कोविड-19 महामारी जिस तेजी से फैल रही है उसे रोकने के मकसद से ही भारत समेत दुनियाभर के कई देशों में लगातार कई हफ्तों तक देशव्यापी लॉकडाउन किया गया था। हालांकि अब कई देशों में लॉकडाउन को हटा लिया गया है और जीवन फिर से पहले की तरफ पटरी पर लौटने की कोशिश कर रहा है। लेकिन इन सबके बीच इस लॉकडाउन ने कई लोगों के जीवन पर नकारात्मक असर डाला है, खासकर उन बच्चों के जीवन पर जो पहले से ही मोटापे की समस्या से परेशान हैं।

अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित यूनिवर्सिटी एट बफेलो की एक रिसर्च की मानें तो कोविड-19 की वजह से हुए इस लॉकडाउन ने अधिक वजन वाले और मोटापे से ग्रसित बच्चों की डाइट, नींद और शारीरिक गतिविधियों पर नकरात्मक असर डाला है। इस स्टडी को जर्नल ऑफ ओबेसिटी नाम की पत्रिका में प्रकाशित किया गया है जिसमें इटली के वेरोना स्थित 41 ओवरवेट बच्चों का परीक्षण किया गया था जो मार्च और अप्रैल 2020 के दौरान कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से अपने-अपने घरों में कैद थे।

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इस स्टडी के दौरान इटली में हुए राष्ट्रीय लॉकडाउन के दौरान इन बच्चों की जीवनशैली से जुड़ी जानकारी जैसे उनकी डाइट, गतिविधियां और नींद से जुड़े डेटा पर करीब 3 हफ्तों तक नजर रखी गई और साल 2020 के इस डेटा की तुलना साल 2019 में इक्ट्ठा किए गए डेटा से की गई। इस दौरान बच्चों से जो सवाल पूछे गए उसमें उनकी शारीरिक गतिविधियां, स्क्रीन टाइम, उनकी नींद, खाने से जुड़ी आदतें, रेड मीट, पास्ता, स्नैक्स, फल और सब्जियों का उन्होंने कितना सेवन किया- इस पर फोकस किया गया था।

स्टडी के नतीजों ने इस बात की पुष्टि की कि लॉकडाउन की वजह से घर पर रहने के कारण मोटापे से ग्रसित बच्चों के व्यवहार में नकारात्मक बदलाव देखने को मिला। बच्चों से मिले इस साल के आंकड़ों की तुलना जब पिछले साल यानी साल 2019 के आंकड़ों से की गई तो पता चला कि इन बच्चों ने रोजाना एक अतिरिक्त मील का सेवन किया, रोजाना आधा घंटा अधिक सोए, स्क्रीन टाइम में भी करीब 5 घंटे रोजाना की बढ़ोतरी हुई और साथ ही में रेड मीट, जंक फूड और शुगरी ड्रिंक्स के सेवन में भी काफी बढ़ोतरी देखने को मिली। स्टडी में आगे कहा गया कि शारीरिकि गतिविधियों में हर हफ्ते 2 घंटे की कमी देखने को मिली, लेकिन फल और सब्जियों के सेवन में किसी तरह का कोई बदलाव नजर नहीं आया।

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इस स्टडी के को-ऑथर माइल्स फेथ कहते हैं, 'इस भयंकर कोविड-19 महामारी का प्रत्यक्ष वायरल संक्रमण के अतिरिक्त भी कई तरह का असर देखने को मिल रहा है। छोटे और किशोर उम्र के बच्चे जो पहले से ही मोटापे से परेशान हैं वे लॉकडाउन की वजह से अलगाव की दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति में हैं और इस कारण वे स्वस्थ जीवनशैली नहीं अपना पा रहे हैं।'

फेथ आगे कहते हैं, 'वैसे बच्चे और युवा जिन्होंने कड़ी मेहनत से अपने वजन को कंट्रोल में रखने की कोशिश की थी उनके इन प्रयासों पर कोविड-19 महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन का प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल रहा है। लॉकडाउन कितने समय तक रहता इस पर निर्भर करता है कि इस दौरान जो भी अतिरिक्त वजन बढ़ा है उसे आसानी से कम किया जा सकता है या नहीं। साथ ही अगर स्वस्थ आदतों को न अपनाया जाए तो बचपन या किशोरावस्था में हुई मोटापे की यह स्थिति वयस्क होने पर भी जारी रह सकती है।'

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से बच्चों में मोटापे की समस्या हो रही गंभीर: स्टडी है

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