कोविड-19 संक्रमण से बचाव और इलाज में अब तक कोई प्रभावी वैक्सीन विकसित नहीं हुई है। ऐसे में सतर्कता ही एकमात्र विकल्प है जिसके चलते संक्रमण से बचाव किया जा सकता है। संक्रमण के रोकथाम के उपायों में से मास्क को अहम बताया गया है। महामारी के अस्तित्व में आने से लेकर अब तक कई रिसर्च के जरिए मास्क की उपयोगिता का पता चला है। यही वजह है कि वैज्ञानिक मास्क पहनने को प्रमुखता देते हैं। वहीं एक नई रिसर्च में एक बार फिर शोधकर्ताओं को इसके सकारात्मक प्रभाव से जुड़े कुछ सूबत मिले हैं जो यह बताते हैं कि फेस कवर करने से सार्स-सीओवी-2 वायरस से काफी हद तक बचाव होता है।
मास्क वायरस के प्रभाव को कम करने में सहायक
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी आईआईटी बॉम्बे के दो वैज्ञानिकों ने यह अध्ययन किया है, जिसमें मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग से जुड़े प्रोफेसर अमित अग्रवाल और रजनीश भारद्वाज शामिल हैं। रिसर्च के तहत उन्होंने पाया है कि सर्जिकल और एन-95 मास्क कोरोना वायरस के खिलाफ काफी असरदार हैं। कोविड कफ क्लाउड यानी खांसते वक्त निकलने वाली संक्रमित बूंदों की मात्रा के प्रभाव को कम करने में मास्क सहायक हैं। मतलब सर्जिकल मास्क से सात गुना और एन-95 मास्क के जरिए 23 गुना तक वायरस का प्रभाव कम हो सकता है। बता दें कि ये रिसर्च चिकित्सा क्षेत्र की प्रमुख पत्रिका अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स द्वारा एक जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इस स्टडी के दौरान कोविड-19 रोगी की खांसी से दूषित वायु की मात्रा का अनुमान लगाया गया है।
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अध्ययन से जुड़े निष्कर्षों से पता चला है कि कोविड-19 रोगी के खांसने के आठ सेकंड बाद तक वायरस एक्सहेल्ड बूंदों के रूप में हवा को पार करते हुए आगे बढ़ता है। इससे वायरल संक्रमण के स्तर में 23 गुना वृद्धि होने की आशंका होती है। रिसर्च में कहा गया है "मास्क पहनने से संक्रमण का स्तर कम हो जाता है। इसके अलावा एक कमरे में मौजूद अन्य व्यक्तियों के लिए वायरल संक्रमण जोखिम को मास्क की मदद से काफी कम किया जा सकता है। इसी तरह, खांसते वक्त मुंह को कोहनी से कवर करने और रुमाल के इस्तेमाल से कोविड कफ क्लाउड (खांसते वक्त निकलने वाली बूंदों का गुबार) की मात्रा कम हो सकती है और इसके परिणामस्वरूप वायरस के प्रसार की आशंका कम होगी।
हवा में पांच से 14 सेकंड रहता है कफ क्लाउड
शोधकर्ताओं ने आसपास की हवा में संक्रमण के फैलाव को समझने के लिए खांसी के जरिए बनने वाले गुबार के आयतन, तापमान और सापेक्ष आर्द्रता का विश्लेषण किया। उन्होंने खांसी की बूंदों के माध्यम से बनने वाले गुबार के द्रव की गतिशीलता और थर्मोडाइनैमिक्स का विश्लेषण करने के लिए एक गणितीय मॉडल का उपयोग किया था। उन्होंने पाया कि कफ क्लाउड पांच से 14 सेकंड के बीच रहता है, जिसके बाद यह फैलता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक "एक एन-95 मास्क न केवल कोविड-19 रोगी के खांसने पर निकलने वाली बूंदों की संख्या को कम करता है, बल्कि व्यक्ति द्वारा उत्पादित संक्रमित हवा की मात्रा को भी कम करता है। उन्होंने यह भरोसा जताया कि इससे निष्कर्षों को समझने में मदद मिलेगी कि कैसे सार्स-सीओवी-2 वायरस हवा में फैलता है।
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