विकिरण चिकित्सा या रेडिएशन थेरेपी का उपयोग मुख्य रूप से कैंसर के इलाज में किया जाता है। इसका उपयोग कभी-कभी थायराइड की बीमारी, ब्लड डिसऑर्डर, आदि के इलाज में भी किया जाता है। इस थेरेपी का ट्यूमर पर सटीक और सीधा असर होता है, इससे बीमारी को जड़ से समाप्त करने में मदद मिलती है।

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इस लेख में विस्तार से बताया गया है की रेडिएशन थेरेपी क्या होती है, यह कैसे की जाती है, और इसके क्या फायदे और नुकसान होते हैं। आप इसमें यह भी जानेंगे की यदि आप रेडिएशन थेरेपी से गुजर रहे हैं तो खाने में किन चीजों का ध्यान रखें।

  1. विकिरण चिकित्सा (रेडिएशन थैरेपी) क्या है - Radiotherapy kya hai in hindi
  2. रेडिएशन थैरेपी कैसे की जाती है - Radiotherapy kaise ki jati hai in hindi
  3. रेडिएशन थैरेपी (विकिरण चिकित्सा) के फायदे - Radiotherapy ke fayde in hindi
  4. रेडिएशन थैरेपी के नुकसान - Radiotherapy ke side effects in hindi
  5. रेडिएशन थैरेपी में क्या खाये - Radiotherapy me kya khaye in hindi

रेडिएशन थेरेपी के अंतर्गत रेडियो तरंगों का उपयोग कैंसर और ट्यूमर तथा अन्य बीमारियों को ठीक करने में किया जाता हैं। जो रेडियो तरंगें उपयोग की जाती हैं वो उच्च-ऊर्जा वाली आयनीकरण विकिरण (आयोनाइजिंग रेडिएशन) नामक तरंगें होती हैं।

ये रेडिएशन उपचार के रूप में कैसे काम करती हैं, ये एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है और इस पर अभी भी परीक्षण किये जा रहे हैं। किंतु अगर आसान रूप में समझाया जाये तो ये रेडिएशन कैंसर कोशिकाओं के डीएनए को इस तरह खंडित कर देती हैं की इनका विकास और विभाजन रुक जाता है और यहाँ तक कि ये कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं।

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अगर रोगी के डॉक्टर को लगता है कि ऐसा करना अधिक लाभदायक होगा तो रेडिएशन थेरेपी का उपयोग किसी अन्य उपचार माध्यम के साथ-साथ किया जा सकता है, जैसे कीमोथेरपी इत्यादि।

रेडिएशन थेरेपी के दो रूप हैं -

  • एक्सटर्नल बीम रेडिएशन थेरेपी - इस थेरेपी में इलाज करने वाली जगह पर बाहर से किरणों को एक मशीन की मदद से केंद्रित किया जाता हैं।
  • इंटरनल रेडिएशन थेरेपी - इसमें एक रेडियोएक्टिव पदार्थ शरीर के भीतर कैंसर से प्रभावित टिशू के पास कुछ समय या लम्बे समय के लिए रखा जाता है, जैसे की ब्राँचीथेरेपी या इसे इम्प्लांट थेरेपी भी कहा जाता है।

सामान्य रूप से एक्सटर्नल बीम रेडिएशन थेरेपी का ही अधिक प्रयोग किया जाता है। किन्तु जब कैंसर से प्रभावित टिशू के आसपास की सही कोशिकाओं को नुकसान से बचाना होता हैं तो इंटरनल रेडिएशन थेरेपी का प्रयोग किया जाता है।

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आपके इलाज के लिए किस तरह की और कितनी मात्रा में रेडिएशन देनी है यह आपका कैंसर का उपचार करने वाला विशेषज्ञ निर्धारित करते हैं। यह सामान्यतः कुछ हफ्तों तक कई सत्र में चलता है। कहीं लोगों को एक हफ्ते में 5 ट्रीटमेंट दिए जाते हैं। हालाँकि, यह कैंसर के प्रकार और उसकी स्टेज पर निर्भर करता है।

रोगी का उपचार शुरू करने से पहले सी टी स्कैन किया जाता है ताकि कैंसर की सही जगह का पता किया जा सके। रोगी की त्वचा पर एक इंक मार्क लगा दिया जाता है ताकि यह ध्यान में रहे की कैंसर की जगह कहां है और उसी हिसाब से रेडिएशन दी जाए।

अलग-अलग रेडिएशन थेरेपी को उपयोग में लाने का तरीका भी अलग होता है।

एक्सटर्नल रेडिएशन थेरेपी में "लीनियर एक्सेलरेटर" नमक मशीन का उपयोग करके एक निश्चित स्तर पर एक्स तरंगें कैंसर वाले स्थान पर डाली जाती हैं। कुछ और मशीनें भी आती हैं जिनका प्रयोग अलग प्रकार की ऊर्जा तरंगों जैसे इलेक्ट्रॉन्स, प्रोटोन्स, गामा किरणें, अथवा इनके कॉम्बिनेशन के साथ होता है।

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जिस व्यक्ति का उपचार किया जाना है, उसे एक टेबल पर लिटाया जाता है और कमरे के बाहर से तकनीशियन मशीन को ऑपरेट करता है। तकनीशियन तथा रोगी के बिच संपर्क के लिए एक इण्टरकॉम यानि आंतरिक टेलीफ़ोन व्यवस्था की जाती है।

तकनीशियन एक कैमरे के द्वारा उपचार ले रहे रोगी पर नजर रखते हैं। यह प्रक्रिया काफी छोटी और दर्द रहित होती है अतः रोगी उपचार के बाद आराम से घर जा सकता है।

उपचार की इस प्रक्रिया में कुछ अंतर होते हैं, जैसे इमेज गाइडेड रेडिएशन थेरेपी (आईजीआरटी) इसमें हर सत्र के बीच स्कैन किया जाता है यह देखने के लिए की उपचार सही दिशा में हो रहा है। अथवा स्टेरिओटेक्टिक सर्जरी (एसआरएस), इसमें कुछ छोटी किरणों को उपचार की क्षमता बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।

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इंटरनल रेडिएशन थेरेपी में एक धातु की ट्यूब या तार को बिना सर्जरी के शरीर के भीतर प्रभावित अंग के पास डाला जाता है, जिससे रेडिएशन दी जा सके। हालाँकि, कुछ मामलों में सर्जरी की जरुरत हो सकती है। इस प्रकार के प्रत्यारोपण शरीर में कुछ मिनट से लेकर व्यक्ति के जीवन भर रह सकते हैं।

ऐसे रोगी जिनको इस तरह का प्रत्यारोपण किया गया है उन्हें अस्पताल में ही रहना पड़ता है, क्योंकि अन्य लोगों को रेडिएशन की आशंका रहती है। स्थायी प्रत्यारोपण से बहुत ही कम मात्रा में रेडिएशन निकलती है और इन्हें रोगी के आस-पास इलाज करवा रहे लोगो के लिए सुरक्षित माना जाता है।

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विकिरण चिकित्सा से इलाज करवाने के निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं - 

  • सबसे प्रमुख लाभ यह है की यह थेरेपी कैंसर की वृद्धि को रोकने में मदद कर सकती है। 
  • कुछ लोगो में जिनको पैंक्रिएटिक कैंसर या कैंसर की शुरूआती अवस्था हो तो रेडियोथेरेपी के कारण सर्जरी संभव हो जाती है।
  • उपचार का प्रत्येक चरण 10 से 30 मिनट का होता है और आपको हॉस्पिटल में रहने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
  • अगर आप चाहें तो अपनी सामान्य जीवनशैली को जारी रख सकते हैं, जैसे काम पर जाना इत्यादि।
  • अगर आपको एडवांस स्टेज का कैंसर है तो रेडियोथेरेपी लक्षणों को नियंत्रित करने और दर्द से राहत देने का काम कर सकती है।

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रेडिएशन थेरेपी का उपयोग किसी एक निश्चित अंग पर किया जाता है अतः इसके हानिकारक प्रभाव भी उस अंग पर निर्भर करते हैं, जिसका इलाज किया जा रहा है। हालांकि, अधिकांश लोगों को बहुत ही कम साइड इफेक्ट्स होते हैं, हर व्यक्ति पर अलग-अलग तरह का प्रभाव हो सकता है।

आपके उपचार के दौरान आप निम्न में से एक या अधिक प्रभाव महसूस कर सकते हैं -

  • जी मिचलाना -
    आपके शरीर के किस अंग का इलाज हो रहा है उस आधार पर आपको मतली जैसा महसूस हो सकता है। यह हर किसी के साथ नहीं होता हैं। अगर आपको ऐसा लगता है तो अपने डॉक्टर को बताएं, क्योंकि इसे दवाई या खान-पान के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। (और पढ़े - सफर में उल्टी आने का इलाज
     
  • दस्त -
    आपको दस्त लग सकते हैं, अगर ऐसा हो तो अपने डॉक्टर को बताएं, जिससे वह आपको इसके लिए कोई दवा दे सकें। वह आपको अपनी डाइट में बदलाव लाने के बारे में भी सुझाव दे सकते हैं। (और पढ़ें - दस्त कैसे रोके)
     
  • बार-बार पेशाब आने की समस्या -
    अगर यह उपचार आपके पेट के निचले हिस्से में किया जा रहा है तो आपको बार बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो अपने डॉक्टर को बताएं ताकि आपका यूरिन टेस्ट किया जा सके, जिससे यह पता चले कि आपको कोई इन्फेक्शन तो नहीं हैं। (और पढ़े - पेशाब में जलन का इलाज)
     
  • मुंह और गले में छाले -
    यह समस्या तभी होती है जब उपचार मुंह और गले के आस-पास ही किया जाता है। (और पढ़े - मुंह के छाले का इलाज)
     
  • बाल झड़ना -
    यह समस्या भी शरीर के उसी अंग में होती है जहाँ पर उपचार किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि इलाज आपके सिर का हो रहा है तो सिर के बाल झड़ने की समस्या हो सकती है और यदि आपकी छाती का इलाज किया जा रहा है तो केवल छाती के बाल झड़ने की समस्या होगी। 

    आपके बाल दोबारा आएँगे या नहीं यह इस बात पर निर्भर करता हैं कि रेडिएशन का स्तर कितना था। आपके डॉक्टर इसे अच्छी तरह बता सकते हैं कि आपके बाल कितने जल्दी वापस आएँगे या नहीं आएँगे। (और पढ़े - बाल झड़ने से रोकने के घरेलू उपाय)

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जिस रोगी की रेडियोथेरेपी चल रही है उसके खान-पान का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। इसके लिए निम्न लिखित बातें ध्यान में रखें - 

  • इलाज के दौरान अच्छी मात्रा में ड्रिंक्स लें, उदहारण के लिए पानी, फल का रस, दूध, चाय, कॉफी आदि।
  • नियमित भोजन करें और हमेशा संतुलित भोजन लें। अगर एक साथ पूरा खाना नहीं खाना चाहते हैं तो थोड़ी-थोड़ी देर में खाते रहें। आप किसी अच्छे आहार विशेषज्ञ की सलाह भी ले सकते हैं।
  • शराब बिलकुल न पियें, मसालेदार खाना और अधिक गर्म या अधिक ठंडे खाने से भी परहेज करें, अगर उपचार आपके मुँह, गले या छाती का हो रहा है।

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नोट - ये लेख केवल जानकारी के लिए है। myUpchar किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है। आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।

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