बच्चों के विकास की दर अलग-अलग होती है, ऐसे में यह समझना मुश्किल हो जाता है कि बच्चे का वजन अधिक है या नहीं। माता पिता अकसर बच्चे के मोटापे को ध्यान नहीं देते हैं। मोटापा एक गंभीर समस्या है जो बच्चों और किशोरों को प्रभावित करती है। अपनी लंबाई और उम्र के अनुसार बच्चे का सामान्य से अधिक वजन होने की स्थिति को ही मोटापा कहा जाता है। बच्चे के शरीर में अधिक वसा होने से उसको कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं जैसे डायबिटीज, हृदय रोग और अस्थमा, आदि होने का जोखिम रहता है। इसके अलावा मोटे बच्चे को अन्य बच्चों के साथ खेलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार मोटापे के कारण बच्चे का आत्म सम्मान कमजोर हो जाता है या उनको तनाव होने लगता है।

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आज के दौर के बच्चों में होने वाली इस समस्या को ध्यान में रखते हुए आपको बच्चों में मोटापा के विषय में विस्तार से बताया गया है। साथ ही आप बच्चों में मोटापे के लक्षण, बच्चों में मोटापा के कारण, बच्चों का मोटापा से बचाव और बच्चों के मोटापे का इलाज आदि के बारे में भी विस्तार से बताया गया है। 

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  1. बच्चों में मोटापे के लक्षण - Baccho me motape ke lakshan
  2. बच्चों में मोटापा के कारण और जोखिम कारक - Baccho me motape ke karan
  3. बच्चों का मोटापे से बचाव - Baccho ka motape ke bachav
  4. बच्चों के मोटापे का इलाज और उपाय - Baccho ke motape ka ilaj aur upay

सभी बच्चों को मोटापा नहीं होता है, केवल कुछ ही बच्चों का वजन औसत से अधिक होता हैं। शारीरिक विकास के दौरान बच्चे के शरीर में वसा का स्तर अलग-अलग हो सकता है। बीएमआई बच्चे के वजन और लंबाई के संबंध में दिशानिर्देश देता है और मोटापे के लिए इसके आंकड़ों को सही माना जाता है। डॉक्टर मोटापे की जांच के लिए बीएमआई के ग्रोथ चार्ट को उपयोग करते हैं। इसके अलावा आवश्यकता होने पर अन्य टेस्ट से यह पता लगाने में मदद मिलती है कि आपके बच्चे का वजन किन अन्य स्वास्थ्य समस्या को जन्म दे सकता है। 

(और पढ़ें - बच्चे की उम्र के अनुसार वजन का चार्ट)

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बच्चों के मोटा होने के पीछे पारिवारिक स्वास्थ्य स्थिति, मनोवैज्ञानिक कारक और जीवनशैली अहम भूमिका निभाती हैं। जिन बच्चों के माता पिता या परिवार के अन्य सदस्य मोटे होते हैं उनमें मोटापा की संभावना अधिक होती है। लेकिन बच्चों में मोटापा होने की मुख्य वजह उनका अधिक खाना व कम एक्सरसाइज करना होता है। बच्चों में मोटापे के कारणों को नीचे विस्तार से बताया गया है।

  • असंतुलित आहार जेसे फास्ट फूड, चीनी वाले पेय पदार्थ और स्नैक्स, सोडा, सोफ्ट ड्रींक व मिठाई खाने से बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ता है। (और पढ़ें - बच्चों की सेहत के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज)
     
  • कई माता-पिता को यह मालूम नहीं होता कि वो अपने बच्चे को स्वस्थ आहार में क्या दें या स्वस्थ आहार कैसे बनाएं, जबकि अन्य माता पिता आर्थिक समस्या की वजह से ताजे फल और सब्जियां नहीं खरीद ही नहीं पाते हैं। (और पढ़ें - खट्टे फल खाने के फायदे)
     
  • शारीरिक गतिविधियों में कमी और अंसतुलित भोजन को खाने से बच्चों में मोटापा बढ़ जाता है। एक्सरसाइज से कैलोरी और वजन को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। जब बच्चा बाहर खेलने जाने में रुचि नहीं लेता और अपना ज्यादातर समय टीवी या कम्यूटर के आगे बैठककर ही बिताता है तो ऐसे में धीरे-धीरे उसके शरीर का वजन बढ़ने लगता है। (और पढ़ें - वजन कम करने के लिए कितनी कैलोरी खाएं)
     
  • मनोवैज्ञानिक कारण की वजह से कुछ बच्चों और किशोरों में मोटापा बढ़ने लगता है। जो बच्चे तनाव, बोरियत और नाकारत्मक भावना को कम करने के लिए अधिक खाना खाते हैं, उनको मोटापे की समस्या हो जाती है। (और पढ़ें - तनाव दूर करने के घरेलू उपाय)
     
  • जिन बच्चों को डिब्बे वाला दूध दिया जाता है, अनजाने में माता पिता उनको अधिक खाना खिलाते हैं। डिब्बे वाला दूध बच्चे को देने की निश्चित मात्रा का अंदाजा लगाना काफी मुश्किल होता है और ऐसे में माता पिता बच्चे को आवश्यकता से अधिक या दोगुना तक खिला देते हैं। कई माता पिता बच्चे के रोने के कारणों को जाने बिना ही उसको हर बार खाना खिलाने लगते हैं, इससे भी बच्चा तेजी से मोटा होता है। (और पढ़ें - मिट्टी खाने का इलाज)    

बच्चों को मोटापे से होने वाले संभावित जोखिम

बच्चे को मोटापे से कई तरह के गंभीर विकार हो सकते हैं, जो उसको पूरी जिंदगी परेशान कर सकते हैं। बच्चे को मोटापे से निम्नलिखित जोखिम की संभावना होती है।

  • डायबिटीज :
    शुगर युक्त खाद्य पदार्थों को ज्यादा खाने से बच्चे को टाइप 2 डायबिटीज का खतरा रहता है। इसमें शरीर ग्लूकोज को सही तरह से नहीं पचा पाता है। इसकी वजह से अन्य समस्या जैसे किडनी के रोग, आंखों की समस्या और नसों को क्षति हो सकती हैं। बच्चों और व्यस्कों दोनों में ही मोटापे की वजह से टाइप 2 डायबिटीज की संभावना होती है। लेकिन, संतुलित आहार और एक्सरसाइज से इस स्थिति को ठीक किया जा सकता है। (और पढ़ें - डायबिटीज को कम करने के उपाय)
     
  • हृदय रोग:
    वसा वाले खाद्य पदार्थों और ज्यादा नमक वाले खाने से कोलेस्ट्रोल व बीपी बढ़ जाता है। ये दोनों ही स्थितियां मोटे बच्चों में हृदय रोग के खतरे को बढ़ा देती हैं। कोलेस्ट्रोल के बढ़ने से रक्त वाहिकाओं में रुकावट और हाई बीपी की परेशानी बढ़ जाती है। हार्ट अटैक और स्ट्रोक इन्हीं समस्याओं के कारण होते हैं। (और पढ़ें - हाई ब्लड प्रेशर में क्या खाएं)
     
  • अस्थमा:
    मोटापा के कारण पहले से अस्थमा (फेफड़ों में दीर्घकालिक सूजन) से पीड़ित बच्चों की स्थिति और गंभीर हो जाती है। अस्थमा और मोटापा ऐसे विकार हैं जो एक दूसरे के साथ होते हैं। हालांकि इन दोनों रोगों के बीच संबंध बताना मुश्किल है, लेकिन फिर भी अस्थमा से पीड़ित अधिकतर लोगों को मोटापे की समस्या होती है। यह भी देखा गया है कि मोटे लोगों को अस्थमा की गंभीर स्थिति होने का जोखिम बना रहता है। (और पढ़ें - बच्चों में अस्थमा का इलाज)
     
  • नींद संबंधी विकार:
    मोटापे की वजह से जिन बच्चों के गले के चारों ओर फैट इकट्ठा हो जाता है, उन्हें वायु मार्ग रुक जाने की समस्या होती है। इस स्थिति के कारण बच्चे को स्लिप एप्निया जैसी समस्या हो जाती है। इसमें बच्चा रात में सोते समय सही तरह से सांस नहीं ले पाता है। साथ ही इसकी वजह से खर्राटे आना भी शुरू हो जाते हैं। 

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बच्चों को मोटापे से बचाने के लिए माता पिता को बच्चे की आदतों पर विशेष ध्यान देना होता है। बच्चों का मोटापे से बचाव करने के लिए आप निम्नलिखित उपायों को आजमाना चाहिए।

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बच्चों के मोटापे का इलाज उनकी आयु और उनकी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के आधार पर निर्धारित किया जाता है। इस समस्या के इलाज में मुख्यतः बच्चे के खाने की आदतों और शारीरिक गतिविधियों के बदलाव को शामिल किया जाता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में ही मोटापे के लिए दवाओं व सर्जरी का विकल्प चुना जाता है। 

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बच्चों के लिए काम करने वाली स्वास्थ्य संस्थाएं सलाह देती है कि 2 साल से लेकर किशोरों तक के बच्चों को वजन नियंत्रण करने वाले विशेष प्रोगाम में हिस्सा लेकर वजन को नियंत्रित करना चाहिए। इस प्रक्रिया से बच्चे के वजन की जगह पर लंबाई बढ़ती है, क्योंकि उसका बीएमआई स्वस्थ स्तर पर पहुंच जाता है। 

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6 से 11 वर्ष के बच्चों का मोटापा कम करने के लिए, उनको खाने की आदतों में बदलाव करते हुए एक महिने में आधा किलो से ज्यादा वजन न कम करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। थोड़े बड़े बच्चों और किशोरों (जिनको अधिक मोटापा हो) को खाने की आदतों में बदलाव करके एक सप्ताह में एक किलों से ज्यादा वजन कम नहीं करना चाहिए।

बच्चे के मोटापे को कम करने में सहायक अन्य उपाय

बच्चे को स्वस्थ रखना माता पिता की जिम्मेदारी होती है और वह ही इस काम को बेहतर तरह से कर पाते हैं। आगे आपको बच्चे के मोटापे को कम करने के उपाय बताए गए हैं।

  • भोजन के बारे में जानें:
    कुछ माता पिता को यह मामूल ही नहीं होता कि बच्चे के लिए क्या चीज खाना सही है और क्या गलत। इसलिए माता पिता को पौष्टिक आहार के बारे में पता होना चाहिए, जिससे वह अपने बच्चे को स्वस्थ आहार दे पाएं। (और पढ़े - फैट कम करने के घरेलू उपाय)
     
  • परिवार के सभी सदस्यों को साथ में हर काम करना:  
    परिवार के सभी सदस्यों का संतुलित आहार खाना और शरीर गतिविधियों में सभी के द्वारा हिस्सा लेने से बच्चा भी इन्हीं अच्छी आदतों को सीखता है। (और पढ़ें - 6 महीने के बाद बच्चे के आहार चार्ट)
     
  • कुछ नई रेसिपी बनाएं:
    बच्चे को खाने की अच्छी आदतों को सिखाने के साथ ही आपको उसे बाहरी खाना खाने से हमेशा मना नहीं करन चाहिए, क्योंकि ऐसे में बच्चा उन्हीं चीजों को खाने की जिद्द करने लगता है। इस स्थिति में आप उसकी जंक फूड खाने की आदतों को बेहद कम करें और घर में ही कुछ नई रेसिपी बनाएं। इससे बच्चा लंबे समय तक खाने की अच्छी आदतों को सीखकर स्वस्थ रहता है। (और पढ़ें - नवजात शिशु के निमोनिया का इलाज)
     
  • बच्चे की भावनाओं को समझें और उससे बात करें:
    अगर बच्चा मोटापे से ग्रस्त है, तो आप उसकी भावनाओं को समझे और इस समस्या से निकलने में उसकी मदद करें। इस स्थिति में बच्चे को नकारात्मक बात न कहें, इससे उसकी भावनाओं को ठेस पहुंच सकता है। उसके द्वारा वजन कम करने के लिए अपनाए गए प्रयासों को सराहें और उसको प्रोत्साहित करें। 

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