बर्ड फ्लू जिसे एवियन इन्फ्लूएंजा भी कहा जाता है एक वायरल इंफेक्शन है जो मुख्य रूप से और प्राकृतिक रूप से जंगली जलीय पक्षियों में देखने को मिलता है। दुनिया भर में बर्ड फ्लू के ढेरों स्ट्रेन मौजूद हैं जो पक्षियों में अलग-अलग गंभीरता की बीमारी का कारण बन सकते हैं। यूके के नैशनल हेल्थ सर्विस (एनचएचएस) ने बताया कि बर्ड फ्लू के 4 स्ट्रेन- H5N1 (1997 से लेकर अब तक) H7N9 (2013 से लेकर अब तक) H5N6 (2014 से लेकर अब तक) और H5N8 (2016 से लेकर अब तक) ने हाल के सालों में काफी चिंता पैदा की है। बर्ड फ्लू के ये आउटब्रेक्स (प्रकोप) एशिया, अफ्रीका, यूरोप और मिडिल ईस्ट के देशों में साल 1997 से देखने को मिल रहे हैं। साल 2005-06 से लेकर अब तक भारत में भी बर्ड फ्लू का प्रकोप कई बार देखने को मिल चुका है।
बर्ड फ्लू के इन कॉमन स्ट्रेन्स में H5N8 एक ऐसा स्ट्रेन है जिसने दुनियाभर में अब तक एक भी इंसान को संक्रमित नहीं किया है। H5N1, H7N9 और H5N6 के मामले भी इंसानों में बेहद दुर्लभ हैं क्योंकि ये स्ट्रेन इंसानों को आसानी से संक्रमित नहीं कर सकते और इंसान से इंसान में इसका संक्रमण भी बेहद दुर्लभ है। बावजूद इसके बर्ड फ्लू प्रकोप के दौरान दुनियाभर के कई लोग इस फ्लू से संक्रमित हो चुके हैं और इस वजह से कई मौतें भी हुई हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो इंसानों में H5N1 बर्ड फ्लू का केस-फैटैलिटी रेट करीब 60 प्रतिशत है।
  1. बर्ड फ्लू प्रकोप के दौरान अंडा और चिकन खाना चाहिए या नहीं? - Eating egg and chicken during Bird Flu in Hindi
  2. चिकन-अंडा पकाते वक्त इन बातों का रखें ध्यान - Measures while cooking poultry and eggs in Hindi
  3. चिकन-अंडे की जगह प्लांट बेस्ड प्रोटीन सोर्स अपनाएं - Instead of chicken egg use plant based protein source in Hindi
  4. इंसान में बर्ड फ्लू रोकने के लिए उठाए गए कदम - Action taken to prevent bird flu in humans in Hindi

WHO समेत दुनियाभर के कई हेल्थकेयर संस्थानों का यही कहना है कि पोल्ट्री उत्पाद और अंडे को अगर आप अच्छी तरह से पका लेते हैं और इन्हें पकाने के दौरान सुरक्षा और सफाई के सभी नियमों का पालन करते हैं तो बर्ड फ्लू के दौरान भी आप चिकन और अंडा खा सकते हैं। ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) का कहना है कि बर्ड फ्लू के सभी स्ट्रेन 70 डिग्री सेल्सियस (158 डिग्री फैरेनहाइट) के तापमान पर मर जाते हैं अगर उन्हें 30 मिनट तक पकाया जाए। इसके अलावा एम्स ने पोल्ट्री और अंडों को छूने के बाद हाथ और शरीर के बाकी हिस्से जो इसके संपर्क में आए हों उसे अच्छी तरह से साबुन पानी से धोने की भी सलाह दी है।

(और पढ़ें- अंडे का सफेद भाग खाने के फायदे)

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अगर आप खाना पकाने और सफाई से जुड़े इन तरीकों का पालन करते हैं तो बर्ड फ्लू का प्रकोप हो या न हो दोनों ही समय आप पोल्ट्री और पोल्ट्री उत्पाद जैसे अंडे का सेवन सुरक्षित तरीके से कर सकते हैं। बर्ड फ्लू के समय सुरक्षित तरीके से पोल्ट्री उत्पादों का सेवन करने से पहले आप निम्नलिखित ऐहतियाती कदम उठा सकते हैं:
  • पोल्ट्री उत्पाद जैसे- चिकन और अंडा जान-पहचान वाले, भरोसेमंद और सुरक्षित जगह से ही खरीदें।
  • बूचड़ (कसाई) या मीट काटने वालों को भी सफाई और स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना चाहिए जैसे- पक्षियों या मीट को काटने से पहले और बाद में अच्छी तरह से हाथ धोना
  • एक बार जब आप पोल्ट्री उत्पाद को घर ले आएं तो उसके बाद इसे तुरंत पका लें और इस बात का पूरा ध्यान रखें कि पका हुआ मीट फ्रिज में या स्टोर करके रखने वाली जगह पर बाकी खाद्य पदार्थों से अलग रखा हो ताकि क्रॉस-कंटैमिनेशन (पर-संदूषण) का खतरा न हो। कच्चे पोल्ट्री उत्पादों को बर्ड फ्लू प्रकोप के समय फ्रिज में रखना उचित नहीं होगा क्योंकि बाकी खाद्य पदार्थों के दूषित होने का भी खतरा हो सकता है। (और पढ़ें- रेड मीट के फायदे)
  • सभी तरह के पोल्ट्री उत्पाद फिर चाहे वह चिकन हो या अंडा उसे मध्यम से लेकर उच्च तापमान पर (70 डिग्री सेल्सियस पर) कम से कम 30 मिनट तक जरूर पकाएं। इस बात का पूरा ध्यान रखें कि वह किसी भी कीमत पर अधपका न हो।
  • जहां तक संभव हो ऐसे मार्केट या खुली जगह जहां पर पक्षियों या पोल्ट्री को रखा या काटा जाता है वैसी जगह पर जाने से बचें।
  • जीवित पक्षियों या मृत पोल्ट्री के संपर्क में आने से पहले मास्क जरूर पहनें। इनके संपर्क में आने के बाद अपने हाथ और शरीर के बाकी हिस्से जो पक्षियों या पोल्ट्री के संपर्क में आए हों उन्हें भी अच्छी तरह से जरूर साफ करें।

भारत में अब तक इंसानों में बर्ड फ्लू होने का एक भी मामला सामने नहीं आया है। बावजूद इसके अगर आप अपनी और परिवार के सदस्यों की खातिर अतिरिक्त सतर्कता बरतना चाहते हैं तो बर्ड फ्लू प्रकोप के दौरान चिकन, बत्तख, कलहंस (गीज) या टर्की जैसे पक्षी का मांस या उनके अंडों का सेवन करने से बचें। आप चाहें तो ऐसे समय में जब बर्ड फ्लू का प्रकोप देखने को मिल रहा है ऐनिमल बेस्ड प्रोटीन जैसे- मटन-चिकन की जगह प्रोटीन के प्लांट बेस्ड सोर्स जैसे- सोया, दाल और फलियां, अनाज, सूखे मेवे और बीज, डेयरी उत्पाद जैसे- पनीर, दूध, दही आदि का सेवन कर सकते हैं। यहां ध्यान देना जरूरी है कि बर्ड फ्लू प्रकोप के दौरान प्लांट बेस्ड प्रोटीन वाली इन चीजों की कीमत भी बढ़ सकती है।

इतना ही नहीं, एम्स ने चिकन या पोल्ट्री वाले इन पक्षियों के बीट या गोबर का खाद के रूप में भी इस्तेमाल न करने का सुझाव दिया है। अगर सभी तरह की सतर्कता बरतने के बावजूद किसी व्यक्ति में बर्ड फ्लू के लक्षण नजर आते हैं तो उन्हें तुरंत अपने डॉक्टर और स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए।

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आपने भी यह बात जरूर नोटिस की होगी कि जैसे ही बर्ड फ्लू का प्रकोप सामने आता है ज्यादातर सरकारें पक्षियों को मारने की पहल करने लगती हैं। इसका मतलब है कि संक्रमित या जिनमें संक्रमण होने की आशंका होती है उन पालतू पक्षियों के समूह की पहचान करना जिसमें पोल्ट्री जैसे- चिकन, बत्तख, टर्की और कलहंस (गीज) शामिल है (और उनके अंडे) और फिर बड़ी संख्या में उन्हें मारना (तब तक जब तक सभी संक्रमित पक्षियों की मौत न हो जाए) ताकि वे इंसान या अपने जैसे दूसरे पक्षियों को संक्रमित न कर पाए।
 
पक्षियों को मारना और चिकन, अंडा और सभी प्रकार के पोल्ट्री की बिक्री पर बैन लगाने का तरीका काफी असरदार है। भारत के संदर्भ में देखा जाए तो यह तरीका पूरी तरह सही साबित हो चुका है क्योंकि भारत में साल 2005 से अब तक करीब 15  बार बर्ड फ्लू का प्रकोप सामने आया है और पक्षियों को मारने और ब्रिकी पर रोक लगाने की वजह से इंसान में बर्ड फ्लू होने का एक भी मामला अब तक रिपोर्ट नहीं किया गया है। इसके अलावा भी कई तरीके हैं जिसकी मदद से इंसानों में बर्ड फ्लू को फैलने से रोका जा सकता है। वे तरीके हैं:
  • मृत या संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने से बचें।
  • पोल्ट्री के संपर्क में आने के बाद अच्छी तरह से हाथ धोना और साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखना।
  • पोल्ट्री से जुड़े सभी उत्पाद जैसे- चिकन या अंडे को अच्छी तरह से पकाना।
  • कच्चे या अधपके पोल्ट्री उत्पादों का सेवन भूल से भी न करना।
  • पोल्ट्री उत्पाद को छूने से पहले और बाद में हाथों को अच्छी तरह से धोना। 
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