कार्डियोमायोपैथी, हृदय की मांसपेशियों से संबंधित रोग है। इसमें हृदय की मांसपेशियां धीरे-धीरे कमजोर और खिंचने (स्ट्रेच) लगती हैं, जिस कारण शरीर में खून पंप करने में हृदय को सामान्य से ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।

कार्डियोमायोपैथी एक ऐसी बीमारी है जिसमें हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं या इसकी वजह से शरीर में कोई अन्य संरचनात्मक दिक्कत होने लगती है। अक्सर यह बीमारी तब होती है जब हृदय ठीक तरह से खून को पंप करने या अपना कार्य करने में असमर्थ हो जाता है। कार्डियोमायोपैथी हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। इसके प्रमुख प्रकार हैं डिलेटेड कार्डियोमायोपैथी, हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी और रेस्ट्रिक्टिव कार्डियोमायोपैथी इत्यादि।

अक्सर कार्डियोमायोपैथी के कारण का पता नहीं चल पाता है। कुछ लोगों में यह समस्या किसी अन्य बीमारी का नतीजा हो सकती है, जबकि कुछ लोग इस बीमारी से जेनेटिक रूप से ग्रसित हो जाते हैं। ऐसे में आज कुछ ऐसे कारणों के बारे में जानेंगे, जिनकी वजह से कार्डियोमायोपैथी हो सकती है। 

हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी

यह आमतौर पर जेनेटिक होती है। यह हृदय की मांसपेशियों के प्रोटीन में मौजूद कुछ जींस में परिवर्तन के कारण होती है। हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी हाई बीपी, उम्र बढ़ने या अन्य बीमारियों जैसे - डायबिटीज या थायराइड की वजह से भी हो सकती है, लेकिन कई बार इस रोग का कारण पता नहीं चल पाता है। 

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डिलेटेड कार्डियोमायोपैथी

डिलेटेड कार्डियोमायोपैथी होने के भी कारण का पता नहीं चल पाया है, लेकिन इस बीमारी से ग्रस्त लगभग एक तिहाई लोगों को यह बीमारी अपने माता-पिता से मिली होती है। कुछ मामलों में यह बीमारी किसी विशेष स्थिति, बीमारी और पदार्थ के कारण भी हो सकती है, उदाहरण के लिए:  

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रेस्ट्रिक्टिव कार्डियोमायोपैथी

कुछ बीमारियों, स्थितियों और कारकों की वजह से रेस्ट्रिक्टिव कार्डियोमायोपैथी हो सकती है, जैसे कि:

  • अमीलॉइडोसिस: इसमें हृदय सहित शरीर के अंगों में असामान्य रूप से प्रोटीन बढ़ने लगता है। 
  • हेमोक्रोमैटोसिस: इसमें शरीर में अत्यधिक आयरन बनने लगता है।
  • सारकॉइडोसिस: इस बीमारी की वजह से सूजन हो जाती है और यह शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित कर सकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इम्यून सिस्टम की असामान्य प्रतिक्रिया से भी सारकॉइडोसिस हो सकता है।
  • इसके अलावा कैंसर के कुछ उपचार जैसे कीमोथेरेपी और रेडिएशन। 

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एरिदमोजेनिक राइट वेंट्रिकुलर डिस्‍पालिसआ (एआरवीडी) 

शोधकर्ताओं का मानना है कि एआरवीडी पूरी तरह से जेनेटिक बीमारी है। यह हृदय के इलेक्ट्रिकल संकेतों को बाधित करता है और एरिथमिया (अनियमित दिल की धड़कन) का कारण बनता है। युवा एथलीटों में अचानक होने वाली मृत्यु का यह एक प्रमुख कारण है। इस प्रकार की जेनेटिक कार्डियोमायोपैथी में वसा और अतिरिक्त फाइब्रस ऊतक दाएं वेंट्रिकल की मांसपेशियों को प्रभावित करते हैं, जिस कारण दिल की धड़कन असमान्य हो जाती है।

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