सही तरीका)



संदर्भ

  1. National Sleep Foundation. Sleep Talking. [Internet]
  2. Arnulf I wt al. What Does the Sleeping Brain Say? Syntax and Semantics of Sleep Talking in Healthy Subjects and in Parasomnia Patients. . Sleep. 2017 Nov 1;40(11). PMID: 29029239
  3. Honda K et al. The usefulness of monitoring sleep talking for the diagnosis of Dementia with Lewy bodies. . Int Psychogeriatr. 2013 May;25(5):851-8. PMID: 23425512
  4. American Academy of Sleep Medicine [Internet] Illinois, United States Sleep Talking – Overview
  5. National Institute of Neurological Disorders and Stroke [Internet] Maryland, United States; Brain Basics: Understanding Sleep.

नींद में बोलना के डॉक्टर

Dr. Prince Asrani Dr. Prince Asrani मनोविज्ञान
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नींद में बोलना की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Sleep talking in Hindi

नींद में बोलना के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।