बोन कैंसर (हड्डी का कैंसर) - Bone Cancer in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

July 12, 2017

March 06, 2020

बोन कैंसर
बोन कैंसर

बोन कैंसर क्या है?

'हड्डी का कैंसर' (Bone cancer) मुख्य रूप से मतलब होता है हड्डी का घातक ट्यूमर को हड्डियों के ऊतकों को नष्ट कर देता है। हड्डियों के सभी ट्यूमर कैंसर कारक नहीं होते हैं। असलियत में गैर-कैंसर कारक ट्यूमर ज़्यादा आम प्रकार के होते हैं कैंसर कारक ट्यूमर से।

हड्डी का कैंसर मुख्यतः दो भागों में विभाजित है: प्राथमिक और माध्यमिक हड्डियों के कैंसर। प्राथमिक हड्डी का कैंसर, हड्डी की कोशिकाओं में शुरू होता है और माध्यमिक हड्डी का कैंसर कहीं से भी शुरू हो सकता है और फिर सारे शरीर के हड्डियों में फैल जाता है।

प्राथमिक हड्डी का ट्यूमर हड्डी में ही शुरू होता है। प्राथमिक अस्थि के कैंसर को 'सारकोमा' (sarcomas) कहा जाता है। सोरकोमा कैंसर वो होते हैं जो हड्डी, मांसपेशी, रेशेदार ऊतक, रक्त वाहिकाओं, वसा ऊतकों के साथ ही साथ कुछ अन्य ऊतकों में शुरू होते हैं। यह शरीर में कहीं भी विकसित हो सकते हैं। अधिकांश हड्डी के कैंसर को 'सारकोमा' कहा जाता है। 

मुख्यतः जब किसी व्यक्ति को कैंसर होता है तो उससे कहा जाता है कि उनके हड्डियों में कैंसर है, लेकिन जब डॉक्टर ऐसे कैंसर के बारे में बात करते है, जो कहीं और से शुरू हो के  हड्डियों में फैलता है तो उसे माध्यमिक कैंसर या 'मेटास्टाटिक' कैंसर कहा जाता है। यह कई विभिन्न प्रकार के उन्नत कैंसर में देखा जा सकता है, जैसे स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, और फेफड़ों के कैंसर

जब हड्डी के ये कैंसर माइक्रोस्कोप से देखे जाते हैं, तो वे उन ऊतकों की तरह लगते हैं जिस अंग से वो आए थे। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति को फेफड़ों का कैंसर है जो हड्डी में फैल गया है, तो हड्डी में कैंसर की कोशिकाएं फेफड़ो के कैंसर की कोशिकाओं की तरह ही दिखती और काम करती हैं। इस प्रकार की कैंसर कोशिकाएं ना ही हड्डियों के कैंसर कोशिकाओं की तरह दिखती और ना ही काम करती हैं जबकि वो हड्डियों में ही क्यों न हो। ऐसी कैंसर कोशिकाएं लंग कैंसर कोशिकाओं की तरह काम करती हैं। इसलिए इसके उपचार में भी लंग कैंसर की ही दवाइयों की सुझाव दी जाती हैं।

बोन कैंसर (हड्डी का कैंसर) के प्रकार - Types of Bone Cancer in Hindi

हड्डी के कैंसर या हड्डी के ट्यूमर के कई अलग-अलग प्रकार होते हैं। उनके नाम हड्डी या हड्डी के आसपास के ऊतकों के आधार पर रखे जाते हैं, जो संक्रमण प्रभावित होते हैं और साथ ही ट्यूमर बनाने वाली कोशिकाओं के नाम पर भी आधारित होते हैं। कुछ प्राथमिक हड्डी ट्यूमर (कैंसर रहित) और अन्य घातक हड्डी ट्यूमर (कैंसर जनित) होते हैं। यहां हम घातक अस्थि ट्यूमर या हड्डी के कैंसर के कुछ प्रकार के बारे में बता रहे हैं जो निम्नलिखित है. -

(और पढ़ें - कैंसर के प्रकार)

  1. ओस्टियोसारकोमा (Osteosarcoma):
    ओस्टियोसारकॉमा (जिसे ऑस्टोजेनिक सेरकोमा भी कहा जाता है) सबसे सामान्य एवं प्राथमिक हड्डी का कैंसर होता है। यह कैंसर हड्डी की कोशिकाओं में शुरू होता है और अक्सर 10 से 30 वर्ष की उम्र के बीच के युवा लोगों में होता है। यह मध्यम आयु वर्ग के लोगों में कम ही होता है और महिलाओं की तुलना में पुरुषों में यह अधिक होता है। ऑस्टोजेनिक सेरकोमा से प्रभावित ट्यूमर अक्सर हाथ, पावों और पेडू (पेल्विस) के हडियों में विकसित होता है। 
     
  2. कोंड्रोसारकोमा (Chondrosarcoma): 
    कोंड्रोसारकोमा कार्टिलेज कोशिकाओं में होने वाले कैंसर को कहते है। यह दूसरी सबसे आम प्राथमिक प्रकार की हड्डी का कैंसर है। यह कैंसर 20 वर्ष से कम उम्र के लोगों में होना दुर्लभ होता है। 20 साल की उम्र के बाद एवं 75 वर्ष की उम्र तक 'कोंड्रोसारकोमा' होने का जोखिम बढ़ जाता है। इस कैंसर के होने की संभावना जितनी महिलाओ में होती हैं उतना ही पुरुषो में भी होता है। कोंड्रोसारकोमा कहीं भी कार्टिलेज कोशिकाओं में अपनी उपस्थिति बना सकते हैं। कोंड्रोसारकोमा ज्यादातर हड्डियों जैसे कि श्रोणि, पैर की हड्डी या बांह की हड्डी में विकसित होती हैं।
     
  3. ईविंग सरकोमा/ईविंग ट्यूमर (Ewing Sarcoma):
    ईविंग ट्यूमर तीसरी सबसे आम एवं प्राथमिक प्रकार के हड्डी के कैंसर होते है और यह ज्यादातर बच्चों, किशोरावस्था और युवा वयस्कों को होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है। अधिकांश ईविंग ट्यूमर हड्डियों में विकसित होते हैं, लेकिन ये अन्य ऊतकों और अंगों में भी शुरू हो सकते हैं। यह कैंसर शरीर के सबसे आम अंगो में जैसे की श्रोणि, सीना के आसपास (जैसे पसलियों या कंधो ) और पैरों एवं हाथो की लंबी हडियों में विकसित हो सकती है। यह कैंसर बच्चों और किशोरों में सबसे आम  होता है और 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में होना दुर्लभ है।
     
  4. मलिग्नेंट फिब्रोस हिस्टियोसिटामा (Malignant fibrous histiocytoma):
    मलिग्नेंट फिब्रोस हिस्टियोसिटामा अक्सर हड्डियों की तुलना में नरम ऊतक (संयोजी ऊतकों जैसे कि स्नायुबंधन, रंध्र, वसा और मांसपेशी) में शुरू होता है। जब हड्डियां मलिग्नेंट फिब्रोस हिस्टियोसिटामा से प्रभावित होती है तो यह आम तौर पर पैरों (अक्सर घुटनों के आसपास) या बाहों को प्रभावित करती है। इस प्रकार का कैंसर अक्सर बुजुर्ग और मध्यम आयु वर्ग के वयस्कों में होता है और बच्चों में दुर्लभ होता है। मलिग्नेंट फिब्रोस हिस्टियोसिटामा ज्यादातर अपने आस पास के क्षेत्रों में विकसित होता है, लेकिन यह शरीर के दूर किसी भी अंग में फैल सकता है, जैसे फेफड़े।
     
  5. फ़िब्रोसारकोमा (Fibrosarcoma):
    यह कैंसर का एक और प्रकार है जो हड्डियों की तुलना में नरम ऊतकों में अधिक विकसित होता है। आमतौर पर बुजुर्ग और मध्यम आयु वर्ग के वयस्क 'फ़िब्रोसारकोमा' से प्रभावित होते हैं।  'फ़िब्रोसारकोमा' पैरों, हाथों और जबड़े की हड्डियों को सबसे अधिक प्रभावित करता है। 
     
  6. कोरडोमा (Chordoma):
    हड्डी का यह प्राथमिक ट्यूमर आम तौर पर खोपड़ी और रीढ़ की हड्डियों में होता है। यह 30 से अधिक उम्र के वयस्कों में सबसे आम होता है, और यह ट्यूमर पुरुषों में महिलाओ के मुकाबले बहुत आम है। कोरडोमा ट्यूमर धीरे धीरे बढ़ता है और अक्सर शरीर के अन्य भागों में नहीं फैलता हैं, लेकिन यदि यह पूरी तरह से नहीं हटाया जाय तो अक्सर यह पुनः उसी जगह वापस हो जाता है। 

(और पढ़ें - रीढ़ की हड्डी में चोट के इलाज)

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बोन कैंसर (हड्डी का कैंसर) के चरण - Stages of Bone Cancer in Hindi

एक मरीज के दृष्टिकोण से घातक बोन कैंसर मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर उसके शरीर के अन्य भागों में फैला है या नहीं। यदि कैंसर में फैलाव नहीं है तो   इसका निदान आमतौर पर आसान होता है। 

मेडिकल सेंटर, रोचेस्टर विश्वविद्यालय के अनुसार, करीब 70 प्रतिशत लोग जिन्हे बोन कैंसर होता है, उनकी जीवन शैली करीब 5 साल की होती है। हालांकि, जीवित रहने की दर रोग की स्थिति के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती है। 

अस्थि कैंसर इस बात पर निर्भर करता है कि इसकी उन्नत स्थिति क्या है:

  1. स्टेज 1 - कैंसर का प्रसार हड्डी के बाहर नहीं हुआ हो और कैंसर आक्रामक न हो
  2. स्टेज 2 - चरण 1 के समान, लेकिन यह एक आक्रामक कैंसर श्रेणी है।
  3. स्टेज 3 - कैंसर ट्यूमर एक ही हड्डी में कम से कम दो स्थानों में मौजूद होते हैं।
  4. स्टेज 4 - कैंसर ट्यूमर शरीर के अन्य भागों में फैल जाते हैँ।

(और पढ़ें - ब्रेन ट्यूमर के लक्षण)

बोन कैंसर (हड्डी का कैंसर) के लक्षण - Bone Cancer Symptoms in Hindi

हड्डियों के कैंसर के लक्षण अक्सर कैंसर के अलावा अन्य स्थितियों की वजह से शुरू होता है, जैसे चोट या फिर गठिया, अगर ऐसी कोई समस्या बिना कारण लंबे समय तक बनी रहे  तो आपको अपने चिकित्सक को दिखाना चाहिए।

हड्डियों के कैंसर के लक्षण निम्नानुसार हैं:-

  1. दर्द:
    प्रभावित हड्डी में दर्द की शिकायत बोन कैंसर के रोगियों में आम होती है। प्राथमिक रूप से इससे होने वाला दर्द नियंत्रण में नहीं होता है। रात के समय या जब हड्डी का उपयोग होता  है (उदाहरण के लिए, पैदल चलने पर पैर में दर्द) तो दर्द स्थिति और खराब हो जाती है। जैसे-जैसे कैंसर बढ़ता है, दर्द हर समय बना रहता है। गतिविधि के साथ दर्द बढ़ता है और यदि किसी व्यक्ति का पैर इसमें शामिल हो तो वो लंगड़ा भी हो सकता है।   
     
  2. सूजन:
    दर्द के क्षेत्र में सूजन एक सप्ताह के बाद नहीं भी हो सकती है लेकिन ऐसा संभव है की जिस क्षेत्र में आपको दर्द हो रहा है वहां आपको गांठ या द्रव्यमान महसूस होने की संभावना हो, जो ट्यूमर हो सकता है। (और पढ़ें - सूजन की दवा)
     
  3. फ्रैक्चर (अस्थि-भंग):
    बोन कैंसर उस हड्डी को कमजोर बना सकता है, जिसमें वह विकसित होता है, लेकिन ज्यादातर यह पाया जाता है कि हड्डियों में फ्रैक्चर नहीं होते हैं।अस्थि कैंसर प्रभावित लोग आमतौर पर उनके एक अंग में अचानक गंभीर दर्द का अनुभव करते हैं, जो कुछ महीनों तक पीड़ादायक हो सकता है। (और पढ़ें - फ्रैक्चर के लक्षण)
     
  4. सुन्न होना:
    कैंसर प्रभावित रीढ़ की हड्डियों में कैंसर ट्यूमर तंत्रिकाओं को दबा सकता है, जिससे सुन्नता और झुनझुनी या कमजोरी महसूस होती है।
     
  5. अन्य लक्षण:
    कैंसर के कारण वजन घटना एवं थकान महसूस होना जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। इसके साथ ही साथ यदि कैंसर शरीर के आंतरिक अंगों में फैलता है तो यह अन्य लक्षण भी पैदा कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि कैंसर फेफड़ों में फैलता है, तो आपको श्वास लेने में परेशानी हो सकती है।

(और पढ़ें - थकान दूर करने के उपाय)

बोन कैंसर (हड्डी का कैंसर) के कारण - Bone Cancer Causes in Hindi

अभी तक बोन कैंसर के सही कारणों का पता नहीं चल पाया है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने पाया है कि हड्डी के कैंसर कई अन्य शर्तों से जुड़े हैं, जो कि जोखिम कारकों में शामिल हैं। इन कैंसर के कारणों के बारे में अधिक जानने के लिए अनुसंधान चल रहा है।

वैज्ञानिकों ने यह समझने में काफी प्रगति की है कि कैसे किसी व्यक्ति के डीएनए में किसी भी तरह का बदलाव होने के कारण उनके सामान्य कोशिकाओं में कैंसर पैदा हो सकता है। कैंसर डीएनए म्यूटेशन (दोष) के कारण हो सकता है, जो 'ओंकोजिनस' को सक्रिय बनाते हैं या फिर ट्यूमर को रोकने वाले जीन को निष्क्रिय करते हैं। कैंसर पीड़ित कुछ लोगों के डीएनए में उत्परिवर्तन होता है, जो उन्हें उनके माता-पिता से आनुवंशिक रूप में मिलता हैं। इन उत्परिवर्तनों की वजह से इस रोग का जोखिम और बढ़ जाता है। 

डीएनए उत्परिवर्तन के कारण, जो आनुवंशिक रूप के हड्डी के कैंसर होते है उसे (जोखिम कारक पर अनुभाग देखें) कई मामलों में, आनुवंशिक परीक्षण से देखा जाता है कि उस व्यक्ति में कोई ऐसे उत्परिवर्तन है या नहीं? 

अधिकांश हड्डी के कैंसर अनुवांशिक डीएनए में परिवर्तन के कारण नहीं होते हैं। वे व्यक्ति के पूरे जीवन के दौरान अर्जित उत्परिवर्तन का परिणाम होतें है। ये परिवर्तन विकिरण या रसायन के परिणाम होते हैं, जो कैंसर पैदा करने का जोखिम बढ़ा सकते हैं, लेकिन अक्सर इनके होने का कोई स्पष्ट कारण नहीं होता है। ये परिवर्तन केवल कैंसर की कोशिकाओं में मौजूद होते हैं, इसलिए इसे रोगी के बच्चों में जाने की संभावना नहीं होती है।

वैज्ञानिकों ने बोन कैंसर की प्रक्रिया को समझने में काफी प्रगति की है, पर  इससे संबंधित अभी भी कुछ ऐसी जानकारी है जिसकी पुष्टि पूरी तरह से नहीं हो पाई है।

(और पढ़ें - ऑस्टियोपोरोसिस के घरेलू उपाय)

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बोन कैंसर (हड्डी का कैंसर) से बचाव - Prevention of Bone Cancer in Hindi

वर्तमान समय में, बोन कैंसर को रोकने संबंधी किसी तथ्य की जानकारी मौजूद नहीं है।

(और पढ़ें - हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए जूस)

बोन कैंसर (हड्डी का कैंसर) का परीक्षण - Diagnosis of Bone Cancer in Hindi

रोगी के लक्षण, शारीरिक एवं इमेजिंग परीक्षणों के परिणाम और रक्त परीक्षण से पता चलता है कि किसी व्यक्ति के अन्दर हड्डी का कैंसर मौजूद है। लेकिन ज्यादातर मामलों में डॉक्टर इस संदेह को सुनिश्चित करने के लिए माइक्रोस्कोप की सहायता से संबंधित ऊतकों या कोशिका के नमूना का परीक्षण कर इस बात का पुष्टि करते हैं। इस प्रक्रिया को 'बायोप्सी' के रूप में जाना जाता है।

अन्य रोग, जैसे हड्डी में संक्रमण के कारण भी बोन कैंसर के लक्षण और साथ ही साथ इन मामलों में इमेजिंग परीक्षण परिणाम भी आपको बोन कैंसर के लक्षणों को ले के भ्रमित कर सकता है। हड्डी के ट्यूमर का सही निदान उसके प्रभावित स्थान के बारे में  पूरी जानकारी (इसके अंतर्गत प्रभावित हड्डी एवं संबंधित हड्डी का कौन सा हिस्सा प्रभावित है जैसी जानकारी का होना जरुरी है) और माइक्रोस्कोप परीक्षण पर निर्भर करता है।

(और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या होता है)

1. एक्स-रे:

अधिकांश बोन कैंसर, बोन एक्स-रे कराने पर दिखाई देते हैं। हड्डियों में मौजूद कैंसर के वजह से हड्डी जो ठोस होते हैं उसके जगह 'खुरखुरा' दिखाई दे सकती है। कैंसर हड्डी में छेद के रूप में भी प्रकट हो सकता है। कभी-कभी डॉक्टर प्रभावित हड्डी में ट्यूमर देख सकते हैं, जो आसपास के ऊतकों (जैसे मांसपेशियों या वसा) में फैल सकती है।

(और पढ़ें - एक्स रे क्या है)

2. गणना टोमोग्राफी (सीटी स्कैन):

सीटी स्कैन, स्टेजिंग कैंसर में काफी सहायक होते हैं। सीटी स्कैन से आपको यह पता चलता है कि आपकी हड्डी का कैंसर आपके फेफड़े, यकृत, या अन्य अंगों में फैला है या नहीं। सीटी स्कैन से लिम्फ नोड्स और शरीर के दूर के अंगों को देखने में मदद मिलती है, जहाँ मेटास्टाटिक कैंसर मौजूद हो सकता है।

(और पढ़ें - सीटी स्कैन क्या होता है)

3. चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एमआरआई स्कैन):

एमआरआई स्कैन हड्डी के ट्यूमर को रेखांकित करने के लिए सबसे अच्छा परीक्षण होता है।यह परीक्षण मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को देखने में भी विशेष रूप से उपयोगी होते हैं।

4. रेडियोन्यूक्लाइड बोन स्कैन:

अगर कैंसर शरीर के एक हड्डी से अन्य हड्डियों में फैल गई है तो इस प्रक्रिया से उसे दखने में मदद मिलती है । यह नियमित एक्स-रे से पहले ही 'मेटास्टेस' को खोज सकता है। इसके साथ ही साथ रेडियोन्यूक्लाइड बोन स्कैन के माध्यम से यह दिख सकता हैं कि प्राथमिक कैंसर की वजह से हड्डी में कितना नुकसान हुआ है।

5. पॉसीट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी स्कैन):

पीईटी स्कैन पूरे शरीर में कैंसर की तलाश करने में उपयोगी होता है। पीईटी स्कैन कभी-कभी यह बताने में भी सफल होते है कि ट्यूमर कैंसर जनक है या नहीं। कुछ प्रकार के कैंसर को बेहतर ढंग से समझने के लिए पीईटी स्कैन को सीटी स्कैन के साथ किया जाता है।

6. बायोप्सी (Biopsy):

'बायोप्सी' ट्यूमर से ली गई कोशिका (टिशू) का नमूना होता है, ताकि माइक्रोस्कोप की सहायता से इसका परीक्षण किया जा सके। बायोप्सी ही एकमात्र तरीका है, जिससे यह पता चलता है कि संबंधित ट्यूमर कैंसर है अथवा अन्य हड्डियों की बीमारी। यदि शरीर में कहीं भी कैंसर मौजूद है तो 'बायोप्सी' से डॉक्टर यह पता कर सकते है कि क्या यह एक प्राथमिक हड्डी का कैंसर है या कहीं और से शुरू होकर हड्डियों में फैल गया है। कई प्रकार के ऊतक और सेल के नमूने बोन कैंसर की जाँच हेतु उपयोगी होते है। यह बहुत महत्वपूर्ण है की जो सर्जन ट्यूमर के निदान और उपचार के लिए 'बायोप्सी' की प्रक्रिया करता है, उसे अनुभवी होना चाहिए। 

  1. सुई बायोप्सी (Needle biopsy):
    सुई बायोप्सी के दो प्रकार होते हैं: फाइन सुई बायोप्सी और कोर सुई बायोप्सी। फाइन सुई बायोप्सी (एफएनए) के अंतर्गत डॉक्टर एक बहुत पतली सुई को सिरिंज से जोड़ कर  ट्यूमर से कुछ द्रव और कुछ कोशिकाओं को निकालते हैं। जबकि कोर सुई बायोप्सी में, चिकित्सक ऊतकों का एक छोटा समूह निकालने के लिए एक बड़ी सुई का उपयोग करते है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि प्राथमिक हड्डियों के कैंसर का निदान करने के लिए एफएनए(फाइन सुई बायोप्सी) की तुलना में कोर सुई बायोप्सी ज्यादा बेहतर होती है।
  2. सर्जिकल बोन बायोप्सी (Surgical bone biopsy):
    इस प्रक्रिया में एक सर्जन को ट्यूमर तक पहुंचने के लिए त्वचा को काटने की जरूरत होती है ताकि वह ऊतकों का एक छोटा सा टुकड़ा निकाल सके। इसे इन्सिज़न (Incisional) बायोप्सी भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत यदि सारे ट्यूमर हटा दिया जाता है (न कि सिर्फ एक छोटा सा टुकड़ा) तो से 'एक्ससाइसिन बायोप्सी' (excisional biopsy ) कहा जाता है। यदि इस प्रकार की बायोप्सी की आवश्यकता होती है, तो यह महत्वपूर्ण है कि बायोप्सी करने वाला सर्जन भी वही हो, जो बाद में कैंसर को हटाएगा।

बोन कैंसर (हड्डी का कैंसर) का इलाज - Bone Cancer Treatment in Hindi

बोन कैंसर का उपचार कई प्रकार के कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें शामिल हैं:

  • हड्डी के कैंसर का प्रकार
  • जहाँ यह स्थित है
  • इसकी आक्रामकता
  • वह एक जगह है या फैल चूका है

1. सर्जरी

सर्जरी चिकित्सा का उद्देश्य कैंसर ट्यूमर और इसके आसपास के कुछ हड्डियों के ऊतकों को दूर करना होता है। क्योकिं यदि कुछ कैंसर कोशिकाओं को छोड़ दिया जाता है तो यह बढ़ सकती हैं और फिर फैल भी सकतीं हैं।

लिंब स्पेरिंग सर्जरी (Limb-sparing surgery), जिसे लिंब साल्वेज सर्जरी के रूप में भी जाना जाता है, जिसका मतलब है वैसी सर्जरी जिसमें बिना हड्डी को निकाले सर्जन प्रभावित हड्डी को बदलने के लिए शरीर के किसी अन्य भाग से कुछ हड्डी ले सकता है या कृत्रिम हड्डी का भी इस्तेमाल कर सकता हैं। हालांकि,कुछ मामलों में अंग को पूरी तरह हटाना आवश्यक हो सकता है।

2. विकिरण उपचार (Radiation therapy):

रेडियोथेरेपी का उपयोग सामान्य तौर पर बोन कैंसर और अन्य प्रकार के कैंसर के उपचार के लिए किया जाता है। इसके साथ ही साथ रेडियोथेरेपी आमतौर पर कई कैंसर के प्रकार के उपचार में भी उपयोग किया जाता है। इसमें कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उच्च ऊर्जा 'एक्स-रे' कण (विकिरण) का उपयोग किया जाता है। रेडियोग्राफी ट्यूमर कोशिकाओं के अंदर डीएनए को हानि पहुँचाता है, जिससे उन्हें उनके प्रसार से रोका जा सकता है।

3. रेडियोथेरेपी का प्रयोग निम्नलिखित मामलों में किया जा सकता है:

ट्यूमर को पूरी तरह से नष्ट कर रोगी का इलाज करना, 
अधिक उन्नत कैंसर में दर्द से राहत,
ट्यूमर को कम करने में, जिससे इसे आसानी से ऑपरेशन करके बाहर निकाला जा सके, 
कैंसर की कोशिकाओं को हटाना जो शल्य चिकित्सा के बाद रह जाते हैं।
संयुक्त थैरेपी (रेडियोथेरेपी अन्य प्रकार के चिकित्सा के साथ) के अंतर्गत कुछ मामलों में किमोथेरेपी के साथ संयुक्त रेडियोथेरेपी का उपयोग किया जा सकता है।

4. कीमोथेरपी (Chemotherapy):

कीमोथेरेपी के अंतर्गत रोग का इलाज करने के लिए रसायनों का प्रयोग किया जाता है।विशेष रूप से यह कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में मदद करता है। कीमोथेरेपी के प्रयोग का मुख्यतः पांच लक्ष्य हैं:

  • रोग से पूर्णतः मुक्त होने हेतू - रोगी को ठीक करने के लिए कुछ मामलों में इसका प्रयोग होता है, अकेले कीमोथेरेपी से पूरी तरह आप कैंसर से छुटकारा पा सकते हैं।
  • सह- चिकित्सा - कीमोथेरेपी द्वारा कुछ अन्य उपचारों, जैसे रेडियोथेरेपी या सर्जरी में मदद  बेहतर परिणाम दे सकते हैं। 
  • रोग पुनरावृत्ति को रोकने हेतू - कीमोथेरपी, कैंसर की वापसी को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जब शल्य चिकित्सा के बाद ट्यूमर हटा दिया जाता है उसके बाद यह सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है। 
  • कैंसर कोशिकाओं की प्रगति को धीमा करने हेतू- कीमोथेरेपी कैंसर की उन्नति को धीमा कर सकती है। 

कीमोथेरेपी कैंसर के लक्षणों को दूर करने में काफी मददगार हैं, ऊपरी स्टेज के कैंसर मरीजों के लिए यह अधिक बार प्रयोग किया जाता है। 

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बोन कैंसर (हड्डी का कैंसर) के जोखिम और जटिलताएं - Bone Cancer Risks & Complications in Hindi

जोखिम कारक कुछ भी हो सकता है, जो कैंसर जैसे रोग की संभावना को बढ़ा दे। भिन्न् प्रकार के कैंसर के विभिन्न जोखिम कारक हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, त्वचा को तीव्र धूप के संपर्क में रखना त्वचा के कैंसर के लिए एक जोखिम कारक है। फेफड़े, मुँह, गला, मूत्राशय, गुर्दा और कई अन्य अंगों के कैंसर के लिए धूम्रपान एक जोखिम कारक है। लेकिन एक या कई जोखिम वाले कारक मौजूद होने का मतलब यह नहीं होता है कि आपको यह रोग हो ही जाएगा। हड्डी के कैंसर वाले ज्यादातर लोगों में कोई स्पष्ट जोखिम कारक नहीं होता है। 

(और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के उपाय)

जबकि, लंबे समय से बीमार लोगों के सन्दर्भ में भी डॉक्टर अनिश्चित या सटीक कारण बताते हैं।  सूजन संबंधी बीमारियों वाले रोगी, जैसे कि 'पागेट' की बीमारी (Paget's disease) से पीड़ित मरीज  हड्डी के कैंसर के विकास के लिए उच्च जोखिम वाले होते हैं। हालांकि, इन सबके बावजूद भी कोई यह नहीं समझ पाया है कि एक व्यक्ति को हड्डी का कैंसर क्यों होता है जबकि दुसरो में नहीं होता? यह संक्रामक नहीं है - यह बीमारी आपको किसी और संक्रमित व्यक्ति से नहीं हो सकता है। 

निम्नलिखित लोगों के समूह में बोन कैंसर के विकास के उच्च जोखिम कारक हो सकते हैं -

  • बच्चा या युवा वयस्क - बोन कैंसर के ज्यादातर मामलों में बच्चे या 20 वर्ष की आयु वाले युवा वयस्क पाए जाते हैं। 
  • वैसे मरीज जिसे विकिरण चिकित्सा (रेडियोथेरेपी) दी गई हो। 
  • ऐसे लोग जिन्हे पहले से पेजेट की बीमारी हो। 
  • जिन लोगों के करीबी रिश्तेदारों (अभिभावक या भाई-बहन) को हड्डी का कैंसर हो। 
  • आनुवंशिक रेटिनोब्लास्टोमा वाले व्यक्तियों को - यह एक प्रकार का कैंसर है जो सबसे ज्यादा छोटे बच्चों को प्रभावित करता है।
  • ली-फ्रैमनी सिंड्रोम वाले लोग - एक दुर्लभ आनुवंशिक स्थिति।

 



संदर्भ

  1. American Cancer Society. What Causes Bone Cancer?. New York; [Internet]
  2. Anant Ramaswamy et al. Indian data on bone and soft tissue sarcomas: A summary of published study results. South Asian J Cancer. 2016 Jul-Sep; 5(3): 138–145. PMID: 27606300
  3. Better health channel. Department of Health and Human Services [internet]. State government of Victoria; Bone cancer
  4. Department of Health and Services. CANCER FACTS. National Cancer institute; Institutes of Health .
  5. Ferguson JL et al. Bone Cancer: Diagnosis and Treatment Principles.. Am Fam Physician. 2018 Aug 15;98(4):205-213. PMID: 30215968