कोविड-19 के इलाज के लिए तैयार की गई एक प्रबल वैक्सीन दावेदार 'एमआरएनए-1273' के बुजुर्गों के लिए भी लाभकारी होने के प्रमाण मिले हैं। प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (एनईजेएम) के मुताबिक, इस कोविड वैक्सीन से 70 साल से भी ज्यादा उम्र के लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ उसी प्रकार और ज्यादा एंटीबॉडी विकसित हुए हैं, जैसे पिछले परीक्षणों में मध्यम आयु के लोगों में पैदा हुए थे। अगर ये एंटीबॉडी कोरोना वायरस से सुरक्षा देने में भी सक्षम पाए गए तो इसका मतलब होगा कि इससे वे लोग सुरक्षित होंगे, जिन्हें कोविड-19 ने सबसे ज्यादा शिकार बनाया है। बता दें कि एमआरएनए-1273 वैक्सीन को अमेरिका की चर्चित फार्मा कंपनी मॉडेर्ना ने तैयार किया है। बताया जाता है कि शरीर को कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यून रेस्पॉन्स पैदा करने के लिए वैक्सीन बनाते वक्त कंपनी ने एक नई प्रकार की तकनीक का इस्तेमाल किया है।

दरअसल, एमआरएनए-1273 वैक्सीन के रूप में शरीर में नए कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन बनाने के निर्देश इन्जेक्ट किए जाते हैं। इन निर्देशों का पालन करते हुए कोशिकाएं स्पाइक प्रोटीन का निर्माण करने लगती हैं। फिर वे प्रोटीन को रिलीज करती हैं, जिसे इम्यून सिस्टम पहचानकर अपने हथियार यानी एंटीबॉडी तैयार करता है। मॉडेर्ना का दावा है कि इस तरह एमआरएनए-1273 कोरोना वायरस के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने का काम करती है। इस आधार पर यह उम्मीद की जाती है कि जब असली कोरोना वायरस शरीर में प्रवेश करेगा तो वैक्सीन के चलते हमारा शरीर तेजी से रेस्पॉन्स करेगा और संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार हो जाएगा।

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युवाओं और मध्यम आयु के लोगों में ऐसे इम्यून रेस्पॉन्स देखे गए हैं, जो कोविड-19 से रिकवर हुए मरीजों के एंटीबॉडी लेवल से मिलते हैं। लेकिन बुजुर्गों को लेकर तमाम वैक्सीनों समेत मॉडेर्ना की वैक्सीन भी संदेह के घेरे में थी। हालांकि अब उसका दावा है कि उसका टीका वृद्धों में भी कोरोना वायरस को रोकने वाले सक्षम एंटीबॉडी पैदा कर सकता है। एक अध्ययन के शुरुआती परिणामों के आधार पर उसने कुछ समय पहले भी यह दावा किया था, जिसकी अंतरिम रिपोर्ट अब सामने आई है। इसके परिणामों पर यूनिवर्सिटी मैरीलैंड के प्रोफेसर और बुजुर्गों में वैक्सीन डेवलपमेंट के विशेषज्ञ विलबुर चेन का कहना है, 'यह आश्चर्यजनक है, क्योंकि अब तक यह देखने में आया है कि उम्र के बढ़ने के साथ वैक्सीन का रेस्पॉन्स कम होता जाता है। किसी और तरीके से कहें तो ज्यादा उम्र में एंटीबॉडी रेस्पॉन्स सामान्य रूप से कमतर रहता है।' यहां उल्लेखनीय है कि आमतौर पर वैक्सीन्स बुजुर्गों के लिए काम नहीं करती हैं। ऐसे में वैक्सीन निर्माताओं को विशेष प्रकार के हाई डोज वाले शॉट तैयार करने पड़ते हैं या कहें वैक्सीन में ऐसे इनग्रेडिएंड मिलाने पड़ते हैं, जिससे इम्यून सिस्टम सक्रिय हो और संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करे।

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मॉडेर्ना की वैक्सीन के पहले चरण में इसकी सुरक्षा और इसकी सबसे असरदार डोज को सुनिश्चित करने का काम किया गया था। तब पहली स्टेज के परीक्षणों में वैक्सीन के साइड इफेक्ट देखने को मिले थे, जिनमें थकान, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशी में दर्द और वैक्सीन शॉट वाली जगह पर दर्द शामिल था। प्रतिभागियों में से किसी को भी प्लसीबो ड्रग नहीं दिया गया था। बजाए इसके उन्हें चार हफ्तों के दौरान 25 माइक्रोग्राम या 100 माइक्रोग्राम के डोज दिए गए थे। ज्यादा हाई डोज वाले वैक्सीन शॉट्स से ज्यादा एंटीबॉडी पैदा हुए थे। साथ ही उनमें साइड इफेक्ट भी बढ़े। इनमें मांसपेशी का दर्द और सूजन शामिल थे, जो कई दिनों तक बने रहे। चार हफ्तों के बाद 25 एमजी वाले कम युवा प्रतिभागियों में औसतन तीन लाख 23 हजार 945 की सघनता में एंटीबॉडी पैदा हुए। लेकिन इतने ही डोज वाले बुजुर्ग (71 साल या उससे ज्यादा) प्रतिभागियों में 11 लाख 28 हजार 391 से ज्यादा एंटीबॉडी बने। वहीं, जब डोज को बढ़ा कर 100 एमजी किया गया तो 56 से 70 साल की उम्र के प्रतिभागियों में 11 लाख 83 हजार 66 सघनता के साथ रोग प्रतिरोधक पैदा हुए, जबकि उससे ज्यादा उम्र वाले समूह के प्रतिभागियों में एंटीबॉडी कन्संट्रेशन 36 लाख 38 हजार 522 रहा।

हालांकि एंटीबॉडी बढ़ने का मतलब वायरस के खिलाफ निश्चित सुरक्षा मिलना नहीं है। यह पता करने का काम वैज्ञानिक तीसरे चरण के ट्रायल के तहत करेंगे, जो अभी चल रहा है। लेकिन शोधकर्ता पिछले चरणों के परिणामों से उत्साहित हैं। इनमें से प्रोफेसर इवान एंडरसन का कहना है, 'हमें यह देखकर खुशी हुई कि 100 माइक्रोग्राम की डोज से (बुजुर्गों प्रतिभागियों में) उतने ही एंटीबॉडी जनरेट हुए, जितने 18 से 55 साल के प्रतिभागियों में हुए थे।' एक और बात जो जांच के योग्य है, वह यह कि बुजुर्गों में एमआरएनए-1273 वैक्सीन से मजबूत इम्यून रेस्पॉन्स पैदा होने के कारणों का साफ तौर पर पता नहीं चल सका है। खुद प्रोफेसर इवान ने कहा, 'हम ठीक-ठीक नहीं जान पाए हैं कि क्यों बुजुर्ग वयस्कों में इम्यून रेस्पॉन्स मजबूत बना हुआ है।' फिलहाल यही साफ हुआ है कि दूसरे डोज के बाद बना इम्यून रेस्पॉन्स वैसा ही है, जैसा कोविड-19 से रिकवर हुए मरीजों में देखने को मिला था।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: मॉडेर्ना की वैक्सीन बुजुर्गों में मजबूत इम्यून रेस्पॉन्स पैदा करने में सक्षम- एनईजेएम है

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